18 बलिदानियों के बलिदान दिवस पर जले श्रद्धा के दीप:राम प्रसाद पाठक समेत 17 क्रान्तिकारियों को दी श्रद्धांजलि, 1857 की स्वाधीनता को किया याद

औरैया में शुक्रवार को भारत प्रेरणा मंच के तत्वावधान में देवकली मंदिर के निकट स्थित स्मारक पर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर स्वाधीनता संग्राम के रणबांकुरों को याद करते हुए एक सभा का आयोजन किया गया। स्वाधीनता संग्राम का गौरवशाली इतिहास संस्था के महासचिव अविनाश अग्निहोत्री ने बताया कि 24-25 जून 1857 को प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान जनपद औरैया के रणबांकुरों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग का ऐलान किया था। औरैया और बेला तहसील को ब्रिटिश शासन से मुक्त कर लगभग छह महीने तक स्वदेशी सत्ता स्थापित की गई। 28-29 नवंबर 1857 का युद्ध अंग्रेजों ने औरैया पर दोबारा कब्जा करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन क्रांतिकारियों ने हर बार उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया। अंततः 28 नवंबर 1857 को इटावा के कलेक्टर ए. ओ. ह्यूम ने विशाल सेना के साथ देवकली मंदिर पर हमला किया। रामप्रसाद पाठक के नेतृत्व में क्रांतिकारी सेना ने वीरतापूर्वक लड़ते हुए चार अंग्रेज अफसरों समेत कई सैनिकों को मौत के घाट उतारा। 29 नवंबर को अंग्रेजों ने नई रणनीति के तहत क्रांतिकारी सेना पर भीषण हमला किया। पीछे से किए गए अचानक हमले में रामप्रसाद पाठक और उनके 17 साथी वीरगति को प्राप्त हुए। ए. ओ. ह्यूम ने पत्राचार में रामप्रसाद पाठक को "रियल लीडर ऑफ द फील्ड" बताया। बलिदानियों को दी गई श्रद्धांजलि कार्यक्रम की अध्यक्षता कैप्टन निर्भय सिंह गुर्जर ने की, जबकि रमन पोरवाल, धुन्ना श्रीवास्तव, और अर्पित दुबे ने मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित किया। राष्ट्रीय कवि अजय अंजाम ने अपनी कविताओं के माध्यम से बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति कार्यक्रम में कैप्टन वी. डी. यादव, कुंवर सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह सेंगर, राजेंद्र प्रसाद तिवारी, के. के. चतुर्वेदी, लाली वर्मा, अजय गुप्ता, कपिल गुप्ता, आशीष चौबे, कवि गोपाल पांडे, और विशाल दुबे समेत कई गणमान्य जन उपस्थित रहे। मंच के सचिव अंकित तिवारी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

Nov 29, 2024 - 16:55
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18 बलिदानियों के बलिदान दिवस पर जले श्रद्धा के दीप:राम प्रसाद पाठक समेत 17 क्रान्तिकारियों को दी श्रद्धांजलि, 1857 की स्वाधीनता को किया याद
औरैया में शुक्रवार को भारत प्रेरणा मंच के तत्वावधान में देवकली मंदिर के निकट स्थित स्मारक पर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर स्वाधीनता संग्राम के रणबांकुरों को याद करते हुए एक सभा का आयोजन किया गया। स्वाधीनता संग्राम का गौरवशाली इतिहास संस्था के महासचिव अविनाश अग्निहोत्री ने बताया कि 24-25 जून 1857 को प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान जनपद औरैया के रणबांकुरों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग का ऐलान किया था। औरैया और बेला तहसील को ब्रिटिश शासन से मुक्त कर लगभग छह महीने तक स्वदेशी सत्ता स्थापित की गई। 28-29 नवंबर 1857 का युद्ध अंग्रेजों ने औरैया पर दोबारा कब्जा करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन क्रांतिकारियों ने हर बार उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया। अंततः 28 नवंबर 1857 को इटावा के कलेक्टर ए. ओ. ह्यूम ने विशाल सेना के साथ देवकली मंदिर पर हमला किया। रामप्रसाद पाठक के नेतृत्व में क्रांतिकारी सेना ने वीरतापूर्वक लड़ते हुए चार अंग्रेज अफसरों समेत कई सैनिकों को मौत के घाट उतारा। 29 नवंबर को अंग्रेजों ने नई रणनीति के तहत क्रांतिकारी सेना पर भीषण हमला किया। पीछे से किए गए अचानक हमले में रामप्रसाद पाठक और उनके 17 साथी वीरगति को प्राप्त हुए। ए. ओ. ह्यूम ने पत्राचार में रामप्रसाद पाठक को "रियल लीडर ऑफ द फील्ड" बताया। बलिदानियों को दी गई श्रद्धांजलि कार्यक्रम की अध्यक्षता कैप्टन निर्भय सिंह गुर्जर ने की, जबकि रमन पोरवाल, धुन्ना श्रीवास्तव, और अर्पित दुबे ने मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित किया। राष्ट्रीय कवि अजय अंजाम ने अपनी कविताओं के माध्यम से बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति कार्यक्रम में कैप्टन वी. डी. यादव, कुंवर सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह सेंगर, राजेंद्र प्रसाद तिवारी, के. के. चतुर्वेदी, लाली वर्मा, अजय गुप्ता, कपिल गुप्ता, आशीष चौबे, कवि गोपाल पांडे, और विशाल दुबे समेत कई गणमान्य जन उपस्थित रहे। मंच के सचिव अंकित तिवारी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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