मंत्री का मंत्र–पहले छूट दो, फिर पूरा वसूल लो:प्रीपेड मीटर के बिल की आदत डालो; सरकारी कॉलोनी-दफ्तरों से करो शुरुआत तो नहीं होगा विरोध

यूपी में प्री-पेड बिजली मीटर लगाने की शुरुआत सरकारी कॉलोनियों-दफ्तरों से करो। कोई विरोध नहीं करेगा। इसके बाद बड़ी खपत करने वाले कंज्यूमर के यहां जाओ। बाद में कम खपत करने वालों को पकड़ों और उन्हें कुछ छूट दे दो। जब बिल देने की आदत पड़ जाए तो पूरा पैसा ले लो। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर ने ये टिप्स बिजली महकमे के अफसरों को दिए। लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान मनोहर लाल खट्‌टर ने लगभग आधे घंटे स्पीच दी। बिजली विभाग के अफसरों से खचाखच भरे हाल में खूब किस्से-कहानी सुनाए। खट्टर हरियाणा के सीएम रहे हैं, इसलिए उनके ज्यादातर किस्से हरियाणा से जुड़े थे। सबसे महत्वपूर्ण विभाग कौन सा? मनोहर लाल खट्‌टर ने स्पीच शुरू करते ही पहला सवाल पूछा-कौन सा विभाग सबसे महत्वपूर्ण है? फिर खुद ही जवाब दिया कि मुझसे कोई पूछे तो मैं कहूंगा ऊर्जा विभाग। क्यों? क्योंकि मैं उस विभाग का मंत्री हूं। इसी तरह आप सब लोग जो इस विभाग से जुड़े हैं, उन्हें अपना पूरा योगदान देना चाहिए। उन्होंने किस्सा सुनाया। …किसी स्कूल में छात्रों से कहा गया कि जाओ पता करके आओ पास के गांव की सबसे अच्छी गली कौन सी है? गांव का सबसे अच्छा घर कौन सा है? छात्र गांव पहुंचे काफी लोगों से बात कर जानने की कोशिश की, लेकिन सबके उत्तर अलग-अलग थे। छात्रों को पास में ही एक बुजुर्ग मिल गए। बुजुर्ग से छात्र ने सवाल किया- आप तो गांव के सबसे बुजुर्ग हो, वर्षों से इस गांव में रह रहे हो, आप बताओ इस गांव की सबसे अच्छी गली और सबसे अच्छा घर कौन सा है? बुजुर्ग ने कहा- मेरे पीछे आओ। वह एक पतली सी गली में ले गए जिसकी हालत काफी खराब थी, पानी बह रहा था। बुजुर्ग ने उस गली को सबसे अच्छा बताया। उस गली के दूसरे छोर पर स्थित एक घर जो काफी जर्जर था, दरवाजा टूटा हुआ था, उसे गांव का सबसे अच्छा घर बताया। छात्र ने जिज्ञासा से पूछा कि यह घर गांव का सबसे अच्छा घर कैसे है और यह गली कैसे सबसे अच्छी गली है? बुजुर्ग ने जवाब दिया- जो घर देख रहे हो वो मेरा घर है और जिस गली को देख रहे हो, इसी से मैं अपने घर आता-जाता हूं। मतलब साफ है कि ‘हमें अच्छी बातों को लेना है। कहीं से हीन भावना नहीं आनी चाहिए।’ आप कौन होते हैं मना करने वाले, मना करने का अधिकार मेरा है… खट्‌टर ने कहा कि विभाग का सुधार कैसे हो, जनता का फायदा कैसे हो? इसके लिए सब मिलकर विचार करें। मल्टीपल कंपनियां सामूहिकता से नहीं सोचतीं। उनके बीच टकराव हो जाता है। उन्होंने किस्सा सुनाया कि एक गांव में एक महिला अपने पड़ोसी चौधरी साहब के यहां पहुंची और बोली मेरे घर मेहमान आने वाले हैं, मुझे लस्सी चाहिए। चौधरी साहब ने कहा कि लस्सी नहीं है। महिला आगे बढ़ी तो चौधरी की पत्नी खेत से वापस आ रही थी। दोनों ने एक-दूसरे से हालचाल पूछा तो महिला बोली कि मेरे घर मेहमान आ रहे हैं और आपके घर लस्सी मांगने गई थी, चौधरी साहब ने मना कर दिया। चौधरी की पत्नी ने कहा कि वह कैसे मना कर सकते है? वह महिला को लेकर घर आईं और चौधरी साहब से पूछा की पड़ोसन लस्सी मांगने आई थीं? चौधरी ने कहा कि हां आई थीं, मैंने मना कर दिया। चौधरी की पत्नी बोली कि आप मना करने वाले कौन होते हैं? मना करने का अधिकार मेरा है। आपको कहना चाहिए था चौधराइन घर पर नहीं हैं, वह आएं तब आना। मैं आती उसकी पूरी बात सुनती। फिर मैं मना करती कि घर में लस्सी