2 जिस्म, 1 दिल वाले जुड़वां बच्चों की मौत:एक दिन पहले जन्मे थे; डॉक्टर ने कहा- नहीं बच पाते ऐसे बच्चे

शहडोल के मेडिकल कॉलेज में रविवार रात दो जिस्म, एक दिल के साथ जन्मे जुड़वां बच्चों की सोमवार रात 3 बजे मौत हाे गई। मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ. नागेन्द्र सिंह ने बताया कि एक दिल के सहारे ऐसे बच्चों का जीवित रहना मुश्किल होता है। जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली मां सुरक्षित है। बता दें, मेडिकल कॉलेज में रविवार को अनूपपुर जिले की कोतमा निवासी वर्षा जोगी (25 वर्ष) को भर्ती किया गया था। शाम 6 बजे महिला का ऑपरेशन किया गया। इसमें ऐसे बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म तो अलग थे, लेकिन दिल एक था। दो भ्रूण चिपकने से होते हैं ऐसे बच्चे डॉक्टर नागेन्द्र सिंह ने बताया कि ऐसे मामले कभी-कभी ही सामने आते हैं, जिसमें दो अलग-अलग भ्रूण गर्भ के अंदर ही एक-दूसरे से चिपक जाते हैं, जिससे ऐसी स्थिति बन जाती है। एक दिल से दो नवजात का जीवित रह पाना बहुत मुश्किल होता है। मेडिकल भाषा में ऐसे नवजातों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है। पहले नहीं बताया कि दोनों जुड़े हैं अनूपपुर जिले के कोतमा की रहने वाली वर्षा जोगी (25) पति रवि जोगी को परिजन रविवार को प्रसव के लिए मेडिकल कॉलेज लेकर आए थे। यहां शाम करीब 7 बजे प्रसूता का सीजेरियन किया गया। इस दौरान जुड़वां बच्चे पैदा हुए। परिजन ने बताया कि रूटीन चेकअप के दौरान डॉक्टर यह बता रहे थे कि बच्चे जुड़वां हैं, लेकिन दोनों जुड़े हैं ये नहीं बताया था। वहीं, डॉक्टर कह रहे हैं कि दुनिया में 1 लाख में से ऐसा एक बच्चा पैदा होता है। 2018 में की थी लव-मैरिज नवजात के पिता रवि और मां वर्षा ने 2018 में लव मैरिज की थी। शादी से घर वाले खुश नहीं थे। इस कारण दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। दोनों रायपुर चले गए। वहां मजदूरी करके जीवनयापन कर रहे थे। रवि ने बताया कि शादी के कुछ साल बाद परिवार के साथ रिश्ते सामान्य हो गए थे। बच्चों के जन्म पर वर्षा ने कहा था, शादी के छह साल बात बच्चे हुए हैं। भगवान ने दिया भी तो ऐसा दिया। अब यही चाहती हूं कि दोनों अलग हो जाएं। उनका इलाज अच्छे से हो जाए। खून की कमी के कारण थी समस्या रवि ने बताया कि मेरी पत्नी को खून की कमी थी। इस कारण गर्भधारण करने में समस्या हो रही थी। रायपुर में इलाज भी करवा रहे थे। अनूपपुर में कुछ डॉक्टर्स को दिखाया। वहां बताया गया था कि बच्चे जुड़वां हैं, लेकिन इस स्थिति में हैं, यह नहीं बताया था। शारीरिक बनावट ऐसी की ऑपरेशन भी मुश्किल डॉ. नागेंद्र सिंह ने कहा था कि दोनों बच्चे सीने से जुड़े हुए हैं। इनका शरीर सामान्य तरीके से विकसित नहीं हो सका है। बनावट के कारण ऑपरेशन भी कठिन है। नवजातों का शरीर सीने के पास से आपस में जुड़ा है, लेकिन दिल एक होने के कारण स्थिति सामान्य नहीं है। फिलहाल नवजातों को एसएनसीयू वार्ड में रखा गया है। बच्चे छाती से जुड़े हैं। इस कंडीशन को थोराइगोपेसिस कहा जाता है। एक लाख में से इस तरह का एक बच्चा पैदा होता है। ऐसे बच्चों की स्थिति खराब होती है। डॉक्टर बोले-ऐसे नवजातों को सीमंस ट्विन्स कहते हैं डॉक्टर नागेन्द्र सिंह ने बताया कि ऐसे मामले यदाकदा ही सामने आते हैं। ऐसे नवजातों को सीमंस ट्विंस भी कहा जाता है, जिसमें दो अलग-अलग भ्रूण शुरुआती अवस्था में गर्भ के अंदर एक-दूसरे से चिपक जाते हैं, जिससे ऐसी स्थिति बन जाती है। ऐसे बच्चे का जीवन आगे स्थिर रह पाना बड़ा ही कठिन होता है।

