2027 ही नहीं, 2029 की ओर बढ़े योगी:​​​​​​​बटेंगे तो कटेंगे नारा भाजपा के लिए गेमचेंजर साबित हुआ; विरोधी बैकफुट पर आए

यूपी विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे नारा गेमचेंजर साबित हुआ। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद योगी को झटका लगा था। लेकिन उपचुनाव के परिणाम ने योगी को फिर एक बार मजबूती दी है। शनिवार को पॉलिटिकल एक्सपर्टर्स की नजर महाराष्ट्र और झारखंड के साथ यूपी के उपचुनाव पर भी थी। उपचुनाव के नतीजों ने ना केवल योगी के विरोधियों का मुंह बंद किया है। बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव के लिए योगी की स्वीकार्यता को साबित कर दिया है। 2029 लोकसभा चुनाव में दावेदारी की ओर भी बढ़े हैं। उपचुनाव में भाजपा ने सपा से केवल दो सीटें ही नहीं छीनी है। बल्कि भाजपा का वोट शेयर भी सपा के मुकाबले बहुत आगे रहा है। यह पहला चुनाव था जब पूरी कमान योगी के हाथ थी। योगी को फ्री हैंड दिया गया, तो उन्होंने अपना राजनीतिक कौशल साबित कर दिया। पहले यूपी उपचुनाव, महाराष्ट्र और झारखंड में योगी का स्ट्राइक रेट जानिए… लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा और योगी पर सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन योगी ने उपचुनाव में पूरी स्थिति ही बदल दी। चुनाव घोषणा से पहले और बाद में योगी ने उन सीटों पर फोकस किया, जहां भाजपा का जितना मुश्किल था। कटेहरी में 6 बार और कुंदरकी में 2 बार गए। इसका असर दिखा और भाजपा दोनों सीटें जीतीं। योगी की रणनीति की वजह से ही भाजपा गठबंधन 9 में से 7 सीटें जीत पाया। यानी योगी का स्ट्राइक रेट 78% रहा। महाराष्ट्र में 17 सीटों के लिए प्रचार किया, 15 जीते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 4 दिन में 11 रैलियां कर 17 प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। सीएम योगी ने 6 नवंबर को तीन जनसभा कर 3 प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। 12 नवंबर को आठ प्रत्याशियों के लिए तीन जनसभा की। 13 नवंबर को 3 प्रत्याशियों के समर्थन में दो जनसभा की। 17 नवंबर को तीन जनसभा की, 3 प्रत्याशी के लिए समर्थन मांगा। यहां 15 पर जीत मिली, जबकि दो सीट बीजेपी हार गई। इसमें एक सीट महज 1283 वोट से हारी। झारखंड में 18 के लिए प्रचार किया, 10 हारे सीएम योगी आदित्यनाथ ने यहां 4 दिन में 13 रैलियां कर 18 प्रत्याशियों के लिए वोट मांगें। इसमें 8 सीट पर पार्टी को जीत मिली, जबकि 10 सीट में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि हारी हुई सीट में भी कई सीट ऐसी रही, जहां जीत और हार का अंतर महज कुछ हजार का था। योगी पहले से ज्यादा मजबूत हुए वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरन का कहना है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और यूपी उपचुनाव के परिणाम से योगी मजबूत हुए हैं। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद योगी को लेकर जिस तरह की बातें की जा रही थी, उन पर अब विराम लगता दिख रहा है। कुंदरकी और कटेहरी जैसी सीटें भाजपा तीन दशक बाद जीती है। इससे साफ है कि जनता ने योगी के नेतृत्व और उनकी सरकार के कामकाज पर मुहर लगाई है। उनका कहना है कि आगामी दिनों में ना केवल योगी की लोकप्रियता बढ़ेगी। बल्कि पार्टी नेतृत्व और आरएसएस की ओर से भी उन्हें फ्री हैंड मिलेगा। इस परिणाम के बाद योगी की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और