भाजपा का नया अध्यक्ष दक्षिण भारत से बनाने पर मंथन:दिसंबर में नया चेहरा मिल जाएगा; अब तक दक्षिण से तीन अध्यक्ष रह चुके

भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष दक्षिण भारत से हो सकता है। पार्टी ने 15 दिसंबर तक नया अध्यक्ष चुनने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश संगठनों से कहा गया है कि दिसंबर के पहले हफ्ते तक अपने यहां संगठन चुनाव पूरे कर लें, ताकि राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी की संवैधानिक जरूरतों को पूरा किया जा सके। वाजपेयी सरकार के दौरान दक्षिण भारत से तीन शख्स राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। ये हैं: बंगारू लक्ष्मण, जना कृष्णामूर्ति और वेंकैया नायडू। पीएम मोदी के दो कार्यकाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर और पश्चिम भारत के रहे। फिलहाल भाजपा के दक्षिण के दिग्गज नेताओं में प्रहलाद जोशी, एल मुरुगन, जी. किशन रेड्‌डी, के. अन्नामलाई, के. ईश्वरप्पा, निर्मला सीतारमण शामिल हैं। हो सकता है कि पार्टी इन्हीं में से किसी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए। अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के लिए के. लक्ष्मण को प्रभारी बनाया पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संसदीय बोर्ड के सदस्य के. लक्ष्मण को प्रभारी बनाया है। अध्यक्ष के चुनाव से पहले जरूरी आम सदस्यता अभियान का काम पूरा हो चुका है। सक्रिय सदस्य बनाने की प्रक्रिया भी इसी महीने पूरी हो जाएगी। इसके बाद प्रदेशों में बूथ, मंडल, जिला से लेकर प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव होंगे। भाजपा संविधान के मुताबिक, 50% राज्यों के संगठनात्मक चुनाव पूरे होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। अभी पूर्व से राष्ट्रपति, पश्चिम से उप राष्ट्रपति और उत्तर से प्रधानमंत्री हैं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उपयुक्त व्यक्ति को लेकर पार्टी का संसदीय बोर्ड विचार करेगा। इसके लिए मैकेनिज्म पर काम किया जा रहा है। मोदी सरकार की प्राथमिकता में देश के सभी हिस्सों को संगठन और सरकार में प्रतिनिधित्व देने की कोशिश रहती है। इस लिहाज से विचार चल रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए दक्षिण भारत का कोई नेता उपयुक्त हो सकता है। मौजूदा राष्ट्रपति पूर्वी भारत से आती हैं। उप राष्ट्रपति पश्चिम भारत से। प्रधानमंत्री उत्तर भारत (वाराणसी के सांसद) से चुने गए हैं। ऐसे में दक्षिण भारत के किसी नेता को जिम्मेदारी मिलने की संभावना अधिक है। अब तक चुनाव निर्विरोध... भाजपा में अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होता आया है। यानी सिर्फ एक ही व्यक्ति नामांकन करता है और बिना वोटिंग अध्यक्ष चुन लिया जाता है। इस बार भी यही परंपरा रहने की उम्मीद है। हालांकि, 2013 में जब नितिन गडकरी को दोबारा अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब यशवंत सिन्हा ने नामांकन पर्चा लिया था। इससे बवाल मच गया था, लेकिन जब गडकरी ने अनिच्छा दिखाई, तब सिन्हा ने पर्चा वापस लिया था और राजनाथ सिंह को अध्यक्ष चुना गया था।

Oct 24, 2024 - 03:20
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भाजपा का नया अध्यक्ष दक्षिण भारत से बनाने पर मंथन:दिसंबर में नया चेहरा मिल जाएगा; अब तक दक्षिण से तीन अध्यक्ष रह चुके
भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष दक्षिण भारत से हो सकता है। पार्टी ने 15 दिसंबर तक नया अध्यक्ष चुनने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश संगठनों से कहा गया है कि दिसंबर के पहले हफ्ते तक अपने यहां संगठन चुनाव पूरे कर लें, ताकि राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी की संवैधानिक जरूरतों को पूरा किया जा सके। वाजपेयी सरकार के दौरान दक्षिण भारत से तीन शख्स राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। ये हैं: बंगारू लक्ष्मण, जना कृष्णामूर्ति और वेंकैया नायडू। पीएम मोदी के दो कार्यकाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर और पश्चिम भारत के रहे। फिलहाल भाजपा के दक्षिण के दिग्गज नेताओं में प्रहलाद जोशी, एल मुरुगन, जी. किशन रेड्‌डी, के. अन्नामलाई, के. ईश्वरप्पा, निर्मला सीतारमण शामिल हैं। हो सकता है कि पार्टी इन्हीं में से किसी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए। अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के लिए के. लक्ष्मण को प्रभारी बनाया पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संसदीय बोर्ड के सदस्य के. लक्ष्मण को प्रभारी बनाया है। अध्यक्ष के चुनाव से पहले जरूरी आम सदस्यता अभियान का काम पूरा हो चुका है। सक्रिय सदस्य बनाने की प्रक्रिया भी इसी महीने पूरी हो जाएगी। इसके बाद प्रदेशों में बूथ, मंडल, जिला से लेकर प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव होंगे। भाजपा संविधान के मुताबिक, 50% राज्यों के संगठनात्मक चुनाव पूरे होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। अभी पूर्व से राष्ट्रपति, पश्चिम से उप राष्ट्रपति और उत्तर से प्रधानमंत्री हैं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उपयुक्त व्यक्ति को लेकर पार्टी का संसदीय बोर्ड विचार करेगा। इसके लिए मैकेनिज्म पर काम किया जा रहा है। मोदी सरकार की प्राथमिकता में देश के सभी हिस्सों को संगठन और सरकार में प्रतिनिधित्व देने की कोशिश रहती है। इस लिहाज से विचार चल रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए दक्षिण भारत का कोई नेता उपयुक्त हो सकता है। मौजूदा राष्ट्रपति पूर्वी भारत से आती हैं। उप राष्ट्रपति पश्चिम भारत से। प्रधानमंत्री उत्तर भारत (वाराणसी के सांसद) से चुने गए हैं। ऐसे में दक्षिण भारत के किसी नेता को जिम्मेदारी मिलने की संभावना अधिक है। अब तक चुनाव निर्विरोध... भाजपा में अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होता आया है। यानी सिर्फ एक ही व्यक्ति नामांकन करता है और बिना वोटिंग अध्यक्ष चुन लिया जाता है। इस बार भी यही परंपरा रहने की उम्मीद है। हालांकि, 2013 में जब नितिन गडकरी को दोबारा अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब यशवंत सिन्हा ने नामांकन पर्चा लिया था। इससे बवाल मच गया था, लेकिन जब गडकरी ने अनिच्छा दिखाई, तब सिन्हा ने पर्चा वापस लिया था और राजनाथ सिंह को अध्यक्ष चुना गया था।

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