'भारत में बैडमिंटन पर हावी प्राइवेट एकेडमी':पीवी सिंधु के पिता बोले- BAI सिंधु से सुझाव तक नहीं लेती, कोच सिर्फ पैसा कमा रहे

'पीवी सिंधु ने विश्व स्तर पर कई मेडल जीते। उतना अभी तक किसी खिलाड़ी ने नहीं जीता। इतना खेलने के बाद भी बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) सिंधु को किसी सुझाव के लिए नहीं पूछती है। वह मेरी बेटी है, इसलिए नहीं कह रहा। वह बड़ी खिलाड़ी है।' 'उसे खेल और खिलाड़ियों की समस्याओं के बारे में पता है। ऐसे में पीवी सिंधु सहित बड़े खिलाड़ियों से सलाह लेकर खेल को आगे बढ़ाना होगा। खिलाड़ियों को तराशकर सिंधु, लक्ष्य सेन और साइना नेहवाल जैसा बनाने के लिए पूरे सिस्टम में सुधार की जरूरत है।' ये कहना है पीवी सिंधु के पिता पीवी रमन्ना का। दो बार की ओलिंपिक पदक विजेता और वर्ल्ड चैम्पियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट सिंधु लखनऊ में सैयद मोदी इंटरनेशनल चैंपियनशिप खेल रही हैं। उनके साथ पिता पीवी रमन्ना भी लखनऊ में हैं। दैनिक भास्कर ने पीवी रमन्ना से खास बातचीत की। पीवी रमन्ना ने भारत में बैडमिंटन की वर्तमान स्थिति, खिलाड़ियों के संघर्ष, खेल पर हावी प्राइवेट एकेडमी और खिलाड़ी तैयार करने के बजाए पैसा बनाने और सेल्फिश नेचर अपना चुके कोचों पर खुलकर बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू... सवाल: पीवी सिंधु कैसे बड़ी खिलाड़ी बनीं, आपने किन बातों का ध्यान रखा? जवाब: हर खिलाड़ी पहले से बड़ा खिलाड़ी नहीं होता है। इसके पीछे फादर और मदर का सैक्रिफाइस होता है। इसके लिए समय निकालकर बेटी को स्टेडियम तक ले जाना होता है। आज के समय में कोच पूरा समय नहीं दे पाता है। कोच 50 खिलाड़ियों को सिखाता है, लेकिन उसे बच्चों के खेल से समझना होता है, कि कौन अच्छा खेलेगा। माता-पिता को भी 50 लोगों से पता चलना चाहिए कि उनका बच्चा इसमें से कितना अच्छा कर रहा है। इसमें उसका स्टैंडर्ड पता चलना चाहिए। तभी सुधार हो सकता है। सवाल: आप अर्जुन अवार्डी हैं, वॉलीबॉल प्लेयर रहे हैं, सिंधु का बैडमिंटन की तरफ रुझान कैसे हुआ? जवाब: प्लेयर का इंटरेस्ट होना चाहिए। वॉलीबॉल में टीम गेम होता है। कितना अच्छा खेलो, लेकिन आप को काटने का कोई न कोई बहाना होता है, लेकिन इंडिविजुअल गेम में ऐसा नहीं होता है। इसमें आप को अपनी क्षमता दिखनी होती है और आप को आगे बढ़ना होता है। मेरी दोनों बेटियां खेलती थीं, लेकिन सिंधु ज्यादा इंटरेस्ट दिखाती थी। सिंधु आज भी ग्राउंड में बहुत सिंसियर होकर जाती है और प्रैक्टिस करती है। यह मैं, काफी प्लेयर्स में नहीं देखता हूं। इसके कारण हमारा स्टैंडर्ड आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इसके साथ ही प्लेयर्स को मोटिवेट करना होता है। आज के समय में लोग कहते हैं कि हम बैडमिंटन खेल चुके हैं, अब हम कोच बनेंगे। आज के समय में काफी कोच बोलते