वह पार्टी के अंदर एक निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित हुए हैं। महाराष्ट्र के रिजल्ट की वजह से योगी की जमीन मजबूत हुई है पॉलिटिकल एक्सपर्टर्स मानते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ अब 2027 नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव 2029 की ओर आगे बढ़ गए हैं। उपचुनाव के साथ महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम से योगी की जमीन मजबूत हुई है। महाराष्ट्र की जीत में योगी की ललकार का योगदान है। राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्‌ट कहते हैं कि राजनीति में नेता वही जिसका नारा चले। योगी का नारा 'बंटेंगे तो कटेंगे' यूपी से महाराष्ट्र तक फेनोमेना बन गया है। योगी की जंग अब सिर्फ 27 की नहीं 29 की है। भाजपा में योगी के समकक्ष हिमंता बिस्व सरमा फायर ब्रांड नेता हैं। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ झारखंड चुनाव प्रबंधन की कमान सौंपी थी। लेकिन भाजपा झारखंड में चुनाव हार गई है। जबकि वहां बांग्लादेश के ख़िलाफ पूरा माहौल था। ऐसे में योगी ही भाजपा की राजनीति के नए महाराज बनते नजर आ रहे हैं। हालांकि कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत से भाजपा का दिल्ली खेमा भी मजबूत हुआ है। सबसे बड़ा सवाल है कि मोदी के बाद भाजपा में कौन? यूपी के बाद राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महाराष्ट्र ही सबसे प्रभावशाली राज्य है। महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार बनने से दिल्ली में पहली पंक्ति के नेताओं को मजबूती मिलेगी। इसलिए योगी के लिए 2029 में थोड़ी मुश्किल आ सकती है। बटेंगे तो कटेंगे की लाइन ही चलेगी पॉलिटिकल एक्सपर्टस का मानना है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद लगा था कि हिन्दू वोट बैंक भाजपा से खिसक गया है। हिन्दू वोट बैंक सपा और कांग्रेस में भी बंट गया है। लेकिन उपचुनाव के दौरान योगी ने बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे का नारा दिया। योगी का यह नारा भाजपा के लिए गेम चेंजर साबित हुआ है। शुरुआत में इस नारे पर थोड़ी कंट्रोवर्सी हुई, लेकिन फिर आरएसएस ने भी इस पर सहमति जताई। महाराष्ट्र में भी इसी नारे के बल पर हिन्दू वोट बैंक को एकजुट किया गया। इसी नारे की बदौलत कुंदरकी और कटेहरी जैसी सीटों पर 31 साल बाद भाजपा की वापसी हुई है। सुनिता एरन का मानना है कि हिन्दू वोट को एकजुट करने के लिए भाजपा यूपी में भी इसी लाइन पर आगे बढ़ेगी। हो सकता है कुछ लोग अभी भी इस पर आपत्ति करें लेकिन बहुमत योगी की इन्हीं लाइनों के साथ है। अब बुलडोजर पर नहीं जाएंगे योगी को करीब से जानने वाले एक भाजपा नेता का मानना है कि बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है। उसके बाद सीएम योगी अब बुलडोजर अभियान को आगे नहीं बढ़ाएंगे। हां, यह अवश्य है कि यदि किसी माफिया के खिलाफ संदेश देने की आवश्यकता हुई तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के दायरे में बुलडोजर अवश्य चलेगा। लेकिन अब योगी बटेंगे तो कटेंगे की लाइन पर ही आगे बढ़ेंगे, यह लाइन बुलडोजर से ज्यादा कारगर साबित

Nov 24, 2024 - 06:45
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2027 ही नहीं, 2029 की ओर बढ़े योगी:​​​​​​​बटेंगे तो कटेंगे नारा भाजपा के लिए गेमचेंजर साबित हुआ; विरोधी बैकफुट पर आए
