सनातनी एकता का संदेश देगा काशी का देव दीपावली:समिति द्वारा 200 स्थानों पर जलेगा 21 लाख दीप, महासमिति के पदाधिकारियों ने की बैठक

वाराणसी में देव दीपावली समिति द्वारा 200 स्थानों पर 21 लाख दीप जलाने की तैयारी में जुट गया हैं। इसको लेकर समिति के लोगों ने बैठक आयोजित की और उसमें विभिन्न प्रकार के निर्णय लिए गए। बैठक में पहुंचे पर्यटन उपनिदेशक आर के रावत ने कहा कि काशी में वैश्विक आकर्षण के इस कार्यक्रम को आप सबने जिस परिश्रम के साथ बढ़ाया है। जिसके लिए आप सभी धन्यवाद के पात्र है, हमने सभी की समस्याओं को लिखा है और अतिशीघ्र उसके सम्बन्धित विभागों से बातकर समाधान करने का प्रयास रहेगा। बैठक में महासमिति के उपाध्यक्ष गंगाधर उपाध्याय ने कहा कि "जाति पंथ अनेक हम सब सनातनी एक" के शीर्षक को इस बार की देव दीपावली को समर्पित करने का प्रस्ताव पेश किया जिसको हर हर महादेव के उ‌द्घोष से सबने अनुमोदित किया। जारी हो पहचानपत्र केन्द्रीय देवदीपावली महोत्सव महासमिति पिछले कई वर्षों से प्रशासन के साथ बैठकों में मांग उठाती रही है कि घाटों की आयोजन उपसमितियों को पहचान पत्र जारी करने का अधिकार दिया जाए। वागीशदत्त मिश्र ने कहा कि प्रशासन या पर्यटन विभाग चाहे तो संख्या तय कर दे लेकिन सदस्यों को पहचान पत्र तो मिलना ही चाहिए। आरपी घाट के आयोजक विजयशंकर भारद्वाज समेत कई सदस्यों ने कहा कि समितियों के सदस्य पुलिस के सहयोगी ही बनेंगे क्योंकि सभी उत्सव को भव्यतम बनाने के लिए लालायित रहते हैं। पुलिस का रवैया ठीक नहीं डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट पर देवदीपावली का आयोजन करने वाली उप समिति के विजय शंकर भारद्वाज ने कहा कि सबसे अधिक भीड़ दशाश्वमेध घाट पर होती है। सामान्य से विशिष्ट जन तक का फोकस यहीं होता है। मगर प्रशासन का रवैया तानाशाह जैसा होता है। तीन बजे से ही पुलिस रास्ता बंद कर देती है। समिति के लोग घाट तक आ नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा कि तेल की मात्रा बढ़ाई जाए ताकि हम उस पार भी दीपक रोशन कर सकें। लाइटिंग की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि लोगों को दिक्कत न हो। जाति पंथ अनेक, सनातनी एक केंद्रीय देवदीपावली महासमिति ने काशी के सर्व समाज को इस आयोजन से जोड़ा है। अध्यक्ष आचार्य वागीशदत्त मिश्र कहते हैं कि देवदीपावली भगवान शंकर से जुड़ा त्रिपुरोत्सव है। भगवान बुद्ध का संबंध देवदीपावली से है। सारनाथ में उस दिन दर्शन का कार्यक्रम होता है। उसी दिन गुरु नानकदेव का प्रकाशपर्व मनाया जाता है। हमने बौद्धों, सिखों, कबीरपंथियों, रविदासियों को जोड़ कर इसे सनातन का महाउत्सव बनाने का प्रयास किया है। देवदीपावली के निमित्त हमारा सूत्र वाक्य है-‘जाति पंथे अनेक हम सनातनी एक। गंगा महोत्सव से पहले हो गंगा पूजन अस्सी घाट स्थित गंगा सेवा समिति के श्रवण मिश्रा ने कहा कि गंगा महोत्सव से पहले गंगा पूजन का विधान है हम चाहते हैं कि घाट के ही तेज पुरोहित गंगा पूजन करें। देव दीपावली के दिन अस्सी घाट पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है अस्सी पर ही गंगा महोत्सव का मंच बना हुआ है। कार्यक्रम खत्म होते ही पूरा मंच हटा दिया जाए जिससे आने वाले पर्यटकों और दीप जलने वालों को कोई दिक्कत ना हो। बैठक में शामिल समितियों का सुझाव • स्नान पर्व के समय चेंजिंग रूम की उपयोगिता सबसे अधिक होती है। इसे ध्यान में रखते हुए उन्हें अविलंब ठीक कराया जाए। • रामनगर के शास्त्री घाट पर भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि कोई अप्रिय घटना न हो पाए। • घाटों पर खोमचे वालों के लिए एक स्थान तय होना चाहिए ताकि उनका भी पेट पलता रहे। • सभी प्रमुख घाटों से जुड़ी गलियों में प्रकाश व्यवस्था के साथ उनकी मरम्मत का काम भी शीघ्र पूरा होना चाहिए। • घाट पर समिति के लोगों को पुलिस प्रशासन द्वारा ससम्मान प्रवेश दिलाया जाये।

