भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर मनाया जश्न:IIT कानपुर ने बताया संवैधानिक यात्रा और संविधान दिवस का महत्व
IIT कानपुर ने भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर बुधवार को जश्न मनाया गया। विधिक प्रकोष्ठ (Legal Cell) ने संविधान की प्रस्तावना का संयुक्त पाठ आयोजित किया। उप रजिस्ट्रार प्रकल्प शर्मा द्वारा समन्वित इस कार्यक्रम की शुरुआत भारत की संवैधानिक यात्रा और संविधान दिवस के महत्व पर चर्चा के साथ हुई। इस कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने किया, जिन्होंने संविधान की प्रस्तावना का एक प्रेरक पाठ किया, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में भाग लिया। हिंदी में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी उप निदेशक प्रो. ब्रज भूषण ने हिंदी में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। उन्होंने प्रतिभागियों को संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों और अंतिम उद्देश्यों की याद दिलाई। श्रोताओं को संबोधित करते हुए प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित किया और इसे देश के लोकतंत्र और प्रगति की नींव बताया। उन्होंने विविधता में एकता को बढ़ावा देने और नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की इसकी अद्वितीय क्षमता पर प्रकाश डाला। संविधान की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन किया इस कार्यक्रम में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड मनीष पालीवाल ने मुख्य भाषण दिया। उनके व्यावहारिक व्याख्यान में संविधान की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन किया गया। इसके मौलिक विचारों और समय के साथ इसके विकास पर चर्चा की गई। पालीवाल ने प्रतिभागियों को संवादात्मक सत्रों में भी शामिल किया, जिसमें वर्तमान संवैधानिक बिन्दुओं पर चर्चा को बढ़ावा दिया। कार्यक्रम का समापन आईआईटी कानपुर के रजिस्ट्रार विश्व रंजन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने इस अवसर की सफलता में योगदान देने के लिए वक्ताओं, आयोजकों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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