यूपी उपचुनाव...6 सीटों पर NDA मजबूत:फूफा पर भारी पड़ रहे तेज प्रताप, इरफान और बर्क की सीट पर टफ फाइट
यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग है। आज (सोमवार) शाम 5 बजे प्रचार थम जाएगा। सीएम योगी और अखिलेश यादव ने सभी सीटों पर 2-2 बार जनसभा और रोड शो कर पार्टी कैंडिडेट के लिए वोट मांगे। सभी 9 सीटों पर हर दिन तस्वीर बदलती दिखाई दी। मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है। भाजपा ने दोगुनी ताकत से सभी सीटों पर कैंपेनिंग की। सपा अपना मोमेंटम बनाए रखने की पूरी कोशिश में है। अखिलेश ने सभी सभाओं में PDA का नारा दिया। जिन सीटों पर सपा का कब्जा था, भाजपा ने पुराने आंकड़ों और जातीय समीकरणों को बैठाया। दरअसल, इस उपचुनाव को 2027 विधानसभा चुनाव का टेस्ट माना जा रहा है। इसीलिए लोकसभा के रिजल्ट के बाद भाजपा रिकवरी मोड पर दिखी। बसपा पहली बार उपचुनाव लड़ रही है। चुनावी मैदान में असदुद्दीन ओवैसी और चंद्रशेखर की पार्टी के प्रत्याशी भी हैं। पोलिंग के दो दिन पहले 9 में 6 सीटों पर NDA यानी भाजपा और रालोद मजबूत दिख रहे हैं। एक सीट पर सपा का पलड़ा भारी है। दो सीटों पर टफ फाइट है। बसपा एक सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। हवा का रुख समझने के लिए दैनिक भास्कर ने इन विधानसभा सीटों के अलग-अलग इलाकों में आम लोगों और एक्सपर्ट्स से बात की। पहले जानते हैं उपचुनाव क्यों हो रहे, पहले सीट किसके पास थी?
जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें से 4 सीटें, करहल, सीसामऊ, कटेहरी और कुंदरकी सपा के पास थीं। 5 पर NDA ने जीत दर्ज की थी। इनमें अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद और फूलपुर सीट भाजपा जीती थी। मझवां निषाद पार्टी और मीरापुर रालोद ने जीती थी। अब सबसे पहले बात 3 हॉट सीटों की... 1. मैनपुरी की करहल सीट : तेज प्रताप VS अनुजेश यादव...सपा मजबूत मैनपुरी की करहल सीट पर 2022 में अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी। इसको सपा अपना गढ़ मानती है। कन्नौज से सांसद बनने के बाद अखिलेश ने यहां से विधायकी का इस्तीफा दे दिया। यही वजह है कि अब यहां उपचुनाव होने हैं। पहले यहां एकतरफा मुकाबला था। लेकिन, भाजपा ने धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश यादव को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया। यहां 7 प्रत्याशियों के लिए वोटिंग होगी। तमाम जातीय और राजनीतिक समीकरणों पर नजर डालें, तो मौजूदा समय में फूफा अनुजेश यादव से भतीजे तेज प्रताप यादव मजबूत दिख रहे हैं। मुकाबला 60-40 पर आकर टिका है। क्या बोले करहल के वोटर
वोटिंग के दो दिन पहले हम करहल के अलग-अलग इलाकों में गए। हमने लोगों से बात की। करहल बाजार में हमें शिव कुमार मिले। वह कहते हैं- यहां सपा के पक्ष में माहौल है। तेज प्रताप यादव चुनाव जीत रहे हैं। इस क्षेत्र में सपा ने जो विकास कार्य कराए, वो कोई और नहीं करा सकता। चाहे सरकार में हो या नहीं। इसी तरह 60 फीसदी लोग सपा के पक्ष में दिखाई दिए। 40 फीसदी लोगों ने भाजपा और बसपा के पक्ष में बात की। