भारत बोला- बांग्लादेश सरकार हिंदुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले:अल्पसंख्यकों के हालात पर कहा- मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही कहकर पल्ला न झाड़ें
बांग्लादेश में इस्कॉन धर्मगुरू चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और बाकी अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर अपना विरोध जताया है। जायसवाल ने कहा कि हमने इस बात पर जोर दिया है कि उन्हें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अंतिरम सरकार यह कहकर जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती है कि इस मामले को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर कर ही है। इसके अलावा जायसवाल ने चिन्मय और अन्य आरोपियों को निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया के तहत ट्रायल देने के लिए कहा है। भारत का इस्कॉन चिन्मय प्रभु के साथ इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की भारतीय शाखा ने बांग्लादेश में इस्कॉन के धर्मगुरू चिन्मय कृष्ण प्रभु दास को लेकर अपना रुख साफ किया है। इस्कॉन ने शुक्रवार रात सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि चिन्मय प्रभु संगठन के आधिकारिक सदस्य नहीं थे, लेकिन वे उनके अधिकार और बोलने की आजादी का समर्थन करते हैं। संगठन ने बताया कि हमने खुद को चिन्मय प्रभु से दूरी नहीं बनाई है और न ही ऐसा करेंगे। चिन्मय प्रभु बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद से पूरे देश में तनाव का माहौल है। उनकी जमानत याचिका रद्द होने को लेकर कई जगहों पर हिंसा भी हुई। इसके बाद गुरुवार को इस्कॉन बांग्लादेश ने चिन्मय प्रभु से खुद को अलग कर लिया था। इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा था कि अनुशासन भंग करने की वजह से चिन्मय को पहले ही संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया था। वह उनके किसी भी बयान या प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। चिन्मय प्रभु की जमानत याचिका खारिज होने के बाद हिंसा भड़की
चटगांव में 26 नवंबर को इस्कॉन प्रमुख की जमानत खारिज हो गई थी, जिसके बाद हुई हिंसा में एक वकील सैफुल इस्लाम की जान चली गई थी। इसके बाद 27 नवंबर को बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग शामिल हैं। ऐसे में इस संस्था को बैन किया जाए। इस अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी। इस याचिका पर बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मुहम्मद असदुज्जमां ने इस्कॉन को एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन बताया था। ढाका हाईकोर्ट का इस्कॉन पर बैन लगाने से इनकार
ढाका हाईकोर्ट ने 28 सितंबर कोइस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने जरूरी कदम उठाए हैं। यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने कहा कि इस्कॉन के मामले में अभी तक 3 केस दर्ज किए गए हैं और 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सेना को देश में किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए तैनात किया गया है। सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा- इस्कॉन पर बैन लगाने का यही सही समय है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह सरकार तय करेगी। दावा- बांग्लादेश इस्कॉन मामले पर मोदी-जयशंकर की मुलाकात
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में इस्कॉन मामले को लेकर PM नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच गुरुवार को बातचीत हुई थी। विदेश मंत्री ने उन्हें वहां के हालात की जानकारी दी। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कहा था कि वे इस मामले पर केंद्र के साथ हैं। शेख हसीना ने भी की चिन्मय की रिहाई की मांग
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गुरुवार को इस्कॉन के चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए अंतरिम सरकार से उन्हें तुरंत रिहा करने के लिए कहा। हसीना ने कहा कि सनातन धर्म के एक प्रमुख नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है। हसीना ने कहा कि चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया। इससे पहले मस्जिदों, चर्चों और अहमदिया समुदाय के लोगों के घरों पर हमले किए गए थे। हसीना ने सभी समुदायों के लोगों की धार्मिक आजादी, सुरक्षा और संपत्ति की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है। हसीना के इस बयान को उनकी पार्टी आवामी लीग ने X पर पोस्ट किया। कौन हैं चिन्मय प्रभु जिनकी गिरफ्तारी पर बांग्लादेश से नाराज हुआ भारत
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं। इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए। क्यों गिरफ्तार हुए चिन्मय प्रभु?
25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसमें चिन्मय कृष्ण दास ने भाषण दिया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर 'आमी सनातनी' लिखा हुआ था। रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की BNP पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। कैसे गिरफ्तार हुए चिन्मय प्रभु?
बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार किया गया। वे चटगांव जा रहे थे। मौके पर मौजूद इस्कॉन के सदस्यों ने कहा कि डीबी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया। उन्होंने बस इतना कहा कि वे बात करना चाहते हैं। इसके बाद वो उन्हें बस में
बांग्लादेश में इस्कॉन धर्मगुरू चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और बाकी अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर अपना विरोध जताया है। जायसवाल ने कहा कि हमने इस बात पर जोर दिया है कि उन्हें अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अंतिरम सरकार यह कहकर जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती है कि इस मामले को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर कर ही है। इसके अलावा जायसवाल ने चिन्मय और अन्य आरोपियों को निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया के तहत ट्रायल देने के लिए कहा है। भारत का इस्कॉन चिन्मय प्रभु के साथ इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की भारतीय शाखा ने बांग्लादेश में इस्कॉन के धर्मगुरू चिन्मय कृष्ण प्रभु दास को लेकर अपना रुख साफ किया है। इस्कॉन ने शुक्रवार रात सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि चिन्मय प्रभु संगठन के आधिकारिक सदस्य नहीं थे, लेकिन वे उनके अधिकार और बोलने की आजादी का समर्थन करते हैं। संगठन ने बताया कि हमने खुद को चिन्मय प्रभु से दूरी नहीं बनाई है और न ही ऐसा करेंगे। चिन्मय प्रभु बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद से पूरे देश में तनाव का माहौल है। उनकी जमानत याचिका रद्द होने को लेकर कई जगहों पर हिंसा भी हुई। इसके बाद गुरुवार को इस्कॉन बांग्लादेश ने चिन्मय प्रभु से खुद को अलग कर लिया था। इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा था कि अनुशासन भंग करने की वजह से चिन्मय को पहले ही संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया था। वह उनके किसी भी बयान या प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। चिन्मय प्रभु की जमानत याचिका खारिज होने के बाद हिंसा भड़की
चटगांव में 26 नवंबर को इस्कॉन प्रमुख की जमानत खारिज हो गई थी, जिसके बाद हुई हिंसा में एक वकील सैफुल इस्लाम की जान चली गई थी। इसके बाद 27 नवंबर को बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग शामिल हैं। ऐसे में इस संस्था को बैन किया जाए। इस अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी। इस याचिका पर बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मुहम्मद असदुज्जमां ने इस्कॉन को एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन बताया था। ढाका हाईकोर्ट का इस्कॉन पर बैन लगाने से इनकार
ढाका हाईकोर्ट ने 28 सितंबर कोइस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने जरूरी कदम उठाए हैं। यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने कहा कि इस्कॉन के मामले में अभी तक 3 केस दर्ज किए गए हैं और 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सेना को देश में किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए तैनात किया गया है। सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा- इस्कॉन पर बैन लगाने का यही सही समय है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह सरकार तय करेगी। दावा- बांग्लादेश इस्कॉन मामले पर मोदी-जयशंकर की मुलाकात
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में इस्कॉन मामले को लेकर PM नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच गुरुवार को बातचीत हुई थी। विदेश मंत्री ने उन्हें वहां के हालात की जानकारी दी। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर कहा था कि वे इस मामले पर केंद्र के साथ हैं। शेख हसीना ने भी की चिन्मय की रिहाई की मांग
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गुरुवार को इस्कॉन के चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए अंतरिम सरकार से उन्हें तुरंत रिहा करने के लिए कहा। हसीना ने कहा कि सनातन धर्म के एक प्रमुख नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है। हसीना ने कहा कि चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया। इससे पहले मस्जिदों, चर्चों और अहमदिया समुदाय के लोगों के घरों पर हमले किए गए थे। हसीना ने सभी समुदायों के लोगों की धार्मिक आजादी, सुरक्षा और संपत्ति की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है। हसीना के इस बयान को उनकी पार्टी आवामी लीग ने X पर पोस्ट किया। कौन हैं चिन्मय प्रभु जिनकी गिरफ्तारी पर बांग्लादेश से नाराज हुआ भारत
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं। इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए। क्यों गिरफ्तार हुए चिन्मय प्रभु?
25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसमें चिन्मय कृष्ण दास ने भाषण दिया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर 'आमी सनातनी' लिखा हुआ था। रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की BNP पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। कैसे गिरफ्तार हुए चिन्मय प्रभु?
बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार किया गया। वे चटगांव जा रहे थे। मौके पर मौजूद इस्कॉन के सदस्यों ने कहा कि डीबी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया। उन्होंने बस इतना कहा कि वे बात करना चाहते हैं। इसके बाद वो उन्हें बस में बैठाकर ले गए। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने कहा कि पुलिस के अनुरोध के बाद चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया। चिन्मय दास को कानूनी प्रक्रिया के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंप दिया जाएगा। भारत का चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी को लेकर रुख क्या है?
भारत ने चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर नाराजगी जाहिर की थी। भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से हम चिंतित हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए सही मांगें करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं। चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर भारत के बयान की अहम बातें... बांग्लादेश का भी आया जवाब, कहा- तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया
भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान पर बांग्लादेश का भी जवाब आया है। बांग्लादेश विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा- "ये बेहद दुख की बात है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को कुछ लोगों ने गलत तरीके से पेश किया है।" मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के बयान न केवल तथ्यों को गलत तरीके से पेश करते हैं, बल्कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच दोस्ती और आपसी समझ की भावना के भी उलट हैं। बांग्लादेश सरकार फिर से ये दोहराना चाहेगी कि देश की न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है और सरकार उनके कामकाज में दखल नहीं देती। --------------------------------------------------- हिंदुओं पर हमले से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... बांग्लादेश बोला-चिन्मय की गिरफ्तारी पर भारत का बयान बेबुनियाद, कहा-तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया बांग्लादेश में इस्कॉन के धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी पर भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान पर बांग्लादेश का भी जवाब आया है। बांग्लादेश विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा- ये बेहद दुख की बात है कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को कुछ लोगों ने गलत तरीके से पेश किया है। पूरी खबर पढ़ें...