नहीं है। ऊर्जा भगवान की दूत ऊर्जा भगवान की दूत है। इसके पांच तत्व हैं। इसमें भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि और न से नीर। बिजली इन्हीं चीजों से बनती है। बिजली का उपयोग हम मानवता के लिए कर रहे हैं। कई बार यही मानवता के लिए खतरा भी पैदा करती है। मसलन कोयले से प्रदूषण फैलता है। इसके बाद नए-नए अविष्कार होते गए और आवश्यकताएं बदलती गईं, लेकिन ऊर्जा की खपत बढ़ती गई। NTPC मतलब.. नाट टू पे कास्ट खट्‌टर के किस्सों का दौर यहीं नहीं खत्म हुआ। उन्होंने एक और किस्सा सुनाया। गांव में एक पढ़ा-लिखा नौजवान था। पास में ही एनटीपीसी का पावर प्लांट था। नौजवान ने एनटीपीसी का बोर्ड देखा। वापस गांव आया। लोगों को इकट़्ठा किया और बोला सुनो किसी को बिजली का पैसा देने की जरूरत नहीं है। मैंने खुद देखा है, जहां बिजली बनती है वहां लिखा है…एनटीपीसी यानी नॉट टू पे कास्ट…। पानी की सारी ताकत तो खत्म कर देते हैं… ऊर्जा मंत्री ने एक और किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि उनके गांव में एक पुराने नेता थे। वे लोगों से कहते थे कि नहर में सिंचाई के लिए जो पानी आ रहा है वह फुक्का पानी है। फुक्का पानी यानी इसकी ताकत निकाल ली गई है। लोगों ने पूछा कैसे? नेता जी ने कहा कि अरे सरकार इसमें से बिजली निकाल लेती है। इसलिए इस पानी की ताकत खत्म हो जाती है। जैसे अंग्रेजों ने चाय की आदत डाली, वैसे प्री-पेड बिलिंग की आदत डलवाओ मंत्री को बताया गया था कि यूपी में प्री-पेड मीटर का परफार्मेंस अच्छा नहीं है। 1 प्रतिशत भी नहीं हैं। इस पर मंत्री ने मंत्र देते हुए कहा कि कई राज्य कम लोड वाले कंज्यूमर को बिजली बिल पर छूट दे रहे हैं। यह छूट 2 से 3 प्रतिशत तक की है। इसी तरह आप भी छूट दीजिए। जब लोगों को इस बिल की आदत पड़ जाए तो पूरा बिल ले लो। अंग्रेजों ने क्या किया था? पहले चाय की आदत डलवाई। अब लोग 15 रुपए और 20 रुपए देकर भी चाय पी रहे हैं। बिजली सर्विस नहीं उत्पाद मंत्री ने कहा कि बिजली, सरकार की कोई सेवा नहीं, यह उत्पाद है। इसका उत्पादन होता है। इसे खरीदा और बेचा जाता है। यानी यह एक व्यापार है। जब व्यापार है तो सरकार ने कहा कि सरकार व्यापार नहीं करेगी। कंपनियां बना दो वे खरीदें और बेचें। जनरेशन की अलग, डिस्ट्रिब्यूट की अलग। जितनी बिजली पैदा करो उतनी बेचो, पैसा पाओ। समस्या यह है कि समाज का अलग-अलग लेवल है। किसी से कम पैसे लिए जाते हैं, किसी से ज्यादा। आजकल तो फ्री की भी समस्या आ गई है। लोकतंत्र में इसे हथियार बना लिया गया है। खर्च तो सरकार का ही हो रहा है। शोर से बिजली बनाने का प्रस्ताव, लोकसभा में इस्तेमाल का वादा मंत्री ने कहा, मेर

Nov 16, 2024 - 06:20
 0  303.7k
मंत्री का मंत्र–पहले छूट दो, फिर पूरा वसूल लो:प्रीपेड मीटर के बिल की आदत डालो; सरकारी कॉलोनी-दफ्तरों से करो शुरुआत तो नहीं होगा विरोध
यूपी में प्री-पेड बिजली मीटर लगाने की शुरुआत सरकारी कॉलोनियों-दफ्तरों से करो। कोई विरोध नहीं करेगा। इसके बाद बड़ी खपत करने वाले कंज्यूमर के यहां जाओ। बाद में कम खपत करने वालों को पकड़ों और उन्हें कुछ छूट दे दो। जब बिल देने की आदत पड़ जाए तो पूरा पैसा ले लो। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर ने ये टिप्स बिजली महकमे के अफसरों को दिए। लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान मनोहर लाल खट्‌टर ने लगभग आधे घंटे स्पीच दी। बिजली विभाग के अफसरों से खचाखच भरे हाल में खूब किस्से-कहानी सुनाए। खट्टर हरियाणा के सीएम रहे हैं, इसलिए उनके ज्यादातर किस्से हरियाणा से जुड़े थे। सबसे महत्वपूर्ण विभाग कौन सा? मनोहर लाल खट्‌टर ने स्पीच शुरू करते ही पहला सवाल पूछा-कौन सा विभाग सबसे महत्वपूर्ण है? फिर खुद ही जवाब दिया कि मुझसे कोई पूछे तो मैं कहूंगा ऊर्जा विभाग। क्यों? क्योंकि मैं उस विभाग का मंत्री हूं। इसी तरह आप सब लोग जो इस विभाग से जुड़े हैं, उन्हें अपना पूरा योगदान देना चाहिए। उन्होंने किस्सा सुनाया। …किसी स्कूल में छात्रों से कहा गया कि जाओ पता करके आओ पास के गांव की सबसे अच्छी गली कौन सी है? गांव का सबसे अच्छा घर कौन सा है? छात्र गांव पहुंचे काफी लोगों से बात कर जानने की कोशिश की, लेकिन सबके उत्तर अलग-अलग थे। छात्रों को पास में ही एक बुजुर्ग मिल गए। बुजुर्ग से छात्र ने सवाल किया- आप तो गांव के सबसे बुजुर्ग हो, वर्षों से इस गांव में रह रहे हो, आप बताओ इस गांव की सबसे अच्छी गली और सबसे अच्छा घर कौन सा है? बुजुर्ग ने कहा- मेरे पीछे आओ। वह एक पतली सी गली में ले गए जिसकी हालत काफी खराब थी, पानी बह रहा था। बुजुर्ग ने उस गली को सबसे अच्छा बताया। उस गली के दूसरे छोर पर स्थित एक घर जो काफी जर्जर था, दरवाजा टूटा हुआ था, उसे गांव का सबसे अच्छा घर बताया। छात्र ने जिज्ञासा से पूछा कि यह घर गांव का सबसे अच्छा घर कैसे है और यह गली कैसे सबसे अच्छी गली है? बुजुर्ग ने जवाब दिया- जो घर देख रहे हो वो मेरा घर है और जिस गली को देख रहे हो, इसी से मैं अपने घर आता-जाता हूं। मतलब साफ है कि ‘हमें अच्छी बातों को लेना है। कहीं से हीन भावना नहीं आनी चाहिए।’ आप कौन होते हैं मना करने वाले, मना करने का अधिकार मेरा है… खट्‌टर ने कहा कि विभाग का सुधार कैसे हो, जनता का फायदा कैसे हो? इसके लिए सब मिलकर विचार करें। मल्टीपल कंपनियां सामूहिकता से नहीं सोचतीं। उनके बीच टकराव हो जाता है। उन्होंने किस्सा सुनाया कि एक गांव में एक महिला अपने पड़ोसी चौधरी साहब के यहां पहुंची और बोली मेरे घर मेहमान आने वाले हैं, मुझे लस्सी चाहिए। चौधरी साहब ने कहा कि लस्सी नहीं है। महिला आगे बढ़ी तो चौधरी की पत्नी खेत से वापस आ रही थी। दोनों ने एक-दूसरे से हालचाल पूछा तो महिला बोली कि मेरे घर मेहमान आ रहे हैं और आपके घर लस्सी मांगने गई थी, चौधरी साहब ने मना कर दिया। चौधरी की पत्नी ने कहा कि वह कैसे मना कर सकते है? वह महिला को लेकर घर आईं और चौधरी साहब से पूछा की पड़ोसन लस्सी मांगने आई थीं? चौधरी ने कहा कि हां आई थीं, मैंने मना कर दिया। चौधरी की पत्नी बोली कि आप मना करने वाले कौन होते हैं? मना करने का अधिकार मेरा है। आपको कहना चाहिए था चौधराइन घर पर नहीं हैं, वह आएं तब आना। मैं आती उसकी पूरी बात सुनती। फिर मैं मना करती कि घर में लस्सी नहीं है। ऊर्जा भगवान की दूत ऊर्जा भगवान की दूत है। इसके पांच तत्व हैं। इसमें भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि और न से नीर। बिजली इन्हीं चीजों से बनती है। बिजली का उपयोग हम मानवता के लिए कर रहे हैं। कई बार यही मानवता के लिए खतरा भी पैदा करती है। मसलन कोयले से प्रदूषण फैलता है। इसके बाद नए-नए अविष्कार होते गए और आवश्यकताएं बदलती गईं, लेकिन ऊर्जा की खपत बढ़ती गई। NTPC मतलब.. नाट टू पे कास्ट खट्‌टर के किस्सों का दौर यहीं नहीं खत्म हुआ। उन्होंने एक और किस्सा सुनाया। गांव में एक पढ़ा-लिखा नौजवान था। पास में ही एनटीपीसी का पावर प्लांट था। नौजवान ने एनटीपीसी का बोर्ड देखा। वापस गांव आया। लोगों को इकट़्ठा किया और बोला सुनो किसी को बिजली का पैसा देने की जरूरत नहीं