Nov 5, 2024 - 16:00
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2 जिस्म, 1 दिल वाले जुड़वां बच्चों की मौत:एक दिन पहले जन्मे थे; डॉक्टर ने कहा- नहीं बच पाते ऐसे बच्चे
शहडोल के मेडिकल कॉलेज में रविवार रात दो जिस्म, एक दिल के साथ जन्मे जुड़वां बच्चों की सोमवार रात 3 बजे मौत हाे गई। मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ. नागेन्द्र सिंह ने बताया कि एक दिल के सहारे ऐसे बच्चों का जीवित रहना मुश्किल होता है। जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली मां सुरक्षित है। बता दें, मेडिकल कॉलेज में रविवार को अनूपपुर जिले की कोतमा निवासी वर्षा जोगी (25 वर्ष) को भर्ती किया गया था। शाम 6 बजे महिला का ऑपरेशन किया गया। इसमें ऐसे बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म तो अलग थे, लेकिन दिल एक था। दो भ्रूण चिपकने से होते हैं ऐसे बच्चे डॉक्टर नागेन्द्र सिंह ने बताया कि ऐसे मामले कभी-कभी ही सामने आते हैं, जिसमें दो अलग-अलग भ्रूण गर्भ के अंदर ही एक-दूसरे से चिपक जाते हैं, जिससे ऐसी स्थिति बन जाती है। एक दिल से दो नवजात का जीवित रह पाना बहुत मुश्किल होता है। मेडिकल भाषा में ऐसे नवजातों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है। पहले नहीं बताया कि दोनों जुड़े हैं अनूपपुर जिले के कोतमा की रहने वाली वर्षा जोगी (25) पति रवि जोगी को परिजन रविवार को प्रसव के लिए मेडिकल कॉलेज लेकर आए थे। यहां शाम करीब 7 बजे प्रसूता का सीजेरियन किया गया। इस दौरान जुड़वां बच्चे पैदा हुए। परिजन ने बताया कि रूटीन चेकअप के दौरान डॉक्टर यह बता रहे थे कि बच्चे जुड़वां हैं, लेकिन दोनों जुड़े हैं ये नहीं बताया था। वहीं, डॉक्टर कह रहे हैं कि दुनिया में 1 लाख में से ऐसा एक बच्चा पैदा होता है। 2018 में की थी लव-मैरिज नवजात के पिता रवि और मां वर्षा ने 2018 में लव मैरिज की थी। शादी से घर वाले खुश नहीं थे। इस कारण दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। दोनों रायपुर चले गए। वहां मजदूरी करके जीवनयापन कर रहे थे। रवि ने बताया कि शादी के कुछ साल बाद परिवार के साथ रिश्ते सामान्य हो गए थे। बच्चों के जन्म पर वर्षा ने कहा था, शादी के छह साल बात बच्चे हुए हैं। भगवान ने दिया भी तो ऐसा दिया। अब यही चाहती हूं कि दोनों अलग हो जाएं। उनका इलाज अच्छे से हो जाए। खून की कमी के कारण थी समस्या रवि ने बताया कि मेरी पत्नी को खून की कमी थी। इस कारण गर्भधारण करने में समस्या हो रही थी। रायपुर में इलाज भी करवा रहे थे। अनूपपुर में कुछ डॉक्टर्स को दिखाया। वहां बताया गया था कि बच्चे जुड़वां हैं, लेकिन इस स्थिति में हैं, यह नहीं बताया था। शारीरिक बनावट ऐसी की ऑपरेशन भी मुश्किल डॉ. नागेंद्र सिंह ने कहा था कि दोनों बच्चे सीने से जुड़े हुए हैं। इनका शरीर सामान्य तरीके से विकसित नहीं हो सका है। बनावट के कारण ऑपरेशन भी कठिन है। नवजातों का शरीर सीने के पास से आपस में जुड़ा है, लेकिन दिल एक होने के कारण स्थिति सामान्य नहीं है। फिलहाल नवजातों को एसएनसीयू वार्ड में रखा गया है। बच्चे छाती से जुड़े हैं। इस कंडीशन को थोराइगोपेसिस कहा जाता है। एक लाख में से इस तरह का एक बच्चा पैदा होता है। ऐसे बच्चों की स्थिति खराब होती है। डॉक्टर बोले-ऐसे नवजातों को सीमंस ट्विन्स कहते हैं डॉक्टर नागेन्द्र सिंह ने बताया कि ऐसे मामले यदाकदा ही सामने आते हैं। ऐसे नवजातों को सीमंस ट्विंस भी कहा जाता है, जिसमें दो अलग-अलग भ्रूण शुरुआती अवस्था में गर्भ के अंदर एक-दूसरे से चिपक जाते हैं, जिससे ऐसी स्थिति बन जाती है। ऐसे बच्चे का जीवन आगे स्थिर रह पाना बड़ा ही कठिन होता है।

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