अयोध्या में चांद का दीदार कर महिलाओं ने तोड़ा व्रत:पति की लंबी आयु की कामना की, पति और बुजुर्गों का लिया आशिर्वाद

अयोध्या में सुहाग और समृद्धि का प्रतीक पर्व करवा चौथ रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर सुहागिन महिलाओं ने व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना की। रात में चंद्र दर्शन के बाद पति के हाथों करवे से पानी ग्रहण कर व्रत का पारणा किया। इससे पूर्व दिन में विभिन्न नए-नए परिधानों में सजी-धजी महिलाओं ने चौथ माता की पूजा अर्चना कर कहानी सुनी। इस त्योहार पर सुबह से ही चहल-पहल दिखाई पड़ रही थी। घरों में महिलाओं ने व्रत रखा। परिवार में एक खुशी का माहौल था। पति, बच्चे व घर के अन्य सदस्य सब प्रसन्न आ रहे थे। शाम होते ही त्योहार की धूम और मच गई। व्रती महिलाओं ने सोलह श्रृंगार किया। सूर्यास्त के भगवान शिव-देवी पार्वती व गणेश की पुष्प, धूप, दीप व फल अर्पण कर विधि-विधान से पूजा की। पति और बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद लिया महिलाएं एक करवे में जल और दूसरे करवे में चूड़ा, गट्टा, इत्यादि रखते हैं। इसके अलावा पूड़ी-पुआ पूजा में चढ़ाते हैं। महिलाओं ने चांद का दीदार करने के बाद व्रत को तोड़कर घर पति और बूढ़े बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद लिया। मान्यता है कि द्वापर युग में पांडु पुत्र अर्जुन तप करने के लिए नीलगिरी पर्वत पर चले गए थे। इधर पांडवों पर अनेक मुसीबतें पहले से ही थी। द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की आराधना की श्री कृष्णा उपस्थित हुए थे। द्रौपदी के काफी विनती करने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत की कथा सुनाई थी। देवी सीता ने भी स्वयंवर से पहले गिरिजा देवी की पूजा की थी और आशीर्वाद लिया था।

Oct 20, 2024 - 22:30
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अयोध्या में चांद का दीदार कर महिलाओं ने तोड़ा व्रत:पति की लंबी आयु की कामना की, पति और बुजुर्गों का लिया आशिर्वाद
अयोध्या में सुहाग और समृद्धि का प्रतीक पर्व करवा चौथ रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर सुहागिन महिलाओं ने व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना की। रात में चंद्र दर्शन के बाद पति के हाथों करवे से पानी ग्रहण कर व्रत का पारणा किया। इससे पूर्व दिन में विभिन्न नए-नए परिधानों में सजी-धजी महिलाओं ने चौथ माता की पूजा अर्चना कर कहानी सुनी। इस त्योहार पर सुबह से ही चहल-पहल दिखाई पड़ रही थी। घरों में महिलाओं ने व्रत रखा। परिवार में एक खुशी का माहौल था। पति, बच्चे व घर के अन्य सदस्य सब प्रसन्न आ रहे थे। शाम होते ही त्योहार की धूम और मच गई। व्रती महिलाओं ने सोलह श्रृंगार किया। सूर्यास्त के भगवान शिव-देवी पार्वती व गणेश की पुष्प, धूप, दीप व फल अर्पण कर विधि-विधान से पूजा की। पति और बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद लिया महिलाएं एक करवे में जल और दूसरे करवे में चूड़ा, गट्टा, इत्यादि रखते हैं। इसके अलावा पूड़ी-पुआ पूजा में चढ़ाते हैं। महिलाओं ने चांद का दीदार करने के बाद व्रत को तोड़कर घर पति और बूढ़े बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद लिया। मान्यता है कि द्वापर युग में पांडु पुत्र अर्जुन तप करने के लिए नीलगिरी पर्वत पर चले गए थे। इधर पांडवों पर अनेक मुसीबतें पहले से ही थी। द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की आराधना की श्री कृष्णा उपस्थित हुए थे। द्रौपदी के काफी विनती करने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत की कथा सुनाई थी। देवी सीता ने भी स्वयंवर से पहले गिरिजा देवी की पूजा की थी और आशीर्वाद लिया था।

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