सांप का खौफ..रात में आसमान के नीचे सो रहे बच्चे:आंखों में नींद नहीं; महिलाएं घर के बाहर और पुरुष गलियों में दे रहे पहरा

रात के साढ़े 12 बज रहे हैं। अमूमन 9 बजे तक सो जाने वाला ये गांव जाग रहा है। महिलाएं घरों के बाहर बैठकर आपस में बात कर रही हैं। पुरुष गलियों में घूमकर पहरा दे रहे हैं। बच्चे सामूहिक रूप से एक नीम के पेड़ के नीचे चारपाइयों पर लेटे हैं। लेकिन उनकी आंखों में नींद नहीं है, डरे हुए हैं। ये गांव है हापुड़ जिले का सदरपुर, जहां सांप के डसने से 3 लोगों की मौत हो गई थी। 4 अस्पताल में भर्ती रहे। गांव में सांप को लेकर ऐसी दहशत है, जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा। वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी पूरी-पूरी रात जाग रहे हैं। लोग डंडे लेकर पहरा दे रहे हैं। सपेरे भी गांव में डेरा डाले हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने 26 अक्टूबर की रात इसी गांव में गुजारी। पूरा माहौल समझा। दहशत के वो पल गांव वालों के बीच रहकर महसूस किए। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट... गांव में 21 अक्टूबर की रात पूनम (29), उसके दो बच्चों साक्षी (11) और तनिष्क (10) को सांप ने डस लिया था। तीनों की मौत हो गई थी। इसके बाद गांव में सांप को लेकर दहशत फैल गई। वन विभाग ने गांव में सपेरे भेजे हैं। वहीं 10 से 12 परिवार गांव छोड़कर रिश्तेदारी में चले गए हैं। जो रह गए, उनकी रात सांप के खौफ में कट रही। वन विभाग के 20 कर्मचारी तैनात, शिफ्ट-वाइज कर रहे ड्यूटी हम इस गांव में 26 अक्टूबर की रात पहुंचे और सुबह 4 बजे तक रहे। रात के 8 बजे होंगे, जब हम गांव पहुंचे। जाटव बस्ती में वन विभाग के डिप्टी रेंजर एक खाली प्लॉट में कुर्सी पर बैठे थे। वो इंतजार कर रहे थे, शिफ्ट चेंज होने का। वन क्षेत्राधिकारी करन सिंह ने बताया- वन विभाग के गांव में कुल 20 कर्मचारी तैनात हैं। एक शिफ्ट में 5-6 लोग ड्यूटी देते हैं। इस तरह 24 घंटे हम गांव पर नजर बनाए हैं। बीच-बीच में गलियों में घूमकर अपने इक्विपमेंट्स से सांपों को ढूंढने का प्रयास करते हैं। हमने गांव में तीन प्रमुख स्थानों पर तीन बड़ी लाइटें लगवाई हैं, जिससे अंधेरा न हो। जागरूकता के लिए लोगों को हमने पंपलेट बंटवाए हैं। इनमें लिखा है कि सांप के काटने पर कैसे बचाव कर सकते हैं? डर के मारे हम सो नहीं पा रहे यहां से उठकर हम गांव की गलियों में आगे बढ़े। रास्ते में हमें अपने घर के बाहर ऊषा देवी बैठी मिलीं। हमने पूछा- इतनी रात को बाहर क्यों बैठी हो? इस पर वो कहती हैं- हमें तो ऐसे ही पूरी रात हो जाती है। कभी घर के अंदर, कभी बाहर। डर ही इतना लगता है। सांप सिर्फ रात में दिखता है, दिन में नहीं। इसी डर के मारे हम नहीं सो पा रहे हैं। बच्चे डर रहे हैं। बड़े भी डरे हुए हैं। उन्होंने बच्चों को अपनी रिश्तेदारियों में सुरक्षित पहुंचा दिया