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- मुकाबला रोमांचक होगा करहल की राजनीति को करीब से समझने वाले सीनियर जर्नलिस्ट हिमांशु त्रिपाठी कहते हैं- करहल में भाजपा और सपा में फाइट है। 22 साल पहले भी भाजपा यादव कैंडिडेट के सहारे चुनाव जीती थी। इस बार भी भाजपा इसी रणनीति से मैदान में है। हालांकि, सपा यहां पर मजबूत रही है। मुलायम सिंह, अखिलेश यादव समेत सैफई परिवार का लोगों से जुड़ाव है। ऐसे में सपा को इसका फायदा मिल रहा है। 2. कानपुर की सीसामऊ सीट : नसीम सोलंकी VS सुरेश अवस्थी, 50-50 पर मुकाबला कानपुर की सीसामऊ सीट इरफान सोलंकी को सजा मिलने के बाद खाली हुई। सपा ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को मैदान में उतारा है। भाजपा ने 2017 का समीकरण और जीत-हार के कम मार्जिन को देखते हुए सुरेश अवस्थी को टिकट दिया। दरअसल, 7 साल पहले सुरेश अवस्थी जीत के बेहद करीब आकर चुनाव हार गए थे। सीसामऊ में 5 प्रत्याशियों के लिए वोटिंग होगी। सोलंकी परिवार का इस सीट पर 22 साल से कब्जा है। सपा इसे अपनी सेफ सीट मानती है। नसीम सोलंकी पहली बार चुनावी मैदान में हैं। वह संवेदनाओं के सहारे वोट मांगते दिखाई दीं। वहीं, भाजपा ने यहां चार-चार प्रभारी मंत्री उतारे। यहां मेन फाइट भाजपा और सपा के बीच है। मुकाबला 50-50 पर आकर टिका है। क्या बोले वोटर
सीसामऊ सीट मुस्लिम बहुल है। यहां हम अलग-अलग एरिया में गए। मुस्लिम इलाकों में लोग सपा के पक्ष में दिखे। वहीं हिंदू आबादी वाले इलाकों में भाजपा-सपा की चर्चा है। चमनगंज में हमारी मुलाकात अब्दुल गफ्फार से हुई। वह बोले- यहां अभी कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। कहते हैं- यह इलेक्शन है, यहां अब किस्मत की बात है कि कौन जीतता है। वैसे भी उपचुनाव सरकार का होता है। बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे का शोर है। लेकिन, इरफान सोलंकी ने काम करवाए थे। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- भाजपा सिर्फ हिंदू वोटर के सहारे अखिलेश यादव की रैली में कुर्सियों का खाली होना, योगी के रोड शो में जबरदस्त भीड़ की चर्चा अब ज्यादा है। सीसामऊ की राजनीति को करीब से जानने वाले सीनियर जर्नलिस्ट महेश शर्मा ने कहा- मुस्लिम वोट कहीं भी सपा से नहीं कट रहा। न ही हिंदू वोटर में इसका प्रभाव दिख रहा। यहां 45% मुस्लिम वोटर हैं। भाजपा बचे हुए 55% हिंदू वोटर के सहारे चुनाव लड़ रही है। अगर मुस्लिम वोट टर्नआउट होता है, तो भाजपा को यहां मुश्किल होगी। 3. मुरादाबाद की कुंदरकी सीट : बर्क के गढ़ में कांटे का मुकाबला कुंदरकी सीट पर 3 दशक से तुर्क नेताओं का कब्जा रहा है। सपा के अलावा बसपा और AIMIM ने यहां तुर्क कैंडिडेट उतारे हैं। तमाम सियासी समीकरण 2 दिन पहले तक भाजपा को मजबूत बता रहे थे। लेकिन, अब मुकाबला 50-50 पर आकर टिक गया है। 60% मुस्लिम वोटर वाली इस सीट पर 12 प्रत्याशियों के लिए वोटिंग होगी। भाजपा ने ठाकुर रामवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने 3 बार विधायक रहे चुके हाजी रिजवान पर भरोसा जताया है। रामवीर सिंह पहली जीत की तलाश में हैं, वहीं हाजी रिजवान चौथी बार। सपा ने यहां भाजपा पर माइक्रो मैनेजमेंट का आरोप लगाया है। क्या बोले वोटर...
