जम्मू-कश्मीर विधानसभा में NC विधायक बोले– आतंकी बनना चाहता था:बहुत यातनाएं झेलीं, सेना के अधिकारी ने व्यवस्था में विश्वास जगाया
जम्मू-कश्मीर की लोलाब विधानसभा सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के MLA कैसर जमशेद लोन ने विधानसीाा में कहा- मैं पहले आतंकवादी बनना चाहता था। मुझे यातनाएं झेलनी पड़ी थीं। लोन ने 8 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पहले सत्र के आखिरी दिन एलजी मनोज सिन्हा के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान ये बातें कहीं। कैसर ने बताया- मैं जब 10वीं क्लास में था, तब मेरे इलाके में आतंकी घटना हुई थी। इसके बाद सेना ने मेरे सहित 32 लोगों से पूछताछ की थी। आतंकियों में शामिल एक युवक को मैंने जानने की बात स्वीकार की थी, क्योंकि मैं उसके इलाके में रहता था। कैसर ने कहा- मेरे इस जवाब पर मुझे पीटा गया, आतंकी हमले के दौरान मौके पर मौजूद होने की बात कही गई। मैंने जब इसका जवाब न में दिया तो मुझे और पीटा गया। तभी वहां सेना के एक बड़े अधिकारी पहुंचे। उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं क्या बनना चाहता हूं, तब मैंने कहा था आतंकी। अधिकारी ने इसका कारण पूछा, तो मैंने कहा कि मुझे बहुत यातनाएं झेलनी पड़ी हैं। ये सुनने के बाद उस अधिकारी ने अपने जूनियर अधिकारियों को सभी के सामने डांटा। उनके इस व्यवहार के बाद मेरा व्यवस्था में फिर से विश्वास जागा था। पहली बार विधायक बने हैं कैसर जमशेद लोन
कैसर जमशेद लोन पहली बार विधायक बने हैं। उन्होंने कुपवाड़ा जिले की लोलाब विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। उन्होंने 7871 वोट से निर्दलीय प्रत्याशी दाऊद बशीट भट्ट को हराया था। कैसर को 19603 वोट मिले थे। वहीं, दाऊद को 11732 वोट मिले थे। जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पहला सत्र 8 नवंबर: 370 बहाली प्रस्ताव पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हंगामा जम्मू-कश्मीर विधानसभा में शुक्रवार को पांचवे दिन भी जमकर हंगामा हुआ था। अवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने आज फिर 370 की बहाली से जुड़ा पोस्टर लहराने की कोशिश की थी। उससे पहले विपक्ष के नेताओं ने उन्हें रोक दिया था। विधायकों के बीच धक्का-मुक्की होने लगी थी। इस बीच एक विधायक टेबल पर चढ़ गया था। उधर मार्शल खुर्शीद अहमद को घसीटते हुए ले गए थे। इस दौरान खुर्शीद जमीन पर गिर गए थे। उन्हें फिर बाहर निकाल दिया गया था। मार्शल ने कुछ BJP विधायकों को भी बाहर किया। जिसके बाद सभी भाजपा नेता वॉकआउट कर गए थे। पूरी खबर पढ़ें... 7 नवंबर: विधायकों ने एक-दूसरे की कॉलर पकड़ी, 3 भाजपा विधायक घायल हुए थे जम्मू-कश्मीर विधानसभा सत्र के दौरान 7 नवंबर को भी विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई थी। सत्ता पक्ष और विपक्षी भाजपा के विधायकों ने एक-दूसरे की कॉलर पकड़ी और धक्कामुक्की की। सदन में हंगामे के चलते पहले विधानसभा की कार्यवाही 20 मिनट, फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। दरअसल, लेंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने सदन में आर्टिकल 370 की वापसी का बैनर लहराया था। बैनर पर लिखा था, 'हम अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं। भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इसका विरोध किया। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे थे। पूरी खबर पढ़ें... 6 नवंबर: विधानसभा से 370 बहाल करने का प्रस्ताव पास हुआ, भाजपा का हंगामा जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने राज्य के स्पेशल स्टेटस (अनुच्छेद 370) को फिर से बहाल करने का प्रस्ताव बुधवार को पास कर दिया था। भाजपा ने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह कर रही है और कहा कि कोई भी विधानसभा अनुच्छेद 370 और 35ए को वापस नहीं ला सकती। सदन की कार्रवाई शुरू होते ही जम्मू-कश्मीर के डिप्टी CM सुरिंदर चौधरी ने विशेष दर्जे को बहाल करने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसे केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को रद्द कर दिया था। इसमें कहा गया, ‘राज्य का स्पेशल स्टेटस और संवैधानिक गारंटियां महत्वपूर्ण हैं। यह जम्मू-कश्मीर की पहचान, कल्चर और लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करता है। विधानसभा इसे एक तरफा हटाने पर चिंता व्यक्त करती है। पूरी खबर पढ़ें... 