प्रहरी पर नॉन-रिस्पानशिव निविदा की फाइनेंशियल विड खोलने का मामला:ईई का खेल ध्वस्त, शाहजी कॉन्टैक्टर की निविदा निरस्त

योगी सरकार के एक्सईएन पीडब्ल्यूड़ी प्रांतीय खंड में प्रहरी पोर्टल पर चहेते ठेकेदार की नॉन रिस्पॉनशिव निविदा की फाइनेंशियल विड खोलने वाले ईई राजेश चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करने में शासन बेबस है। हालांकि पूरे मामले के खुलासे के बाद शाहजी कॉन्टैक्टर की निविदा जरूर निरस्त कर दी गई है। लेकिन हमेशा की तरह ईई ने इस बार भी मामले में बाबू का स्पष्टीकरण तलब कर शासन को एक बार फिर चकमा दे दिया है। स्पष्टीकरण में दिए गए तीन दिन बीतने के बाद पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ईएमडी चोरी करने में ब्लैक लिस्टेड योगी सरकार कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को ईई राजेश चौधरी लगातार मिट्टी में मिलाने में जुटे है। चाहे ई-टेंडरों की ईएमडी चोरी करने में ब्लैक लिस्टेड किए गए ठेकेदारों को गले लगाने, डीएम की ओर से हैसियत-चरित्र प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने के बाद ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों से सडक निर्माण कराने, ईएमडी फर्जीवाड़े में शामिल बॉन्ड बाबू को बचाने, पांच साल रख रखाव लागत रहित स्वीकृति पत्र जारी करने या फिर प्रहरी पोर्टल पर चहेते ठेकेदार की नॉन रिस्पॉनसिव निविदा की फाइनेंशियल विड खोलने का मामला हो। गंभीर अनियमितताओं से जुड़े सभी मामलों में ईई राजेश चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करने में शासन बेबस और लाचार दिखाई दे रहा है। बता दें कि ईई राजेश चौधरी को शाहजहांपुर में सड़कों को हवा में गड्ढा मुक्त करने के आरोपों में लखनऊ मुख्यालय सम्बद्ध किया गया था। केस -नम्बर एक पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड और निर्माण खंड-एक में बीते कई वर्षों से ई-टेंडरों की ईएमडी चोरी करने में जीशान, एमआई कंस्ट्रक्शन, अय्यूब, आरएस इंटर प्राइजेज, सक्षम और राजेश कुमार कांट्रेक्टर को फजीहत के बाद ब्लैक लिस्टेड किया गया। लेकिन ईई राजेश चौधरी का ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों से लगाव कम नहीं हुआ। नतीजा इनके द्वारा बाढ़ प्रभावित सड़कों की मरम्मत का काम एक ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को सौंप दी गई। मामला शासन तक पहुंचने के बाद मामले में घिरे राजेश चौधरी ने आनन-फानन में यू-टर्न ले लिया। केस-नम्बर दो ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार से बाढ़ प्रभावित सड़कों की मरम्मत कराने के मामले में डीएम संजय कुमार सिंह ने 31 जुलाई 2024 को एक्सईएन का स्पष्टीकरण तलब करते हुए 5 और 8 अगस्त 2024 को उपरोक्त सभी छः ठेकेदारों के हैसियत चरित्र प्रमाण पत्र निरस्त कर दिए। लेकिन राजेश चौधरी की ओर से 3.76 करोड़ की घुंघचियाई-दियूरिया रोड का निर्माण कराया गया। इस मामले में घिरे ईई राजेश चौधरी ने तीन गड्ढे करवा कर पीसी की मोटाई नाप कर 13 किलो मीटर लम्बी सडक को क्लीन चिट दे दी। केस-नम्बर तीन हैसियत चरित्र प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों की ओर से डीएम संजय कुमार सिंह के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इसके बाद डीएम की ओर से ईएमडी चोरी में विभागीय संलिप्तता पर सवाल उठाने के बाद बॉन्ड बाबू रुपेश कुमार को 14 अगस्त 2024 को दो सप्ताह का समय देते हुए ईई राजेश चौधरी ने स्पष्टीकरण तलब किया। लेकिन निर्धारित समय बीतने के बाद डीएम को भी चकमा दे दिया गया। हालांकि