12 साल से जमी सपा के कटेहरी में पसीने छूटे:पत्नी को उतार परिवारवाद में घिरे सांसद लालजी वर्मा, भाजपा ने पिछड़ा कार्ड खेला

''या तो अबकी जिताय द, या त टिक्ठी प लेटाय द...'' अम्बेडकरनगर की कटेहरी में ऐसा बड़ी-बड़ी होर्डिंग में लिखा था। पोस्टर भाजपा का था। मोदी-योगी के साथ भाजपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद की तस्वीर थी। इसका अर्थ है- या तो इस बार जिता दीजिए, या मृत्यु शैया पर लिटा दीजिए। इस पोस्टर से कटेहरी में होने वाले उपचुनाव का माहौल समझा जा सकता है। हालांकि, भाजपा ने विपक्ष की साजिश बताते हुए ये पोस्टर हटवा दिए। सपा की तरफ से सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा चुनावी मैदान में हैं। लालजी वर्मा भाजपा पर मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रहे हैं। एक तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने कहा- भाजपा नेता स्वतंत्रदेव सिंह के साथ ADO पंचायत प्रचार कर रहे हैं। वहीं, भाजपा से धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद सवर्णों में पहले नाराजगी थी। लेकिन, 16 दिन बाद अब हालात बदल गए हैं। तमाम जातीय और सियासी समीकरण को देखा जाए, तो मौजूदा समय में कटेहरी में भाजपा मजबूत दिखाई दे रही। हालांकि, कटेहरी में इस बात की भी चर्चा है कि लालजी वर्मा माहिर खिलाड़ी हैं। दूसरी तरफ मैदान में बसपा से अमित वर्मा चुनावी मैदान में हैं, जो सपा का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। पूरा चुनावी माहौल समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम कटेहरी पहुंची। यहां क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे? क्या बड़ा उलटफेर होगा? अभी हवा का रुख क्या है? इन सवालों के साथ हमने लोगों और पॉलिटिकल एक्सपर्ट से बात की। अयोध्या से करीब 45 किमी दूर कटेहरी ग्रामीण इलाका है। हम यहां के 20 गांवों में गए। यहां मेन फाइट भाजपा और सपा के बीच दिखाई दी। पहले अवधेश द्विवेदी की नाराजगी की चर्चा थी। लेकिन, अब भाजपा ने उनके साथ इलाके के तमाम सवर्ण नेताओं को मना लिया है। वहीं, सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा के सामने अपने ही वर्ग के वोटरों को एकजुट कर पाना चुनौती बना है। बसपा प्रत्याशी अमित वर्मा लगातार सेंधमारी कर रहे हैं। यह पहला मौका है जब सभी बड़ी पार्टियों ने सवर्ण प्रत्याशी पर दांव नहीं लगाया, जबकि यहां सवर्ण प्रत्याशी ही निर्णायक होते रहे हैं। हम 13 दिन पहले जब कटेहरी आए थे, तब स्थिति अलग थी। नेताओं के साथ वोटर भी उलझा हुआ था। अब लोग खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। अब बात कटेहरी की जनता की… ब्राह्मण-ठाकुर प्रत्याशी नहीं, इसलिए आगे भाजपा हम सबसे पहले महरुआ चौराहा पहुंचे। यहां जलपान की दुकान पर लोग पहले से ही चुनाव की चर्चा कर रहे थे। हमने पहले लोगों की बात सुनी। इसके बाद किसान उदय प्रताप सिंह से बात की। वह कहते हैं- यहां भाजपा का माहौल अच्छा है। लालजी वर्मा ने यहां से जितने चुनाव लड़े, सब जीते। लेकिन, अब जनता चाहती है कि इस बार भाजपा जीते। व्यापारी धर्मराज यादव ने कहा- हर बार दो सवर्ण प्रत्याशी उतर जाते थे, इसलिए भाजपा हार जाती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। लोग बसपा में जाएंगे नहीं, सपा को वोट देंगे नहीं, इसलिए भाजपा के धर्मराज आगे हैं। दुकान पर खड़े सभाजीत जायसवाल कहते हैं- पिछले साल हमने