सपा को AAP के समर्थन से फायदा होगा?:2022 में 349 प्रत्याशी उतारे, सभी की जमानत जब्त; दावा-यूपी में 50 पार्षद, 70 जिला पंचायत सदस्य

आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ की दिल्ली और पंजाब में सरकार है। पार्टी बनने के 10 साल बाद ‘आप’ ने 2022 में यूपी में पहला चुनाव लड़ा। उसका एक भी कैंडिडेट अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया था। पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह ने सोमवार को उपचुनाव में सपा को समर्थन देने की बात कही है। यूपी में ‘आप’, सपा को कितना समर्थन दे पाएगी? यानी कितना फायदा पहुंचा पाएगी? यूपी में आम आदमी पार्टी की कितनी पकड़ है? पढ़िए भास्कर एक्सप्लेनर में… ‘आप’ यूपी में पहली बार 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरी। उसे कुल 0.4 फीसदी वोट मिले। हालांकि 2023 के निकाय चुनाव में कुछ सीटों पर उसे सफलता मिली। AAP के युवा नेता फैसल वारसी ने बिजनौर स्योहारा नगर पालिका परिषद के चेयरमैन का चुनाव जीता। इसी तरह अलीगढ़ की खैर नगर पालिका, मुरादाबाद जनपद की पाकबडा नगर पंचायत, अमरोहा जोया नगर पंचायत के चेयरमैन पद का चुनाव जीता। नगर निगम अयोध्या में अबरून निशा पार्षद चुनी गईं। हालांकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एक भी प्रत्याशी नहीं उतारा। इधर पार्टी का दावा है कि प्रदेश में 50 पार्षद और 70 जिला पंचायत सदस्य हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में 349 सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी लड़े थे। जीतना तो दूर उसके प्रत्याशी एक भी सीट पर तीसरे नंबर पर भी नहीं थे। सभी की जमानत जब्त हो गई थी। प्रदेश में कुल 9 करोड़ 15 लाख 25 हजार 592 वोट में से आप प्रत्याशियों को सिर्फ 3 लाख 47 हजार 192 वोट मिले थे। 2022 का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी का उत्तर प्रदेश में लॉन्च था। यूपी के उलट उसी समय पंजाब में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव जीता और सरकार बनाई। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने इंडी गठबंधन को समर्थन दिया और प्रदेश में पार्टी के सिंबल पर प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया था। आप के ऐलान का उपचुनाव में क्या असर पड़ेगा? एक्सपर्ट की मानें तो आम आदमी पार्टी का उत्तर प्रदेश में कोई जनाधार नहीं है। जिला स्तर पर संगठन भी मजबूत नहीं है। 2023 में जिन निकायों में आप जीती थी, वहां प्रत्याशी की जीत थी। पार्टी का कोई वोट बैंक नहीं था। इसलिए उपचुनाव में सपा को समर्थन देने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। पॉलिटिकल एक्सपर्ट रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- यह एक प्रतीकात्मक सहयोग होता है। संजय सिंह यह दिखाना चाहते हैं कि वह इंडिया गठबंधन के साथ हैं और यूपी में इंडी गठबंधन चुनाव लड़ रहा है। जिस तरह कांग्रेस ने सभी सीटों पर सपा का सहयोग किया, उसी तरह आम आदमी पार्टी भी कर रही है। सवाल उठता है कि आप, सपा को समर्थन क्यों दे रही? अब सवाल उठता है कि जब जनाधार ही नहीं है तो सपा को किस बात का समर्थन? सपा ने समर्थन मांगा भी नहीं है। आप यह कह सकती है कि इंडी गठबंधन में शामिल होने की वजह से सपा का समर्थन कर रही है। लेकिन यह पूरा सच नहीं है। इंडी गठबंधन में होते हुए भी आप ने हरियाणा में चुनाव लड़ा और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव है। उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या वहां काफी ज्यादा है। जीत हार वही तय करते हैं। इसलिए आम आदमी पार्टी चाहती है कि इसके बदले दिल्ली विधानसभा चुनाव में सपा सपोर्ट करेगी। सपा से गठबंधन को कुछ हद तक फायदा वहां मिल सकता है। दूसरे कांग्रेस की घेराबंदी की जा सकेगी, जिससे वे ज्यादा सीटें न मांगे। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह कहते हैं- आम आदमी पार्टी के सपोर्ट को लाभ हानि की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। मोरल सपोर्ट के लिए इस तरह की चीजें की जाती हैं। आम आदमी पार्टी अब बड़ा दल है। उसकी दो राज्यों में सरकार है। वह अब राष्ट्रीय पार्टी है। राज्य में पकड़ मजबूत करने के लिए आप की तैयारी क्या है? 