यह सभी मामले हाईकोर्ट में आज भी विचाराधीन है, अब मामले में 25 नवम्बर 2024 की तिथि निर्धारित है। केस-नम्बर चार सीएम योगी ने हाल ही में बनने वाली नई सड़कों के पांच साल रख रखाव करने के निर्देश दिए थे। लेकिन ईई राजेश चौधरी ने इसमें भी खेल कर दिया। एक्सईएन ने "फरीदपुर गुरुद्वारा से पंडराराम दास,भुरिया फरदिया रोड" सहित अन्य सड़कों के पाँच साल रख रखाव अवधि की लागत रहित स्वीकृति पत्र जारी कर दिए। ठेकेदारों की ओर से मामलों में लिखित आपत्ति जाताई गई तो ईई राजेश चौधरी ने मामले में शिविर कार्यालय को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे त्रुटि पूर्ण करार दिया। जबकि बता दें कि किसी भी सडक का टेंडर मंजूर होने के बाद सम्बंधित ठेकेदार को एक्सईएन की ओर से ही स्वीकृति पत्र जारी किया जाता है। केस-नम्बर पांच पीडब्ल्यूडी में ई-टेंडरिंग को पारदर्शी बनाने के लिए योगी सरकार ने भले ही "प्रहरी पोर्टल" को लागू किया हो, लेकिन ईई राजेश चौधरी ने इसको भी मिट्टी में मिला दिया। एक्सईएन ने चहेते ठेकेदार/फर्म शाहजी कांट्रेक्टर की प्रहरी पोर्टल और अधीक्षण अभियंता बदायूं/पीलीभीत के 11 नवम्बर 2024 को जारी पत्र में नॉन रिस्पॉनसिव निविदा की फाइनेंशियल विड खोल कर मंजूरी दे दी। इधर जब दैनिक भास्कर ने पूरे मामले में खबर प्रकाशित की तो जिले से लेकर लखनऊ मुख्यालय तक एक्सईएन ने खेल बेनकाब होने के बाद शाहजी कांट्रैक्टर की निविदा निरस्त कर दी। हमेशा की तरह इस बार भी ईई राजेश चौधरी ने खुद को बचाने के लिए बाबू जय कुमार सिंह को 13 नवम्बर 2024 को पत्र जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया। मामले में शासन को एक बार फिर चकमा दे दिया।

Nov 26, 2024 - 22:50
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प्रहरी पर नॉन-रिस्पानशिव निविदा की फाइनेंशियल विड खोलने का मामला:ईई का खेल ध्वस्त, शाहजी कॉन्टैक्टर की निविदा निरस्त
योगी सरकार के एक्सईएन पीडब्ल्यूड़ी प्रांतीय खंड में प्रहरी पोर्टल पर चहेते ठेकेदार की नॉन रिस्पॉनशिव निविदा की फाइनेंशियल विड खोलने वाले ईई राजेश चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करने में शासन बेबस है। हालांकि पूरे मामले के खुलासे के बाद शाहजी कॉन्टैक्टर की निविदा जरूर निरस्त कर दी गई है। लेकिन हमेशा की तरह ईई ने इस बार भी मामले में बाबू का स्पष्टीकरण तलब कर शासन को एक बार फिर चकमा दे दिया है। स्पष्टीकरण में दिए गए तीन दिन बीतने के बाद पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ईएमडी चोरी करने में ब्लैक लिस्टेड योगी सरकार कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को ईई राजेश चौधरी लगातार मिट्टी में मिलाने में जुटे है। चाहे ई-टेंडरों की ईएमडी चोरी करने में ब्लैक लिस्टेड किए गए ठेकेदारों को गले लगाने, डीएम की ओर से हैसियत-चरित्र प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने के बाद ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों से सडक निर्माण कराने, ईएमडी फर्जीवाड़े में शामिल बॉन्ड बाबू को बचाने, पांच साल रख रखाव लागत रहित स्वीकृति पत्र जारी करने या फिर प्रहरी पोर्टल पर चहेते ठेकेदार की नॉन रिस्पॉनसिव निविदा की फाइनेंशियल विड खोलने का मामला हो। गंभीर अनियमितताओं से जुड़े सभी मामलों में ईई राजेश चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करने में शासन बेबस और लाचार दिखाई दे रहा है। बता दें कि ईई राजेश चौधरी को शाहजहांपुर में सड़कों को हवा में गड्ढा मुक्त करने के आरोपों में लखनऊ मुख्यालय