यूपी विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे नारा गेमचेंजर साबित हुआ। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद योगी को झटका लगा था। लेकिन उपचुनाव के परिणाम ने योगी को फिर एक बार मजबूती दी है। शनिवार को पॉलिटिकल एक्सपर्टर्स की नजर महाराष्ट्र और झारखंड के साथ यूपी के उपचुनाव पर भी थी। उपचुनाव के नतीजों ने ना केवल योगी के विरोधियों का मुंह बंद किया है। बल्कि 2027 विधानसभा चुनाव के लिए योगी की स्वीकार्यता को साबित कर दिया है। 2029 लोकसभा चुनाव में दावेदारी की ओर भी बढ़े हैं। उपचुनाव में भाजपा ने सपा से केवल दो सीटें ही नहीं छीनी है। बल्कि भाजपा का वोट शेयर भी सपा के मुकाबले बहुत आगे रहा है। यह पहला चुनाव था जब पूरी कमान योगी के हाथ थी। योगी को फ्री हैंड दिया गया, तो उन्होंने अपना राजनीतिक कौशल साबित कर दिया। पहले यूपी उपचुनाव, महाराष्ट्र और झारखंड में योगी का स्ट्राइक रेट जानिए… लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा और योगी पर सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन योगी ने उपचुनाव में पूरी स्थिति ही बदल दी। चुनाव घोषणा से पहले और बाद में योगी ने उन सीटों पर फोकस किया, जहां भाजपा का जितना मुश्किल था। कटेहरी में 6 बार और कुंदरकी में 2 बार गए। इसका असर दिखा और भाजपा दोनों सीटें जीतीं। योगी की रणनीति की वजह से ही भाजपा गठबंधन 9 में से 7 सीटें जीत पाया। यानी योगी का स्ट्राइक रेट 78% रहा। महाराष्ट्र में 17 सीटों के लिए प्रचार किया, 15 जीते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 4 दिन में 11 रैलियां कर 17 प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। सीएम योगी ने 6 नवंबर को तीन जनसभा कर 3 प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। 12 नवंबर को आठ प्रत्याशियों के लिए तीन जनसभा की। 13 नवंबर को 3 प्रत्याशियों के समर्थन में दो जनसभा की। 17 नवंबर को तीन जनसभा की, 3 प्रत्याशी के लिए समर्थन मांगा। यहां 15 पर जीत मिली, जबकि दो सीट बीजेपी हार गई। इसमें एक सीट महज 1283 वोट से हारी। झारखंड में 18 के लिए प्रचार किया, 10 हारे सीएम योगी आदित्यनाथ ने यहां 4 दिन में 13 रैलियां कर 18 प्रत्याशियों के लिए वोट मांगें। इसमें 8 सीट पर पार्टी को जीत मिली, जबकि 10 सीट में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि हारी हुई सीट में भी कई सीट ऐसी रही, जहां जीत और हार का अंतर महज कुछ हजार का था। योगी पहले से ज्यादा मजबूत हुए वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरन का कहना है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और यूपी उपचुनाव के परिणाम से योगी मजबूत हुए हैं। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद योगी को लेकर जिस तरह की बातें की जा रही थी, उन पर अब विराम लगता दिख रहा है। कुंदरकी और कटेहरी जैसी सीटें भाजपा तीन दशक बाद जीती है। इससे साफ है कि जनता ने योगी के नेतृत्व और उनकी सरकार के कामकाज पर मुहर लगाई है। उनका कहना है कि आगामी दिनों में ना केवल योगी की लोकप्रियता बढ़ेगी। बल्कि पार्टी नेतृत्व और आरएसएस की ओर से भी उन्हें फ्री हैंड मिलेगा। इस परिणाम के बाद योगी की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और वह पार्टी के अंदर एक निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित हुए हैं। महाराष्ट्र के रिजल्ट की वजह से योगी की जमीन मजबूत हुई है