6 महीने में 50 लाख सदस्य जोड़ने का लक्ष्य आम आदमी पार्टी ने यूपी में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया है। संजय सिंह ने इसकी शुरुआत की। संजय सिंह ने कहा कि पार्टी ने छह महीने में 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। संजय सिंह ने कहा कि सदस्य बनने के लिए किसी से भी एक पैसा नहीं लिया जाएगा। ऑनलाइन जो लोग सदस्य बनने की इच्छा प्रकट करेंगे, उनसे आप कार्यकर्ता संपर्क करेंगे। हर जिले में कम से कम 10 पदाधिकारी चयनित किए हैं, जो महीने में 10 ग्राम सभा कमेटी या वार्ड कमेटी बनाएंगे। महीने के दूसरे शनिवार उठाएंगे जनता के मुद्दे: हर महीने के दूसरे शनिवार को आंदोलन का कार्यक्रम तय किया गया है। ये चाहे राज्य स्तर के मुद्दे पर हो या जिले स्तर के मुद्दे पर हो या स्थानीय मुद्दे पर हो। संजय सिंह ने कहा कि इसी कड़ी में 9 तारीख को आंदोलन का विषय यूपी में बंद होने जा रहे 27000 स्कूलों को लेकर है। उन्होंने कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि ऐसे मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं कर रहा है। बच्चों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में गरीब का बच्चा पढ़ता है, पिछड़े वर्ग का बच्चा, वंचित समाज का बच्चा, दलित का बच्चा पढ़ता है। अब वो सरकारी स्कूल खत्म कर रहे हैं। महीने के आखिरी रविवार करेंगे जनसेवा के कार्य: हर महीने के आखिरी रविवार को सेवा के कार्य किए जाएंगे। इसमें सफाई अभियान, नदियों की सफाई, महापुरुषों की मूर्तियों की सफाई, पार्को की सफाई, विचार गोष्ठी आदि में से एक काम किया जाएगा। ---------------------------- ये भी पढ़ें... संजय सिंह बोले- यूपी पुलिस बेलगाम, सीएम दे रहे संरक्षण:कहा- बंटो नहीं, मिलकर भाजपा को हराओ; उपचुनाव में आप का सपा को समर्थन यूपी में आम आदमी पार्टी ने सोमवार से सदस्यता अभियान शुरू किया। इस दौरान यूपी प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा- भाजपा सिर्फ झूठ का कारोबार कर रही है। पुलिस पूरी तरह से क्रूर और तानाशाह हो गई है। लखनऊ में मोहित पांडेय की हत्या हो या अमन गौतम की मौत। उन्होंने कहा कि रायबरेली में फौजी के साथ जिस तरीके से पुलिस वालों ने बर्बरता की है। ये सरकार की विफलता है। उत

Nov 5, 2024 - 05:55
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सपा को AAP के समर्थन से फायदा होगा?:2022 में 349 प्रत्याशी उतारे, सभी की जमानत जब्त; दावा-यूपी में 50 पार्षद, 70 जिला पंचायत सदस्य
आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ की दिल्ली और पंजाब में सरकार है। पार्टी बनने के 10 साल बाद ‘आप’ ने 2022 में यूपी में पहला चुनाव लड़ा। उसका एक भी कैंडिडेट अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया था। पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह ने सोमवार को उपचुनाव में सपा को समर्थन देने की बात कही है। यूपी में ‘आप’, सपा को कितना समर्थन दे पाएगी? यानी कितना फायदा पहुंचा पाएगी? यूपी में आम आदमी पार्टी की कितनी पकड़ है? पढ़िए भास्कर एक्सप्लेनर में… ‘आप’ यूपी में पहली बार 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरी। उसे कुल 0.4 फीसदी वोट मिले। हालांकि 2023 के निकाय चुनाव में कुछ सीटों पर उसे सफलता मिली। AAP के युवा नेता फैसल वारसी ने बिजनौर स्योहारा नगर पालिका परिषद के चेयरमैन का चुनाव जीता। इसी तरह अलीगढ़ की खैर नगर पालिका, मुरादाबाद जनपद की पाकबडा नगर पंचायत, अमरोहा जोया नगर पंचायत के चेयरमैन पद का चुनाव जीता। नगर निगम अयोध्या में अबरून निशा पार्षद चुनी गईं। हालांकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एक भी प्रत्याशी नहीं उतारा। इधर पार्टी का दावा है कि प्रदेश में 50 पार्षद और 70 जिला पंचायत सदस्य हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में 349 सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी लड़े थे। जीतना तो दूर उसके प्रत्याशी एक भी सीट पर तीसरे नंबर पर भी नहीं थे। सभी की जमानत जब्त हो गई थी। प्रदेश में कुल 9 करोड़ 15 लाख 25 हजार 592 वोट में से आप प्रत्याशियों को सिर्फ 3 लाख 47 हजार 192 वोट मिले थे। 2022 का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी का उत्तर प्रदेश में लॉन्च था। यूपी के उलट उसी समय पंजाब में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव जीता और सरकार बनाई। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने इंडी गठबंधन को समर्थन दिया और प्रदेश में पार्टी के सिंबल पर प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया था। आप के ऐलान का उपचुनाव में क्या असर पड़ेगा? एक्सपर्ट की मानें तो आम आदमी पार्टी का उत्तर प्रदेश में कोई जनाधार नहीं है। जिला स्तर पर संगठन भी मजबूत नहीं है। 