है। इसी गली में दो मकान छोड़कर करीब 7-8 गांववाले घर के बाहर खड़ंजे पर चारपाई डालकर बैठे मिले। बोले- 7 दिन से हमारी रात तो ऐसे ही गुजर रही। सांप का डर ऐसा है कि कोई सो नहीं पाता। किसी को नींद ही नहीं आती। हम सब आपस में पूरी रात बात करते रहते हैं, जिससे रात आराम से कट जाए। नीम के पेड़ के नीचे सामूहिक सो रहे बच्चे-महिलाएं रात साढ़े 10 बजे हम जाटव बस्ती में अंबेडकर मूर्ति के बगल से जाने वाले रास्ते पर पहुंचे। यहां एक नीम का पेड़ है। उसके नीचे 20 से ज्यादा चारपाई पड़ी थीं। इन पर ज्यादातर बच्चे और महिलाएं लेटे थे या फिर आपस में बात कर रहे थे। सिर्फ दो-चार बच्चे सो रहे होंगे, बाकी सब जागे हुए थे। ये सभी पिछले 4 दिन से रोजाना सामूहिक रूप से ही इस पेड़ के नीचे सोते हैं। अब ठंड बढ़ गई है। रात में ओस की बूंदें भी टपकती हैं। इसलिए पेड़ के नीचे टेंट का कपड़ा लगवा दिया है, ताकि ओस न टपके। इसकी व्यवस्था गांव के ही एक टेंट व्यापारी ने अपनी तरफ से फ्री की है। भइया डर है हमें, बताओ कहां जाएं? आप लोग घर छोड़कर खुले आसमान के नीचे क्यों सो रहे? इसके जवाब में एक चारपाई पर बैठी अंगूरी देवी कहती हैं- भैया डर है हमें। 3 मर गए, 3 खा लिए। बताओ कहां जाएं? जब ऐसा होगा, तो मोहल्ला खाली हो जाएगा। पुलिसवाले भी रातभर पहरा देते हैं। मीडिया वाले भी रोजाना आते हैं। सांप फिर भी नहीं पकड़ा जा रहा। घरों में सोने की हिम्मत नहीं। इसलिए बच्चों को लेकर यहां खुले में पड़े रहते हैं। अब तुम ही बताओ हम क्या करें? 7 दिन हो गए। बहू-बेटे चले गए, मैं भी चली जाऊं तो पशुओं को चारा कौन देगा? यहीं बैठीं एक और बुजुर्ग महिला राकेश ने बताया- सांप के डर के मारे आधे बच्चे तो गांव से कहीं और चले गए हैं। अब बताओ काम करें या इधर ध्यान दें। इस डर से काम नहीं हो रहा। त्योहार सिर पर आ गए हैं। बच्चे डर के चलते घर के अंदर नहीं घुस पा रहे। इसलिए हमें मजबूरी में यहां चारपाई डालकर सबके साथ सोना पड़ रहा है। सांप घर में ही काटते हैं, इसलिए हम बाहर भागकर आ गए हैं। अब यहां से भी भागकर कहां जाएं? मेरा बेटा, बहू और उसके बच्चे भी घर छोड़कर बाहर चले गए हैं। मैं तो पशुओं की देखभाल की वजह से गांव में रुकी हूं। अगर मैं ही चली जाऊंगी, तो पशुओं को चारा कौन देगा? जिसे सांप ने काटा, वो बोला- अब तक कमजोरी महसूस हो रही रात 11 बजे के आसपास पूनम अपने घर लौट आईं। दरअसल, इन्हें 25 अक्टूबर की रात सांप ने काट लिया था। मेरठ मेडिकल कॉलेज में इलाज चला। छुट्टी लेकर परिवारवाले अब घर आ गए हैं। पति अजब सिंह कहते हैं- पहले से हालत ठीक है, लेकिन पत्नी अभी काफी डरी है। यहीं पर हमें एक और ऐसे शख्स मिले, जिन्हें 3 दिन पहले सांप ने काटा था। उन्होंने अपना नाम तो नहीं बताया, लेकिन पूरा घटनाक्रम जरूर बयां किया। उन्होंने बताया- मैं घर के अंदर जमीन पर सो रहा था। रात में मेरे कान के पास किसी ने काटा। मुझे तुरंत