मुजफ्फरनगर का रेन बसेरा, अव्यवस्था की भेंट चढ़ा ठिकाना:नगर पालिका का दो मंजिला 50 बेड वाला रेन बसेरा खराब हालत में

मुज़फ़्फ़रनगर का शेल्टर होम, जिसे 'रेन बसेरा' भी कहा जाता है, अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। रेलवे स्टेशन के पास स्थित नगर पालिका का यह दो मंजिला 50 बेड वाला रेन बसेरा एकदम खस्ता हाल हो चुका है। सुविधाओं की कमी हर मंजिल पर 3 हॉल हैं और हर हॉल में 8 बेड की व्यवस्था है। नगर पालिका द्वारा इसे 'आदर्श सेवा समिति' नामक एनजीओ को संचालन हेतु दिया गया है। लेकिन रेन बसेरे की स्थिति देखकर लगता है कि यह एक उपेक्षित ठिकाना बन चुका है। दीवारों में सीलन और पपड़ी उतर रही है। छत से पानी टपक रहा है और बाथरूम सड़े पड़े हैं। यह हालत आज की नहीं है, बल्कि पिछले दो-तीन साल से यही स्थिति है। हॉल के अंदर पड़े बिस्तरों की हालत बेहद खराब है। गड्ढे फटे पड़े हैं और चूहे वहां घूम रहे हैं। कंबल भी खराब हो चुके हैं। यह हालत आज की नहीं है, बल्कि पिछले दो-तीन साल से यही स्थिति है। कंबलों की कमी केयर टेकर योगेंद्र शर्मा बताते हैं कि रेन बसेरा को 50 कंबल की जरूरत होती है, लेकिन हर साल सर्दी के मौसम में केवल 30-35 कंबल ही उपलब्ध कराए जाते हैं। इससे राहगीरों को ठंड में काफी परेशानी होती है। भुगतान की समस्या साल 2019 से 2024 तक, इस रेन बसेरे को 'आदर्श सेवा समिति' एनजीओ को संचालन हेतु दिया गया था। लेकिन समय पर भुगतान न होने की वजह से इस संस्था ने इसे छोड़ दिया था। हालांकि, कुछ शर्तों के बाद नगर पालिका बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद फिर से इसी एनजीओ को जिम्मेदारी दी गई। पहले यह 5 साल के लिए था, लेकिन इस बार हर साल भुगतान और अन्य अव्यवस्थाओं के आधार पर इसका संचालन जारी रखने का निर्णय एनजीओ खुद करेगी। बिजली बिल की समस्या इस सेल्टर होम का बिजली बिल भी पिछले कई साल से रुका हुआ था, जो साढ़े 3 लाख रुपये तक पहुंच गया था। नगर पालिका से भुगतान होने पर एनजीओ ने करीब ढाई लाख रुपये का बिल चुकाया, लेकिन अभी भी करीब एक लाख रुपये बकाया है।

Nov 30, 2024 - 07:40
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मुजफ्फरनगर का रेन बसेरा, अव्यवस्था की भेंट चढ़ा ठिकाना:नगर पालिका का दो मंजिला 50 बेड वाला रेन बसेरा खराब हालत में
मुज़फ़्फ़रनगर का शेल्टर होम, जिसे 'रेन बसेरा' भी कहा जाता है, अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। रेलवे स्टेशन के पास स्थित नगर पालिका का यह दो मंजिला 50 बेड वाला रेन बसेरा एकदम खस्ता हाल हो चुका है। सुविधाओं की कमी हर मंजिल पर 3 हॉल हैं और हर हॉल में 8 बेड की व्यवस्था है। नगर पालिका द्वारा इसे 'आदर्श सेवा समिति' नामक एनजीओ को संचालन हेतु दिया गया है। लेकिन रेन बसेरे की स्थिति देखकर लगता है कि यह एक उपेक्षित ठिकाना बन चुका है। दीवारों में सीलन और पपड़ी उतर रही है। छत से पानी टपक रहा है और बाथरूम सड़े पड़े हैं। यह हालत आज की नहीं है, बल्कि पिछले दो-तीन साल से यही स्थिति है। हॉल के अंदर पड़े बिस्तरों की हालत बेहद खराब है। गड्ढे फटे पड़े हैं और चूहे वहां घूम रहे हैं। कंबल भी खराब हो चुके हैं। यह हालत आज की नहीं है, बल्कि पिछले दो-तीन साल से यही स्थिति है। कंबलों की कमी केयर टेकर योगेंद्र शर्मा बताते हैं कि रेन बसेरा को 50 कंबल की जरूरत होती है, लेकिन हर साल सर्दी के मौसम में केवल 30-35 कंबल ही उपलब्ध कराए जाते हैं। इससे राहगीरों को ठंड में काफी परेशानी होती है। भुगतान की समस्या साल 2019 से 2024 तक, इस रेन बसेरे को 'आदर्श सेवा समिति' एनजीओ को संचालन हेतु दिया गया था। लेकिन समय पर भुगतान न होने की वजह से इस संस्था ने इसे छोड़ दिया था। हालांकि, कुछ शर्तों के बाद नगर पालिका बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद फिर से इसी एनजीओ को जिम्मेदारी दी गई। पहले यह 5 साल के लिए था, लेकिन इस बार हर साल भुगतान और अन्य अव्यवस्थाओं के आधार पर इसका संचालन जारी रखने का निर्णय एनजीओ खुद करेगी। बिजली बिल की समस्या इस सेल्टर होम का बिजली बिल भी पिछले कई साल से रुका हुआ था, जो साढ़े 3 लाख रुपये तक पहुंच गया था। नगर पालिका से भुगतान होने पर एनजीओ ने करीब ढाई लाख रुपये का बिल चुकाया, लेकिन अभी भी करीब एक लाख रुपये बकाया है।

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