4 नवंबर: PDP विधायक ने 370 हटाने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया जम्मू-कश्मीर में सोमवार को विधानसभा सत्र का पहला दिन हंगामे के साथ शुरू हुआ था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के विधायक वाहिद पारा ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। इसके विरोध में भाजपा विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया। कुछ विधायक वेल में भी पहुंच गए। इस पर स्पीकर रहीम अब्दुल राथर ने कहा कि उन्होंने अभी तक ऐसे किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है। मुख्यमंत्री उमार अब्दुल्ला ने कहा कि, 'सदन 370 पर कैसे चर्चा करेगा। इसका फैसला कोई एक सदस्य नहीं लेगा। आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है। अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता, तो PDP के विधायक पहले हमसे इस पर चर्चा करते।' पूरी खबर पढ़ें... नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मेनिफेस्टो में किया था वादा
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था। इस दौरान इसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने मेनिफेस्टो में इसकी बहाली के प्रयास करने का वादा किया था। प्रस्ताव पास होने के बाद CM उमर अब्दुल्ला ने कहा कि विधानसभा ने अपना काम कर दिया है। ............................................. जम्मू-कश्मीर से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलना कितना मुश्किल, उमर अब्दुल्ला के पास क्या रास्ते जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट, 2019 में बदलाव करना होगा। संसद से इसकी मंजूरी मिलने इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद जिस दिन राष्ट्रपति इस कानूनी बदलाव की अधिसूचना जारी करेंगे, उसी तारीख से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा। पूरी खबर पढ़ें... उमर की शपथ के बाद कांग्रेस ने कहा था- पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी उप राज्यपाल मनोज
जम्मू-कश्मीर की लोलाब विधानसभा सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के MLA कैसर जमशेद लोन ने विधानसीाा में कहा- मैं पहले आतंकवादी बनना चाहता था। मुझे यातनाएं झेलनी पड़ी थीं। लोन ने 8 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पहले सत्र के आखिरी दिन एलजी मनोज सिन्हा के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान ये बातें कहीं। कैसर ने बताया- मैं जब 10वीं क्लास में था, तब मेरे इलाके में आतंकी घटना हुई थी। इसके बाद सेना ने मेरे सहित 32 लोगों से पूछताछ की थी। आतंकियों में शामिल एक युवक को मैंने जानने की बात स्वीकार की थी, क्योंकि मैं उसके इलाके में रहता था। कैसर ने कहा- मेरे इस जवाब पर मुझे पीटा गया, आतंकी हमले के दौरान मौके पर मौजूद होने की बात कही गई। मैंने जब इसका जवाब न में दिया तो मुझे और पीटा गया। तभी वहां सेना के एक बड़े अधिकारी पहुंचे। उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं क्या बनना चाहता हूं, तब मैंने कहा था आतंकी। अधिकारी ने इसका कारण पूछा, तो मैंने कहा कि मुझे बहुत यातनाएं झेलनी पड़ी हैं। ये सुनने के बाद उस अधिकारी ने अपने जूनियर अधिकारियों को सभी के सामने डांटा। उनके इस व्यवहार के बाद मेरा व्यवस्था में फिर से विश्वास जागा था। पहली बार विधायक बने हैं कैसर जमशेद लोन
कैसर जमशेद लोन पहली बार विधायक बने हैं। उन्होंने कुपवाड़ा जिले की लोलाब विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। उन्होंने 7871 वोट से निर्दलीय प्रत्याशी दाऊद बशीट भट्ट को हराया था। कैसर को 19603 वोट मिले थे। वहीं, दाऊद को 11732 वोट मिले थे। जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पहला सत्र 8 नवंबर: 370 बहाली प्रस्ताव पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हंगामा जम्मू-कश्मीर विधानसभा में शुक्रवार को पांचवे दिन भी जमकर हंगामा हुआ था। अवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने आज फिर 370 की बहाली से जुड़ा पोस्टर लहराने की कोशिश की थी। उससे पहले विपक्ष के नेताओं ने उन्हें रोक दिया था। विधायकों के बीच धक्का-मुक्की होने लगी थी। इस बीच एक विधायक टेबल पर चढ़ गया था। उधर मार्शल खुर्शीद अहमद को घसीटते हुए ले गए थे। इस दौरान खुर्शीद जमीन पर गिर गए थे। उन्हें फिर बाहर निकाल दिया गया था। मार्शल ने कुछ BJP विधायकों को भी बाहर किया। जिसके बाद सभी भाजपा नेता वॉकआउट कर गए थे। पूरी खबर पढ़ें... 