प्रयागराज में दिखी स्वच्छ भारत मिशन की बेहाल दशा:ग्रामीण शौचालयों पर लटक रहा ताला, केयरटेकर को बिना काम के मिल रहा वेतन

प्रयागराज में यमुना नगर के करछना क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए सामुदायिक शौचालय महज कागजों में चल रहे हैं। गांवों में बने इन शौचालयों का लाभ ग्रामीणों को मिलना तो दूर अधिकांश शौचालयों पर ताले लटके हुए हैं। सरकारी दस्तावेजों में ये शौचालय पूर्ण रूप से चालू दिखाए गए हैं और उनकी देखरेख के लिए नियुक्त केयरटेकर को हर महीने वेतन दिया जा रहा है, जबकि हकीकत कुछ और है। लाखों रुपए खर्च के बावजूद हाल बेहाल सूत्रों के अनुसार करछना विकास खंड के कई गांवों में ग्रामीणों की सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च कर सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया था। हालांकि, अधिकतर शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। जबकि सरकारी रिकॉर्ड में वे पूर्ण रूप से संचालित दिखाए जा रहे हैं। हरदुआ गांव में बने शौचालय का भी यही हाल है। अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद यह अधूरा और बेकार पड़ा है। यहां तक कि पंचायत भवन में ताला लटक रहा है और इसके आसपास बने अन्य निर्माण भी उपेक्षित हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने इस स्थिति को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन होना चाहिए ताकि जनता को इसका लाभ मिल सके। ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से क्षेत्र का भौतिक निरीक्षण करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

Oct 27, 2024 - 18:15
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प्रयागराज में दिखी स्वच्छ भारत मिशन की बेहाल दशा:ग्रामीण शौचालयों पर लटक रहा ताला, केयरटेकर को बिना काम के मिल रहा वेतन
प्रयागराज में यमुना नगर के करछना क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए सामुदायिक शौचालय महज कागजों में चल रहे हैं। गांवों में बने इन शौचालयों का लाभ ग्रामीणों को मिलना तो दूर अधिकांश शौचालयों पर ताले लटके हुए हैं। सरकारी दस्तावेजों में ये शौचालय पूर्ण रूप से चालू दिखाए गए हैं और उनकी देखरेख के लिए नियुक्त केयरटेकर को हर महीने वेतन दिया जा रहा है, जबकि हकीकत कुछ और है। लाखों रुपए खर्च के बावजूद हाल बेहाल सूत्रों के अनुसार करछना विकास खंड के कई गांवों में ग्रामीणों की सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च कर सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया था। हालांकि, अधिकतर शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। जबकि सरकारी रिकॉर्ड में वे पूर्ण रूप से संचालित दिखाए जा रहे हैं। हरदुआ गांव में बने शौचालय का भी यही हाल है। अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद यह अधूरा और बेकार पड़ा है। यहां तक कि पंचायत भवन में ताला लटक रहा है और इसके आसपास बने अन्य निर्माण भी उपेक्षित हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने इस स्थिति को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन होना चाहिए ताकि जनता को इसका लाभ मिल सके। ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से क्षेत्र का भौतिक निरीक्षण करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

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