मणिपुर में कुकी उग्रवादियों-सुरक्षाबलों के बीच एनकाउंटर, 1 जवान घायल:मैतई किसानों पर बम फेंके, फिर BSF से 40 मिनट तक फायरिंग की
मणिपुर के इम्फाल ईस्ट के मैतई बहुल गांव सनासाबी में कुकी उग्रवादियों ने रविवार को हमला किया। पुलिस ने बताया कि हथियारबंद उग्रवादियों ने धान की कटाई कर रहे मैतई किसानों पर पहले फायरिंग की फिर बम फेंके। हमले की सूचना मिलने पर पुलिस और BSF की टीम मौके पर पहुंची, जिसके बाद उग्रवादियों और BSF जवानों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। 40 मिनट तक चली फायरिंग में BSF के चौथे महार रेजिमेंट का एक जवान घायल हो गया। फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। मणिपुर में 8 से 10 नवंबर के बीच 3 दिन 7 हमले हुए हैं। 1 BSF जवान के घायल होने के अलावा इन हमलों में 2 महिलाओं की मौत हुई हैं। उग्रवादियों के फायरिंग में 1 डॉक्टर की भी मौत हुई है। मैतई किसान बोला- बम मेरे बगल में आके गिरा हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक मैतई किसान ने कहा- जब मैं धान के खेत में घास इकट्ठा कर रहा था, तभी मेरे बगल में एक बम गिरा। कुकी उग्रवादियों ने उयोक चिंग मैनिंग (उयोक पहाड़ी) से हमला किया था। बम फेंकने के बाद वे गोलीबारी करने लगे, जिससे मैं डर गया और काम छोड़कर जान बचाने के लिए सुरक्षित जगह जाकर छिप गया। 3 दिन में 7 हमले, 3 मौतें, 1 जवान घायल मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत। स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था। 4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह... मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं। -------------------------------------- मणिपुर हिंसा से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... कुकी संगठन की याचिका- मणिपुर CM ने हिंसा भड़काई, सुप्रीम कोर्ट बोला- लीक ऑडियो में आवाज CM की है या नहीं, जांच करवाएंगे मणिपुर के कुकी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें कुछ ऑडियो क्लीप का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि CM बीरेन सिंह ने मणिपुर में हिंसा भड़काई है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि लीक ऑडियो में आवाज मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की ही है या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए। पूरी खबर पढ़ें...
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