करंट जैसा महसूस हुआ। मैंने हाथ से झपट्टा मारा तो सांप जैसा कुछ हाथ से झटक कर दूर जा गिरा। फिर वो दिखा भी नहीं। इसके बाद मुझे उल्टियां शुरू हो गईं। आंखों के सामने अंधेरा छा गया। चक्कर आने लगे। तुरंत मुझे डॉक्टर के पास ले जाया गया। अब मेरी हालत ठीक है, लेकिन काफी कमजोरी महसूस हो रही है। कैसे भी करके बस सांप पकड़वा दो... रात के डेढ़ बज रहे थे। गांव के कुछ युवक हाथों में डंडे लेक

Oct 28, 2024 - 05:50
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सांप का खौफ..रात में आसमान के नीचे सो रहे बच्चे:आंखों में नींद नहीं; महिलाएं घर के बाहर और पुरुष गलियों में दे रहे पहरा
रात के साढ़े 12 बज रहे हैं। अमूमन 9 बजे तक सो जाने वाला ये गांव जाग रहा है। महिलाएं घरों के बाहर बैठकर आपस में बात कर रही हैं। पुरुष गलियों में घूमकर पहरा दे रहे हैं। बच्चे सामूहिक रूप से एक नीम के पेड़ के नीचे चारपाइयों पर लेटे हैं। लेकिन उनकी आंखों में नींद नहीं है, डरे हुए हैं। ये गांव है हापुड़ जिले का सदरपुर, जहां सांप के डसने से 3 लोगों की मौत हो गई थी। 4 अस्पताल में भर्ती रहे। गांव में सांप को लेकर ऐसी दहशत है, जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा। वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी पूरी-पूरी रात जाग रहे हैं। लोग डंडे लेकर पहरा दे रहे हैं। सपेरे भी गांव में डेरा डाले हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने 26 अक्टूबर की रात इसी गांव में गुजारी। पूरा माहौल समझा। दहशत के वो पल गांव वालों के बीच रहकर महसूस किए। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट... गांव में 21 अक्टूबर की रात पूनम (29), उसके दो बच्चों साक्षी (11) और तनिष्क (10) को सांप ने डस लिया था। तीनों की मौत हो गई थी। इसके बाद गांव में सांप को लेकर दहशत फैल गई। वन विभाग ने गांव में सपेरे भेजे हैं। वहीं 10 से 12 परिवार गांव छोड़कर रिश्तेदारी में चले गए हैं। जो रह गए, उनकी रात सांप के खौफ में कट रही। वन विभाग के 20 कर्मचारी तैनात, शिफ्ट-वाइज कर रहे ड्यूटी हम इस गांव में 26 अक्टूबर की रात पहुंचे और सुबह 4 बजे तक रहे। रात के 8 बजे होंगे, जब हम गांव पहुंचे। जाटव बस्ती में वन विभाग के डिप्टी रेंजर एक खाली प्लॉट में कुर्सी पर बैठे थे। वो इंतजार कर रहे थे, शिफ्ट चेंज होने का। वन क्षेत्राधिकारी करन सिंह ने बताया- वन विभाग के गांव में कुल 20 कर्मचारी तैनात हैं। एक शिफ्ट में 5-6 लोग ड्यूटी देते हैं। इस तरह 24 घंटे हम गांव पर नजर बनाए हैं। बीच-बीच में गलियों में घूमकर अपने इक्विपमेंट्स से सांपों को ढूंढने का प्रयास करते हैं। हमने गांव में तीन प्रमुख स्थानों पर तीन बड़ी लाइटें लगवाई हैं, जिससे अंधेरा न हो। जागरूकता के लिए लोगों को हमने पंपलेट बंटवाए हैं। इनमें लिखा है कि सांप के काटने पर कैसे बचाव कर सकते हैं? डर के