लालजी वर्मा को वोट दिया था। जीतने के बाद उनके समर्थकों का स्वभाव बदल गया। अबकी हमारा स्वभाव बदला है। हम अब अपनी पार्टी को वोट देंगे। पूछने पर कहते हैं- भाजपा हमारी पार्टी है। महरुआ चौराहे पर लोगों से बात करने पर माहौल पूरी तरफ भाजपा के पक्ष में दिखाई दिया। इसके बाद हम कटेहरी पहुंचे। पीडीए एकजुट है, इसलिए जीत रही सपा कटेहरी में छात्र विपिन यादव ने कहा- इस उपचुनाव में सत्ता पक्ष के लोग शासन और प्रशासन के दम पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। जबकि यहां की जनता ने मन बना लिया है कि वह सपा को वोट करेगी। पीडीए एकजुट है। हमने जब उनसे सवर्ण वोटर की बात की, तब विपिन यादव ने कहा- वो लोग भाजपा से नाराज चल रहे हैं। सपा के पक्ष में हैं। सपा को वोट करेंगे। मनीष कुमार वर्मा ने कहा- कटेहरी में पीडीए का माहौल है। पिछड़ा-दलित और मुस्लिम कॉम्बिनेशन यहां बना हुआ है। इसका फायदा सपा कैंडिडेट शोभावती वर्मा को मिलता दिख रहा है। हमने पूछा कि क्या यहां बसपा कैंडिडेट अमित वर्मा के चलते वोटों में बिखराव नहीं होगा? जवाब में मनीष ने कहा- वर्मा जी 12 साल बाद चुनाव लड़ रहे, वह जनता से 12 साल दूर रहे। वोट उसी को मिलता है, जो जनता के बीच रहता है। अब एक नजर कटेहरी के जातीय समीकरण पर हमने ऐसे ही अलग-अलग इलाकों के 100 से ज्यादा लोगों से बात की। जो समीकरण बन रहे हैं, उन्हें 3 पॉइंट में समझते हैं... 1. तीनों मुख्य पार्टियों से सवर्ण प्रत्याशी नहीं होने से यहां करीब 1 लाख सवर्ण वोटर ही निर्णायक हो गए हैं। पिछली बार बसपा से प्रतीक पांडेय और भाजपा से अवधेश द्विवेदी थे, इसलिए वोटों का बिखराव हुआ। इस बार सवर्ण वोटर भाजपा की तरफ जाता दिख रहा। 2. बसपा प्रत्याशी अमित वर्मा दलित वोटों के साथ वर्मा वर्ग में भी सेंधमारी कर रहे हैं। इसका सीधा नुकसान सपा की शोभावती वर्मा को होता दिख रहा है। 3. लोग कहते हैं- लालजी वर्मा जब बसपा में थे, उस वक्त यादवों के विरोधी थे। इस चुनाव से सरकार में बदलाव नहीं होना है, इसलिए यादव वोटर्स बगावत के मूड में दिख रहे हैं। कटेहरी उपचुनाव पर एक्सपर्ट की राय क्या है... धर्मराज निषाद को भितरघात से होगा नुकसान अम्बेडकरनगर में लंबे वक्त से पत्रकारिता कर रहे सवर्जीत त्रिपाठी कहते हैं- मेरी नजर में लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा आगे हैं, क्योंकि लालजी वर्मा सियासत के बहुत बड़े खिलाड़ी हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने देर से प्रत्याशी उतारा। धर्मराज निषाद को भितरघात का सामना करना पड़ा। अब वो अलग बात है कि योगी जी और तमाम मंत्री लगकर उन्हें मना लें। कुछ सवर्ण नेता जरूर दावा कर रहे हैं कि हम साथ आ गए हैं, लेकिन वह दिखावटी लगता है। गांव-गांव में सवर्णों के बीच धर्मराज का विरोध है। कटेहरी की राजनीति को लंबे वक्त से देख रहे अमित कुमार सिंह कहते हैं- पिछले दो चुनाव को हमने देखा, जिसमें समीकरण ऐसा बना कि भाजपा जीत नहीं सकी। यह सीट बसपा-सपा की मानी जाती रही है। लेकिन, अबकी चुनाव अलग है। यहां

Nov 10, 2024 - 05:55
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12 साल से जमी सपा के कटेहरी में पसीने छूटे:पत्नी को उतार परिवारवाद में घिरे सांसद लालजी वर्मा, भाजपा ने पिछड़ा कार्ड खेला
