पांचाल घाट को 11 हजार दीपों से सजाया:फर्रुखाबाद में काशी से आए आचार्य ने कराई महाआरती, 12 साल से हो रहा आयोजन

फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर इस साल भी देव दिवाली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गंगा तट पर 11,000 दीप जलाए गए और काशी से आए आचार्य ने मां गंगा की महाआरती कराई। इस धार्मिक आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और इस पावन अवसर का लाभ उठाया। देव दिवाली के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, महालक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही धान की फसल की पैदावार का भी समय होता है। इस दिन को शुभ मानते हुए विभिन्न पूजा और हवन किए गए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और अन्य देवताओं का पूजन और दर्शन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो शुभ और साकारात्मक फल प्रदान करता है। इस अवसर पर श्री कैलाश सेवा संस्थान की ओर से दुर्वाषा ऋषि आश्रम घाट पर महाआरती का आयोजन किया गया। महाआरती में आचार्य प्रदीप नरायन शुक्ल, अभय नरायन, प्रियम, शौर्य बाजपेई और अन्य आचार्यों ने बनारस की तर्ज पर शिवताण्डव, गंगालहरी, भजन और अन्य धार्मिक आरतियां कीं। आरती के दौरान 1100 जोड़े तांबे के सर्पों का पूजन कर गंगा में प्रवाहित किया गया और साथ ही 11,000 घी के दीपों से दीपदान किया गया। भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया इस महाआरती में श्रद्धालुओं ने मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त किया और प्रसाद ग्रहण किया। आचार्य प्रदीप नरायन शुक्ल ने बताया कि संस्था की ओर से पिछले 12 सालों से इस प्रकार की आरतियों का आयोजन किया जा रहा है। उनका उद्देश्य सनातन संस्कृति को सहेजना और बढ़ावा देना है। इसके साथ ही संस्कृत, गाय, स्वच्छता और संस्कृति के लिए लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन भारतीय संस्कृति की विरासत को बचाने में मददगार साबित हो रहे हैं। इस मौके पर सैकड़ों भक्त उपस्थित थे, जिन्होंने इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का हिस्सा बनकर पुण्य लाभ लिया।

Nov 15, 2024 - 11:25
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पांचाल घाट को 11 हजार दीपों से सजाया:फर्रुखाबाद में काशी से आए आचार्य ने कराई महाआरती, 12 साल से हो रहा आयोजन
फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर इस साल भी देव दिवाली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गंगा तट पर 11,000 दीप जलाए गए और काशी से आए आचार्य ने मां गंगा की महाआरती कराई। इस धार्मिक आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और इस पावन अवसर का लाभ उठाया। देव दिवाली के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, महालक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही धान की फसल की पैदावार का भी समय होता है। इस दिन को शुभ मानते हुए विभिन्न पूजा और हवन किए गए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और अन्य देवताओं का पूजन और दर्शन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो शुभ और साकारात्मक फल प्रदान करता है। इस अवसर पर श्री कैलाश सेवा संस्थान की ओर से दुर्वाषा ऋषि आश्रम घाट पर महाआरती का आयोजन किया गया। महाआरती में आचार्य प्रदीप नरायन शुक्ल, अभय नरायन, प्रियम, शौर्य बाजपेई और अन्य आचार्यों ने बनारस की तर्ज पर शिवताण्डव, गंगालहरी, भजन और अन्य धार्मिक आरतियां कीं। आरती के दौरान 1100 जोड़े तांबे के सर्पों का पूजन कर गंगा में प्रवाहित किया गया और साथ ही 11,000 घी के दीपों से दीपदान किया गया। भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया इस महाआरती में श्रद्धालुओं ने मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त किया और प्रसाद ग्रहण किया। आचार्य प्रदीप नरायन शुक्ल ने बताया कि संस्था की ओर से पिछले 12 सालों से इस प्रकार की आरतियों का आयोजन किया जा रहा है। उनका उद्देश्य सनातन संस्कृति को सहेजना और बढ़ावा देना है। इसके साथ ही संस्कृत, गाय, स्वच्छता और संस्कृति के लिए लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन भारतीय संस्कृति की विरासत को बचाने में मददगार साबित हो रहे हैं। इस मौके पर सैकड़ों भक्त उपस्थित थे, जिन्होंने इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का हिस्सा बनकर पुण्य लाभ लिया।

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