महाकुंभ के लिए 10 अखाड़ों को जमीन आवंटित:मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने संतों की जमीन का कराया सीमांकन, बैरागी अखाड़ों को कल मिलेगी जमीन

महाकुंभ 2025 के लिए अखाड़ों को भूमि आवंटन का कार्य सोमवार से शुरू हो गया है। पहले दिन सन्यासी यानि शैव परंपरा के सात अखाड़ों महानिर्वाणी अखाड़ा, अटाला अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और अग्नि अखाड़ा के साथ ही उदासीन संप्रदाय के तीन अखाड़ों (बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा और निर्मल अखाड़े) को मिलाकर कुल 10 अखाड़ों को त्रिवेणी मार्ग पर जमीन आवंटित कर दी गई है। जमीन आवंटन के मौके पर सभी 10 अखाड़ों के साधु संतों के साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी भी मौजूद रहे। इस मौके पर कुंभ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद ने अखाड़ों के साधु, संतों के साथ जमीन का सीमांकन कराया। इसके बाद परंपरा के मुताबिक चिह्नित जमीन पर खूंटे गाड़े गए। अब अखाड़ों की ओर से होगा भूमि पूजन अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के मुताबिक, जो भूमि जिस अखाड़े को आवंटित की गई है वह अखाड़ा उस भूमि पर अपनी छावनी बनाएगा। इससे बाहर कोई अखाड़ा नहीं जा सकता है। उनके मुताबिक अखाड़े अब भूमि पूजन करेंगे। इसके बाद धर्म ध्वजा और अखाड़ों के इष्ट देव की स्थापना की जाएगी। इसके बाद पूरे कुंभ मेले के दौरान अलग-अलग अखाड़े अपनी छावनी में ही रहेंगे। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के मुताबिक इस बार महाकुंभ होने के चलते मेला प्रशासन ने 10 फीसदी ज्यादा जमीन उपलब्ध कराई है। उन्होंने एक बार फिर कहा है कि महाकुंभ में किसी भी तरह से गैर सनातनियों को खाने-पीने की दुकानें लगाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि गैर सनातनी अगर कुंभ मेला क्षेत्र में दुकान लगाएंगे तो वह लोगों के धर्म को नष्ट करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा है कि अखाड़ा परिषद ने पेशवाई का नाम बदलकर छावनी प्रवेश कर दिया है। जबकि शाही स्नान को अब राजसी स्नान के नाम से जाना जाएगा। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी ने कहा है कि जमीन आवंटन के साथ ही अखाड़ों की तैयारी भी शुरू हो गई है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि महाकुंभ में लोग आस्था और श्रद्धा के साथ आएं। संगम की त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर आध्यात्मिक ऊर्जा बटोर कर यहां से जाएं। उन्होंने कहा है कि निश्चित तौर पर 2025 का महाकुंभ दिव्य और भव्य के साथ ही अद्भुत और अलौकिक होने जा रहा है। वहीं अपर मेला अधिकारी महाकुंभ डा विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक, भूमि आवंटन का कार्य 18 नवंबर से शुरू कर दिया गया है। पहले दिन सात शैव और तीन उदासीन संप्रदाय के अखाड़ों को जमीन आवंटित की गई है। महाकुंभ में 8000 संस्थाओं को बसाने की संभावना उन्होंने कहा है कि मंगलवार 19 अक्टूबर को 3 बैरागी अखाडों को जमीन आवंटित की जाएगी। उन्होंने कहा है कि इसके बाद खाक चौक, दंडी बाड़ा,आचार्य बाड़ा और तीर्थ पुरोहितों को भूमि का आवंटन किया जाएगा। जिसके बाद महाकुंभ में आने वाली दूसरी संस्थाओं को जमीन का आवंटन किया जाएगा। एडीएम महाकुंभ के मुताबिक 2019 के कुंभ में जहां 5000 से ज्यादा संस्थाएं बसाई गई थी। वहीं इस बार की कुंभ में लगभग 8000 संस्थाओं के बसाए जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा है कि जमीन आवंटन के साथ मेले की बसावट का कार्य शुरू हो गया है। एडीएम महाकुंभ के मुताबिक तय समय में महाकुंभ से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी।