पॉलिटिकल एक्सपर्टर्स मानते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ अब 2027 नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव 2029 की ओर आगे बढ़ गए हैं। उपचुनाव के साथ महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम से योगी की जमीन मजबूत हुई है। महाराष्ट्र की जीत में योगी की ललकार का योगदान है। राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्‌ट कहते हैं कि राजनीति में नेता वही जिसका नारा चले। योगी का नारा 'बंटेंगे तो कटेंगे' यूपी से महाराष्ट्र तक फेनोमेना बन गया है। योगी की जंग अब सिर्फ 27 की नहीं 29 की है। भाजपा में योगी के समकक्ष हिमंता बिस्व सरमा फायर ब्रांड नेता हैं। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ झारखंड चुनाव प्रबंधन की कमान सौंपी थी। लेकिन भाजपा झारखंड में चुनाव हार गई है। जबकि वहां बांग्लादेश के ख़िलाफ पूरा माहौल था। ऐसे में योगी ही भाजपा की राजनीति के नए महाराज बनते नजर आ रहे हैं। हालांकि कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत से भाजपा का दिल्ली खेमा भी मजबूत हुआ है। सबसे बड़ा सवाल है कि मोदी के बाद भाजपा में कौन? यूपी के बाद राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महाराष्ट्र ही सबसे प्रभावशाली राज्य है। महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार बनने से दिल्ली में पहली पंक्ति के नेताओं को मजबूती मिलेगी। इसलिए योगी के लिए 2029 में थोड़ी मुश्किल आ सकती है। बटेंगे तो कटेंगे की लाइन ही चलेगी पॉलिटिकल एक्सपर्टस का मानना है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद लगा था कि हिन्दू वोट बैंक भाजपा से खिसक गया है। हिन्दू वोट बैंक सपा और कांग्रेस में भी बंट गया है। लेकिन उपचुनाव के दौरान योगी ने बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे का नारा दिया। योगी का यह नारा भाजपा के लिए गेम चेंजर साबित हुआ है। शुरुआत में इस नारे पर थोड़ी कंट्रोवर्सी हुई, लेकिन फिर आरएसएस ने भी इस पर सहमति जताई। महाराष्ट्र में भी इसी नारे के बल पर हिन्दू वोट बैंक को एकजुट किया गया। इसी नारे की बदौलत कुंदरकी और कटेहरी जैसी सीटों पर 31 साल बाद भाजपा की वापसी हुई है। सुनिता एरन का मानना है कि हिन्दू वोट को एकजुट करने के लिए भाजपा यूपी में भी इसी लाइन पर आगे बढ़ेगी। हो सकता है कुछ लोग अभी भी इस पर आपत्ति करें लेकिन बहुमत योगी की इन्हीं लाइनों के साथ है। अब बुलडोजर पर नहीं जाएंगे योगी को करीब से जानने वाले एक भाजपा नेता का मानना है कि बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है। उसके बाद सीएम योगी अब बुलडोजर अभियान को आगे नहीं बढ़ाएंगे। हां, यह अवश्य है कि यदि किसी माफिया के खिलाफ संदेश देने की आवश्यकता हुई तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के दायरे में बुलडोजर अवश्य चलेगा। लेकिन अब योगी बटेंगे तो कटेंगे की लाइन पर ही आगे बढ़ेंगे, यह लाइन बुलडोजर से ज्यादा कारगर साबित हुई है। सीएम की रेस में कोई नहीं, विरोधियों का हौसला कमजोर होगा भाजपा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा फिलहाल 2027 में सीएम की दौड़ में कोई नजर नहीं आ रहा है। वैसे यूपी में भाजपा का हर बड़ा नेता मुख्यमंत्री बनना चाहता है। लेकिन वर्तमान में सरकार के कामकाज, कानून व्यवस्था, निवेश, रोजगार सहित अन्य मुद्दों पर जनता योगी से संतुष्ट है। लिहाजा कोई वजह नजर नहीं