वाराणसी कोर्ट में श्रृंगारगौरी-ज्ञानवापी के 7 केस की सुनवाई आज:तहखाने की मरम्मत, नमाजियों को छत पर रोकने समेत मूलवाद को भी मर्ज करने की दलील
वाराणसी कोर्ट में श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामलों की सुनवाई शनिवार दोपहर जिला जज संजीव पांडे की अदालत में होगी। जिला जज कोर्ट में एएसआई सर्वे के बाद आगे की कार्रवाई बढ़ाने पर बहस संभव है। पांच वादिनी महिलाओं के केस में समेकित 7 केस पर जिला जज वकीलों की दलीलें सुनेंगे। पिछली तारीख में हिन्दू पक्ष के वकीलों ने मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन, तहखाने की मरम्मत और मुस्लिम नमाजियों को तहखाने की छत पर रोकने समेत प्रमुख मांगों पर दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दीं। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने के बाद अब फैसले के बाद अग्रिम कार्रवाई को रफ्तार मिलेगी। वकील विष्णु शंकर जैन ने जिला जज की अदालत में लंबित शृंगार गौरी और इसके साथ संबद्ध छह अन्य मुकदमे हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की अपील दायर की है। वकीलों ने ज्ञानवापी सर्वे में मुस्लिम पक्ष की ओर से आपत्ति दाखिल नहीं करने पर भी सवाल उठाए और कोर्ट से आपत्ति नहीं मिलने पर अग्रिम कार्रवाई की मांग की। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण व हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर 1991 में दाखिल मुकदमे के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने पहले ही जिला जज की अदालत में चल रहे ज्ञानवापी के मुकदमों की सुनवाई हाई कोर्ट में कराने का निवेदन करते हुए याचिका भी सुनी जाएगी। ज्ञानवापी स्थित मां शृंगार गौरी के नियमित पूजा-पाठ की अनुमति देने को लेकर जिला जज संजीव पांडेय की अदालत में लंबित मुकदमे की सुनवाई शनिवार को होगी। ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंपने, वहां मिले शिवलिंग की पूजा-पाठ की अनुमति देने और इसमें बाधा डालने वालों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से किरण सिंह एवं अन्य द्वारा दाखिल मुकदमा भी सुना जाएगा। मुकदमे के वादी की ओर से कहा गया कि मूलवाद और उसके खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई जिला जज की अदालत में एक साथ नहीं हो सकती। इसलिए मूलवाद को संबंधित न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए अथवा पुनरीक्षण याचिका निरस्त कर दी जाए। उन्होंने इस संबंध में हाई कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका भी प्रस्तुत की। मूल वाद को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनवाई योग्य माना था। इस फैसले के खिलाफ अंजुमन ने जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की है। अदालत में दोनों मामलों की सुनवाई के दौरान हिन्दू और मुस्लिम पक्षकार अपना पक्ष रखेंगे। हिन्दू पक्ष करवाना चाहता है तहखाने की मरम्मत जिला जज की कोर्ट में ज्ञानवापी तहखाने की मरम्मत और बंद तहखानों के सर्वेक्षण की राखी सिंह और काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की याचिका भी चर्चा में रहेगी। हिन्दू पक्ष के वकील ने कोर्ट से दक्षिणी-तहखाने में चल रही पूजा वाले तलगृह के जर्जर छत व बीम के मरम्मत की अनुमति मांगी है। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कोर्ट के माध्यम से अनुरोध किया गया कि खंभे और छत की मरम्मत कराई जाए ताकि तहखाने में कोई दुर्घटना या अनहोनी ना हो। हालांकि, सुनवाई पर मुस्लिम पक्ष ने मरम्मत पर आपत्ति जाहिर की, दोनों पक्ष के वकीलों में बहस हुई। दायर याचिका में ज्ञानवापी परिसर में बंद तहखानों के एएसआई सर्वे के लिए भी कहा गया है। दावा किया गया कि ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिण की ओर एस-1 और उत्तर की ओर एन-1 सहित अन्य तहखानों को एएसआई के प्रारंभिक सर्वेक्षण के तहत कवर नहीं किया जा सका, क्योंकि वे पत्थर से बंद हैं। बंद तहखानों का सर्वे और मरम्मत की याचिकाएं राखी सिंह के वकील सौरभ तिवारी ने कोर्ट में ज्ञानवापी में बंद तहखानों के सर्वे को जरूरी बताया है। उनकी दलील है कि ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक चरित्र को निर्धारित करने के लिए ASI के लिए बंद तहखानों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण है। पिछले साल ज्ञानवापी से संबंधित दो मामलों में पारित आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी एएसआई सर्वेक्षण को रेखांकित किया था। इसी मामले में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने 8 मार्च को जिला न्यायाधीश की अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने की छत की आवश्यक मरम्मत की अनुमति मांगी गई थी। इस आवेदन के माध्यम से मंदिर ट्रस्ट के सीईओ ने नमाज अदा करने के लिए दक्षिणी तहखाने की छत पर मुसलमानों के इकट्ठा होने पर भी रोक लगाने का अनुरोध किया। क्योंकि तहखाने की स्थिति पुजारियों के लिए जीवन का खतरा पैदा कर रही है, इस पर भी जिला जज 19 अक्टूबर को सुनवाई करेंगे।
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