Nov 11, 2024 - 12:50
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सनातनी एकता का संदेश देगा काशी का देव दीपावली:समिति द्वारा 200 स्थानों पर जलेगा 21 लाख दीप, महासमिति के पदाधिकारियों ने की बैठक
वाराणसी में देव दीपावली समिति द्वारा 200 स्थानों पर 21 लाख दीप जलाने की तैयारी में जुट गया हैं। इसको लेकर समिति के लोगों ने बैठक आयोजित की और उसमें विभिन्न प्रकार के निर्णय लिए गए। बैठक में पहुंचे पर्यटन उपनिदेशक आर के रावत ने कहा कि काशी में वैश्विक आकर्षण के इस कार्यक्रम को आप सबने जिस परिश्रम के साथ बढ़ाया है। जिसके लिए आप सभी धन्यवाद के पात्र है, हमने सभी की समस्याओं को लिखा है और अतिशीघ्र उसके सम्बन्धित विभागों से बातकर समाधान करने का प्रयास रहेगा। बैठक में महासमिति के उपाध्यक्ष गंगाधर उपाध्याय ने कहा कि "जाति पंथ अनेक हम सब सनातनी एक" के शीर्षक को इस बार की देव दीपावली को समर्पित करने का प्रस्ताव पेश किया जिसको हर हर महादेव के उ‌द्घोष से सबने अनुमोदित किया। जारी हो पहचानपत्र केन्द्रीय देवदीपावली महोत्सव महासमिति पिछले कई वर्षों से प्रशासन के साथ बैठकों में मांग उठाती रही है कि घाटों की आयोजन उपसमितियों को पहचान पत्र जारी करने का अधिकार दिया जाए। वागीशदत्त मिश्र ने कहा कि प्रशासन या पर्यटन विभाग चाहे तो संख्या तय कर दे लेकिन सदस्यों को पहचान पत्र तो मिलना ही चाहिए। आरपी घाट के आयोजक विजयशंकर भारद्वाज समेत कई सदस्यों ने कहा कि समितियों के सदस्य पुलिस के सहयोगी ही बनेंगे क्योंकि सभी उत्सव को भव्यतम बनाने के लिए लालायित रहते हैं। पुलिस का रवैया ठीक नहीं डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट पर देवदीपावली का आयोजन करने वाली उप समिति के विजय शंकर भारद्वाज ने कहा कि सबसे अधिक भीड़ दशाश्वमेध घाट पर होती है। सामान्य से विशिष्ट जन तक का फोकस यहीं होता है। मगर प्रशासन का रवैया तानाशाह जैसा होता है। तीन बजे से ही पुलिस रास्ता बंद कर देती है। समिति के लोग घाट तक आ नहीं पाते हैं। उन्होंने कहा कि तेल की मात्रा बढ़ाई जाए ताकि हम उस पार भी दीपक रोशन कर सकें। लाइटिंग की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि लोगों को दिक्कत न हो। जाति पंथ अनेक, सनातनी एक केंद्रीय देवदीपावली महासमिति ने काशी के सर्व समाज को इस आयोजन से जोड़ा है। अध्यक्ष आचार्य वागीशदत्त मिश्र कहते हैं कि देवदीपावली भगवान शंकर से जुड़ा त्रिपुरोत्सव है। भगवान बुद्ध का संबंध देवदीपावली से है। सारनाथ में उस दिन दर्शन का कार्यक्रम होता है। उसी दिन गुरु नानकदेव का प्रकाशपर्व मनाया जाता है। हमने बौद्धों, सिखों, कबीरपंथियों, रविदासियों को जोड़ कर इसे सनातन का महाउत्सव बनाने का प्रयास किया है। देवदीपावली के निमित्त हमारा सूत्र वाक्य है-‘जाति पंथे अनेक हम सनातनी एक। गंगा महोत्सव से पहले हो गंगा पूजन अस्सी घाट स्थित गंगा सेवा समिति के श्रवण मिश्रा ने कहा कि गंगा महोत्सव से पहले गंगा पूजन का विधान है हम चाहते हैं कि घाट के ही तेज पुरोहित गंगा पूजन करें। देव दीपावली के दिन अस्सी घाट पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है अस्सी पर ही गंगा महोत्सव का मंच बना हुआ है। कार्यक्रम खत्म होते ही पूरा मंच हटा दिया जाए जिससे आने वाले पर्यटकों और दीप जलने वालों को कोई दिक्कत ना हो। बैठक में शामिल समितियों का सुझाव • स्नान पर्व के समय चेंजिंग रूम की उपयोगिता सबसे अधिक होती है। इसे ध्यान में रखते हुए उन्हें अविलंब ठीक कराया जाए। • रामनगर के शास्त्री घाट पर भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि कोई अप्रिय घटना न हो पाए। • घाटों पर खोमचे वालों के लिए एक स्थान तय होना चाहिए ताकि उनका भी पेट पलता रहे। • सभी प्रमुख घाटों से जुड़ी गलियों में प्रकाश व्यवस्था के साथ उनकी मरम्मत का काम भी शीघ्र पूरा होना चाहिए। • घाट पर समिति के लोगों को पुलिस प्रशासन द्वारा ससम्मान प्रवेश दिलाया जाये।

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