पैरामेडिकल छात्र ने शिक्षक पर लगाया फेल करने का आरोप:कालेज प्रशासन ने किया एक लाख अतिरिक्त फीस की डिमांड

कुशीनगर स्थित जेके इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साईस में डी-फार्मा कोर्स के छात्र को कालेज के मनमानी फीस न दे पाने का खामियाजा चुकाना पड़ा। क्योंकि कालेज के जिम्मेदार सरकार द्वारा निर्धारित फीस के अतिरिक्त एक लाख रुपए की डिमांड पूरी नहीं कर पाया। तब कालेज के भीतर होने वाले बाहरी परीक्षक की देखरेख वाली प्रयोगात्मक परीक्षा में सिर्फ पीड़ित छात्र को सबसे कम नम्बर दिलाए। जिससे की फेल हो गया। गरीब परिवार का सहारा बनने की उम्मीद के साथ छात्र का दो साल और फीस सिर्फ कालेज और बाहरी परीक्षक के लालच ने बर्बाद कर दिया। अब छात्र अपने साथ हुई नाइंसाफी की निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर रहा है। परीक्षा पास कर काउंसिलिंग कराया तमकुहीराज के हरपुर बेलही में एक निजी पैरामेडिकल कालेज जेके इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साईंस स्थित है। जिसमें सीमावर्ती प्रान्त बिहार के गोपालगंज जिले का रहने वाला छात्र आदर्श कुमार का 2023 में एडमिशन डी-फार्मा कोर्स के लिया था। जिसके लिए आदर्श ने पहले सरकार से निर्धारित परीक्षा पास कर काउंसिलिंग कराया। नजदीक कालेज देख उक्त कालेज में दाखिला लिया। दाखिले के समय उसने सरकार द्वारा निर्धारित डी-फार्मा कोर्स की फीस 45 हजार 250 रुपए भर दिए। छात्र आदर्श के अनुसार उससे स्कूल के प्रधानाचार्य हरिकेश कुशवाहा ने एक लाख और फीस की डिमांड किए, तो आदर्श ने परिवार की मजबूरी बता कालेज की इस अवैध डिमांड को नहीं देने की बात कही। सरकार की निर्धारित फीस जमा किया आदर्श ने बताया कि उसके पिता शिव शाह मुंबई में फल बेचते है। जिससे सात सदस्यों का परिवार चलता है। आदर्श ने बताया कि मैं काउंसिलिंग कराकर दाखिला लिया था। सरकार की निर्धारित एक साल की फीस भी जमा किया था। फिर भी कालेज के प्रिंसिपल अनधिकृत रूप से एक लाख रुपए मांगने लगे। जिसे मेरा परिवार दे नहीं पाया। प्रिंसिपल के इशारे पर किया गया फेल प्रिंसिपल हरिकेश कुशवाहा ने इस बात के लिए मुझे काफी टार्चर किया। इतना ही नही कालेज की सेसनल होम परीक्षाओं में काफी देर तक खड़ा कर देते। कालेज प्रोजेक्ट में जहां सभी को 20 में 17 से 18 नम्बर देता। वहीं मुझे 8 से 9 नंबर दिया गया। प्रिंसिपल के इशारे पर मुझे फेल कर दिया गया। जो छात्र क्लास में भी नहीं आते कुछ बता भी नहीं पाए। उन्हें प्रयोगात्मक परीक्षा में 80 में 72 नम्बर दिया गया। सिर्फ मुझे 17 से 18 नम्बर देकर फेल किया गया। कालेज के प्रिंसिपल और प्रबन्धक मामले पर कुछ नहीं बोला। कालेज के मैनेजर अनिल कुशवाहा से जब बात की गयी, तो उन्होंने मामले से खुद को आधी जानकारी होने की बात कहते हुए छात्र के आरोप को बेबुनियाद बताया। छात्र के नम्बर कम देने का दोष बाहरी परीक्षक को बताया। जब इस मामले में हमारी टीम ने बाहरी परीक्षक राजन वर्मा से बात करने की कोशिश किए, तो वे फोन पर बात और बयान देने से बचने लगे।