सम्बद्ध किया गया था। केस -नम्बर एक पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड और निर्माण खंड-एक में बीते कई वर्षों से ई-टेंडरों की ईएमडी चोरी करने में जीशान, एमआई कंस्ट्रक्शन, अय्यूब, आरएस इंटर प्राइजेज, सक्षम और राजेश कुमार कांट्रेक्टर को फजीहत के बाद ब्लैक लिस्टेड किया गया। लेकिन ईई राजेश चौधरी का ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों से लगाव कम नहीं हुआ। नतीजा इनके द्वारा बाढ़ प्रभावित सड़कों की मरम्मत का काम एक ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को सौंप दी गई। मामला शासन तक पहुंचने के बाद मामले में घिरे राजेश चौधरी ने आनन-फानन में यू-टर्न ले लिया। केस-नम्बर दो ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार से बाढ़ प्रभावित सड़कों की मरम्मत कराने के मामले में डीएम संजय कुमार सिंह ने 31 जुलाई 2024 को एक्सईएन का स्पष्टीकरण तलब करते हुए 5 और 8 अगस्त 2024 को उपरोक्त सभी छः ठेकेदारों के हैसियत चरित्र प्रमाण पत्र निरस्त कर दिए। लेकिन राजेश चौधरी की ओर से 3.76 करोड़ की घुंघचियाई-दियूरिया रोड का निर्माण कराया गया। इस मामले में घिरे ईई राजेश चौधरी ने तीन गड्ढे करवा कर पीसी की मोटाई नाप कर 13 किलो मीटर लम्बी सडक को क्लीन चिट दे दी। केस-नम्बर तीन हैसियत चरित्र प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों की ओर से डीएम संजय कुमार सिंह के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इसके बाद डीएम की ओर से ईएमडी चोरी में विभागीय संलिप्तता पर सवाल उठाने के बाद बॉन्ड बाबू रुपेश कुमार को 14 अगस्त 2024 को दो सप्ताह का समय देते हुए ईई राजेश चौधरी ने स्पष्टीकरण तलब किया। लेकिन निर्धारित समय बीतने के बाद डीएम को भी चकमा दे दिया गया। हालांकि यह सभी मामले हाईकोर्ट में आज भी विचाराधीन है, अब मामले में 25 नवम्बर 2024 की तिथि निर्धारित है। केस-नम्बर चार सीएम योगी ने हाल ही में बनने वाली नई सड़कों के पांच साल रख रखाव करने के निर्देश दिए थे। लेकिन ईई राजेश चौधरी ने इसमें भी खेल कर दिया। एक्सईएन ने "फरीदपुर गुरुद्वारा से पंडराराम दास,भुरिया फरदिया रोड" सहित अन्य सड़कों के पाँच साल रख रखाव अवधि की लागत रहित स्वीकृति पत्र जारी कर दिए। ठेकेदारों की ओर से मामलों में लिखित आपत्ति जाताई गई तो ईई राजेश चौधरी ने मामले में शिविर कार्यालय को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे त्रुटि पूर्ण करार दिया। जबकि बता दें कि किसी भी सडक का टेंडर मंजूर होने के बाद सम्बंधित ठेकेदार को एक्सईएन की ओर से ही स्वीकृति पत्र जारी किया जाता है। केस-नम्बर पांच पीडब्ल्यूडी में ई-टेंडरिंग को पारदर्शी बनाने के लिए योगी सरकार ने भले ही "प्रहरी पोर्टल" को लागू किया हो, लेकिन ईई राजेश चौधरी ने इसको भी मिट्टी में मिला दिया। एक्सईएन ने चहेते ठेकेदार/फर्म शाहजी कांट्रेक्टर की प्रहरी पोर्टल और अधीक्षण अभियंता बदायूं/पीलीभीत के 11 नवम्बर 2024 को जारी पत्र में नॉन रिस्पॉनसिव निविदा की फाइनेंशियल विड खोल कर मंजूरी दे दी। इधर जब दैनिक भास्कर ने पूरे मामले में खबर प्रकाशित की तो जिले से लेकर लखनऊ मुख्यालय तक एक्सईएन ने खेल बेनकाब होने के बाद शाहजी कांट्रैक्टर की निविदा निरस्त कर दी। हमेशा की तरह इस बार भी ईई राजेश चौधरी ने खुद को बचाने के लिए बाबू जय कुमार सिंह को 13 नवम्बर 2024 को पत्र जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया। मामले में शासन को एक बार फिर चकमा दे दिया।

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