''या तो अबकी जिताय द, या त टिक्ठी प लेटाय द...'' अम्बेडकरनगर की कटेहरी में ऐसा बड़ी-बड़ी होर्डिंग में लिखा था। पोस्टर भाजपा का था। मोदी-योगी के साथ भाजपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद की तस्वीर थी। इसका अर्थ है- या तो इस बार जिता दीजिए, या मृत्यु शैया पर लिटा दीजिए। इस पोस्टर से कटेहरी में होने वाले उपचुनाव का माहौल समझा जा सकता है। हालांकि, भाजपा ने विपक्ष की साजिश बताते हुए ये पोस्टर हटवा दिए। सपा की तरफ से सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा चुनावी मैदान में हैं। लालजी वर्मा भाजपा पर मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रहे हैं। एक तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने कहा- भाजपा नेता स्वतंत्रदेव सिंह के साथ ADO पंचायत प्रचार कर रहे हैं। वहीं, भाजपा से धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद सवर्णों में पहले नाराजगी थी। लेकिन, 16 दिन बाद अब हालात बदल गए हैं। तमाम जातीय और सियासी समीकरण को देखा जाए, तो मौजूदा समय में कटेहरी में भाजपा मजबूत दिखाई दे रही। हालांकि, कटेहरी में इस बात की भी चर्चा है कि लालजी वर्मा माहिर खिलाड़ी हैं। दूसरी तरफ मैदान में बसपा से अमित वर्मा चुनावी मैदान में हैं, जो सपा का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। पूरा चुनावी माहौल समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम कटेहरी पहुंची। यहां क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे? क्या बड़ा उलटफेर होगा? अभी हवा का रुख क्या है? इन सवालों के साथ हमने लोगों और पॉलिटिकल एक्सपर्ट से बात की। अयोध्या से करीब 45 किमी दूर कटेहरी ग्रामीण इलाका है। हम यहां के 20 गांवों में गए। यहां मेन फाइट भाजपा और सपा के बीच दिखाई दी। पहले अवधेश द्विवेदी की नाराजगी की चर्चा थी। लेकिन, अब भाजपा ने उनके साथ इलाके के तमाम सवर्ण नेताओं को मना लिया है। वहीं, सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा के सामने अपने ही वर्ग के वोटरों को एकजुट कर पाना चुनौती बना है। बसपा प्रत्याशी अमित वर्मा लगातार सेंधमारी कर रहे हैं। यह पहला मौका है जब सभी बड़ी पार्टियों ने सवर्ण प्रत्याशी पर दांव नहीं लगाया, जबकि यहां सवर्ण प्रत्याशी ही निर्णायक होते रहे हैं। हम 13 दिन पहले जब कटेहरी आए थे, तब स्थिति अलग थी। नेताओं के साथ वोटर भी उलझा हुआ था। अब लोग खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। अब बात कटेहरी की जनता की… ब्राह्मण-ठाकुर प्रत्याशी नहीं, इसलिए आगे भाजपा हम सबसे पहले महरुआ चौराहा पहुंचे। यहां जलपान की दुकान पर लोग पहले से ही चुनाव की चर्चा कर रहे थे। हमने पहले लोगों की बात सुनी। इसके बाद किसान उदय प्रताप सिंह से बात की। वह कहते हैं- यहां भाजपा का माहौल अच्छा है। लालजी वर्मा ने यहां से जितने चुनाव लड़े, सब जीते। लेकिन, अब जनता चाहती है कि इस बार भाजपा जीते। व्यापारी धर्मराज यादव ने कहा- हर बार दो सवर्ण प्रत्याशी उतर जाते थे, इसलिए भाजपा हार जाती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। लोग बसपा में जाएंगे नहीं, सपा को वोट देंगे नहीं, इसलिए भाजपा के धर्मराज आगे हैं। दुकान पर खड़े सभाजीत जायसवाल कहते हैं- पिछले साल हमने लालजी वर्मा को वोट दिया था। जीतने के बाद उनके समर्थकों का स्वभाव बदल गया। अबकी हमारा स्वभाव बदला है। हम अब अपनी पार्टी को वोट देंगे। पूछने पर कहते हैं- भाजपा हमारी पार्टी है। महरुआ चौराहे पर लोगों से बात करने पर माहौल पूरी तरफ भाजपा के पक्ष में दिखाई दिया। इसके