अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध कांक्लेव लखनऊ में 9 से 11 तक:सम्मेलन में देश भर के 800 से अधिक विद्वान शामिल होंगे

अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान गोमती नगर द्वारा तीन दिवसीय इंटरनेशनल बुद्धिष्ट कांक्लेव का आयोजन 9 से 11 नवंबर तक किया जा रहा है। आलमबाग स्थित बुद्धविहार शान्ति उपवन में आयोजित इस कार्यक्रम में विश्व - शान्ति एवं सद्भाव में पालि साहित्य के योगदान पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में बौद्ध पर्यटन, पालि भाषा - साहित्य, पुरातत्त्व, बौद्ध संस्कृति, प्राचीन इतिहास और भारतीय ज्ञान परंपरा जैसे विभिन्न विषयों पर विमर्श किया जाएगा। कार्यक्रम में देशभर से 800 से अधिक बौद्ध भिक्खु, आचार्य, विद्वान और बौद्ध उपासक इस सम्मेलन में भाग लेंगे। उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जिसने पालि भाषा को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया है और इस विषय पर भव्य सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। श्रीलंका की चित्रकार भी शामिल होंगी यहां श्रीलंका की प्रसिद्ध चित्रकार चामिनी बुद्धिका वीरसुरिया द्वारा बुद्ध चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इसमें बच्चों और बड़ों को चित्रकारी की बारीकियां सीखने का भी अवसर मिलेगा। प्रतिभागियों को पेंटिंग की सामग्री स्वयं लानी होगी। धम्मलिपि का शिक्षण एक प्रमुख आकर्षण होगा। एक घंटे में धम्मलिपि सिखाने का दावा सुभाष चन्द्रा बौद्ध का दावा है कि वे एक घंटे में लोगों को धम्मलिपि सिखा सकते हैं। इस लिपि को सीखकर प्रतिभागी सम्राट अशोक के प्राचीन अभिलेखों को पढ़ सकते हैं। इस दौरान विद्वानों और आचार्यों द्वारा शैक्षणिक एवं अनुसन्धनात्मक विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। इसमें पालि साहित्य की महत्ता और प्रासंगिकता पर विचार विमर्श किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे कार्यक्रम के दौरान पालि पुस्तक मेला, धम्मपद संगायन, शिल्प और कला प्रदर्शनी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा। सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य भारतीय शिक्षा व्यवस्था में पालि भाषा और साहित्य को स्कूली और उच्च शिक्षा में लागू करना है। यह अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध कांक्लेव बौद्ध धर्म के अनुयायियों, विद्वानों और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक अनूठा अवसर है। इसमें वे न केवल ज्ञान अर्जित करेंगे बल्कि अपनी रचनात्मकता को भी उजागर कर सकेंगे।

Nov 4, 2024 - 19:40
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अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध कांक्लेव लखनऊ में 9 से 11 तक:सम्मेलन में देश भर के 800 से अधिक विद्वान शामिल होंगे
अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान गोमती नगर द्वारा तीन दिवसीय इंटरनेशनल बुद्धिष्ट कांक्लेव का आयोजन 9 से 11 नवंबर तक किया जा रहा है। आलमबाग स्थित बुद्धविहार शान्ति उपवन में आयोजित इस कार्यक्रम में विश्व - शान्ति एवं सद्भाव में पालि साहित्य के योगदान पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में बौद्ध पर्यटन, पालि भाषा - साहित्य, पुरातत्त्व, बौद्ध संस्कृति, प्राचीन इतिहास और भारतीय ज्ञान परंपरा जैसे विभिन्न विषयों पर विमर्श किया जाएगा। कार्यक्रम में देशभर से 800 से अधिक बौद्ध भिक्खु, आचार्य, विद्वान और बौद्ध उपासक इस सम्मेलन में भाग लेंगे। उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जिसने पालि भाषा को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया है और इस विषय पर भव्य सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। श्रीलंका की चित्रकार भी शामिल होंगी यहां श्रीलंका की प्रसिद्ध चित्रकार चामिनी बुद्धिका वीरसुरिया द्वारा बुद्ध चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इसमें बच्चों और बड़ों को चित्रकारी की बारीकियां सीखने का भी अवसर मिलेगा। प्रतिभागियों को पेंटिंग की सामग्री स्वयं लानी होगी। धम्मलिपि का शिक्षण एक प्रमुख आकर्षण होगा। एक घंटे में धम्मलिपि सिखाने का दावा सुभाष चन्द्रा बौद्ध का दावा है कि वे एक घंटे में लोगों को धम्मलिपि सिखा सकते हैं। इस लिपि को सीखकर प्रतिभागी सम्राट अशोक के प्राचीन अभिलेखों को पढ़ सकते हैं। इस दौरान विद्वानों और आचार्यों द्वारा शैक्षणिक एवं अनुसन्धनात्मक विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। इसमें पालि साहित्य की महत्ता और प्रासंगिकता पर विचार विमर्श किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे कार्यक्रम के दौरान पालि पुस्तक मेला, धम्मपद संगायन, शिल्प और कला प्रदर्शनी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा। सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य भारतीय शिक्षा व्यवस्था में पालि भाषा और साहित्य को स्कूली और उच्च शिक्षा में लागू करना है। यह अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध कांक्लेव बौद्ध धर्म के अनुयायियों, विद्वानों और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक अनूठा अवसर है। इसमें वे न केवल ज्ञान अर्जित करेंगे बल्कि अपनी रचनात्मकता को भी उजागर कर सकेंगे।

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