निजी अस्पतालों में लापरवाही से मौतों का सिलसिला जारी:नसबंदी के बाद भी महिला हुई गर्भवती, जच्चा-बच्चा की मौत पर बवाल

इटावा जिले के निजी अस्पतालों में लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताज़ा मामला आर.के. हॉस्पिटल का है, जहां एक साल पहले नसबंदी कराने वाली महिला गर्भवती हो गई और प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई। परिजनों ने इस लापरवाही के खिलाफ जमकर हंगामा किया और अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए। नसबंदी के बावजूद महिला हुई गर्भवती, अस्पताल की लापरवाही पर सवाल फफूंद के ग्राम कुडकपुर निवासी अरविंद्र ने अपनी पत्नी सीता को प्रसव के लिए 22 अक्टूबर को आर.के. हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। ऑपरेशन के बाद सीता ने बच्ची को जन्म दिया, लेकिन कुछ देर बाद नवजात की मृत्यु हो गई। इसके बाद सीता की हालत बिगड़ने लगी। बुधवार को अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को गंभीर स्थिति के बारे में बताया और आनन-फानन में महिला को सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। अरविंद्र ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पत्नी ने एक साल पहले इसी अस्पताल में नसबंदी कराई थी, इसके बावजूद वह गर्भवती हो गई। जच्चा-बच्चा की मौत से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला और मामले की जांच शुरू की है। स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था पर सवालिया निशान इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। लगभग 20 दिन पहले माया देवी हॉस्पिटल में भी इसी तरह एक महिला की ऑपरेशन के बाद मौत हो गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मामूली जांच कर मामला रफा-दफा कर दिया था। पिछले एक साल में शहर के प्राइवेट अस्पतालों में कई मरीजों की मौत हो चुकी है, लेकिन विभागीय कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित रही है। जांच के आदेश, परिजनों का आक्रोश जच्चा-बच्चा की मौत की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आर.के. हॉस्पिटल पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है। डिप्टी सीएमओ डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि मामले की गहन जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी। वहीं, मृतका के परिजन इस हादसे के लिए अस्पताल के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इटावा के निजी अस्पतालों में हो रही लगातार मौतों से लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, लेकिन कब तक इस लापरवाही पर लगाम लगेगी, यह सवाल अब भी बना हुआ है।

Oct 24, 2024 - 07:10
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निजी अस्पतालों में लापरवाही से मौतों का सिलसिला जारी:नसबंदी के बाद भी महिला हुई गर्भवती, जच्चा-बच्चा की मौत पर बवाल
इटावा जिले के निजी अस्पतालों में लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताज़ा मामला आर.के. हॉस्पिटल का है, जहां एक साल पहले नसबंदी कराने वाली महिला गर्भवती हो गई और प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई। परिजनों ने इस लापरवाही के खिलाफ जमकर हंगामा किया और अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए। नसबंदी के बावजूद महिला हुई गर्भवती, अस्पताल की लापरवाही पर सवाल फफूंद के ग्राम कुडकपुर निवासी अरविंद्र ने अपनी पत्नी सीता को प्रसव के लिए 22 अक्टूबर को आर.के. हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। ऑपरेशन के बाद सीता ने बच्ची को जन्म दिया, लेकिन कुछ देर बाद नवजात की मृत्यु हो गई। इसके बाद सीता की हालत बिगड़ने लगी। बुधवार को अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को गंभीर स्थिति के बारे में बताया और आनन-फानन में महिला को सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। अरविंद्र ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पत्नी ने एक साल पहले इसी अस्पताल में नसबंदी कराई थी, इसके बावजूद वह गर्भवती हो गई। जच्चा-बच्चा की मौत से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला और मामले की जांच शुरू की है। स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था पर सवालिया निशान इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। लगभग 20 दिन पहले माया देवी हॉस्पिटल में भी इसी तरह एक महिला की ऑपरेशन के बाद मौत हो गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मामूली जांच कर मामला रफा-दफा कर दिया था। पिछले एक साल में शहर के प्राइवेट अस्पतालों में कई मरीजों की मौत हो चुकी है, लेकिन विभागीय कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित रही है। जांच के आदेश, परिजनों का आक्रोश जच्चा-बच्चा की मौत की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आर.के. हॉस्पिटल पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है। डिप्टी सीएमओ डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि मामले की गहन जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी। वहीं, मृतका के परिजन इस हादसे के लिए अस्पताल के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इटावा के निजी अस्पतालों में हो रही लगातार मौतों से लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, लेकिन कब तक इस लापरवाही पर लगाम लगेगी, यह सवाल अब भी बना हुआ है।

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