मझवां सीट पर दो महिलाओं के बीच विरासत की जंग:सपा का अब तक नहीं खुला खाता, भाजपा अपनी सीट के लिए लड़ रही
मिर्जापुर के मझवां विधानसभा उप चुनाव में कई रोचक तथ्य लोगों के बीच चर्चा का विषय बना है। भाजपा और सपा के बीच चुनावी जंग दो महिलाओं के बीच हो रहा है। भाजपा की शुचिस्मिता और सपा की ज्योति बिंद के बीच विरासत की भी जंग है। शुचिस्मिता ससुर तो ज्योति पिता की विरासत बचाने की जंग लड़ रही हैं। शुचिस्मिता मौर्या के ससुर बने थे विधायक भाजपा एवं सपा के बीच कांटे की टक्कर से जीत का सेहरा भाजपा के सिर सजा तो भाजपा प्रत्याशी शुचिस्मिता का वनवास खत्म होगा। इस सीट पर 1999 में शुचिस्मिता मौर्या के ससुर रामचन्द्र मौर्य विधायक चुने गए थे। उनकी विरासत संभालने के लिए 2017 में भाजपा के बैनर तले शुचिस्मिता मौर्या चुनावी मैदान में उतरी और विजय प्राप्त किया। 2022 में मझवां सीट निषाद पार्टी को चली गई। डॉ. विनोद बिंद विधायक बने। 2024 में उनके भदोही से सांसद बन जाने के कारण सीट खाली हो गई। सपा को अब तक नहीं मिल सकी है जीत समाजवादी पार्टी को मझवां विधानसभा सीट पर अभी तक विजय प्राप्त करने का जनता ने मौका नहीं दिया है। इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए वह प्रयास में लगी है। बहुजन समाज पार्टी से तीन बार विधायक रहे ज्योति मौर्य के पिता रमेश बिंद को चौथी बार भाजपा की शुचिस्मिता मौर्य ने पटखनी देकर 2017 में विजय प्राप्त किया था। 2024 के उप चुनाव में भाजपा की एक बार फिर शुचिस्मिता प्रत्याशी हैं, तो उनके सामने रमेश बिंद की पुत्री ज्योति बिंद पिता की हार का बदला लेने के लिए चुनावी मैदान में है।
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