आगरा यमुना में छोड़े 15 नैरो हैडेड सॉफ्ट शेल टर्टल:कछुओं की गई है टैगिंग, रखी जाएगी सर्वाइवल पर नजर

आगरा में यमुना नदी में 15 नैरो हैडेड सॉफ्ट शेल टर्टल को उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया। इन कछुओं को संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण परियोजना के तहत कुकरेल घड़ियाल पुनर्वास केंद्र में रखा गया था। इन 15 कछुओं में से 10 कछुओं को उनके Survival और Dispersal की निगरानी के लिए टैग किया गया है। प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी प्रभाग आदर्श कुमार ने बताया कि यमुना नदी में इस गंभीर रूप से संकटग्रस्त कछुआ प्रजाति के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। टीएसए फाउंडेशन इंडिया से विशेषज्ञों की एक टीम इन कछुओं के Survival और Dispersal की निरंतर निगरानी अगले कुछ महीनों तक करेगी। डायरेक्टर डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि भारत में कैप्टिविटी में जन्में Narrow Headed soft shell turtle मे रेडियो टैगिंग करके उनकी मॉनिटरिंग भारत में पहली बार की जा रही है। इस शोध से हमें यह जानकारी होगी कि कैप्टिविटी में जन्में इस प्रजाति के कछुओं का नदियों में छोड़े जाने पर किस स्तर पर सर्वाइवल है। यह विमोचन कार्यक्रम लुप्त प्राय परियोजनाए लखनऊ और टीएसए फाउंडेशन इंडिया द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें आगरा सामाजिक वन विभाग का सहयोग भी प्राप्त था। यह रहे उपस्थित इस अवसर पर अरविन्द मिश्र उप प्रभागीय वनाधिकारी आगरा, कृपाशंकर क्षेत्रीय वन अधिकारीए बाईपुर, अनामिका सिंह क्षेत्रीय वन अधिकारी लुप्तप्राय परियोजना, लखनऊ व अधीनस्थ कर्मचारीगण व टीएसए की टीम आदि उपस्थित रहे। इस कछुए की खासियत नैरो हेडेड सॉफ़्टशेल टर्टल यानी संकीर्ण सिर वाला नरम खोल वाला कछुआ, चित्रा इंडिका की प्रजाति है। यह कछुआ अपने सिर और गर्दन को तेज़ी से खोल से बाहर निकाल सकता है। यह कछुआ घात लगाकर शिकार करता है और ज़्यादातर समय रेत में छिपा रहता है। यह कछुआ भारत, पश्चिम बंगाल, शिलांग, मेघालय और गोवा में पाया जाता है।

Nov 29, 2024 - 19:40
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आगरा यमुना में छोड़े 15 नैरो हैडेड सॉफ्ट शेल टर्टल:कछुओं की गई है टैगिंग, रखी जाएगी सर्वाइवल पर नजर
आगरा में यमुना नदी में 15 नैरो हैडेड सॉफ्ट शेल टर्टल को उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया। इन कछुओं को संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण परियोजना के तहत कुकरेल घड़ियाल पुनर्वास केंद्र में रखा गया था। इन 15 कछुओं में से 10 कछुओं को उनके Survival और Dispersal की निगरानी के लिए टैग किया गया है। प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी प्रभाग आदर्श कुमार ने बताया कि यमुना नदी में इस गंभीर रूप से संकटग्रस्त कछुआ प्रजाति के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। टीएसए फाउंडेशन इंडिया से विशेषज्ञों की एक टीम इन कछुओं के Survival और Dispersal की निरंतर निगरानी अगले कुछ महीनों तक करेगी। डायरेक्टर डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि भारत में कैप्टिविटी में जन्में Narrow Headed soft shell turtle मे रेडियो टैगिंग करके उनकी मॉनिटरिंग भारत में पहली बार की जा रही है। इस शोध से हमें यह जानकारी होगी कि कैप्टिविटी में जन्में इस प्रजाति के कछुओं का नदियों में छोड़े जाने पर किस स्तर पर सर्वाइवल है। यह विमोचन कार्यक्रम लुप्त प्राय परियोजनाए लखनऊ और टीएसए फाउंडेशन इंडिया द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें आगरा सामाजिक वन विभाग का सहयोग भी प्राप्त था। यह रहे उपस्थित इस अवसर पर अरविन्द मिश्र उप प्रभागीय वनाधिकारी आगरा, कृपाशंकर क्षेत्रीय वन अधिकारीए बाईपुर, अनामिका सिंह क्षेत्रीय वन अधिकारी लुप्तप्राय परियोजना, लखनऊ व अधीनस्थ कर्मचारीगण व टीएसए की टीम आदि उपस्थित रहे। इस कछुए की खासियत नैरो हेडेड सॉफ़्टशेल टर्टल यानी संकीर्ण सिर वाला नरम खोल वाला कछुआ, चित्रा इंडिका की प्रजाति है। यह कछुआ अपने सिर और गर्दन को तेज़ी से खोल से बाहर निकाल सकता है। यह कछुआ घात लगाकर शिकार करता है और ज़्यादातर समय रेत में छिपा रहता है। यह कछुआ भारत, पश्चिम बंगाल, शिलांग, मेघालय और गोवा में पाया जाता है।

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