श्रावस्ती में बाल विवाह और बाल श्रम मुक्त अभियान:समुदाय ने ली बुराई खत्म करने की शपथ, बाल विवाह से जुड़े दुष्परिणामों पर हुई चर्चा
श्रावस्ती में जिला प्रशासन और गैर-सरकारी संगठन देहात इंडिया के सहयोग से बाल विवाह और बाल श्रम को खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत ग्राम पंचायत हरिहरपुर रानी में जिला स्तरीय समारोह का आयोजन किया गया। सहायक श्रमायुक्त संत पाल ने बाल विवाह के दुष्परिणामों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "बाल श्रम की जड़ बाल विवाह है। इसे खत्म करके ही बच्चों का बेहतर भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।" उन्होंने शिक्षा और सरकारी योजनाओं के महत्व पर भी जोर दिया। बाल विवाह के खिलाफ शपथ और सामुदायिक भागीदारी समारोह में स्कूली बच्चों, पंचायत प्रतिनिधियों, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ ग्रामीणों ने बाल विवाह रोकने की शपथ ली।बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) और बाल विवाह पीड़िताओं ने भी इस पहल में भाग लिया।देहात इंडिया के प्रयासों से जिले में जगह-जगह जागरूकता रैलियां निकाली गईं। ग्रामीणों को बाल विवाह से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देते हुए शिक्षा और बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देने का आग्रह किया गया। देहात इंडिया की भूमिका और संदेश देहात इंडिया की निदेशिका देवयानी चतुर्वेदी ने बताया कि उनका संगठन देश के 400 से अधिक जिलों में बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण पर काम कर रहा है।उन्होंने कहा, "देश में अभी भी 23% से ज्यादा लड़कियों का बाल विवाह होता है। इसे रोकने के लिए सभी हितधारकों को साथ लाना जरूरी है।" अभियान को लेकर सकारात्मक उम्मीदें देवयानी ने जोर देकर कहा कि सरकार इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए गंभीर है और ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ जैसे गठबंधनों के सहयोग से बाल विवाह मुक्त भारत का सपना साकार होगा। श्रावस्ती में इस पहल ने समाज के हर वर्ग को बाल विवाह और बाल श्रम जैसी समस्याओं पर सोचने को मजबूर किया है। जागरूकता अभियान ने यह संदेश दिया कि शिक्षा और सामूहिक प्रयास से इन कुप्रथाओं को खत्म किया जा सकता है।
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