राजकोट के एक युवक ने की साइबर माफियाओं की रिकॉर्डिंग:फोन आया था- आपका बैंक खाता नवाब मलिक के 800 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है

इस समय देश में डिजिटल अरेस्ट का मामला छाया हुआ है। जगह-जगह से डिजिटल अरेस्ट के बाद लोगों से ठगी की वारदातें सामने आ रही हैं। लेकिन, राजकोट शहर के युवक ने चालाकी से साइबर ठगों के होश उड़ा दिए। विजय गजेरा नाम के इस युवक ने माफियाओं को डेढ़ घंटे तक फोन पर उलझाए रखा और इस दौरान उनकी पूरी रिकॉर्डिंग कर क्राइम ब्रांच को सौंप दी। बाद में यह कहकर फोन काट दिया कि मैं तुम्हारे झांसे में आने वाला नहीं। उनकी मोडस ओपरेंडी जानने मैंने डेढ़ घंटे तक बात की: विजय भास्कर से हुई बातचीत में विजय गजेरा ने बताया कि डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर साइबर माफिया सक्रिय हैं और लोगों को डरा-धमकाकर पैसे वसूल रहे हैं। उन्होंने मुझसे भी पैसे ऐंठने की भी कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे। जब मुझे कॉल आया तो मैंने भी कुछ देर के लिए सामने वाले की हर बात पर विश्वास कर लिया था। क्योंकि, उनके बात करने का लहजा ही ऐसा था। लेकिन, मुझे कुछ देर में पूरी बात समझ में आ गई। फिर मैंने ये जानने के लिए उनकी पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग की ये लोग पूरी वारदात को अंजाम कैसे देते हैं। नवाब मलिक के 800 करोड़ के घोटाले से डराया था विजय ने आगे बताया कि मुझे सबसे पहले फोन किया गया और कहा गया कि आपका फोन सिम कार्ड तीन से चार घंटे में निष्क्रिय हो जाएगा. अगर आप जारी रखना चाहते हैं तो इस अधिकारी से बात करने के लिए 9 दबाएं, इसलिए मैंने 9 दबाया और सामने एक व्यक्ति फोन पर बात करने लगा। मुझे सामने से बताया गया कि आपका बैंक खाता महाराष्ट्र के नवाब मलिक के 800 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है। आपके आधार कार्ड के जरिए 3 बैंक खाते संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि आपको खुद क्राइम ब्रांच के ऑफिस आकर बयान देना होगा। अगर आप नहीं आ सकते हैं, तो वीडियो कॉल करके बयान लिखवा सकते हैं। इसके बाद उन्होंने मुझे वीडियो कॉल कर स्टेटमेंट लिखने के लिए कहा। बैकग्राउंड भी पुलिस स्टेशन जैसा ही था उन्होंने आगे कहा कि मुझे पता था कि यह एक फ्रॉड कॉल है, इसलिए वीडियो कॉल शुरू करने से पहले मैंने रिकॉर्डिंग चालू कर ली थी। सामने खाकी वर्दी में एक व्यक्ति टेबल-कुर्सी पर बैठा था और देखने में अफसर जैसा लग रहा था। इतना ही नहीं, पीछे और आसपास का बैकग्राउंड भी थाने जैसा ही था, ताकि किसी को शक न हो। ये लोग वीडियो कॉल शुरू करते हैं और आसपास, ऊपर-नीचे मोबाइल की लोकेशन चेक करते हैं, ताकि साफ हो सके कि आसपास कुछ नहीं है और आप अकेले हैं। फिर वे बातचीत करते हैं। सामने वाला बहुत अच्छी तरह से पूछताछ कर रहा था है और बीच-बीच में वॉकी-टॉकी के जरिए किसी और से भी बात करता है, जिससे कि वह पुलिस वाला ही लगे। आखिर में उन्होंने मुझसे पैसे जमा करने को कहा... सामने वाले ने मुझसे कहा कि आपके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट है। इस दौरान उसका बीच-बीच में स्वर भी बदल रहा था। वह पुलिसवाले की ही तरह पूरे रौब से बात कर रहा था। इस दौरान मैंने महसूस किया कि वे आपको मानसिक रूप से मजबूर कर देते हैं और आपके दिमाग को नियंत्रित करने लगते हैं। इसके बाद उन्होंने सीधे मुझसे मेरे बैंक खाते के बारे में पूछा और कहा कि आप लेनदेन के लिए कितने ऐप इस्तेमाल करते हैं? कितने बैंक खाते हैं? फिर मुझसे कहा कि आप रुपए जमा कर दें। यदि आपकी संलिप्तता साबित नहीं होती है तो ईडी से रुपए भी वापस मिल जाएंगे और सर्टिफिकेट भी दिया जायगा। इस लंबी बातचीत के बाद मैंने उनसे कहा कि आप मेरे साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। मैंने आपकी पूरी कॉल रिकॉर्ड कर ली है। इतना सुनते ही सामने वाले ने फोन कट कर दिया। डिजिटल गिरफ्तारी कानून जैसी कोई चीज नहीं होती इस घटना से सबक लेत हुए विजय ने बताया कि मैंने यह रिकॉर्डिंग और लोगों को जागरूक करने के लिए की है। सबसे पहले तो हमें यह पता होना चाहिए कि डिजिटल गिरफ्तारी जैसी कोई चीज ही नहीं होती। लोग जरा सी बात पर डर जाते हैँ और सामने वाले से अपनी सभी जानकारियां यहां तक कि बैंक की डिटेल्स भी शेयर कर देते हैं, जिसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए। ऐसे फोन कॉल्स आते ही समझ जाना चाहिए कि सामने वाला धोखेबाज है।