हैं, मैंने सिंधु, साइना और लक्ष्य को बना दिया लेकिन सिर्फ 5 ही क्यों 50 लेकर आओ न। कोच कहते हैं हमने खिलाड़ी बना दिया। यह बात बोलना बंद करना चाहिए। सवाल: शुरुआती दौर में खिलाड़ियों की तुलना कोच और बड़े खिलाड़ियों से की जाती है? जवाब: आप बड़े खिलाड़ियों से कंपेयर करिए, लेकिन बच्ची या बेटे को ओलिंपिक, एशियन चैंपियनशिप, नेशनल, वर्ल्ड चैंपियनशिप के कुछ फॉर्मेट में उन्हें जीतने दो। फिर उनको कंपेयर करो। उनको इतनी प्रैक्टिस करने दो कि वह सिंधु या साइना बन सकें। सवाल: पैरेंट्स और कोच क्या उपाय करें कि बच्चे लक्ष्य से न भटकें? जवाब: बच्चों को कुछ पता नहीं होता है। हमें उन्हें मोटिवेट करना होता है। स्टेडियम में ले जाने के लिए तो कभी स्ट्रेचिंग करने के लिए। कुछ महीनों तक ऐसा करने पर उनके अंदर भी उत्साह पैदा होगा। पढ़ाई के साथ खेल भी नेगलेक्ट नहीं होगा। सिंधु को देखिए 10वीं, 12वीं, बीकॉम फर्स्ट क्लास है। अब उसने MBA भी कर लिया है। वह पढ़ाई में अच्छी है। खिलाड़ी पढ़ाई में भी अच्छे होते हैं। सवाल: सिंधु खेलते हुए पापा की तरफ जरूर देखती हैं, आप टिप्स देते हैं? जबाब: मैं, पिछले 20 साल से गेम देख रहा हूं। वॉलीबॉल की कोचिंग दे चुका हूं। आंध्र में वॉल बैडमिंटन पांच-पांच लोग वूलन बॉल से खेलते हैं। नेट रहता है। इसमें स्ट्रोक हाथ से मारते हैं। कहने का मतलब है जो आइडिया है वह इसी तरह से काम करता है। मुझसे दुनिया भर के बारे में बैडमिंटन से जुड़ी चीजें पूछिए मैं आपको बता दूंगा। मैच के बाद हम दोनों बात करते हैं। सैयद मोदी के पहले दो मैच में सिंधु ने स्लो स्टार्ट किया, मैं बताता हूं। बेटा आपने धीमी शुरुआत की है। या फिर यहां पर तेज खेलना चाहिए था। इन सभी पहलुओं पर बात होती है। सवाल: पेरिस ओलिंपिक में मेडल नहीं मिला, क्या आपको भी ये कमी खलती है? जबाब: हर प्लेयर हर जगह जीत नहीं पाता है। हमारा बैड लक था कि 27 अक्टूबर को पीवी सिंधु को एमसीएल में इंजरी हो गई। वहां पर चार महीना सिंधु ने नहीं खेला। जैसा, कैरिलीना मैरी को नी इंजरी हुई थी। ऐसे में इससे उभरने के लिए 6 महीने का समय चाहिए होता है। नवंबर से मार्च तक सिंधु ने नहीं खेला, तीन महीने में सुधार किया, लेकिन वह रिदम नहीं आया। लेकिन भगवान को जो देना होता है वह देता है। भगवान की दया है कि अब फिटनेस फिर से लौट आई है। इंडिया ओपन, मलेशिया, इंडोनेशिया सहित अन्य टूर्नामेंट के लिए फिलहाल वह तैयारी कर रही है। सवाल: प्राइवेट एकेडमी में बढ़े कंपटीशन को कैसे देखते हैं? जवाब: बच्चे खिलाड़ियों के नाम पर एकेडमी को तरजीह दे रहे। बच्चों को समझना होगा कि वे जहां पर अच्छा कर रहे हैं वहां पर रहें। कोच को चाहिए वह अपने एकेडमी के बच्चों को तरजीह दें, लेकिन अब ऐसा हो रहा है कि कोई बच्चा अच्छा खेलता है, तो उसे खुद के पास बुलाने लगते हैं। सिंधु कहती हैं हैदराबाद में कोच दे दो, मैं यहां