कुंदरकी में हिंदू बहुल इलाकों में हवा भाजपा के पक्
यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग है। आज (सोमवार) शाम 5 बजे प्रचार थम जाएगा। सीएम योगी और अखिलेश यादव ने सभी सीटों पर 2-2 बार जनसभा और रोड शो कर पार्टी कैंडिडेट के लिए वोट मांगे। सभी 9 सीटों पर हर दिन तस्वीर बदलती दिखाई दी। मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है। भाजपा ने दोगुनी ताकत से सभी सीटों पर कैंपेनिंग की। सपा अपना मोमेंटम बनाए रखने की पूरी कोशिश में है। अखिलेश ने सभी सभाओं में PDA का नारा दिया। जिन सीटों पर सपा का कब्जा था, भाजपा ने पुराने आंकड़ों और जातीय समीकरणों को बैठाया। दरअसल, इस उपचुनाव को 2027 विधानसभा चुनाव का टेस्ट माना जा रहा है। इसीलिए लोकसभा के रिजल्ट के बाद भाजपा रिकवरी मोड पर दिखी। बसपा पहली बार उपचुनाव लड़ रही है। चुनावी मैदान में असदुद्दीन ओवैसी और चंद्रशेखर की पार्टी के प्रत्याशी भी हैं। पोलिंग के दो दिन पहले 9 में 6 सीटों पर NDA यानी भाजपा और रालोद मजबूत दिख रहे हैं। एक सीट पर सपा का पलड़ा भारी है। दो सीटों पर टफ फाइट है। बसपा एक सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। हवा का रुख समझने के लिए दैनिक भास्कर ने इन विधानसभा सीटों के अलग-अलग इलाकों में आम लोगों और एक्सपर्ट्स से बात की। पहले जानते हैं उपचुनाव क्यों हो रहे, पहले सीट किसके पास थी?
जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें से 4 सीटें, करहल, सीसामऊ, कटेहरी और कुंदरकी सपा के पास थीं। 5 पर NDA ने जीत दर्ज की थी। इनमें अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद और फूलपुर सीट भाजपा जीती थी। मझवां निषाद पार्टी और मीरापुर रालोद ने जीती थी। अब सबसे पहले बात 3 हॉट सीटों की... 1. मैनपुरी की करहल सीट : तेज प्रताप VS अनुजेश यादव...सपा मजबूत मैनपुरी की करहल सीट पर 2022 में अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी। इसको सपा अपना गढ़ मानती है। कन्नौज से सांसद बनने के बाद अखिलेश ने यहां से विधायकी का इस्तीफा दे दिया। यही वजह है कि अब यहां उपचुनाव होने हैं। पहले यहां एकतरफा मुकाबला था। लेकिन, भाजपा ने धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश यादव को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया। यहां 7 प्रत्याशियों के लिए वोटिंग होगी। तमाम जातीय और राजनीतिक समीकरणों पर नजर डालें, तो मौजूदा समय में फूफा अनुजेश यादव से भतीजे तेज प्रताप यादव मजबूत दिख रहे हैं। मुकाबला 60-40 पर आकर टिका है। क्या बोले करहल के वोटर
वोटिंग के दो दिन पहले हम करहल के अलग-अलग इलाकों में गए। हमने लोगों से बात की। करहल बाजार में हमें शिव कुमार मिले। वह कहते हैं- यहां सपा के पक्ष में माहौल है। तेज प्रताप यादव चुनाव जीत रहे हैं। इस क्षेत्र में सपा ने जो विकास कार्य कराए, वो कोई और नहीं करा सकता। चाहे सरकार में हो या नहीं। इसी तरह 60 फीसदी लोग सपा के पक्ष में दिखाई दिए। 40 फीसदी लोगों ने भाजपा और बसपा के पक्ष में बात की। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- मुकाबला रोमांचक होगा करहल की राजनीति को करीब से समझने वाले सीनियर जर्नलिस्ट हिमांशु त्रिपाठी कहते हैं- करहल में भाजपा और सपा में फाइट है। 22 साल पहले भी भाजपा यादव कैंडिडेट के सहारे चुनाव जीती थी। इस बार भी भाजपा इसी रणनीति से मैदान में है। हालांकि, सपा यहां पर मजबूत रही है। मुलायम सिंह, अखिलेश यादव समेत सैफई परिवार का लोगों से जुड़ाव है। ऐसे में सपा को इसका फायदा मिल रहा है। 2. कानपुर की सीसामऊ सीट : नसीम सोलंकी VS सुरेश अवस्थी, 50-50 पर मुकाबला कानपुर की सीसामऊ सीट इरफान सोलंकी को सजा मिलने के बाद खाली हुई। सपा ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को मैदान में उतारा है। भाजपा ने 2017 का समीकरण और जीत-हार के कम मार्जिन को देखते हुए सुरेश अवस्थी को टिकट दिया। दरअसल, 7 साल पहले सुरेश अवस्थी जीत के बेहद करीब आकर चुनाव हार गए थे। सीसामऊ में 5 प्रत्याशियों के लिए वोटिंग होगी। सोलंकी परिवार का इस सीट पर 22 साल से कब्जा है। सपा इसे अपनी सेफ सीट मानती है। नसीम सोलंकी पहली बार चुनावी मैदान में हैं। वह संवेदनाओं के सहारे वोट मांगते दिखाई दीं। वहीं, भाजपा ने यहां चार-चार प्रभारी मंत्री उतारे। यहां मेन फाइट भाजपा और सपा के बीच है। मुकाबला 50-50 पर आकर टिका है। क्या बोले वोटर
सीसामऊ सीट मुस्लिम बहुल है। यहां हम अलग-अलग एरिया में गए। मुस्लिम इलाकों में लोग सपा के पक्ष में दिखे। वहीं हिंदू आबादी वाले इलाकों में भाजपा-सपा की चर्चा है। चमनगंज में हमारी मुलाकात अब्दुल गफ्फार से हुई। वह बोले- यहां अभी कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। कहते हैं- यह इलेक्शन है, यहां अब किस्मत की बात है कि कौन जीतता है। वैसे भी उपचुनाव सरकार का होता है। बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे का शोर है। लेकिन, इरफान सोलंकी ने काम करवाए थे। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- भाजपा सिर्फ हिंदू वोटर के सहारे अखिलेश यादव की रैली में कुर्सियों का खाली होना, योगी के रोड शो में जबरदस्त भीड़ की चर्चा अब ज्यादा है। सीसामऊ की राजनीति को करीब से जानने वाले सीनियर जर्नलिस्ट महेश शर्मा ने कहा- मुस्लिम वोट कहीं भी सपा से नहीं कट रहा। न ही हिंदू वोटर में इसका प्रभाव दिख रहा। यहां 45% मुस्लिम वोटर हैं। भाजपा बचे हुए 55% हिंदू वोटर के सहारे चुनाव लड़ रही है। अगर मुस्लिम वोट टर्नआउट होता है, तो भाजपा को यहां मुश्किल होगी। 3. मुरादाबाद की कुंदरकी सीट : बर्क के गढ़ में कांटे का मुकाबला कुंदरकी सीट पर 3 दशक से तुर्क नेताओं का कब्जा रहा है। सपा के अलावा बसपा और AIMIM ने यहां तुर्क कैंडिडेट उतारे हैं। तमाम सियासी समीकरण 2 दिन पहले तक भाजपा को मजबूत बता रहे थे। लेकिन, अब मुकाबला 50-50 पर आकर टिक गया है। 60% मुस्लिम वोटर वाली इस सीट पर 12 प्रत्याशियों के लिए वोटिंग होगी। भाजपा ने ठाकुर रामवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने 3 बार विधायक रहे चुके हाजी रिजवान पर भरोसा जताया है। रामवीर सिंह पहली जीत की तलाश में हैं, वहीं हाजी रिजवान चौथी बार। सपा ने यहां भाजपा पर माइक्रो मैनेजमेंट का आरोप लगाया है। क्या बोले वोटर...