Oct 26, 2024 - 17:15
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राजकोट के एक युवक ने की साइबर माफियाओं की रिकॉर्डिंग:फोन आया था- आपका बैंक खाता नवाब मलिक के 800 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है
इस समय देश में डिजिटल अरेस्ट का मामला छाया हुआ है। जगह-जगह से डिजिटल अरेस्ट के बाद लोगों से ठगी की वारदातें सामने आ रही हैं। लेकिन, राजकोट शहर के युवक ने चालाकी से साइबर ठगों के होश उड़ा दिए। विजय गजेरा नाम के इस युवक ने माफियाओं को डेढ़ घंटे तक फोन पर उलझाए रखा और इस दौरान उनकी पूरी रिकॉर्डिंग कर क्राइम ब्रांच को सौंप दी। बाद में यह कहकर फोन काट दिया कि मैं तुम्हारे झांसे में आने वाला नहीं। उनकी मोडस ओपरेंडी जानने मैंने डेढ़ घंटे तक बात की: विजय भास्कर से हुई बातचीत में विजय गजेरा ने बताया कि डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर साइबर माफिया सक्रिय हैं और लोगों को डरा-धमकाकर पैसे वसूल रहे हैं। उन्होंने मुझसे भी पैसे ऐंठने की भी कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे। जब मुझे कॉल आया तो मैंने भी कुछ देर के लिए सामने वाले की हर बात पर विश्वास कर लिया था। क्योंकि, उनके बात करने का लहजा ही ऐसा था। लेकिन, मुझे कुछ देर में पूरी बात समझ में आ गई। फिर मैंने ये जानने के लिए उनकी पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग की ये लोग पूरी वारदात को अंजाम कैसे देते हैं। नवाब मलिक के 800 करोड़ के घोटाले से डराया था विजय ने आगे बताया कि मुझे सबसे पहले फोन किया गया और कहा गया कि आपका फोन सिम कार्ड तीन से चार घंटे में निष्क्रिय हो जाएगा. अगर आप जारी रखना चाहते हैं तो इस अधिकारी से बात करने के लिए 9 दबाएं, इसलिए मैंने 9 दबाया और सामने एक व्यक्ति फोन पर बात करने लगा। मुझे सामने से बताया गया कि आपका बैंक खाता महाराष्ट्र के नवाब मलिक के 800 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है। आपके आधार कार्ड के जरिए 3 बैंक खाते संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि आपको खुद क्राइम ब्रांच के ऑफिस आकर बयान देना होगा। अगर आप नहीं आ सकते हैं, तो वीडियो कॉल करके बयान लिखवा सकते हैं। इसके बाद उन्होंने मुझे वीडियो कॉल कर स्टेटमेंट लिखने के लिए कहा। बैकग्राउंड भी पुलिस स्टेशन जैसा ही था उन्होंने आगे कहा कि मुझे पता था कि यह एक फ्रॉड कॉल है, इसलिए वीडियो कॉल शुरू करने से पहले मैंने रिकॉर्डिंग चालू कर ली थी। सामने खाकी वर्दी में एक व्यक्ति टेबल-कुर्सी पर बैठा था और देखने में अफसर जैसा लग रहा था। इतना ही नहीं, पीछे और आसपास का बैकग्राउंड भी थाने जैसा ही था, ताकि किसी को शक न हो। ये लोग वीडियो कॉल शुरू करते हैं और आसपास, ऊपर-नीचे मोबाइल की लोकेशन चेक करते हैं, ताकि साफ हो सके कि आसपास कुछ नहीं है और आप अकेले हैं। फिर वे बातचीत करते हैं। सामने वाला बहुत अच्छी तरह से पूछताछ कर रहा था है और बीच-बीच में वॉकी-टॉकी के जरिए किसी और से भी बात करता है, जिससे कि वह पुलिस वाला ही लगे। आखिर में उन्होंने मुझसे पैसे जमा करने को कहा... सामने वाले ने मुझसे कहा कि आपके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट है। इस दौरान उसका बीच-बीच में स्वर भी बदल रहा था। वह पुलिसवाले की ही तरह पूरे रौब से बात कर रहा था। इस दौरान मैंने महसूस किया कि वे आपको मानसिक रूप से मजबूर कर देते हैं और आपके दिमाग को नियंत्रित करने लगते हैं। इसके बाद उन्होंने सीधे मुझसे मेरे बैंक खाते के बारे में पूछा और कहा कि आप लेनदेन के लिए कितने ऐप इस्तेमाल करते हैं? कितने बैंक खाते हैं? फिर मुझसे कहा कि आप रुपए जमा कर दें। यदि आपकी संलिप्तता साबित नहीं होती है तो ईडी से रुपए भी वापस मिल जाएंगे और सर्टिफिकेट भी दिया जायगा। इस लंबी बातचीत के बाद मैंने उनसे कहा कि आप मेरे साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। मैंने आपकी पूरी कॉल रिकॉर्ड कर ली है। इतना सुनते ही सामने वाले ने फोन कट कर दिया। डिजिटल गिरफ्तारी कानून जैसी कोई चीज नहीं होती इस घटना से सबक लेत हुए विजय ने बताया कि मैंने यह रिकॉर्डिंग और लोगों को जागरूक करने के लिए की है। सबसे पहले तो हमें यह पता होना चाहिए कि डिजिटल गिरफ्तारी जैसी कोई चीज ही नहीं होती। लोग जरा सी बात पर डर जाते हैँ और सामने वाले से अपनी सभी जानकारियां यहां तक कि बैंक की डिटेल्स भी शेयर कर देते हैं, जिसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए। ऐसे फोन कॉल्स आते ही समझ जाना चाहिए कि सामने वाला धोखेबाज है।

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