पर प्रैक्टिस करूंगी। जूनियर लॉट जो आ रही है उन्हें गुवाहाटी के स्टेडियम में नेशनल कैंप का आयोजन कर भेजना चाहिए। वह वहां पर प्रैक्टिस करें। प्राइवेट एकेडमी में कोच टीए, डीए और पैसे के पीछे भाग रहे हैं। एक एकेडमी का प्येलर दूसरे एकेडमी के प्येलर से दिल से बात नहीं करता। जब प्लेयर बाहर जाते हैं, तो दूसरे प्राइवेट एकेडमी का प्लेयर प्रैक्टिस करने नहीं जाते। कोच उन्हें रोकते हैं। खिलाड़ियों को डराते हैं। चार-पांच खिलाड़ियों के

Dec 1, 2024 - 13:25
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'भारत में बैडमिंटन पर हावी प्राइवेट एकेडमी':पीवी सिंधु के पिता बोले- BAI सिंधु से सुझाव तक नहीं लेती, कोच सिर्फ पैसा कमा रहे
'पीवी सिंधु ने विश्व स्तर पर कई मेडल जीते। उतना अभी तक किसी खिलाड़ी ने नहीं जीता। इतना खेलने के बाद भी बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) सिंधु को किसी सुझाव के लिए नहीं पूछती है। वह मेरी बेटी है, इसलिए नहीं कह रहा। वह बड़ी खिलाड़ी है।' 'उसे खेल और खिलाड़ियों की समस्याओं के बारे में पता है। ऐसे में पीवी सिंधु सहित बड़े खिलाड़ियों से सलाह लेकर खेल को आगे बढ़ाना होगा। खिलाड़ियों को तराशकर सिंधु, लक्ष्य सेन और साइना नेहवाल जैसा बनाने के लिए पूरे सिस्टम में सुधार की जरूरत है।' ये कहना है पीवी सिंधु के पिता पीवी रमन्ना का। दो बार की ओलिंपिक पदक विजेता और वर्ल्ड चैम्पियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट सिंधु लखनऊ में सैयद मोदी इंटरनेशनल चैंपियनशिप खेल रही हैं। उनके साथ पिता पीवी रमन्ना भी लखनऊ में हैं। दैनिक भास्कर ने पीवी रमन्ना से खास बातचीत की। पीवी रमन्ना ने भारत में बैडमिंटन की वर्तमान स्थिति, खिलाड़ियों के संघर्ष, खेल पर हावी प्राइवेट एकेडमी और खिलाड़ी तैयार करने के बजाए पैसा बनाने और सेल्फिश नेचर अपना चुके कोचों पर खुलकर बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू... सवाल: पीवी सिंधु कैसे बड़ी खिलाड़ी बनीं, आपने किन बातों का ध्यान रखा? जवाब: हर खिलाड़ी पहले से बड़ा खिलाड़ी नहीं होता है। इसके पीछे फादर और मदर का सैक्रिफाइस होता है। इसके लिए समय निकालकर बेटी को स्टेडियम तक ले जाना होता है। आज के समय में कोच पूरा समय नहीं दे पाता है। कोच 50 खिलाड़ियों को सिखाता है, लेकिन उसे बच्चों के खेल से समझना होता है, कि कौन अच्छा खेलेगा। माता-पिता को भी 50 लोगों से पता चलना चाहिए कि उनका बच्चा इसमें से कितना अच्छा कर रहा है। इसमें उसका स्टैंडर्ड पता चलना चाहिए। तभी सुधार हो सकता है। सवाल: आप अर्जुन अवार्डी हैं, वॉलीबॉल प्लेयर रहे हैं, सिंधु का बैडमिंटन की तरफ रुझान कैसे हुआ? जवाब: प्लेयर का इंटरेस्ट होना चाहिए। वॉलीबॉल में टीम गेम होता है। कितना अच्छा खेलो, लेकिन आप को काटने का कोई न कोई बहाना होता है, लेकिन इंडिविजुअल गेम में