पेरिस से अस्थि लेकर काशी पहुंचे तेनजीन:बोले- 11 साथ पहले बुआ यहां आई थीं, शहर पसंद आया; उनकी आखिरी इच्छा आज मैंने पूरी की

वाराणसी का एजुकेशन काफी अच्छा है ऐसा मेरी मां का मानना था। इसीलिए मैं 9 साल दार्जिलिंग के सरकारी स्कूल में रहकर अपनी पढ़ाई की। जब मैं यहां से पेरिस गया तो मैं वहां के बच्चों से ज्यादा शिक्षित महसूस कर रहा था। यह बात वाराणसी अपनी बुआ का अस्थि कलश लेकर पहुंचे पेरिस के रहने वाले तेनजीन ने कही। दैनिक भास्कर रिपोर्ट ने उनसे बात की। आइए अब जानते हैं दैनिक भास्कर के प्रश्नों का तेनजीन ने क्या जवाब दिया सवाल: आप वाराणसी ही अस्थि कलश लेकर क्यों आए? जवाब: क्योंकि मां और बुआ को वाराणसी काफी ज्यादा पसंद था। 11 साल पहले पूरे परिवार ने वाराणसी में बोट बुक करके जन्मदिन मनाया था और बनारस घूमा था। इसके बाद से ही मुझे वाराणसी के लोग और वाराणसी की गलियां काफी पसंद आईं। उनकी आखिरी इच्छा थी कि जब उनका निधन हो तो उनकी अस्थि वाराणसी में ही विसर्जित की जाए। सवाल: आप इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोल लेते हैं? जवाब: मेरी मां का मानना था कि भारत में पढ़ाई अच्छी होती है, इसलिए उन्होंने दार्जिलिंग के बोर्डिंग स्कूल में मेरा एडमिशन कराया। मैंने कक्षा 9 तक वहां पर पढ़ाई की। इस वजह से मैं हिंदी बोलने जान गया। भारत का एजुकेशन काफी अच्छा है। मैं जब यहां से पढ़ कर अपने देश गया तो वहां के बच्चों से ज्यादा कुछ मुझे आता था। सवाल: काशी में आपको क्या अच्छा लगा? जवाब: काशी से मेरा बहुत लगाव है। बचपन में मैं काशी आया था, उसी समय मेरा पूरा परिवार यहां आया था। उसके बाद मैं यहां 2 से 3 बार आया, लेकिन यहां के लोग काफी अच्छे हैं और यहां घाटों की खूबसूरती मेरे मन को भा गई। सवाल: आप बाबा विश्वनाथ मंदिर गए थे? जवाब: मैं 11 साल पहले आया था, तब मंदिर काफी अलग था, लेकिन मैं तस्वीरों में देखा है कि मंदिर अब काफी खूबसूरत बन गया है। अभी मैं मंदिर जाने के लिए तैयार हूं। अंदर से काफी उत्साहित भी हूं कि मैं मंदिर को बड़े करीब से देख पाऊंगा। मैं सारनाथ घूमने के बाद गंगा आरती में भी जाऊंगा। सवाल: अभी आप क्या करते हैं? जवाब: नवमी के पढ़ाई के बाद मैं अपने माता-पिता के पास पेरिस चला गया। आज मैं मल्टी लेवल कंपनी में अकाउंटेंट का काम करता हूं। मैं बचपन से ही अपने बुआ के पास रहकर आगे की पढ़ाई लिखाई किया हूं।

Nov 19, 2024 - 14:45
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पेरिस से अस्थि लेकर काशी पहुंचे तेनजीन:बोले- 11 साथ पहले बुआ यहां आई थीं, शहर पसंद आया; उनकी आखिरी इच्छा आज मैंने पूरी की
वाराणसी का एजुकेशन काफी अच्छा है ऐसा मेरी मां का मानना था। इसीलिए मैं 9 साल दार्जिलिंग के सरकारी स्कूल में रहकर अपनी पढ़ाई की। जब मैं यहां से पेरिस गया तो मैं वहां के बच्चों से ज्यादा शिक्षित महसूस कर रहा था। यह बात वाराणसी अपनी बुआ का अस्थि कलश लेकर पहुंचे पेरिस के रहने वाले तेनजीन ने कही। दैनिक भास्कर रिपोर्ट ने उनसे बात की। आइए अब जानते हैं दैनिक भास्कर के प्रश्नों का तेनजीन ने क्या जवाब दिया सवाल: आप वाराणसी ही अस्थि कलश लेकर क्यों आए? जवाब: क्योंकि मां और बुआ को वाराणसी काफी ज्यादा पसंद था। 11 साल पहले पूरे परिवार ने वाराणसी में बोट बुक करके जन्मदिन मनाया था और बनारस घूमा था। इसके बाद से ही मुझे वाराणसी के लोग और वाराणसी की गलियां काफी पसंद आईं। उनकी आखिरी इच्छा थी कि जब उनका निधन हो तो उनकी अस्थि वाराणसी में ही विसर्जित की जाए। सवाल: आप इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोल लेते हैं? जवाब: मेरी मां का मानना था कि भारत में पढ़ाई अच्छी होती है, इसलिए उन्होंने दार्जिलिंग के बोर्डिंग स्कूल में मेरा एडमिशन कराया। मैंने कक्षा 9 तक वहां पर पढ़ाई की। इस वजह से मैं हिंदी बोलने जान गया। भारत का एजुकेशन काफी अच्छा है। मैं जब यहां से पढ़ कर अपने देश गया तो वहां के बच्चों से ज्यादा कुछ मुझे आता था। सवाल: काशी में आपको क्या अच्छा लगा? जवाब: काशी से मेरा बहुत लगाव है। बचपन में मैं काशी आया था, उसी समय मेरा पूरा परिवार यहां आया था। उसके बाद मैं यहां 2 से 3 बार आया, लेकिन यहां के लोग काफी अच्छे हैं और यहां घाटों की खूबसूरती मेरे मन को भा गई। सवाल: आप बाबा विश्वनाथ मंदिर गए थे? जवाब: मैं 11 साल पहले आया था, तब मंदिर काफी अलग था, लेकिन मैं तस्वीरों में देखा है कि मंदिर अब काफी खूबसूरत बन गया है। अभी मैं मंदिर जाने के लिए तैयार हूं। अंदर से काफी उत्साहित भी हूं कि मैं मंदिर को बड़े करीब से देख पाऊंगा। मैं सारनाथ घूमने के बाद गंगा आरती में भी जाऊंगा। सवाल: अभी आप क्या करते हैं? जवाब: नवमी के पढ़ाई के बाद मैं अपने माता-पिता के पास पेरिस चला गया। आज मैं मल्टी लेवल कंपनी में अकाउंटेंट का काम करता हूं। मैं बचपन से ही अपने बुआ के पास रहकर आगे की पढ़ाई लिखाई किया हूं।

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