Nov 20, 2024 - 12:20
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पैरामेडिकल छात्र ने शिक्षक पर लगाया फेल करने का आरोप:कालेज प्रशासन ने किया एक लाख अतिरिक्त फीस की डिमांड
कुशीनगर स्थित जेके इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साईस में डी-फार्मा कोर्स के छात्र को कालेज के मनमानी फीस न दे पाने का खामियाजा चुकाना पड़ा। क्योंकि कालेज के जिम्मेदार सरकार द्वारा निर्धारित फीस के अतिरिक्त एक लाख रुपए की डिमांड पूरी नहीं कर पाया। तब कालेज के भीतर होने वाले बाहरी परीक्षक की देखरेख वाली प्रयोगात्मक परीक्षा में सिर्फ पीड़ित छात्र को सबसे कम नम्बर दिलाए। जिससे की फेल हो गया। गरीब परिवार का सहारा बनने की उम्मीद के साथ छात्र का दो साल और फीस सिर्फ कालेज और बाहरी परीक्षक के लालच ने बर्बाद कर दिया। अब छात्र अपने साथ हुई नाइंसाफी की निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर रहा है। परीक्षा पास कर काउंसिलिंग कराया तमकुहीराज के हरपुर बेलही में एक निजी पैरामेडिकल कालेज जेके इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साईंस स्थित है। जिसमें सीमावर्ती प्रान्त बिहार के गोपालगंज जिले का रहने वाला छात्र आदर्श कुमार का 2023 में एडमिशन डी-फार्मा कोर्स के लिया था। जिसके लिए आदर्श ने पहले सरकार से निर्धारित परीक्षा पास कर काउंसिलिंग कराया। नजदीक कालेज देख उक्त कालेज में दाखिला लिया। दाखिले के समय उसने सरकार द्वारा निर्धारित डी-फार्मा कोर्स की फीस 45 हजार 250 रुपए भर दिए। छात्र आदर्श के अनुसार उससे स्कूल के प्रधानाचार्य हरिकेश कुशवाहा ने एक लाख और फीस की डिमांड किए, तो आदर्श ने परिवार की मजबूरी बता कालेज की इस अवैध डिमांड को नहीं देने की बात कही। सरकार की निर्धारित फीस जमा किया आदर्श ने बताया कि उसके पिता शिव शाह मुंबई में फल बेचते है। जिससे सात सदस्यों का परिवार चलता है। आदर्श ने बताया कि मैं काउंसिलिंग कराकर दाखिला लिया था। सरकार की निर्धारित एक साल की फीस भी जमा किया था। फिर भी कालेज के प्रिंसिपल अनधिकृत रूप से एक लाख रुपए मांगने लगे। जिसे मेरा परिवार दे नहीं पाया। प्रिंसिपल के इशारे पर किया गया फेल प्रिंसिपल हरिकेश कुशवाहा ने इस बात के लिए मुझे काफी टार्चर किया। इतना ही नही कालेज की सेसनल होम परीक्षाओं में काफी देर तक खड़ा कर देते। कालेज प्रोजेक्ट में जहां सभी को 20 में 17 से 18 नम्बर देता। वहीं मुझे 8 से 9 नंबर दिया गया। प्रिंसिपल के इशारे पर मुझे फेल कर दिया गया। जो छात्र क्लास में भी नहीं आते कुछ बता भी नहीं पाए। उन्हें प्रयोगात्मक परीक्षा में 80 में 72 नम्बर दिया गया। सिर्फ मुझे 17 से 18 नम्बर देकर फेल किया गया। कालेज के प्रिंसिपल और प्रबन्धक मामले पर कुछ नहीं बोला। कालेज के मैनेजर अनिल कुशवाहा से जब बात की गयी, तो उन्होंने मामले से खुद को आधी जानकारी होने की बात कहते हुए छात्र के आरोप को बेबुनियाद बताया। छात्र के नम्बर कम देने का दोष बाहरी परीक्षक को बताया। जब इस मामले में हमारी टीम ने बाहरी परीक्षक राजन वर्मा से बात करने की कोशिश किए, तो वे फोन पर बात और बयान देने से बचने लगे।

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