कश्मीर हमले का चश्मदीद बोला- दो आतंकी शॉल ओढ़कर आए:मजदूर खाना खा रहे थे, तभी फायरिंग की; 300 मीटर दूरी पर CRPF कैंप था
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में 20 अक्टूबर की देर रात हुए आतंकी हमले को लेकर नई जानकारी सामने आई है। हमले के चश्मदीद ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को शनिवार शाम को बताया कि गांदरबल के गगनगीर इलाके में श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे की टनल कंस्ट्रक्शन साइट के पास मजदूरों के रहने के लिए कैंप बनाया गया था। इसी कैंप में रात को 2 आतंकी शॉल ओढ़कर आए थे। उन्होंने शॉल के अंदर हथियार छिपा रखे थे। कैंप में मजदूर खाना खा रहे थे, तभी आतंकियों ने उनपर फायरिंग कर दी। उन्होंने कैंप पर 3 जगहों पर फायरिंग की। सूत्रों ने बताया कि कंस्ट्रक्शन कंपनी की खुद की सिक्योरिटी भी थी। साइट से 300 मीटर दूर CRPF कैंप भी था। इसके बावजूद आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया। हमले की डिटेल को लेकर अभी पुलिस या सेना की तरफ से आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। आतंकियों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हमले में बडगाम के डॉक्टर, मध्य प्रदेश के इंजीनियर और पंजाब-बिहार के 5 मजदूरों की जान गई थी। कैंप में पावर सप्लाई को लेकर 2 बातें
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि कैंप में पावर सप्लाई को लेकर 2 बातें सामने आ रही हैं। मजदूरों के एक गुट ने बताया कि आतंकियों ने हमले से पहले बिजली काट दी थी। वहीं, दूसरे गुट का कहना है कि कुछ मजदूरों ने खुद से ही बिजली काट दी थी, ताकि आतंकियों को हमला करने में दिक्कतों का सामना करना पड़े। चश्मदीद बोला- पास में शादी थी, हमें लगा पटाखे की आवाज हैं
एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि हमले के दौरान अंधेरा हो गया था। हमने लगातार गोलियों की आवाज सुनी। हमें लगा कि ये पटाखे हैं, क्योंकि 100 मीटर की दूरी पर एक शादी समारोह चल रहा था। अचानक, हमने देखा कि प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड कैंप से निकलकर बाहर आ रहे थे। उन्होंने हमें बताया हमला हुआ है। केंद्र के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लगभग पूरा... 2 पॉइंट 1.लद्दाख से कनेक्टिविटी टनल जरूरी रिपोर्ट के मुताबिक, सोनमर्ग के इस इलाके में कभी आतंकी हमला नहीं हुआ था। यह क्षेत्र CM उमर के विधानसभा क्षेत्र में आता है। श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे का यह टनल प्रोजेक्ट कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है। इससे हर मौसम में श्रीनगर की लद्दाख से कनेक्टिविटी रहेगी। टनल प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रेक्ट APCO इंफ्राटेक कंपनी को मिला था। 2. आचार संहिता के कारण उद्घाटन नहीं हुआ अधिकारियों के अनुसार, 6.4 किलोमीटर लंबी इस टनल का काम लगभग पूरा हो चुकी है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के दौरान लगी आचार संहिता के कारण इसका उद्घाटन नहीं हो सका। कंपनी के लिए डंपर ट्रक चलाने वाले शख्स ने कहा- टनल पर काम करने वाले अधिकांश मजदूर कुछ समय पहले ही चले गए थे। लश्कर के TRF संगठन ने जिम्मेदारी ली
हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। भास्कर को सूत्रों ने सोमवार को बताया कि TRF चीफ शेख सज्जाद गुल इस हमले का मास्टरमाइंड था। रिपोर्ट्स के मुताबिक TRF ने पिछले डेढ़ साल में अपनी स्ट्रैटजी बदली है। पहले TRF कश्मीर पंडितों की टारगेट किलिंग करता था। अब यह संगठन गैर कश्मीरियों और सिखों को निशाना बना रहा है। 4 दिन पहले शोपियां में बिहार के मजदूर अशोक चौहान की हत्या की गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी अभी किसी संगठन ने नहीं ली है। 370 हटने के बाद TRF एक्टिव, टारगेट किलिंग की
TRF को भारत में आतंकवादी संगठन घोषित है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि TRF को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर ने बनाया है। यह लश्कर और जैश के कैडर को मिलाकर बनाया गया है। यह संगठन कश्मीरियों, कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं की हत्या की कई घटनाओं में शामिल है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद TRF ज्यादा एक्टिव हो गया है। हमलों की जिम्मेदारी लश्कर नहीं, बल्कि TRF लेता है। TRF का मकसद: 2020 के बाद TRF टारगेट किलिंग की ज्यादातर घटनाओं में शामिल रहा। कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों, सरकारी अफसरों, नेताओं और सिक्योरिटी फोर्सेस को निशाना बनाता है। 370 हटने के बाद सरकारी योजनाओं, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना और अस्थिरता फैलाना मकसद है। सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं। 2024 में टारगेट किलिंग