ऐसा नहीं होता है। इसमें आप को अपनी क्षमता दिखनी होती है और आप को आगे बढ़ना होता है। मेरी दोनों बेटियां खेलती थीं, लेकिन सिंधु ज्यादा इंटरेस्ट दिखाती थी। सिंधु आज भी ग्राउंड में बहुत सिंसियर होकर जाती है और प्रैक्टिस करती है। यह मैं, काफी प्लेयर्स में नहीं देखता हूं। इसके कारण हमारा स्टैंडर्ड आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इसके साथ ही प्लेयर्स को मोटिवेट करना होता है। आज के समय में लोग कहते हैं कि हम बैडमिंटन खेल चुके हैं, अब हम कोच बनेंगे। आज के समय में काफी कोच बोलते हैं, मैंने सिंधु, साइना और लक्ष्य को बना दिया लेकिन सिर्फ 5 ही क्यों 50 लेकर आओ न। कोच कहते हैं हमने खिलाड़ी बना दिया। यह बात बोलना बंद करना चाहिए। सवाल: शुरुआती दौर में खिलाड़ियों की तुलना कोच और बड़े खिलाड़ियों से की जाती है? जवाब: आप बड़े खिलाड़ियों से कंपेयर करिए, लेकिन बच्ची या बेटे को ओलिंपिक, एशियन चैंपियनशिप, नेशनल, वर्ल्ड चैंपियनशिप के कुछ फॉर्मेट में उन्हें जीतने दो। फिर उनको कंपेयर करो। उनको इतनी प्रैक्टिस करने दो कि वह सिंधु या साइना बन सकें। सवाल: पैरेंट्स और कोच क्या उपाय करें कि बच्चे लक्ष्य से न भटकें? जवाब: बच्चों को कुछ पता नहीं होता है। हमें उन्हें मोटिवेट करना होता है। स्टेडियम में ले जाने के लिए तो कभी स्ट्रेचिंग करने के लिए। कुछ महीनों तक ऐसा करने पर उनके अंदर भी उत्साह पैदा होगा। पढ़ाई के साथ खेल भी नेगलेक्ट नहीं होगा। सिंधु को देखिए 10वीं, 12वीं, बीकॉम फर्स्ट क्लास है। अब उसने MBA भी कर लिया है। वह पढ़ाई में अच्छी है। खिलाड़ी पढ़ाई में भी अच्छे होते हैं। सवाल: सिंधु खेलते हुए पापा की तरफ जरूर देखती हैं, आप टिप्स देते हैं? जबाब: मैं, पिछले 20 साल से गेम देख रहा हूं। वॉलीबॉल की कोचिंग दे चुका हूं। आंध्र में वॉल बैडमिंटन पांच-पांच लोग वूलन बॉल से खेलते हैं। नेट रहता है। इसमें स्ट्रोक हाथ से मारते हैं। कहने का मतलब है जो आइडिया है वह इसी तरह से काम करता है। मुझसे दुनिया भर के बारे में बैडमिंटन से जुड़ी चीजें पूछिए मैं आपको बता दूंगा। मैच के बाद हम दोनों बात करते हैं। सैयद मोदी के पहले दो मैच में सिंधु ने स्लो स्टार्ट किया, मैं बताता हूं। बेटा आपने धीमी शुरुआत की है। या फिर यहां पर तेज खेलना चाहिए था। इन सभी पहलुओं पर बात होती है। सवाल: पेरिस ओलिंपिक में मेडल नहीं मिला, क्या आपको भी ये कमी खलती है? जबाब: हर प्लेयर हर जगह जीत नहीं पाता है। हमारा बैड लक था कि 27 अक्टूबर को पीवी सिंधु को एमसीएल में इंजरी हो गई। वहां पर चार महीना सिंधु ने नहीं खेला। जैसा, कैरिलीना मैरी को नी इंजरी हुई थी। ऐसे में इससे उभरने के लिए 6 महीने का समय चाहिए होता है। नवंबर से मार्च तक सिंधु ने नहीं खेला, तीन महीने में सुधार किया, लेकिन वह रिदम नहीं आया। लेकिन भगवान को जो देना होता है वह देता है। भगवान की