हाथरस में माताओं ने मनाई अहोई अष्टमी:रखा निर्जला उपवास, मांगी संतानों की दीर्घायु और सुख समृद्धि की कामना

हाथरस में अहोई अष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। महिलाओं ने अपनी संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखा है। माताओं ने संतान की रक्षा, सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना के साथ विधि-विधान से अहोई माता की पूजा की। गुरुवार को जिलेभर में इस त्योहार का उत्साह देखने को मिला। सुबह से ही महिलाएं उठकर स्नान और ध्यान में जुट गईं। तिलक के बाद बच्चों को आशीर्वाद देकर पूजा अर्चना की गई। अहोई माता के दरबार सजाए गए, जहां पूजा के साथ-साथ सूर्य को अर्घ्य भी दिया गया। रात में तारे को देखकर व्रत होगा पूरा अहोई व्रत के चलते बाजारों में चहल-पहल रही। महिलाएं अपनी संतानों की दीर्घायु के लिए कथा सुनती रहीं और संकल्प लेकर पूरे दिन निर्जल व्रत रखा। शाम में पूजा के बाद, माताएं रात को तारे देखकर अपना व्रत पूरा करेंगी। इस अवसर पर उन्होंने अपनी संतानों को दीर्घायु और तरक्की के लिए आशीर्वाद भी दिया। एक अलग ही परंपरा जहां करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए करती हैं, वहीं अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती हैं। कई माताएं इस त्योहार को निर्जला व्रत रहकर मना रही हैं, जो इस अवसर की विशेषता को और बढ़ाता है।

Oct 24, 2024 - 16:55
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हाथरस में माताओं ने मनाई अहोई अष्टमी:रखा निर्जला उपवास, मांगी संतानों की दीर्घायु और सुख समृद्धि की कामना
हाथरस में अहोई अष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। महिलाओं ने अपनी संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखा है। माताओं ने संतान की रक्षा, सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना के साथ विधि-विधान से अहोई माता की पूजा की। गुरुवार को जिलेभर में इस त्योहार का उत्साह देखने को मिला। सुबह से ही महिलाएं उठकर स्नान और ध्यान में जुट गईं। तिलक के बाद बच्चों को आशीर्वाद देकर पूजा अर्चना की गई। अहोई माता के दरबार सजाए गए, जहां पूजा के साथ-साथ सूर्य को अर्घ्य भी दिया गया। रात में तारे को देखकर व्रत होगा पूरा अहोई व्रत के चलते बाजारों में चहल-पहल रही। महिलाएं अपनी संतानों की दीर्घायु के लिए कथा सुनती रहीं और संकल्प लेकर पूरे दिन निर्जल व्रत रखा। शाम में पूजा के बाद, माताएं रात को तारे देखकर अपना व्रत पूरा करेंगी। इस अवसर पर उन्होंने अपनी संतानों को दीर्घायु और तरक्की के लिए आशीर्वाद भी दिया। एक अलग ही परंपरा जहां करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए करती हैं, वहीं अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती हैं। कई माताएं इस त्योहार को निर्जला व्रत रहकर मना रही हैं, जो इस अवसर की विशेषता को और बढ़ाता है।

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