मारे हम सो नहीं पा रहे यहां से उठकर हम गांव की गलियों में आगे बढ़े। रास्ते में हमें अपने घर के बाहर ऊषा देवी बैठी मिलीं। हमने पूछा- इतनी रात को बाहर क्यों बैठी हो? इस पर वो कहती हैं- हमें तो ऐसे ही पूरी रात हो जाती है। कभी घर के अंदर, कभी बाहर। डर ही इतना लगता है। सांप सिर्फ रात में दिखता है, दिन में नहीं। इसी डर के मारे हम नहीं सो पा रहे हैं। बच्चे डर रहे हैं। बड़े भी डरे हुए हैं। उन्होंने बच्चों को अपनी रिश्तेदारियों में सुरक्षित पहुंचा दिया है। इसी गली में दो मकान छोड़कर करीब 7-8 गांववाले घर के बाहर खड़ंजे पर चारपाई डालकर बैठे मिले। बोले- 7 दिन से हमारी रात तो ऐसे ही गुजर रही। सांप का डर ऐसा है कि कोई सो नहीं पाता। किसी को नींद ही नहीं आती। हम सब आपस में पूरी रात बात करते रहते हैं, जिससे रात आराम से कट जाए। नीम के पेड़ के नीचे सामूहिक सो रहे बच्चे-महिलाएं रात साढ़े 10 बजे हम जाटव बस्ती में अंबेडकर मूर्ति के बगल से जाने वाले रास्ते पर पहुंचे। यहां एक नीम का पेड़ है। उसके नीचे 20 से ज्यादा चारपाई पड़ी थीं। इन पर ज्यादातर बच्चे और महिलाएं लेटे थे या फिर आपस में बात कर रहे थे। सिर्फ दो-चार बच्चे सो रहे होंगे, बाकी सब जागे हुए थे। ये सभी पिछले 4 दिन से रोजाना सामूहिक रूप से ही इस पेड़ के नीचे सोते हैं। अब ठंड बढ़ गई है। रात में ओस की बूंदें भी टपकती हैं। इसलिए पेड़ के नीचे टेंट का कपड़ा लगवा दिया है, ताकि ओस न टपके। इसकी व्यवस्था गांव के ही एक टेंट व्यापारी ने अपनी तरफ से फ्री की है। भइया डर है हमें, बताओ कहां जाएं? आप लोग घर छोड़कर खुले आसमान के नीचे क्यों सो रहे? इसके जवाब में एक चारपाई पर बैठी अंगूरी देवी कहती हैं- भैया डर है हमें। 3 मर गए, 3 खा लिए। बताओ कहां जाएं? जब ऐसा होगा, तो मोहल्ला खाली हो जाएगा। पुलिसवाले भी रातभर पहरा देते हैं। मीडिया वाले भी रोजाना आते हैं। सांप फिर भी नहीं पकड़ा जा रहा। घरों में सोने की हिम्मत नहीं। इसलिए बच्चों को लेकर यहां खुले में पड़े रहते हैं। अब तुम ही बताओ हम क्या करें? 7 दिन हो गए। बहू-बेटे चले गए, मैं भी चली जाऊं तो पशुओं को चारा कौन देगा? यहीं बैठीं एक और बुजुर्ग महिला राकेश ने बताया- सांप के डर के मारे आधे बच्चे तो गांव से कहीं और चले गए हैं। अब बताओ काम करें या इधर ध्यान दें। इस डर से काम नहीं हो रहा। त्योहार सिर पर आ गए हैं। बच्चे डर के चलते घर के अंदर नहीं घुस पा रहे। इसलिए हमें मजबूरी में यहां चारपाई डालकर सबके साथ सोना पड़ रहा है। सांप घर में ही काटते हैं, इसलिए हम बाहर भागकर आ गए हैं। अब यहां से भी भागकर कहां जाएं? मेरा बेटा, बहू और उसके बच्चे भी घर छोड़कर बाहर चले गए हैं। मैं तो पशुओं की देखभाल की वजह से गांव में रुकी हूं। अगर मैं ही चली जाऊंगी, तो पशुओं को चारा कौन देगा? जिसे सांप ने काटा, वो बोला- अब तक कमजोरी महसूस हो रही रात 11 बजे के आसपास पूनम