हिमाचल के ऊंचे इलाकों में 4 दिन बर्फबारी:मैदानी व निचले इलाकों में साफ रहेगा मौसम, ताबो का न्यूनतम तापमान -11.1 डिग्री तक लुढ़का
हिमाचल प्रदेश के अधिक ऊंचे क्षेत्रों में आज मौसम करवट बदल सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, शुक्रवार से वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव हो रहा है। इसका असर किन्नौर, लाहौल स्पीति, चंबा, कुल्लू और कांगड़ा के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नजर आ सकता है। बर्फबारी से पहले लाहौल स्पीति के ताबो का न्यूनतम तापमान माइनस 11.1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। केलांग का तापमान 3 डिग्री, समदो 3.4 और कुकुमसैरी 5.8 डिग्री तक लुढ़क गया है। मौसम विभाग (IMD) की माने तो वेस्टर्न डिस्टरबेंस कमजोर है। इससे अच्छी बर्फबारी के कम आसार है। मगर अधिक ऊंचे इलाकों में अगले चार दिन तक हल्का हिमपात हो सकता है। मगर अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ की हल्की सफेद चादर बिछ सकती है। सरचू-दारचा से हटाए चेक पोस्ट मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए लाहौल स्पीति पुलिस ने सरचू और दारचा से चेक-पोस्ट हटा दिए है। इन दोनों जगह बंद करके जिस्पा में चेक पोस्ट लगाया गया है,जहां पर पुलिस के जवान दिन रात तैनात रहेंगे। दरअसल, अधिक ऊंचाई के कारण सरचू और दारचा में अचानक बर्फ गिर जाती है और इससे ऊंचे क्षेत्र जिला मुख्यालय और कुल्लू से पूरी तरह कट जाते है। इसलिए जिस्पा में चेक पोस्ट लगाकर पर्यटकों और स्थानीय लोगों को ऊंचे क्षेत्रों में जाने से रोका जाएगा। मैदानी व मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में नहीं टूटेगा दो महीने का ड्राइ स्पेल वहीं प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में दो महीने का ड्राइ स्पेल टूटने के आसार नहीं है। ऊंचे पहाड़ों पर अगले 96 घंटे तक बेशक बर्फबारी का पूर्वानुमान है। मगर मैदानी और मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में धूप खिली रहेगी। इन क्षेत्रों अगले दो सप्ताह तक अच्छी बारिश-बर्फबारी की संभावना नहीं है। शिमला में भी आज सुबह से ही अच्छी धूप खिली हुई है। बिलासपुर-मंडी में धुंध का येलो अलर्ट बिलासपुर और मंडी जिला के कुछेक क्षेत्रों में अगले तीन दिन तक घनी धुंध छाने का येलो अलर्ट दिया गया है। इससे विजिबिलिटी 50 मीटर से भी कम हो जाएगी। इसे देखते हुए लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। किसानों-बागवानों और टूरिज्म इंडस्ट्री पर मार प्रदेश में ड्राइ स्पेल की वजह से सूखे जैसे हालात बन गए है। इसकी सबसे ज्यादा मार किसानों, बागवानों और टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ी है। अब पानी के स्त्रोत भी सूखने लगे है। सूखे की मार से 63 प्रतिशत जमीन पर किसान गेंहू की बुवाई नहीं कर पाए। प्रदेश में गेंहू की फसल 3.26 लाख हैक्टेयर भूमि पर होती थी। बुवाई नहीं होने से उत्पादन पर असर पड़ेगा। इसी तरह अब सेब के बगीचों पर सूखे के कारण संकट मंडरा रहा है। वूलि एफिड नाम का कीट सेब बगीचों पर हमला बोल चुका है। इससे बचाव के लिए बर्फबारी बेहद जरूरी है।
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