इलाहाबाद हाईकोर्ट में BHU के खिलाफ PIL:VC द्वारा EC के बिना लिए गए फैसले पर जांच की उठाई मांग, याचिकाकर्ता ने राष्ट्रपति को भी भेजा पत्र

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल खत्म होनी के चर्चा पूरे विश्वविद्यालय में चल रही। इसी बीच बीएचयू में विशेषाधिकार के तहत कुलपति द्वारा लिये गये फैसलों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर हो गई है। बीएचयू एक्ट के नियम 7(C) और तीन साल से बिना एग्जीक्यूटिव काउंसिल के जितने भी फैसले लिये गये हैं, उसके जांच की मांग की गई है। इस याचिका को डालने वाले हरिकेश बहादुर सिंह ने कहा - इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के तहत बहुत ज्यादा पैसे खर्च किये गये। इसकी भी जांच होनी चाहिए। हरिकेश बहादुर ने इसकी राष्ट्रपति से भी शिकायत की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में बिना ईसी के वित्त, निवेश, प्रॉपर्टी पर कई फैसले हुये हैं और जमकर खर्चे हो रहे हैं। EC के बिना फैसले लेने पर उठाया सवाल हरिकेश बहादुर सिंह ने कहा - बीएचयू एक्ट- 2015 में सेवेन-सी (5) में आपातकाल में कुलपति को विशेषाधिकार दिया गया है। बिना ईसी के फैसले लिये जा सकते हैं, लेकिन अगली ईसी की बैठक में वैधता भी देनी होती है। लेकिन, बीएचयू में तीन साल से कोई कोई ईसी ही नहीं है तो बैठक कहां होगी। अब 11 नवंबर को इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई की तारीख पड़ी है। 5 नवंबर को जनहित याचिका डाला हरिकेश बहादुर सिंह ने ये जनहित याचिका 5 नवंबर को फाइल की है। हाल ही में बीएचयू में रेक्टर पर की नियुक्ति इसी सेवेन-सी (5) नियम के तहत की गई थी। वहीं, आरोप ये भी है कि बाकी की नियुक्तियां, प्रमोशन, भर्तियां आदि कई फैसले इसी नियम से हुये हैं। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही थी ये बात आईआईटी बीएचयू के दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इस विषय पर कुछ लोगों ने चर्चा की थी। वहीं,जब धर्मेंद्र प्रधान से सवाल किया गया था कि बीएचयू में अभी तक EC नहीं लागू किया गया है तो उन्होंने अपने जवाब में कहा था कि "काम तो चल रहा है न"

Nov 9, 2024 - 03:35
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में BHU के खिलाफ PIL:VC द्वारा EC के बिना लिए गए फैसले पर जांच की उठाई मांग, याचिकाकर्ता ने राष्ट्रपति को भी भेजा पत्र
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल खत्म होनी के चर्चा पूरे विश्वविद्यालय में चल रही। इसी बीच बीएचयू में विशेषाधिकार के तहत कुलपति द्वारा लिये गये फैसलों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर हो गई है। बीएचयू एक्ट के नियम 7(C) और तीन साल से बिना एग्जीक्यूटिव काउंसिल के जितने भी फैसले लिये गये हैं, उसके जांच की मांग की गई है। इस याचिका को डालने वाले हरिकेश बहादुर सिंह ने कहा - इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के तहत बहुत ज्यादा पैसे खर्च किये गये। इसकी भी जांच होनी चाहिए। हरिकेश बहादुर ने इसकी राष्ट्रपति से भी शिकायत की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में बिना ईसी के वित्त, निवेश, प्रॉपर्टी पर कई फैसले हुये हैं और जमकर खर्चे हो रहे हैं। EC के बिना फैसले लेने पर उठाया सवाल हरिकेश बहादुर सिंह ने कहा - बीएचयू एक्ट- 2015 में सेवेन-सी (5) में आपातकाल में कुलपति को विशेषाधिकार दिया गया है। बिना ईसी के फैसले लिये जा सकते हैं, लेकिन अगली ईसी की बैठक में वैधता भी देनी होती है। लेकिन, बीएचयू में तीन साल से कोई कोई ईसी ही नहीं है तो बैठक कहां होगी। अब 11 नवंबर को इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई की तारीख पड़ी है। 5 नवंबर को जनहित याचिका डाला हरिकेश बहादुर सिंह ने ये जनहित याचिका 5 नवंबर को फाइल की है। हाल ही में बीएचयू में रेक्टर पर की नियुक्ति इसी सेवेन-सी (5) नियम के तहत की गई थी। वहीं, आरोप ये भी है कि बाकी की नियुक्तियां, प्रमोशन, भर्तियां आदि कई फैसले इसी नियम से हुये हैं। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही थी ये बात आईआईटी बीएचयू के दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इस विषय पर कुछ लोगों ने चर्चा की थी। वहीं,जब धर्मेंद्र प्रधान से सवाल किया गया था कि बीएचयू में अभी तक EC नहीं लागू किया गया है तो उन्होंने अपने जवाब में कहा था कि "काम तो चल रहा है न"

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