अक्षय नवमी पर 112वीं सप्तकोसी परिक्रमा:हजारों श्रद्धालुओं ने लिया भाग, एक विशेष अवसर पर खुलता है यह प्राचीन मंदिर
अक्षय नवमी के पावन अवसर पर बलरामपुर में 112वीं सप्तकोसी परिक्रमा का भव्य आयोजन किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने नगर के विभिन्न मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की और सुख, समृद्धि व शांति की कामना की। यह परंपरा बलरामपुर के राज परिवार द्वारा स्थापित है, जिसमें श्रद्धालुओं ने भगवान शिव, मां बिजलेश्वरी, राधाकृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की। शिव भक्ति की परंपरा: राज परिवार का योगदान बलरामपुर का राज परिवार सदियों से धार्मिक परंपराओं का पालन करता आ रहा है। करीब 109 साल पहले सप्तकोसी परिक्रमा की शुरुआत की गई थी, जिसमें श्रद्धालुओं को नगर के प्रमुख मंदिरों का दर्शन कराया जाता है। बलरामपुर को "छोटी काशी" के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यहां कई प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं, जो श्रद्धालुओं की भक्ति का केंद्र हैं। झारखंडी मंदिर से परिक्रमा का शुभारंभ अक्षय नवमी के दिन झारखंडी मंदिर से परिक्रमा की शुरुआत की गई। सदर विधायक पल्टूराम, तुलसीपुर विधायक कैलाश नाथ शुक्ल, और नगर पालिका अध्यक्ष डॉ. धीरेंद्र प्रताप सिंह ने दीप प्रज्वलित कर, नारियल फोड़कर इस परिक्रमा की शुरुआत की और हरी झंडी दिखाकर जुलूस को रवाना किया। इस दौरान, सभी नेताओं ने स्वयं भी परिक्रमा में भाग लिया। नगर के प्रमुख मंदिरों का दर्शन सप्तकोसी परिक्रमा में श्रद्धालुओं ने नगर के प्रमुख मंदिरों का दर्शन किया। झारखंडी मंदिर से प्रारंभ होकर यह जुलूस वीर विनय चौक, कालीथान मंदिर, बिजलीपुर मंदिर, रानी तालाब, नहर बालागंज, और छोटी झारखंडी से होते हुए भगवतीगंज स्थित गौशाला पहुंचा, जहां सभी श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था थी। विशेष आकर्षण: नीलबाग पैलेस का राधाकृष्ण मंदिर परिक्रमा के दौरान, नीलबाग पैलेस स्थित राधाकृष्ण मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। यह भव्य मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है और साल में केवल अक्षय नवमी के दिन खुलता है। राज परिवार के पुरोहित यहां पर श्रद्धालुओं को राधाकृष्ण के दर्शन कराते हैं। इस मंदिर के दर्शन के बिना परिक्रमा अधूरी मानी जाती है। प्रसाद वितरण: श्रद्धालुओं के सेवा में राज परिवार नीलबाग पैलेस में राज परिवार की ओर से सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण किया गया। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर परिक्रमा की यात्रा को आगे बढ़ाया। पूरे मार्ग में धर्मप्रेमी संस्थाओं द्वारा जलपान और भोजन की व्यवस्था भी की गई थी, जिससे श्रद्धालुओं का उत्साह बना रहा। भजन-कीर्तन से भक्तिमय माहौल परिक्रमा के दौरान भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया, जिससे नगर का संपूर्ण माहौल भक्तिमय हो उठा। भक्ति गीतों में तल्लीन श्रद्धालुओं के जोश और उमंग में चार चांद लग गए। जगह-जगह स्थानीय कलाकारों ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए, जिसने परिक्रमा को और भी प्रेरणादायक बना दिया। सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की विशेष व्यवस्था परिक्रमा में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। पुलिस बल की विशेष तैनाती के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने भी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराईं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में श्रद्धालुओं को तुरंत सहायता मिल सके। परिक्रमा का समापन और श्रद्धालुओं का संतोष सप्तकोसी परिक्रमा का समापन झारखंडी मंदिर में हुआ। यहां श्रद्धालुओं ने अंतिम पूजा-अर्चना की और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया। समिति के अध्यक्ष रघुनाथ अग्रवाल और महामंत्री डॉ. तुलसीश दुबे ने बताया कि इस वर्ष परिक्रमा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। धार्मिक आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सदस्य इस परिक्रमा को सफल बनाने में परिक्रमा समिति और राज परिवार के कई सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रमुख योगदानकर्ताओं में रघुनाथ अग्रवाल, डॉ. तुलसीश दुबे, अविनाश मिश्रा, राज कुमार श्रीवास्तव, डॉ. राजीव रंजन, बाबा विष्णु गिरी जैसे सदस्य शामिल रहे, जिन्होंने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उतरौला रोड पर विशेष प्रसाद वितरण अक्षय नवमी के अवसर पर उतरौला रोड पर परिक्रमा समिति द्वारा प्रसाद वितरण का विशेष आयोजन हुआ, जिसमें सदर विधायक पल्टूराम सहित कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण कर परंपरा को आगे बढ़ाया गया, जिससे बलरामपुर की इस धार्मिक परंपरा का महत्व और भी बढ़ गया।
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