जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया:मौलाना मदनी बोले-सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सरकार को दिखाया आइना

सुप्रीम कोर्ट के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का अल्पसंख्यक चरित्र बरकरार रखने के आदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा सरकार को भी आइना दिखाया है, जो अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली में रुकावट बनी हुई थी। जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को संविधान पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले का स्वागत किया है। मदनी ने कहा कि इसके दूरगामी परिणाम आएंगे। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के रुख के खिलाफ कोर्ट में मौजूदा सरकार ने अल्पसंख्यक चरित्र को खत्म करने का रुख अपनाया था। मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने हमेशा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। कहा कि अजीज बाशा मामले में जब 1967 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था तो जमीअत उलमा-ए-हिंद ने फिदा-ए-मिल्लत मौलाना सैयद असद मदनी के नेतृत्व में 14 वर्षों तक इसके खिलाफ संसद के अंदर और बाहर लंबी लड़ाई लड़ी थी। सरकार के इस रवैये के खिलाफ पिछले दस वर्षों से जमीअत उलमा-ए-हिंद ने हर संभव संघर्ष किया है।

Nov 9, 2024 - 06:40
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जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया:मौलाना मदनी बोले-सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सरकार को दिखाया आइना
सुप्रीम कोर्ट के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का अल्पसंख्यक चरित्र बरकरार रखने के आदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा सरकार को भी आइना दिखाया है, जो अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली में रुकावट बनी हुई थी। जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को संविधान पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले का स्वागत किया है। मदनी ने कहा कि इसके दूरगामी परिणाम आएंगे। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के रुख के खिलाफ कोर्ट में मौजूदा सरकार ने अल्पसंख्यक चरित्र को खत्म करने का रुख अपनाया था। मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने हमेशा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के शैक्षिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। कहा कि अजीज बाशा मामले में जब 1967 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था तो जमीअत उलमा-ए-हिंद ने फिदा-ए-मिल्लत मौलाना सैयद असद मदनी के नेतृत्व में 14 वर्षों तक इसके खिलाफ संसद के अंदर और बाहर लंबी लड़ाई लड़ी थी। सरकार के इस रवैये के खिलाफ पिछले दस वर्षों से जमीअत उलमा-ए-हिंद ने हर संभव संघर्ष किया है।

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