2024 में पहले भी जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की गई। इन टारगेट किलिंग्स की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली, लेकिन माना जा रहा है कि इनके पीछे भी TRF का ही हाथ है। 1. राजौरी, 22 अप्रैल: राजौरी में आतंकियों ने एक घर पर फायरिंग की थी। इसमें 40 साल के मोहम्मद रज्जाक की मौत हो गई थी। वे कुंडा टोपे शाहदरा शरीफ के रहने वाले थे। अप्रैल में टारगेट किलिंग की ये तीसरी वारदात थी। रज्जाक के भाई सेना में जवान हैं। 19 साल पहले आतंकियों ने इसी गांव में रज्जाक के पिता मोहम्मद अकबर की हत्या कर दी थी। वे वेलफेयर डिपार्टमेंट में काम करते थे। रज्जाक को पिता की जगह नौकरी मिली थी। 8 अप्रैल, शोपियां: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के पदपावन में आतंकियों ने गैर कश्मीरी स्थानीय ड्राइवर परमजीत सिंह को गोली मारी थी। वह दिल्ली का रहने वाला था। आतंकियों ने परमजीत पर उस वक्त हमला किया था, जब वह अपनी ड्यूटी पर था। घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी मौके से भाग निकले थे। फरवरी, हब्बा कदल: श्रीनगर में 7 फरवरी 2024 को आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को AK-47 राइफल से गोली मार दी थी। मृतकों की पहचान अमृतसर के रहने वाले अमृत पाल (31) और रोहित मसीह (25) के रूप में की गई थी। अमृत पाल की मौके पर ही मौत हो गई थी। रोहित ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था। -------------------- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... जम्मू-कश्मीर के पुंछ में 2 आतंकी गिरफ्तार, 3 ग्रेनेड और 1 पिस्तौल भी बरामद जम्मू-कश्मीर के पुंछ में शनिवार सुबह सुर
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में 20 अक्टूबर की देर रात हुए आतंकी हमले को लेकर नई जानकारी सामने आई है। हमले के चश्मदीद ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को शनिवार शाम को बताया कि गांदरबल के गगनगीर इलाके में श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे की टनल कंस्ट्रक्शन साइट के पास मजदूरों के रहने के लिए कैंप बनाया गया था। इसी कैंप में रात को 2 आतंकी शॉल ओढ़कर आए थे। उन्होंने शॉल के अंदर हथियार छिपा रखे थे। कैंप में मजदूर खाना खा रहे थे, तभी आतंकियों ने उनपर फायरिंग कर दी। उन्होंने कैंप पर 3 जगहों पर फायरिंग की। सूत्रों ने बताया कि कंस्ट्रक्शन कंपनी की खुद की सिक्योरिटी भी थी। साइट से 300 मीटर दूर CRPF कैंप भी था। इसके बावजूद आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया। हमले की डिटेल को लेकर अभी पुलिस या सेना की तरफ से आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। आतंकियों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हमले में बडगाम के डॉक्टर, मध्य प्रदेश के इंजीनियर और पंजाब-बिहार के 5 मजदूरों की जान गई थी। कैंप में पावर सप्लाई को लेकर 2 बातें
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि कैंप में पावर सप्लाई को लेकर 2 बातें सामने आ रही हैं। मजदूरों के एक गुट ने बताया कि आतंकियों ने हमले से पहले बिजली काट दी थी। वहीं, दूसरे गुट का कहना है कि कुछ मजदूरों ने खुद से ही बिजली काट दी थी, ताकि आतंकियों को हमला करने में दिक्कतों का सामना करना पड़े। चश्मदीद बोला- पास में शादी थी, हमें लगा पटाखे की आवाज हैं
एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि हमले के दौरान अंधेरा हो गया था। हमने लगातार गोलियों की आवाज सुनी। हमें लगा कि ये पटाखे हैं, क्योंकि 100 मीटर की दूरी पर एक शादी समारोह चल रहा था। अचानक, हमने देखा कि प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड कैंप से निकलकर बाहर आ रहे थे। उन्होंने हमें बताया हमला हुआ है। केंद्र के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लगभग पूरा... 2 पॉइंट 1.लद्दाख से कनेक्टिविटी टनल जरूरी रिपोर्ट के मुताबिक, सोनमर्ग के इस इलाके में कभी आतंकी हमला नहीं हुआ था। यह क्षेत्र CM उमर के विधानसभा क्षेत्र में आता है। श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे का यह टनल प्रोजेक्ट कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है। इससे हर मौसम में श्रीनगर की लद्दाख से कनेक्टिविटी रहेगी। टनल प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रेक्ट APCO इंफ्राटेक कंपनी को मिला था। 2. आचार संहिता के कारण उद्घाटन नहीं हुआ अधिकारियों के अनुसार, 6.4 किलोमीटर लंबी इस टनल का काम लगभग पूरा हो चुकी है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के दौरान लगी आचार संहिता के कारण इसका उद्घाटन नहीं हो सका। कंपनी के लिए डंपर ट्रक चलाने वाले शख्स ने कहा- टनल पर काम करने वाले अधिकांश मजदूर कुछ समय पहले ही चले गए थे। लश्कर के TRF संगठन ने जिम्मेदारी ली
हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। भास्कर को सूत्रों ने सोमवार को बताया कि TRF चीफ शेख सज्जाद गुल इस हमले का मास्टरमाइंड था। रिपोर्ट्स के मुताबिक TRF ने पिछले डेढ़ साल में अपनी स्ट्रैटजी बदली है। पहले TRF कश्मीर पंडितों की टारगेट किलिंग करता था। अब यह संगठन गैर कश्मीरियों और सिखों को निशाना बना रहा है। 4 दिन पहले शोपियां में बिहार के मजदूर अशोक चौहान की हत्या की गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी अभी किसी संगठन ने नहीं ली है। 370 हटने के बाद TRF एक्टिव, टारगेट किलिंग की
TRF को भारत में आतंकवादी संगठन घोषित है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि TRF को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर ने बनाया है। यह लश्कर और जैश के कैडर को मिलाकर बनाया गया है। यह संगठन कश्मीरियों, कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं की हत्या की कई घटनाओं में शामिल है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद TRF ज्यादा एक्टिव हो गया है। हमलों की जिम्मेदारी लश्कर नहीं, बल्कि TRF लेता है। TRF का मकसद: 2020 के बाद TRF टारगेट किलिंग की ज्यादातर घटनाओं में शामिल रहा। कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों, सरकारी अफसरों, नेताओं और सिक्योरिटी फोर्सेस को निशाना बनाता है। 370 हटने के बाद सरकारी योजनाओं, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना और अस्थिरता फैलाना मकसद है। सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं। 2024 में टारगेट किलिंग
2024 में पहले भी जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की गई। इन टारगेट किलिंग्स की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली, लेकिन माना जा रहा है कि इनके पीछे भी TRF का ही हाथ है। 1. राजौरी, 22 अप्रैल: राजौरी में आतंकियों ने एक घर पर फायरिंग की थी। इसमें 40 साल के मोहम्मद रज्जाक की मौत हो गई थी। वे कुंडा टोपे शाहदरा शरीफ के रहने वाले थे। अप्रैल में टारगेट किलिंग की ये तीसरी वारदात थी। रज्जाक के भाई सेना में जवान हैं। 19 साल पहले आतंकियों ने इसी गांव में रज्जाक के पिता मोहम्मद अकबर की हत्या कर दी थी। वे वेलफेयर डिपार्टमेंट में काम करते थे। रज्जाक को पिता की जगह नौकरी मिली थी। 8 अप्रैल, शोपियां: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के पदपावन में आतंकियों ने गैर कश्मीरी स्थानीय ड्राइवर परमजीत सिंह को गोली मारी थी। वह दिल्ली का रहने वाला था। आतंकियों ने परमजीत पर उस वक्त हमला किया था, जब वह अपनी ड्यूटी पर था। घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी मौके से भाग निकले थे। फरवरी, हब्बा कदल: श्रीनगर में 7 फरवरी 2024 को आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को AK-47 राइफल से गोली मार दी थी। मृतकों की पहचान अमृतसर के रहने वाले अमृत पाल (31) और रोहित मसीह (25) के रूप में की गई थी। अमृत पाल की मौके पर ही मौत हो गई थी। रोहित ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था। -------------------- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... जम्मू-कश्मीर के पुंछ में 2 आतंकी गिरफ्तार, 3 ग्रेनेड और 1 पिस्तौल भी बरामद जम्मू-कश्मीर के पुंछ में शनिवार सुबह सुरक्षाबलों ने 2 आतंकियों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 3 ग्रेनेड और 1 पिस्तौल भी बरामद की गई है। सेना के अधिकारियों ने बताया ये दोनों जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स नाम के संगठन से जुड़े हाइब्रिड आंतकी हैं। हाइब्रिड आतंकी आम नागरिकों की तरह ही इलाके में रहते हैं, लेकिन चोरी-छिपे आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं या आतंकियों की सहायता करते हैं। इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है। पूरी खबर पढ़ें ...