7 नवंबर: विधायकों ने एक-दूसरे की कॉलर पकड़ी, 3 भाजपा विधायक घायल हुए थे जम्मू-कश्मीर विधानसभा सत्र के दौरान 7 नवंबर को भी विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई थी। सत्ता पक्ष और विपक्षी भाजपा के विधायकों ने एक-दूसरे की कॉलर पकड़ी और धक्कामुक्की की। सदन में हंगामे के चलते पहले विधानसभा की कार्यवाही 20 मिनट, फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। दरअसल, लेंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने सदन में आर्टिकल 370 की वापसी का बैनर लहराया था। बैनर पर लिखा था, 'हम अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं। भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इसका विरोध किया। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे थे। पूरी खबर पढ़ें... 6 नवंबर: विधानसभा से 370 बहाल करने का प्रस्ताव पास हुआ, भाजपा का हंगामा जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने राज्य के स्पेशल स्टेटस (अनुच्छेद 370) को फिर से बहाल करने का प्रस्ताव बुधवार को पास कर दिया था। भाजपा ने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह कर रही है और कहा कि कोई भी विधानसभा अनुच्छेद 370 और 35ए को वापस नहीं ला सकती। सदन की कार्रवाई शुरू होते ही जम्मू-कश्मीर के डिप्टी CM सुरिंदर चौधरी ने विशेष दर्जे को बहाल करने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसे केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को रद्द कर दिया था। इसमें कहा गया, ‘राज्य का स्पेशल स्टेटस और संवैधानिक गारंटियां महत्वपूर्ण हैं। यह जम्मू-कश्मीर की पहचान, कल्चर और लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करता है। विधानसभा इसे एक तरफा हटाने पर चिंता व्यक्त करती है। पूरी खबर पढ़ें... 4 नवंबर: PDP विधायक ने 370 हटाने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया जम्मू-कश्मीर में सोमवार को विधानसभा सत्र का पहला दिन हंगामे के साथ शुरू हुआ था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के विधायक वाहिद पारा ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। इसके विरोध में भाजपा विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया। कुछ विधायक वेल में भी पहुंच गए। इस पर स्पीकर रहीम अब्दुल राथर ने कहा कि उन्होंने अभी तक ऐसे किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है। मुख्यमंत्री उमार अब्दुल्ला ने कहा कि, 'सदन 370 पर कैसे चर्चा करेगा। इसका फैसला कोई एक सदस्य नहीं लेगा। आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है। अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता, तो PDP के विधायक पहले हमसे इस पर चर्चा करते।' पूरी खबर पढ़ें... नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मेनिफेस्टो में किया था वादा
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को खत्म कर दिया था। इस दौरान इसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने मेनिफेस्टो में इसकी बहाली के प्रयास करने का वादा किया था। प्रस्ताव पास होने के बाद CM उमर अब्दुल्ला ने कहा कि विधानसभा ने अपना काम कर दिया है। ............................................. जम्मू-कश्मीर से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलना कितना मुश्किल, उमर अब्दुल्ला के पास क्या रास्ते जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट, 2019 में बदलाव करना होगा। संसद से इसकी मंजूरी मिलने इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद जिस दिन राष्ट्रपति इस कानूनी बदलाव की अधिसूचना जारी करेंगे, उसी तारीख से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा। पूरी खबर पढ़ें... उमर की शपथ के बाद कांग्रेस ने कहा था- पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने 16 अक्टूबर को शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर में उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं हुई। कांग्रेस ने सरकार को बाहर से समर्थन दिया। पूरी खबर पढ़ें...