बाद हम कटेहरी पहुंचे। पीडीए एकजुट है, इसलिए जीत रही सपा कटेहरी में छात्र विपिन यादव ने कहा- इस उपचुनाव में सत्ता पक्ष के लोग शासन और प्रशासन के दम पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। जबकि यहां की जनता ने मन बना लिया है कि वह सपा को वोट करेगी। पीडीए एकजुट है। हमने जब उनसे सवर्ण वोटर की बात की, तब विपिन यादव ने कहा- वो लोग भाजपा से नाराज चल रहे हैं। सपा के पक्ष में हैं। सपा को वोट करेंगे। मनीष कुमार वर्मा ने कहा- कटेहरी में पीडीए का माहौल है। पिछड़ा-दलित और मुस्लिम कॉम्बिनेशन यहां बना हुआ है। इसका फायदा सपा कैंडिडेट शोभावती वर्मा को मिलता दिख रहा है। हमने पूछा कि क्या यहां बसपा कैंडिडेट अमित वर्मा के चलते वोटों में बिखराव नहीं होगा? जवाब में मनीष ने कहा- वर्मा जी 12 साल बाद चुनाव लड़ रहे, वह जनता से 12 साल दूर रहे। वोट उसी को मिलता है, जो जनता के बीच रहता है। अब एक नजर कटेहरी के जातीय समीकरण पर हमने ऐसे ही अलग-अलग इलाकों के 100 से ज्यादा लोगों से बात की। जो समीकरण बन रहे हैं, उन्हें 3 पॉइंट में समझते हैं... 1. तीनों मुख्य पार्टियों से सवर्ण प्रत्याशी नहीं होने से यहां करीब 1 लाख सवर्ण वोटर ही निर्णायक हो गए हैं। पिछली बार बसपा से प्रतीक पांडेय और भाजपा से अवधेश द्विवेदी थे, इसलिए वोटों का बिखराव हुआ। इस बार सवर्ण वोटर भाजपा की तरफ जाता दिख रहा। 2. बसपा प्रत्याशी अमित वर्मा दलित वोटों के साथ वर्मा वर्ग में भी सेंधमारी कर रहे हैं। इसका सीधा नुकसान सपा की शोभावती वर्मा को होता दिख रहा है। 3. लोग कहते हैं- लालजी वर्मा जब बसपा में थे, उस वक्त यादवों के विरोधी थे। इस चुनाव से सरकार में बदलाव नहीं होना है, इसलिए यादव वोटर्स बगावत के मूड में दिख रहे हैं। कटेहरी उपचुनाव पर एक्सपर्ट की राय क्या है... धर्मराज निषाद को भितरघात से होगा नुकसान अम्बेडकरनगर में लंबे वक्त से पत्रकारिता कर रहे सवर्जीत त्रिपाठी कहते हैं- मेरी नजर में लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा आगे हैं, क्योंकि लालजी वर्मा सियासत के बहुत बड़े खिलाड़ी हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने देर से प्रत्याशी उतारा। धर्मराज निषाद को भितरघात का सामना करना पड़ा। अब वो अलग बात है कि योगी जी और तमाम मंत्री लगकर उन्हें मना लें। कुछ सवर्ण नेता जरूर दावा कर रहे हैं कि हम साथ आ गए हैं, लेकिन वह दिखावटी लगता है। गांव-गांव में सवर्णों के बीच धर्मराज का विरोध है। कटेहरी की राजनीति को लंबे वक्त से देख रहे अमित कुमार सिंह कहते हैं- पिछले दो चुनाव को हमने देखा, जिसमें समीकरण ऐसा बना कि भाजपा जीत नहीं सकी। यह सीट बसपा-सपा की मानी जाती रही है। लेकिन, अबकी चुनाव अलग है। यहां सीधी लड़ाई सपा-भाजपा में है। शुरुआत में सवर्ण वोटर्स धर्मराज निषाद से नाराज थे, लेकिन अब धीरे-धीरे वह उनके साथ हो रहा है। सवर्ण भाजपा का वोट माना जाता है इसलिए अगर वह भाजपा के साथ जाता है, तो जीत तय है। बाकी उपचुनाव सरकार का होता है, यह भी एक फैक्ट है। अब बात पॉलिटिकल पार्टियों की… पूर्व सांसद बोले- विपक्षी शराब और पैसा बांट रहे इस चुनाव में भाजपा की तरफ से अम्बेडकरनगर के पूर्व सांसद रितेश पांडेय लगातार नुक्कड़ सभा कर रहे हैं। ऐसी ही एक सभा में हम पहुंचे। वहां करीब 50 लोग रहे होंगे। हमने रितेश पांडेय से बात की। उन्होंने कहा- कटेहरी में चुनाव अति पिछड़ा बनाम परिवारवादी व्यक्ति के बीच है। लालजी