आ रही है कि 2027 में योगी के अलावा कोई और चेहरा होगा। वरिष्ठ पत्रकार रतनमिण लाल मानते हैं कि यूपी उपचुनाव में भाजपा की जीत का पूरा श्रेय सीएम योगी आदित्यनाथ को जाता है। योगी का महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव प्रचार का नतीजा भी अच्छा रहा है। इससे पहले हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी योगी के दौरों का स्ट्राइक रेट बहुत अच्छा रहा है। यूपी ही नहीं यूपी के बाहर भी योगी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब सीएम योगी आदित्यनाथ ही सबसे लोकप्रिय नेता हैं। आरएसएस का समर्थन भी पूरी तरह योगी के साथ है। ऐसे में अब लोकसभा चुनाव के बाद के जो लोग योगी की खिलाफत कर रहे थे वह उतने मुखर नहीं हो पाएंगे। खासतौर पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य मंत्री और नेताओं का हौसला भी कमजोर होगा। लोकप्रियता और डिमांड बढ़ेगी वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस का मानना है कि उपचुनाव और महाराष्ट्र चुनाव के बाद योगी की लोकप्रियता बढ़ेगी। बटेंगे तो कटेंगे नारे के बाद सीएम एक बार फिर फायर ब्रांड भगवा चेहरे के रूप में उभरे हैं। उनका कहना है कि वैसे तो भाजपा में पीएम मोदी के बाद योगी की सभा की ही सबसे ज्यादा मांग रहती है। राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, सहित अन्य कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में योगी की सभा के बाद भाजपा हारी हुई सीट भी जीती है। योगी का कद बढ़ेगा, निर्विवाद तौर पर भाजपा में नंबर दो नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। यूं ही नहीं मिला संघ का समर्थन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि योगी के बटेंगे तो कटेंगे नारे को संघ का समर्थन यूं ही नहीं मिला है। आरएसएस भी अब पीएम नरेंद्र मोदी के बाद देश में बहुसंख्यक समाज में निर्विवाद और स्वीकार्य लीडरशिप तैयार करना चाहता है। ऐसे में संघ के पास योगी से बड़ा कोई नाम फिलहाल नजर नहीं आ रहा है। योगी के साढ़े सात साल का अनुभव, उनका भगवा वस्त्र, तेज तर्रार ईमानदार नेता की छवि, आकर्षक और आक्रामक भाषण की शैली योगी को किसी भी अन्य नेता से आगे रखती है। यही वजह है कि हिन्दू वोट बैंक को एकजुट करने के लिए संघ ने बटेंगे तो कटेंगे नारे पर सहमति दी। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बटेंगे तो कटेंगे नारे से किनारा करने वाला बयान दिया। आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेताओं की आपत्ति के बाद केशव जैसे नेता को यू टर्न लेकर उसका समर्थन करना पड़ा। --------------------------- उपचुनाव से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए... यूपी उपचुनाव-भास्कर का एग्जिट पोल 100% सही:सिर्फ हमने बताया था- BJP+ को 7 सीटें; हर सीट पर बिल्कुल सटीक नतीजे यूपी उपचुनाव के नतीजों की तस्वीर साफ हो चुकी है। सभी 9 सीटों पर भास्कर रिपोर्टर्स का एग्जिट पोल 100% सही रहा। एक-एक सीट पर हमारे रिपोर्टर ने जो एग्जिट पोल किया, नतीजे भी बिल्कुल वैसे ही रहे। एग्जिट पोल में हमने बताया था कि 9 में से 7 सीटें BJP+ को मिलेंगी। इनमें 6 पर भाजपा, एक सीट पर रालोद, जबकि 2 सीटें सपा जीतेगी। रिजल्ट में ऐसा ही हुआ। सपा सिर्फ 2 सीटें जीती। भाजपा ने 6 और उसकी सहयोगी रालोद ने मीरापुर में जीत दर्ज की...(पढ़ें पूरी खबर)

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