कुंदरकी में हिंदू बहुल इलाकों में हवा भाजपा के पक्ष में है, जबकि मुस्लिम बहुल इलाकों मे भाजपा और सपा दोनों की चर्चा है। लालपुर गांव के किसान रौनक अली कहते हैं- मुस्लिम वोटर के बगैर भाजपा नहीं जीत सकती। बाकी, रिजल्ट में पता चलेगा कि कौन चुनाव जीतेगा? अभी तो मुकाबला कांटे का हो गया है। ऐसा सिर्फ रौनक अली नहीं, कई लोग कह रहे हैं। इलाके में रामपुर मॉडल की चर्चा भी जोरों से है। लोगों का मानना है कि मेन फाइट भाजपा और सपा के बीच है। हालांकि, अन्य मुस्लिम कैंडिडेट सपा का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- एकतरफा कोई नहीं जीत रहा कुंदरकी की राजनीति को करीब से जनाने वाले सीनियर जर्नलिस्ट सुनील सिंह ने कहा- कुंदरकी में अब टफ फाइट के आसार नजर आ रहे हैं। पहले रामवीर सिंह मजबूत नजर आ रहे थे। लेकिन, अखिलेश की जनसभा के बाद और भाजपा पर लगाए गए आरोपों के बाद स्थिति बदली है। मुस्लिम वोटर का मिजाज चुनाव के अंतिम दिन तक बदल सकता है। यही इस सीट पर निर्णायक भी हैं। अब बात अन्य सीटों की.... 4. अंबेडकर नगर की कटेहरी : भाजपा मजबूत 2022 चुनाव में कटेहरी सीट पर सपा ने जीत दर्ज की थी। लालजी वर्मा ने अंबेडकर नगर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की और सांसद बन गए। लोकसभा चुनाव में लालजी वर्मा ने अपनी विधानसभा कटेहरी में रिकॉर्ड वोट हासिल किए थे। उन्हें भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय से 17 हजार ज्यादा वोट मिले थे। अब यहां उपचुनाव होने हैं। सपा ने उनकी पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया। भाजपा की तरफ से धर्मराज निषाद मैदान में हैं। इस सीट की जिम्मेदारी खुद सीएम योगी ने ली। वह यहां 4 बार प्रचार करने पहुंचे। पहले सीट पर सवर्णों में नाराजगी थी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। तमाम जातीय और सियासी समीकरण को देखा जाए, तो मौजूदा समय में कटेहरी में भाजपा मजबूत दिखाई दे रही है। दूसरी तरफ मैदान में बसपा से अमित वर्मा चुनावी मैदान में हैं, जो सपा का समीकरण बिगाड़ते दिख रहे हैं। भाजपा ने परिवारवाद का आरोप लगाते हुए सपा में टिकट की रेस के लिए दौड़े नेताओं के जख्म पर नमक छिड़का है। मुकाबले में भाजपा-सपा 60-40 पर दिख रहे हैं। क्या कहते हैं वोटर
महरुआ चौराहा में हमने दुकान पर चाय पी रहे किसान उदय प्रताप सिंह से बात की। वह कहते हैं- यहां भाजपा का माहौल अच्छा है। लालजी वर्मा ने यहां से जितने चुनाव लड़े, सब जीते। लेकिन, अब जनता चाहती है कि इस बार भाजपा जीते। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- उपचुनाव सरकार का होता है
कटेहरी की राजनीति को लंबे वक्त से देख रहे अमित कुमार सिंह कहते हैं- पिछले दो चुनाव को हमने देखा, जिसमें समीकरण ऐसा बना कि भाजपा जीत नहीं सकी। यह सीट बसपा-सपा की मानी जाती रही है। लेकिन, अबकी चुनाव अलग है। यहां सीधी लड़ाई सपा-भाजपा में है। शुरुआत में सवर्ण वोटर्स धर्मराज निषाद से नाराज थे, लेकिन अब धीरे-धीरे वह उनके साथ आ रहे हैं। सवर्ण भाजपा का वोट माना जाता है, इसलिए अगर वह भाजपा के साथ जाता है, तो जीत तय है। बाकी उपचुनाव सरकार का होता है, यह भी एक फैक्ट है। 