21 हजार कैंसर मरीजों का 5 साल में हुआ इलाज:डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बोले - KGMU में नहीं होने देंगे संसाधनों की कमी

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) में प्रदेश से ही नहीं पड़ोसी देश से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। KGMU जरूरतमंद लोगों की उम्मीद हैं। प्रदेश सरकार यहां संसाधनों की कमीं नहीं होने देगी। ये बातें उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कही। वे सोमवार को रेडियोथेरेपी विभाग में आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। संस्थान की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने KGMU के विस्तार के लिए भूमि प्रदान किए जाने पर प्रदेश सरकार का आभार जताया। कुलपति ने बताया जल्द रेडियोथेरेपी विभाग में एक नया लीनियर एक्सीलरेटर लगाया जाएगा। KGMU के रेडिएशन आंकोलॉजी विभाग के डॉ. राजेंद्र कुमार ने कहा कि जीव दया फाउंडेशन के सहयोग से वर्ष 2016 में पैलिएटिव केयर प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई थी। पांच साल के दौरान करीब 21000 मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा चुका है। इलाज के साथ सैंकड़ों मरीजों को मानसिक चिकित्सा, पोषण सुविधा, घाव की देखभाल, सांस और खाने की नली लगवाने में सहायता उपलब्ध कराई जाती है। कैंसर मरीजों को अफीम से दिलाई जाती है दर्द से राहत कार्यक्रम में मौजूद SGPGI के डॉ. संजय धीराज ने कहा कि कैंसर मरीजों में दर्द की जब कई दवाएं फेल हो जाती हैं तो नारकोटिक्स ग्रुप की दवा अफीम का इस्तेमाल किया जाता है। यह सस्ती होने के साथ प्रभावी भी होती है। इसे 2.5 से 5 मिलीग्राम से शुरू की जाती है। इसकी खुराक छह गुना तक बढ़ाई जा सकती है। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव कब्ज है। लेकिन ज्यादातर मरीजों को दर्द से राहत दिलाने में प्रभावी हैं। अंतिम अवस्था में मरीजों की देखभाल कठिन SGPGI के डीन व रेडिएशन आंकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. शालीन कुमार ने कहा कि कैंसर - दूसरी गंभीर बीमारियों की अंतिम अवस्था में मरीजों की देखभाल कठिन होता है। डॉक्टर हमेशा मरीजों की तकलीफों को कैसे कम करें? उसमें खर्च कम से कम हो? इन दोनों पहलुओं पर सोचने का काम डॉक्टर है। लिहाजा अंतिम अवस्था के मरीजों को महंगी दवाएं लिखने से बचें। डॉ.शालीन ने कहा कि प्रभावी किफायती दवाओं पर डॉक्टर अधिक ध्यान दें। उन्होंने कहा कि हमारे देश में इच्छामृत्यु कानून नहीं है। जिन मरीजों में जीवन की संभावना शून्य है। उनका इलाज बेहद चुनौतियों से भरा है। तीमारदार से मृत्यु की संभावना की सूचना साझा करते हुए मार्मिक-दार्शनिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। कार्यक्रम में रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ.सुधीर सिंह, डॉ.सीमा गुप्ता, डॉ.विनीत शर्मा, प्रति कुलपति डॉ.अपजीत कौर, डॉ. राजीव गुप्ता, डॉ. अभिनव सोनकर, डॉ.संदीप तिवारी, डॉ. बीके ओझा, डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव, डॉ. आनंद मिश्रा, डॉ. पवित्र रस्तोगी समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।

Oct 21, 2024 - 23:10
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21 हजार कैंसर मरीजों का 5 साल में हुआ इलाज:डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बोले - KGMU में नहीं होने देंगे संसाधनों की कमी
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) में प्रदेश से ही नहीं पड़ोसी देश से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। KGMU जरूरतमंद लोगों की उम्मीद हैं। प्रदेश सरकार यहां संसाधनों की कमीं नहीं होने देगी। ये बातें उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कही। वे सोमवार को रेडियोथेरेपी विभाग में आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। संस्थान की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने KGMU के विस्तार के लिए भूमि प्रदान किए जाने पर प्रदेश सरकार का आभार जताया। कुलपति ने बताया जल्द रेडियोथेरेपी विभाग में एक नया लीनियर एक्सीलरेटर लगाया जाएगा। KGMU के रेडिएशन आंकोलॉजी विभाग के डॉ. राजेंद्र कुमार ने कहा कि जीव दया फाउंडेशन के सहयोग से वर्ष 2016 में पैलिएटिव केयर प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई थी। पांच साल के दौरान करीब 21000 मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा चुका है। इलाज के साथ सैंकड़ों मरीजों को मानसिक चिकित्सा, पोषण सुविधा, घाव की देखभाल, सांस और खाने की नली लगवाने में सहायता उपलब्ध कराई जाती है। कैंसर मरीजों को अफीम से दिलाई जाती है दर्द से राहत कार्यक्रम में मौजूद SGPGI के डॉ. संजय धीराज ने कहा कि कैंसर मरीजों में दर्द की जब कई दवाएं फेल हो जाती हैं तो नारकोटिक्स ग्रुप की दवा अफीम का इस्तेमाल किया जाता है। यह सस्ती होने के साथ प्रभावी भी होती है। इसे 2.5 से 5 मिलीग्राम से शुरू की जाती है। इसकी खुराक छह गुना तक बढ़ाई जा सकती है। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव कब्ज है। लेकिन ज्यादातर मरीजों को दर्द से राहत दिलाने में प्रभावी हैं। अंतिम अवस्था में मरीजों की देखभाल कठिन SGPGI के डीन व रेडिएशन आंकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. शालीन कुमार ने कहा कि कैंसर - दूसरी गंभीर बीमारियों की अंतिम अवस्था में मरीजों की देखभाल कठिन होता है। डॉक्टर हमेशा मरीजों की तकलीफों को कैसे कम करें? उसमें खर्च कम से कम हो? इन दोनों पहलुओं पर सोचने का काम डॉक्टर है। लिहाजा अंतिम अवस्था के मरीजों को महंगी दवाएं लिखने से बचें। डॉ.शालीन ने कहा कि प्रभावी किफायती दवाओं पर डॉक्टर अधिक ध्यान दें। उन्होंने कहा कि हमारे देश में इच्छामृत्यु कानून नहीं है। जिन मरीजों में जीवन की संभावना शून्य है। उनका इलाज बेहद चुनौतियों से भरा है। तीमारदार से मृत्यु की संभावना की सूचना साझा करते हुए मार्मिक-दार्शनिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। कार्यक्रम में रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ.सुधीर सिंह, डॉ.सीमा गुप्ता, डॉ.विनीत शर्मा, प्रति कुलपति डॉ.अपजीत कौर, डॉ. राजीव गुप्ता, डॉ. अभिनव सोनकर, डॉ.संदीप तिवारी, डॉ. बीके ओझा, डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव, डॉ. आनंद मिश्रा, डॉ. पवित्र रस्तोगी समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।

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