2023 में जिन निकायों में आप जीती थी, वहां प्रत्याशी की जीत थी। पार्टी का कोई वोट बैंक नहीं था। इसलिए उपचुनाव में सपा को समर्थन देने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। पॉलिटिकल एक्सपर्ट रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं- यह एक प्रतीकात्मक सहयोग होता है। संजय सिंह यह दिखाना चाहते हैं कि वह इंडिया गठबंधन के साथ हैं और यूपी में इंडी गठबंधन चुनाव लड़ रहा है। जिस तरह कांग्रेस ने सभी सीटों पर सपा का सहयोग किया, उसी तरह आम आदमी पार्टी भी कर रही है। सवाल उठता है कि आप, सपा को समर्थन क्यों दे रही? अब सवाल उठता है कि जब जनाधार ही नहीं है तो सपा को किस बात का समर्थन? सपा ने समर्थन मांगा भी नहीं है। आप यह कह सकती है कि इंडी गठबंधन में शामिल होने की वजह से सपा का समर्थन कर रही है। लेकिन यह पूरा सच नहीं है। इंडी गठबंधन में होते हुए भी आप ने हरियाणा में चुनाव लड़ा और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव है। उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या वहां काफी ज्यादा है। जीत हार वही तय करते हैं। इसलिए आम आदमी पार्टी चाहती है कि इसके बदले दिल्ली विधानसभा चुनाव में सपा सपोर्ट करेगी। सपा से गठबंधन को कुछ हद तक फायदा वहां मिल सकता है। दूसरे कांग्रेस की घेराबंदी की जा सकेगी, जिससे वे ज्यादा सीटें न मांगे। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह कहते हैं- आम आदमी पार्टी के सपोर्ट को लाभ हानि की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। मोरल सपोर्ट के लिए इस तरह की चीजें की जाती हैं। आम आदमी पार्टी अब बड़ा दल है। उसकी दो राज्यों में सरकार है। वह अब राष्ट्रीय पार्टी है। राज्य में पकड़ मजबूत करने के लिए आप की तैयारी क्या है? 6 महीने में 50 लाख सदस्य जोड़ने का लक्ष्य आम आदमी पार्टी ने यूपी में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया है। संजय सिंह ने इसकी शुरुआत की। संजय सिंह ने कहा कि पार्टी ने छह महीने में 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। संजय सिंह ने कहा कि सदस्य बनने के लिए किसी से भी एक पैसा नहीं लिया जाएगा। ऑनलाइन जो लोग सदस्य बनने की इच्छा प्रकट करेंगे, उनसे आप कार्यकर्ता संपर्क करेंगे। हर जिले में कम से कम 10 पदाधिकारी चयनित किए हैं, जो महीने में 10 ग्राम सभा कमेटी या वार्ड कमेटी बनाएंगे। महीने के दूसरे शनिवार उठाएंगे जनता के मुद्दे: हर महीने के दूसरे शनिवार को आंदोलन का कार्यक्रम तय किया गया है। ये चाहे राज्य स्तर के मुद्दे पर हो या जिले स्तर के मुद्दे पर हो या स्थानीय मुद्दे पर हो। संजय सिंह ने कहा कि इसी कड़ी में 9 तारीख को आंदोलन का विषय यूपी में बंद होने जा रहे 27000 स्कूलों को लेकर है। उन्होंने कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि ऐसे मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं कर रहा है। बच्चों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में गरीब का बच्चा पढ़ता है, पिछड़े वर्ग का बच्चा, वंचित समाज का बच्चा, दलित का बच्चा पढ़ता है। अब वो सरकारी स्कूल खत्म कर रहे हैं। महीने के आखिरी रविवार करेंगे जनसेवा के कार्य: हर महीने के आखिरी रविवार को सेवा के कार्य किए जाएंगे। इसमें सफाई अभियान, नदियों की सफाई, महापुरुषों की मूर्तियों की सफाई, पार्को की सफाई, विचार गोष्ठी आदि में से एक काम किया जाएगा। ---------------------------- ये भी पढ़ें... संजय सिंह बोले- यूपी पुलिस बेलगाम, सीएम दे रहे संरक्षण:कहा- बंटो नहीं, मिलकर भाजपा को हराओ; उपचुनाव में आप का सपा को समर्थन यूपी में आम आदमी पार्टी ने सोमवार से सदस्यता अभियान शुरू किया। इस दौरान यूपी प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा- भाजपा सिर्फ झूठ का कारोबार कर रही है। पुलिस पूरी तरह से क्रूर और तानाशाह हो गई है। लखनऊ में मोहित पांडेय की हत्या हो या अमन गौतम की मौत। उन्होंने कहा कि रायबरेली में फौजी के साथ जिस तरीके से पुलिस वालों ने बर्बरता की है। ये सरकार की विफलता है। उत्तर प्रदेश की पुलिस बेलगाम हो चुकी है। मुख्यमंत्री कार्रवाई करने के बजाय पुलिस को संरक्षण दे रहे हैं। संविधान और आरक्षण को खतरे में बताते हुए संजय सिंह ने कहा कि भाजपा संविधान को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। पढ़ें पूरी खबर...

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