5. प्रयागराज की फूलपुर सीट : भाजपा मजबूत फूलपुर में सपा की तरफ से मुस्लिम कैंडिडेट मुस्तफा सिद्दीकी चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने भाजपा ने पूर्व सांसद केशरी देवी पटेल के बेटे दीपक पटेल को उतारा है। बसपा ने जीतेंद्र कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। हर दिन यहां चुनावी सीन बदल रहा है। 12 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मेन फाइट भाजपा और सपा में है। सीएम योगी की रैली के बाद यहां माहौल बदला। अखिलेश यादव ने अपनी जनसभा में PDA फॉर्मूले को धार देने की कोशिश की। भाजपा ने यहां डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को जिम्मेदारी दी। यह उनका होम टाउन है। मौजूदा स्थिति में यहां भाजपा मजबूत स्थिति में है। लोकसभा चुनाव में सपा के अमरनाथ मौर्य को फूलपुर से रिकॉर्ड वोट मिले। वह भाजपा के प्रवीण पटेल से 17 हजार वोटों से आगे थे। क्या बोले वोटर...
फूलपुर में छुट्टा पशु बड़ी समस्या है। लेकिन, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आया, यह मुद्दा दूर होता गया। हम फूलपुर विधानसभा सीट के अलग-अलग 20 गांवों और मार्केट में गए। सबसे पहले फाफामऊ होते सिकंदरा के आगे सिलोखरा तिराहे पर पहुंचे। यहां राजाराम की चाय की दुकान पर चुनावी चर्चा चल रही थी। हमारी मुलाकात लाल बहादुर सिंह से हुई। वह जनरल कम्युनिटी से आते हैं। तिराहे के पास ही रहते हैं। लाल बहादुर ने कहा- यहां विकास हो रहा है। सरकार अच्छा काम कर रही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- उपचुनाव सरकार का होता है फूलपुर की राजनीति को करीब से जानने वाले सीनियर जर्नलिस्ट पवन द्विवेदी मानते हैं कि उपचुनाव में भाजपा को सपा से कड़ी चुनौती मिलने वाली है। मेन फाइट भी इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच है। मुकाबला कांटे का होगा। सपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है, क्योंकि कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में उसे यहां से रिकॉर्ड वोट मिले। 6. मिर्जापुर की मझवां सीट : भाजपा मजबूत मझवां में भाजपा और सपा दोनों ने महिला कैंडिडेट उतारे। भाजपा से सुचिस्मिता मौर्य लड़ रही हैं। वह पूर्व विधायक रामचंद्र मौर्य की बहू हैं। सपा से डॉ. ज्योति बिंद चुनावी मैदान में हैं। वह पूर्व विधायक डॉ. रमेश बिंद की बेटी हैं। बसपा ने यहां जातीय समीकरण साधते हुए ब्राह्मण चेहरे दीपक तिवारी उर्फ दीपू पर भरोसा जताया है। तमाम जातीय और सियासी समीकरण साधते हुए भाजपा अभी मजबूत स्थिति में है। अगर बसपा का BDM (ब्राह्मण-दलित-मुस्लिम) समीकरण ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ता और सपा का PDA काम कर जाता है, तो यहां सपा मजबूत होगी। बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। क्या बोले वोटर