दया है कि अब फिटनेस फिर से लौट आई है। इंडिया ओपन, मलेशिया, इंडोनेशिया सहित अन्य टूर्नामेंट के लिए फिलहाल वह तैयारी कर रही है। सवाल: प्राइवेट एकेडमी में बढ़े कंपटीशन को कैसे देखते हैं? जवाब: बच्चे खिलाड़ियों के नाम पर एकेडमी को तरजीह दे रहे। बच्चों को समझना होगा कि वे जहां पर अच्छा कर रहे हैं वहां पर रहें। कोच को चाहिए वह अपने एकेडमी के बच्चों को तरजीह दें, लेकिन अब ऐसा हो रहा है कि कोई बच्चा अच्छा खेलता है, तो उसे खुद के पास बुलाने लगते हैं। सिंधु कहती हैं हैदराबाद में कोच दे दो, मैं यहां पर प्रैक्टिस करूंगी। जूनियर लॉट जो आ रही है उन्हें गुवाहाटी के स्टेडियम में नेशनल कैंप का आयोजन कर भेजना चाहिए। वह वहां पर प्रैक्टिस करें। प्राइवेट एकेडमी में कोच टीए, डीए और पैसे के पीछे भाग रहे हैं। एक एकेडमी का प्येलर दूसरे एकेडमी के प्येलर से दिल से बात नहीं करता। जब प्लेयर बाहर जाते हैं, तो दूसरे प्राइवेट एकेडमी का प्लेयर प्रैक्टिस करने नहीं जाते। कोच उन्हें रोकते हैं। खिलाड़ियों को डराते हैं। चार-पांच खिलाड़ियों के अलावा अभी बैडमिंटन में नाम नहीं है। हर आदमी सेल्फिश होकर काम करेगा, तो काम नहीं होगा। आज के समय में भारतीय कोच कह रहे हैं कि ये फॉरेन कोच को लेकर आ रहे। हमें भी दे दो, लेकिन न तो ओंलिंपिक में जीते हैं न ही वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीते हैं। पहले खिलाड़ी बनाओ फिर बात करो। सिंधु का कोच ओलिंपिक में दो बार चौथे स्थान पर रहा। एशियन गेम्स में तीन गोल्ड है। इसके अलावा विश्व के बड़े खिलाड़ियों काे हराया है। वर्ल्ड टूर फाइनल्स अगले महीने है कृष्णा और गायत्री सिलेक्ट हुए हैं, लेकिन यह जीतना इतना आसान नहीं है। सवाल: नेक्स्ट ओलिंपिक के लिए खिलाड़ियों के बारे में अच्छा करने का अनुमान लगाया जा रहा? सवाल: नेक्स्ट ओलिंपिक के लिए बोला जा रहा है यह खिलाड़ी जीत जाएगा, वो जीत जाएगा, लेकिन अभी कुछ नहीं कह सकते। कोच ओवरथिंक कर रहे। बैडमिंटन एक दिन में बदलने वाला खेल है। कुछ खिलाड़ी अच्छे हैं जिन्हें बनाया जा सकता है। अभी उन्नति हुड्‌डा, अनमोल खरब, श्रेया, तन्वी पत्री भी अच्छी लड़की हैं। इन खिलाड़ियों को करेक्ट टैकल करने से 4-5 साल में रिजल्ट मिलेगा। इसके लिए 365 दिन ग्राउंड में आना होगा। यही दिमाग में रखना होगा। ------------------- ये भी पढ़ें: पीबी सिंधु को लखनऊ का कबाब बहुत पसंद:बोलीं- पेरिस ओलिंपिक में 100% दिया, गेम अभी बाकी; एथलीट के लिए मजबूती जरूरी रियो ओलंपिक में मेडल जीतने के बाद लाइफ बदल गई है। खुश हूं कि अभी तक इतनी अच्छी यात्रा रही है। अभी कुछ और साल तक देश के लिए अच्छा करने का प्रयास जारी रहेगा। किसी को जल्दी सफलता मिल जाती है। किसी को थोड़े टाइम के बाद, हमें मेहनत करने की जरूरत होती है...(पढ़ें पूरी खबर)

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