कवि सम्मेलन में कविताओं ने बांधा समां:मां और कॉलेज की लड़की पर पढ़ी गई शायरी, हर साल होता है आयोजन

हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे में रहमानिया इंटर कॉलेज में हर साल की तरह इस बार भी आल इंडिया मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम कॉलेज के संस्थापक मौलाना सलीम जाफरी की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया। देशभर के मशहूर शायरों ने इसमें भाग लिया। बड़ी संख्या में श्रोताओं ने इसे सुना। मुशायरे की शुरुआत और शायरी कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर शायर नदीम फर्रुख ने की। उन्होंने अपने शेर "मोहब्बत से कहो मायूस मत हो, अभी इंसानियत हारी नहीं है" से समां बांध दिया। इसके बाद मंच पर एक-एक कर शायरों ने अपने बेहतरीन कलाम पेश किए। मुंबई से आए शकील आजमी, बिहार के मीसम गोपालपुरी, मालेगांव के अल्ताफ जिया, जबलपुर की मनिका दुबे, फैजाबाद के काविश रुदौलवी और देवबंद के जहाज देवबंदी ने अपने-अपने अंदाज में शायरी सुनाकर खूब वाह-वाही लूटी। ये कविताएं पढ़ी गई- अपनी शायरी से श्रोताओं को बांधे रखा मुशायरे में शायरों ने पूरी रात अपनी शायरी से श्रोताओं को बांधे रखा। आस-पास के गांवों और जिलों से बड़ी संख्या में लोग कार्यक्रम में शामिल हुए। इस आयोजन ने न केवल शायरी के प्रति प्रेम को बढ़ावा दिया, बल्कि मौलाना सलीम जाफरी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

Nov 16, 2024 - 13:30
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कवि सम्मेलन में कविताओं ने बांधा समां:मां और कॉलेज की लड़की पर पढ़ी गई शायरी, हर साल होता है आयोजन
हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे में रहमानिया इंटर कॉलेज में हर साल की तरह इस बार भी आल इंडिया मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम कॉलेज के संस्थापक मौलाना सलीम जाफरी की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया। देशभर के मशहूर शायरों ने इसमें भाग लिया। बड़ी संख्या में श्रोताओं ने इसे सुना। मुशायरे की शुरुआत और शायरी कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर शायर नदीम फर्रुख ने की। उन्होंने अपने शेर "मोहब्बत से कहो मायूस मत हो, अभी इंसानियत हारी नहीं है" से समां बांध दिया। इसके बाद मंच पर एक-एक कर शायरों ने अपने बेहतरीन कलाम पेश किए। मुंबई से आए शकील आजमी, बिहार के मीसम गोपालपुरी, मालेगांव के अल्ताफ जिया, जबलपुर की मनिका दुबे, फैजाबाद के काविश रुदौलवी और देवबंद के जहाज देवबंदी ने अपने-अपने अंदाज में शायरी सुनाकर खूब वाह-वाही लूटी। ये कविताएं पढ़ी गई- अपनी शायरी से श्रोताओं को बांधे रखा मुशायरे में शायरों ने पूरी रात अपनी शायरी से श्रोताओं को बांधे रखा। आस-पास के गांवों और जिलों से बड़ी संख्या में लोग कार्यक्रम में शामिल हुए। इस आयोजन ने न केवल शायरी के प्रति प्रेम को बढ़ावा दिया, बल्कि मौलाना सलीम जाफरी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

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