लक्ष्मण किला मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन:आचार्य बजरंग दास महाराज ने कहा-देश एक बार फिर हिंदू राष्ट्र बनेगा, मथुरा काशी भी होगा हमारा
अयोध्या के लक्ष्मण किला मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हो रहा है। श्री बालाजी सेवा धाम नागौर पीठाधीश्वर और महामंडलेश्वर आचार्य बजरंग दास महाराज की अमृतमयी कथा का श्रवण करने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से भक्त पहुंचे हुए है। 18 अक्टूबर से शुरू की कथा का बुधवार को छठा दिन रहा है। पीठाधीश्वर आचार्य बजरंग दास महराज बुधवार को लक्ष्मण किला में मीडिया से बात करते हुए कहा कि "देश एक बार फिर हिंदू राष्ट्र बनेगा, लेकिन इसके लिए सभी हिंदुओं को एक जुट होना पड़ेगा। इसके लिए सभी को जाति धर्म से ऊपर उठकर हिंदुओं को एकजुटता दिखाई होगी। आपस में भाई चारा स्थापित करना पड़ेगा। तभी हम एक हिंदू और सशक्त राष्ट्र की कल्पना कर सकते है। राम मंदिर की स्थापना इसका प्रतीक है, सभी एकजुट होकर एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण करा रहे है। जो जाति धर्म से परे है। ऐसे की हम सभी को एकजुट होना पड़ेगा। महामण्डेलेश्वर आचार्य बजरंग दास महाराज " राम मंदिर के बाद कृष्ण जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर हिंदुओं की लड़ाई है। जिसका मसला कोर्ट में विचाराधीन है, हमें पूर्ण विश्वास है कि कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला सुनाएंगा। हम कोर्ट के हर फैसले का स्वागत करते है। क्योंकि यह केंद्र करोड़ों हिंदुओं के आस्था का केंद्र भी है। भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य महारास लीला का वर्णन आचार्य बजरंग दास महाराज ने "भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया है, लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है। रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है, गोपी गीत पर बोलते हुए व्यास ने कहा "जब तब जीव में अभिमान आता है, भगवान उनसे दूर हो जाता है, लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है, तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है, उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणी के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नहीं तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मणी के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया। कथा के दौरान राजेंद्र व्यास ने भजन प्रस्तुत किए। 25 अक्टूबर को पूर्णाहुति लक्ष्मण किला स्थित मंदिर में प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम छह बजे तक भागवत कथा का आयोजन होता है। 25 अक्टूबर को पूर्णाहुति के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन होगा। कथा में राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात और बिहार से हजारों भक्त पहुंचकर कथा का श्रवण कर रहे है।
What's Your Reaction?