Nov 18, 2024 - 21:05
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महाकुंभ के लिए 10 अखाड़ों को जमीन आवंटित:मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने संतों की जमीन का कराया सीमांकन, बैरागी अखाड़ों को कल मिलेगी जमीन
महाकुंभ 2025 के लिए अखाड़ों को भूमि आवंटन का कार्य सोमवार से शुरू हो गया है। पहले दिन सन्यासी यानि शैव परंपरा के सात अखाड़ों महानिर्वाणी अखाड़ा, अटाला अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और अग्नि अखाड़ा के साथ ही उदासीन संप्रदाय के तीन अखाड़ों (बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा और निर्मल अखाड़े) को मिलाकर कुल 10 अखाड़ों को त्रिवेणी मार्ग पर जमीन आवंटित कर दी गई है। जमीन आवंटन के मौके पर सभी 10 अखाड़ों के साधु संतों के साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी भी मौजूद रहे। इस मौके पर कुंभ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद ने अखाड़ों के साधु, संतों के साथ जमीन का सीमांकन कराया। इसके बाद परंपरा के मुताबिक चिह्नित जमीन पर खूंटे गाड़े गए। अब अखाड़ों की ओर से होगा भूमि पूजन अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के मुताबिक, जो भूमि जिस अखाड़े को आवंटित की गई है वह अखाड़ा उस भूमि पर अपनी छावनी बनाएगा। इससे बाहर कोई अखाड़ा नहीं जा सकता है। उनके मुताबिक अखाड़े अब भूमि पूजन करेंगे। इसके बाद धर्म ध्वजा और अखाड़ों के इष्ट देव की स्थापना की जाएगी। इसके बाद पूरे कुंभ मेले के दौरान अलग-अलग अखाड़े अपनी छावनी में ही रहेंगे। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के मुताबिक इस बार महाकुंभ होने के चलते मेला प्रशासन ने 10 फीसदी ज्यादा जमीन उपलब्ध कराई है। उन्होंने एक बार फिर कहा है कि महाकुंभ में किसी भी तरह से गैर सनातनियों को खाने-पीने की दुकानें लगाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि गैर सनातनी अगर कुंभ मेला क्षेत्र में दुकान लगाएंगे तो वह लोगों के धर्म को नष्ट करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा है कि अखाड़ा परिषद ने पेशवाई का नाम बदलकर छावनी प्रवेश कर दिया है। जबकि शाही स्नान को अब राजसी स्नान के नाम से जाना जाएगा। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी ने कहा है कि जमीन आवंटन के साथ ही अखाड़ों की तैयारी भी शुरू हो गई है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि महाकुंभ में लोग आस्था और श्रद्धा के साथ आएं। संगम की त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर आध्यात्मिक ऊर्जा बटोर कर यहां से जाएं। उन्होंने कहा है कि निश्चित तौर पर 2025 का महाकुंभ दिव्य और भव्य के साथ ही अद्भुत और अलौकिक होने जा रहा है। वहीं अपर मेला अधिकारी महाकुंभ डा विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक, भूमि आवंटन का कार्य 18 नवंबर से शुरू कर दिया गया है। पहले दिन सात शैव और तीन उदासीन संप्रदाय के अखाड़ों को जमीन आवंटित की गई है। महाकुंभ में 8000 संस्थाओं को बसाने की संभावना उन्होंने कहा है कि मंगलवार 19 अक्टूबर को 3 बैरागी अखाडों को जमीन आवंटित की जाएगी। उन्होंने कहा है कि इसके बाद खाक चौक, दंडी बाड़ा,आचार्य बाड़ा और तीर्थ पुरोहितों को भूमि का आवंटन किया जाएगा। जिसके बाद महाकुंभ में आने वाली दूसरी संस्थाओं को जमीन का आवंटन किया जाएगा। एडीएम महाकुंभ के मुताबिक 2019 के कुंभ में जहां 5000 से ज्यादा संस्थाएं बसाई गई थी। वहीं इस बार की कुंभ में लगभग 8000 संस्थाओं के बसाए जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा है कि जमीन आवंटन के साथ मेले की बसावट का कार्य शुरू हो गया है। एडीएम महाकुंभ के मुताबिक तय समय में महाकुंभ से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी।

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