मझवां में हम अलग-अलग इलाकों में गए। करीब 150 लोगों से मिले। इस दौरान 55 फीसदी लोगों ने भाजपा के पक्ष में बात की। वहीं लोगों ने सपा और बसपा के पक्ष में भी बात की। राजकुमार विश्वकर्मा मझवां की सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई बता रहे हैं। उन्होंने कहा- भाजपा के पक्ष में हवा बह रही है। वोट का आधार उनके पक्ष में दिखाई दे रहा। सीएम योगी के नारे का बोलबाला भी दिख रहा है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- चुनाव रोचक होगा इलाके की राजनीति को करीब से समझने वाले प्रोफेसर मारकण्डेय सिंह ने बताया- मझवां में भाजपा की स्थिति मजबूत है। अधिकतर मतदाताओं का रुझान है कि सरकार योगी की है। उनकी पार्टी का प्रत्याशी जीतेगा, तो विकास होगा। सभी मिलकर उन्हीं से उम्मीद रखे हैं। सपा और बसपा का प्रयास जारी है, चुनाव रोचक होगा। 7. अलीगढ़ की खैर सीट: भाजपा मजबूत जाट लैंड कही जाने वाली खैर सीट पर 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। यहां भाजपा ने पूर्व सांसद राजवीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने बसपा और कांग्रेस में रह चुकीं डॉक्टर चारू कैन को टिकट दिया है। बसपा से पहल सिंह और आजाद समाज पार्टी से नितिन कुमार चोटेल मैदान में हैं। सपा अपने 32 साल के इतिहास में यहां कभी भी फाइट में नहीं रही। लेकिन, इस बार यहां जो समीकरण बन रहे हैं, उससे यह साफ है कि लड़ाई भाजपा और सपा के बीच है। मौजूदा स्थिति में भाजपा मजबूत है। क्या बोले वोटर...
खैर सीट पर हम अलग-अलग इलाकों में गए। यहां गौमत चौराहा पर हमारी मुलाकात किसान हरपाल सिंह से हुई। वह कहते हैं- पहले की सरकारों में गुंडा राज था। गुंडे-माफिया आम जनता को परेशान करते थे। लेकिन, भाजपा में गुंडे-माफिया बुलडोजर से घबरा रहे हैं। खत्म हो गए हैं। हवा तो अभी भाजपा की है, भाजपा ही जीत रही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- सुरक्षित सीट पर भाजपा हमेशा लीड करती है खैर की राजनीति को समझने के लिए हमने सीनियर जर्नलिस्ट और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मीडिया एडवाइजर जीशान अहमद से मुलाकात की। जीशान कहते हैं- आरक्षित सीटों पर भाजपा हमेशा ही फायदे में रही है। खैर सीट आरक्षित है और यहां भी निश्चित तौर पर भाजपा को फायदा मिलने वाला है। 8. गाजियाबाद की सदर सीट : भाजपा मजबूत सदर सीट पर भाजपा से संजीव शर्मा चुनावी मैदान में हैं। सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव लाइन पार के ही हैं। बसपा ने परमानंद गर्ग को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर सीएम योगी, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर चुनावी सभा कर चुके हैं। बसपा की ओर से अब तक यहां बड़ा चेहरा नहीं पहुंचा है। यहां मौजूदा समीकरण भाजपा के पक्ष में हैं। 2022 चुनाव में भाजपा को 61.37% वोट मिले, जबकि सपा को 18.25% वोट ही मिले। इस बार सपा-कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में हैं। अगर 2022 के इलेक्शन में दोनों पार्टी को मिले कुल वोट जोड़े जाएं, तब भी वह 23.06% बैठते हैं, जो भाजपा को मिले वोटों से 38.31% कम हैं। भाजपा यहां जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पूरा दम लगा रही है। क्या कहते हैं वोटर...