वर्मा विधायक बनते आ रहे हैं। पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। अब सांसद बने, तो सोचते हैं कि पत्नी विधायक बन जाए। इसके पहले बेटी को भी विधानसभा का चुनाव लड़वाया था। पिछले दिनों रितेश का एक भाषण वायरल हो रहा था, जिसमें वह कुर्मी बनाम अन्य की बात कर रहे थे। हमने वीडियो के बारे में सवाल किया। उन्होंने कहा- मैंने किसी जाति का नाम नहीं लिया। मेरे कहने का मतलब था कि क्या सिर्फ एक परिवार के लोग ही चुनाव लड़ेंगे? मैं सच्चाई को एक्सपोज करता हूं, तो जातिवादी मान लिया जाता है, जबकि यहां के पदों को देख लीजिए। सारे पदों पर लालजी वर्मा और उनके लोग हैं। उनके लोग जमीन पर कब्जा करते हैं। लोगों में शराब बांटते हैं। इस दिवाली पर पैसा भी बांटा गया। अम्बेडकरनगर भाजपा उपाध्यक्ष रजनीश कटियार कहते हैं- भाजपा का प्रत्याशी बेहद सरल और सौम्य है। वह इसी सीट से 3 बार विधायक रहे हैं। एक-एक गली, मोहल्ला जानते हैं। रही बात 12 साल बाद यहां से लड़ने की, तो राजनीति में कुछ भी गैप नहीं होता। भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता मिलकर धर्मराज निषाद को जिताएगा। यहां की जनता एक परिवार के राज से ऊब चुकी है। सपा विधायक बोले- 7-2 से जीत रहे उपचुनाव हमारी टीम कटेहरी में हर पार्टी के कार्यालय में पहुंची। सपा कार्यालय में हमें आजमगढ़ की सगड़ी सीट के विधायक एचएन सिंह पटेल मिले। वह कहते हैं- 9 जगहों पर चुनाव चल रहा। सपा 7-2 से आगे है। कटेहरी भी उसी 7 सीटों में है, जिसे हम जीतना चाह रहे हैं। भाजपा के 'बंटेंगे तो कटेंगे' के नारे पर एचएन सिंह पटेल ने कहा- यह हिंदुओं के लिए ही कहा है। जब अधिकार की बात आती है, तब हिंदुओं का अधिकार छीन लिया जाता है। सपा नेता अजीत कुमार यादव कहते हैं- कटेहरी समाजवादियों की धरती रही है। सत्ता पक्ष से जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में है, वह शासन-प्रशासन के दम पर है। सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा अपने कार्यकर्ताओं के दम पर चुनाव लड़ रही हैं। अजीत यादव ने कहा- भाजपा सिर्फ नारा देती है, उसके पास कोई विजन नहीं है, कोई उद्देश्य नहीं। कटेहरी का चुनाव डीएम और सीएम लड़ रहे हैं। यह कितनी अजीब बात है कि सीएम योगी खुद उपचुनाव में यहां प्रभारी हैं। कटेहरी में पिछले 3 विधानसभा चुनावों में सपा ने जीत हासिल की है। 2012 में सपा से 2012 में सपा से शंखलाल मांझी जीते थे, जबकि बसपा के लालजी वर्मा दूसरे नंबर पर रहे थे। 2017 में सपा से लालजी वर्मा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा के अवधेश द्विवेदी को हराया था। 2022 में भी सपा से लालजी वर्मा ने जीत हासिल की थी। .................................... यह खबर भी पढ़ें अखिलेश के पूरे परिवार को पैर छूने पड़ रहे हैं-अनुजेश, करहल में BJP का गोत्र तीर चला तो तेज प्रताप का नुकसान तय...कौन कितना मजबूत​​​​​​ मैनपुरी की करहल में हवा का रुख कैसा है? चुनाव प्रचार में क्या कुछ चल रहा है? जनता की राय क्या है? पॉलिटिकल एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं? इन सभी सवालों का जवाब जानने हम वोटिंग से 12 दिन पहले करहल के अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचे। यहां भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव के बयान की चर्चा चल रही है। पढ़ें पूरी खबर...

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