है। मैंने खुद देखा है, जहां बिजली बनती है वहां लिखा है…एनटीपीसी यानी नॉट टू पे कास्ट…। पानी की सारी ताकत तो खत्म कर देते हैं… ऊर्जा मंत्री ने एक और किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि उनके गांव में एक पुराने नेता थे। वे लोगों से कहते थे कि नहर में सिंचाई के लिए जो पानी आ रहा है वह फुक्का पानी है। फुक्का पानी यानी इसकी ताकत निकाल ली गई है। लोगों ने पूछा कैसे? नेता जी ने कहा कि अरे सरकार इसमें से बिजली निकाल लेती है। इसलिए इस पानी की ताकत खत्म हो जाती है। जैसे अंग्रेजों ने चाय की आदत डाली, वैसे प्री-पेड बिलिंग की आदत डलवाओ मंत्री को बताया गया था कि यूपी में प्री-पेड मीटर का परफार्मेंस अच्छा नहीं है। 1 प्रतिशत भी नहीं हैं। इस पर मंत्री ने मंत्र देते हुए कहा कि कई राज्य कम लोड वाले कंज्यूमर को बिजली बिल पर छूट दे रहे हैं। यह छूट 2 से 3 प्रतिशत तक की है। इसी तरह आप भी छूट दीजिए। जब लोगों को इस बिल की आदत पड़ जाए तो पूरा बिल ले लो। अंग्रेजों ने क्या किया था? पहले चाय की आदत डलवाई। अब लोग 15 रुपए और 20 रुपए देकर भी चाय पी रहे हैं। बिजली सर्विस नहीं उत्पाद मंत्री ने कहा कि बिजली, सरकार की कोई सेवा नहीं, यह उत्पाद है। इसका उत्पादन होता है। इसे खरीदा और बेचा जाता है। यानी यह एक व्यापार है। जब व्यापार है तो सरकार ने कहा कि सरकार व्यापार नहीं करेगी। कंपनियां बना दो वे खरीदें और बेचें। जनरेशन की अलग, डिस्ट्रिब्यूट की अलग। जितनी बिजली पैदा करो उतनी बेचो, पैसा पाओ। समस्या यह है कि समाज का अलग-अलग लेवल है। किसी से कम पैसे लिए जाते हैं, किसी से ज्यादा। आजकल तो फ्री की भी समस्या आ गई है। लोकतंत्र में इसे हथियार बना लिया गया है। खर्च तो सरकार का ही हो रहा है। शोर से बिजली बनाने का प्रस्ताव, लोकसभा में इस्तेमाल का वादा मंत्री ने कहा, मेरे पास एक सज्जन आए। उन्होंने कहा कि वो शोर से बिजली बनाने पर काम कर रहे हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि अगर ऐसा है तो इसे सबसे पहले लोकसभा में इस्तेमाल करूंगा। वहां सबसे ज्यादा शोर होता है। पहले बिजली के तार पर सुखाए जाते थे कपड़े, बच्चे झूलते थे झूला खट्‌टर के किस्सों के साथ प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने कहा कि भाजपा से पहले बिजली आती थी तब खबर बनती थी। अब जाती है तो खबर बनती है। भाजपा सरकार से पहले बिजली के तार पर महिलाएं कपड़े सुखाया करती थीं और बच्चे झूला झूलते थे। अब अगर बिजली चली जाए तो लोग ट्विटर (एक्स) पर पूछने लगते हैं कि मोबाइल कैसे चार्ज करें? ------------------------- ये भी पढ़ें... कानपुर में बहन के अपहरण में 2 भाई जेल में:17 महीने बाद अचानक लौटी; जिस इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया, उसकी रिपोर्ट सच 17 महीने से लापता महिला तीन बच्चों के साथ भाई दूज पर घर पहुंची, अपने दो भाइयों को टीका लगाने। घर में माता-पिता से सामना हुआ। बेटी को देख उनकी भी आंखें फटी की फटी रह गईं। यकीन नहीं हुआ कि जिस बेटी के अपहरण की साजिश में दो बेटे जेल में हैं, वह जिंदा भी है। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं, कानपुर देहात के एक परिवार की हकीकत है। तीन बच्चों की मां के लापता होने के मामले में एक किरदार पुलिस का भी है। एक पुलिस वह, जिसने जांच कर सही रिपोर्ट दी। लेकिन, उसे झूठा मानकर इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया। पढ़ें पूरी खबर...

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow