वाराणसी के तुलसी घाट पर विश्वप्रसिद्ध नाग नथैया आज:संकटमोचन मंदिर से लया गया कदम का पेड़, जुटेंगे लाखों श्रद्धालु
मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास द्वारा आरंभ श्रीकृष्ण लीला में आज शाम नाग नथैया लीला होगी। प्रातःकाल पांच बजे संकट मोचन मंदिर परिसर स्थित कदंब वन से डाल काटी गई। भक्त उसे अपने कंधों पर उठाकर संकट मोचन मंदिर से तुलसी घाट तक ले आए। यहां डाल का पूजन करने के बाद उसे नियत स्थान पर लगा दिया गया। आज शाम 4:45 पर नागनथैया की ऐतिहासिक लीला होगी। कपड़े और पुआल से तैयार हुआ कालिया नाग काशी के लक्खा मेले में शुमार नागनथैया की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सोमवार को तुलसीघाट पर कालिया नाग का भी रंगरोगन किया गया। फन को रंगों से सजाया गया और उसमें एलईडी लाइट लगाई गई। कालिया नाग के धड़ को कपड़े और पुआल से तैयार करने में कारीगर जुटे रहे और देर शाम तक नाग बनकर तैयार हो गया। तीन वर्ष से एक पीढ़ी करा रही लीला इस लीला के पात्रों को शब्द दे रहे हैं प्रयागराज के अधिवक्ता डॉ. विष्णु पांडेय। ये खास इसलिए हैं कि इनके परिवार के लोग तीन पीढ़ियों से लीला के पात्रों को शब्द देते आ रहे हैं। मंच पर इनकी आवाज पर्दे के पीछे से आती है। कलाकार उनके शब्दों को दोहराते हैं। डॉ. विष्णु इस मंचन में तीन बार कृष्ण भी बन चुके हैं। साढ़े 500 वर्षों से चली आ रही इस लीला में इनके परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। नागनथैया की लीला देखने अकबर भी आया था तुलसीघाट गोस्वामी तुलसीदास की इस लीला को देखने के लिए अकबर भी काशी आया था। इसके प्रमाण उस काल खंड की दुर्लभ तस्वीर से मिलते हैं। इस नायाब कलाकृति को तुलसीघाट के संग्रहालय में भी रखा गया है। उदयपुर के संग्रहालय में मौजूद ऐतिहासिक तस्वीर की मूल प्रति लंदन विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर और बुडापेस्ट में गठित तुलसी मंडली के डायरेक्टर डाॅ. इमरे बग्घा ने दी थी, जो अब सार्वजनिक हुई। उन्होंने इसे पांडुलिपि विशेषज्ञ डॉ. उदय शंकर दुबे को भेंट किया था। डॉ. दुबे ने तुलसी भक्तों के अधिकार को मान देते हुए इस कृति को तुलसीघाट स्थित महंत परिवार को सौंप दिया। इस चित्र में चित्रकार ने गोस्वामी तुलसीदास और बादशाह अकबर की मुलाकात को उकेरा है।
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