अपने घर लौट आईं। दरअसल, इन्हें 25 अक्टूबर की रात सांप ने काट लिया था। मेरठ मेडिकल कॉलेज में इलाज चला। छुट्टी लेकर परिवारवाले अब घर आ गए हैं। पति अजब सिंह कहते हैं- पहले से हालत ठीक है, लेकिन पत्नी अभी काफी डरी है। यहीं पर हमें एक और ऐसे शख्स मिले, जिन्हें 3 दिन पहले सांप ने काटा था। उन्होंने अपना नाम तो नहीं बताया, लेकिन पूरा घटनाक्रम जरूर बयां किया। उन्होंने बताया- मैं घर के अंदर जमीन पर सो रहा था। रात में मेरे कान के पास किसी ने काटा। मुझे तुरंत करंट जैसा महसूस हुआ। मैंने हाथ से झपट्टा मारा तो सांप जैसा कुछ हाथ से झटक कर दूर जा गिरा। फिर वो दिखा भी नहीं। इसके बाद मुझे उल्टियां शुरू हो गईं। आंखों के सामने अंधेरा छा गया। चक्कर आने लगे। तुरंत मुझे डॉक्टर के पास ले जाया गया। अब मेरी हालत ठीक है, लेकिन काफी कमजोरी महसूस हो रही है। कैसे भी करके बस सांप पकड़वा दो... रात के डेढ़ बज रहे थे। गांव के कुछ युवक हाथों में डंडे लेकर पहरा दे रहे थे। उनका कहना था कि हम नजर रखते हैं कि कहीं सांप गलियों में तो नहीं घूम रहा। पहरे की आहट से घर के अंदर सो रहे लोग जाग जाते हैं और सतर्क रहते हैं। पहरा देने का ये क्रम बदलता रहता है और सुबह साढ़े 3 बजे तक चलता है। इसके बाद गांव में लोग खुद ही नींद से उठना शुरू कर देते हैं। चूंकि मैं पूरी रात गांववालों के बीच अलग-अलग पॉइंट पर घूमता रहा और माहौल भांपता रहा। गांववालों को लगा कि मैं बाहर का रहने वाला हूं, यहां कैसे एडजस्ट कर पाऊंगा। इसलिए उन्होंने मेरे लिए चारपाई लगवाई। खाने-पीने का भी इंतजाम किया। खैर, सुबह साढ़े 4 बजे तक मैं इस गांव में रहा और फिर वहां से निकल गया। निकलते-निकलते गांववाले बस इतना ही कह रहे थे कि कैसे भी करके सांप को पकड़वा दो। CMO बोले- स्नेक बाइट से हुई तीनों की मौत गांव के लोग कह रहे हैं कि सांप के काटने से अब तक की 3 मौतें हो चुकी हैं। तीनों का पोस्टमॉर्टम कराया गया था। मौत की वजह क्या रही? ये जानने के लिए हमने हापुड़ जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉक्टर सुनील त्यागी से बात की। उन्होंने बताया- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में तीनों की मौत की वजह स्नेक बाइट आई है। तीनों के शरीर पर स्नेक बाइट का निशान भी बना हुआ था। ------------------- ये खबर भी पढ़ें... अदृश्य सांप की दहशत से खाली हो गया गांव, हापुड़ में घर छोड़कर भाग रहे लोग; हफ्ते भर में 7 को डसा, 3 की मौत यूपी के हापुड़ जिले के सदरपुर गांव में लोग अदृश्य सांप से दहशत में हैं। एक हफ्ते में यहां सांप के काटने से महिला और उसके दो-बच्चों की मौत हो गई। जबकि 4 महिला-पुरुषों का इलाज चल रहा है। मेडिकल रिपोर्ट में सांप काटने की बात सामने आई है, लेकिन गांव में अब तक किसी ने सांप को नहीं देखा है। पूरी खबर पढ़ें...

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