कानपुर को प्रदूषण मुक्त बनाने को दंपती की अनूठी मुहिम:हर महीने 100 टन प्लास्टिक इकट्ठा करते, आउट डोर फर्नीचर बनाते हैं
कानपुर के एक दंपती शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने प्लास्टिक को खपाने का तोड़ निकाल लिया है। उनका कहना है कि प्लास्टिक को हम बंद नहीं कर सकते है, लेकिन इसका अगर सही काम में प्रयोग करे तो शायद सड़कों पर हवा में उडते हुए नहीं दिखाई देगी। इसके लिए उन्होंने मल्टी लेयर प्लास्टिक (MLP) टेक्निक का प्रयोग कर उसकी आउट डोर फर्नीचर बनाने का काम शुरू किया है। ये भारत की पहली टेक्नोलॉजी है। इसको 2023 में पेटेंट भी कराया जा चुका है। जिसका कोई नहीं करता प्रयोग, उसका हम करेंगे सर्वोदय नगर निवासी दंपति जय किशन और उनकी पत्नी कोहिमा ने बताया कि बहुत सी प्लास्टिक ऐसी है जिसे कबाड़ी भी नहीं खरीदता है। इसकी वजह से ही हमारा पर्यावरण काफी प्रदूषित हो रहा है। जैसे की दूध के पैकेट, चिप्स के पैकेट, ब्रेड के पैकेट, पॉलीथीन, मसाले के रैपर समेत अन्य ऐसी प्लास्टिक है कि इसे कोई खरीदता नहीं और ये गलती भी नहीं हैं। इस कारण सबसे ज्यादा पर्यावरण को ये ही नुकसान पहुंचा रही हैं। इसलिए हम लोगों ने MLP टेक्निक का प्रयोग कर आउट डोर फर्नीचर बनाने की ठानी हैं। इस टेक्निक से लोगों को एक सुंदर फर्नीचर घर के लिए बनाकर देंगे, तो ऐसे में लोग अपने घर की प्लास्टिक को इधर-उधर न फेंक कर वो उसे एकत्र करेंगे और उसको प्रयोग में लाएंगे। गाय को खाता देख दिमाग में आया आईडिया जय किशन ने बताया कि एक दिन मैं और मेरी पत्नी कोहिमा मंदिर जा रहे थे तो एक गाय प्लास्टिक सहित पूरा खाना खा गई और कुछ दिन बाद वो गाय खत्म हो गई। इसको देखकर बड़ा दुख हुआ। इसके बाद कोहिमा के दिमाग में इस प्लास्टिक को खत्म करने का आईडिया आया और हम लोगों ने इसमें करीब 6 माह तक काम किया। इसके बाद इसमें सफलता मिली। 2019 में शुरू किया था ये काम कोहिमा ने बताया कि पैकेजिंग का काम हमारे यहां पहले से ही होता था, तो दिमाग में आया कि ये काम भी संभव हो सकता है। बस इतना सोचना के बाद 2019 में हम लोग इस काम में लग गए और आखिर सफलता मिली।2023 तक हम लोगों ने इस पर काफी काम किया। आज हमारी कंपनी पहली ऐसी है जिसको इस काम के लिए पेटेंट भी मिला है। ये होती है फर्नीचर की खासियत कोहिमा ने बताया कि प्लास्टिक से बने फर्नीचर चाहे घर के अंदर रहे या फिर बाहर कभी खराब नहीं होता है। इसमें न ही दीमक लगने का खतरा होता है न ही जंग लगने का। इसकी लाइफ भी बहुत लंबी होती है। प्लास्टिक कभी गलती नहीं है, इसलिए इसकी लाइफ भी हमेशा बनी रहती हैं। हर महीने इकट्ठा करते है 100 टन प्लास्टिक जय किशन ने बताया कि हम लोग मुंशीपल कार्पोरेशन और एनजीओ के माध्यम से हर माह 80 से 100 टन तक प्लास्टिक इकट्ठा कर रहे है। इससे कुर्सी, पेज, दरवाजे, जाली, खिड़की आदि बना रहे हैं। इससे शहर प्रदूषण से भी मुक्त हो रहा है और लोगों को जरूरत की चीज भी मिल रही हैं। इसके अलावा कानपुर शहर से केवल हर माह 1000 किलो प्लास्टिक इकट्ठा करते हैं। वहीं, अभी तक कुल 2500 से 3000 टन तक की प्लास्टिक का प्रयोग हम लोग फर्नीचर बनाने में कर चुके हैं। शहर में 7 जगहों पर बनाया सेंटर जय किशन ने बताया कि शहर में लाजपत नगर, काकादेव, सर्वोदय नगर, विकास नगर, सिविल लाइंस, आर्यनगर, बर्रा में प्लास्टिक को एकत्र करने के लिए सेंटर बनाया है। इसके अलावा शहर बाहर उन्नाव में भी एक सेंटर बनाया गया।
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