गाजियाबाद सदर में हमने अलग-अलग इलाकों में लोगों से बात की। इस दौरान हमारी मुलाकात बैग का कारोबार करने वाले प्रशांत गुप्ता से बात हुई। वह कहते हैं- गाजियाबाद का चुनावी माहौल भाजपा के पक्ष में है। यहां डेवलपमेंट न होने जैसी कोई बात नहीं है। खूब विकास कराया गया है। क्या महंगाई और बेरोजगारी चुनाव में मुद्दा हैं? इस सवाल के जवाब में प्रशांत कहते हैं- महंगाई तो अमेरिका में भी है। लेकिन सुरक्षा सबसे बड़ी चीज है, जिसे आप कंपेयर नहीं कर सकते। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- भाजपा की सीट थी, इसलिए उसका पलड़ा भारी वरिष्ठ पत्रकार अशोक कौशिक कहते हैं- अभी तक भाजपा लीड करती नजर आ रही है। क्योंकि, सीट भाजपा की थी। जो मौजूदा प्रत्याशी संजीव शर्मा चुनाव में उतरे हैं, वो खुद दो बार से भाजपा के महानगर अध्यक्ष हैं। इसलिए उनके प्रति जनता का जुड़ाव ज्यादा है। 9. मुजफ्फरनगर की मीरापुर : रालोद मजबूत मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर रालोद के चंदन चौहान विधायक थे। बिजनौर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत गए। इसके बाद यह सीट खाली हुई। भाजपा ने इस सीट पर समीकरण बिठाते हुए रालोद का कैंडिडेट उतारा। रालोद ने यहां मिथिलेश पाल को प्रत्याशी बनाया। उनके सामने सपा से पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा मैदान में हैं। बसपा ने शाहनजर को टिकट दिया है। इसके अलावा एआईएमआईएम और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी से भी मुस्लिम कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं। कुल 11 प्रत्याशियों के लिए वोटिंग होनी है। क्या बोले वोटर...
यहां मीरापुर मार्केट में चाय की पी रहे व्यापारी सुभाष ने कहा- मिथलेश पाल अकेली हिंदू प्रत्याशी हैं। इसलिए उनके पक्ष में हवा दिख रही है। उनके सामने 4 मुस्लिम कैंडिडेट हैं, जो वोट काट सकते हैं। हमारे गांव में अभी यही चर्चा है। बाकी देखिए क्या होता है? कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया कवाल के मो. नसीम और सतपाल प्रजापति ने भी ने भी दी। इलाके में मुस्लिम 38% मुस्लिम वोटर हैं। इनमें झोझा बिरादरी के वोटर सबसे ज्यादा हैं। आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी इसी बिरादरी से आते हैं। ऐसे में चर्चा है कि वह बड़ा वोट हासिल करेंगे। इसका फायदा रालोद को हो सकता है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बोले- रोमांचक होगा मुकाबला मीरापुर की राजनीति को करीब से जानने वाले एडवोकेट असद जमा से हमने बात की। उन्होंने कहा- मीरापुर में सीएम योगी की रैली के बाद से मुकाबला नेक-टू-नेक हो गया है। अब मेन फाइट रालोद और सपा के बीच ही होगी। पहले जो लग रहा था कि बसपा, ओवैसी और चंद्रशेखर की पार्टी वोट काटेगी। अब वह प्रभाव नहीं दिख रहा। ................................ यह खबर भी पढ़ें झांसी में 10 मौतों के 3 जिम्मेदार, 18 वेंटिलेटर पर 49 नवजात, प्रिंसिपल ने नहीं रोकी ओवरलोडिंग; CMS को पता ही नहीं आग कब लगी झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 बच्चों की मौत हादसा नहीं....हत्या है। 15 नवंबर की रात जो चीखें गूंजी, वो उन तमाम लापरवाही का नतीजा है, जो पिछले कई दिनों से नजर अंदाज की जा रही थीं। इसके लिए वहां का प्रबंधन, डॉक्टर और मेंटेनेंस स्टाफ सीधा जिम्मेदार है। वेंटिलेटर पर क्षमता से अधिक बच्चों को रखना, फायर सेफ्टी की मॉनिटरिंग ना होना, पुरानी बिल्डिंग की पुराने इलेक्ट्रिक वायर चेंज न करना और मेडिकल स्टाफ को फायर रेस्क्यू की प्रॉपर ट्रेनिंग न देना, सबसे बड़ी लापरवाही है। पढ़ें पूरी खबर...