25 हजारों भक्तों ने अयोध्या में शुरू किया कल्पवास:कार्तिक पूर्णिमा तक तुलसी व आंवला का पूजन कर प्रतिदिन कर करेंगे दीपदान

तीर्थ नगरी अयोध्या में कार्तिक कल्पवास करने के लिए हजारों भक्त पहुंच गए हैं। श्रद्धालुओं ने विभिन्न आश्रमों में आश्रय लेकर एक महीने तक रामनगरी में रहकर साधना करेंगे। भक्त आश्विन पूर्णिमा से जप अनुष्ठान व दर्शन-पूजन के साथ सत्संग की दिनचर्या शुरू की है। प्रात:काल श्रद्धालुओं ने मां सरयू के पुण्य सलिला में डुबकी लगाने के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। माँ तुलसी व आंवला का पूजन कर दीपदान करते है। इसके बाद मंदिरों में दर्शन के साथ राम कथा का श्रवण करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा तक भक्त रामनगरी में करेंगे कल्पवास कार्तिक मास के दूसरे पक्ष में परिक्रमा व पूर्णिमा स्नान मेला दस नवम्बर से शुरू होगा। इस मेला का शुभारम्भ 14 कोसी परिक्रमा से होगा। करीब 24 घंटे चलने वाली इस परिक्रमा में परंपरागत रूप से 15-20 लाख श्रद्धालु गण हिस्सा लेते रहे हैं। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यह पहली परिक्रमा है जिसके अधिकतम भीड़ की संभावना है। इसी तरह से देवोत्थानी एकादशी के पर्व पर 12 नवंबर को रामनगरी की पंचकोसी परिक्रमा होगी। इस परिक्रमा में भी 20-25 लाख श्रद्धालुओं के हिस्सा लेने की संभावना है। वहीं पूर्णिमा स्नान 15 नवम्बर को होगा। इसके साथ पूरे मास चलने वाला कल्पवास के अनुष्ठान का भी समापन हो जाएगा। चातुर्मास का यह अंतिम मास, श्रीहरि योग निद्रा से जागेंगे महंत अवधेश दास ने बताया “कार्तिक मास हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र महीना माना जाता है। यह चातुर्मास का अंतिम महीना होता है। कार्तिक मास में तुलसी पौधे का रोपण और उनके विवाह का विशेष महात्म्य है। इस महीने दान करने से अक्षय शुभ फल की प्राप्ति होती है। विशेष तौर पर दीप दान करने से बड़ा लाभ मिलता है। कार्तिक महीने का शुभारम्भ गुरुवार से हो गया है, जो 15 नवंबर तक रहेगा।”

Oct 21, 2024 - 07:45
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25 हजारों भक्तों ने अयोध्या में शुरू किया कल्पवास:कार्तिक पूर्णिमा तक तुलसी व आंवला का पूजन कर प्रतिदिन कर करेंगे दीपदान
तीर्थ नगरी अयोध्या में कार्तिक कल्पवास करने के लिए हजारों भक्त पहुंच गए हैं। श्रद्धालुओं ने विभिन्न आश्रमों में आश्रय लेकर एक महीने तक रामनगरी में रहकर साधना करेंगे। भक्त आश्विन पूर्णिमा से जप अनुष्ठान व दर्शन-पूजन के साथ सत्संग की दिनचर्या शुरू की है। प्रात:काल श्रद्धालुओं ने मां सरयू के पुण्य सलिला में डुबकी लगाने के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। माँ तुलसी व आंवला का पूजन कर दीपदान करते है। इसके बाद मंदिरों में दर्शन के साथ राम कथा का श्रवण करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा तक भक्त रामनगरी में करेंगे कल्पवास कार्तिक मास के दूसरे पक्ष में परिक्रमा व पूर्णिमा स्नान मेला दस नवम्बर से शुरू होगा। इस मेला का शुभारम्भ 14 कोसी परिक्रमा से होगा। करीब 24 घंटे चलने वाली इस परिक्रमा में परंपरागत रूप से 15-20 लाख श्रद्धालु गण हिस्सा लेते रहे हैं। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यह पहली परिक्रमा है जिसके अधिकतम भीड़ की संभावना है। इसी तरह से देवोत्थानी एकादशी के पर्व पर 12 नवंबर को रामनगरी की पंचकोसी परिक्रमा होगी। इस परिक्रमा में भी 20-25 लाख श्रद्धालुओं के हिस्सा लेने की संभावना है। वहीं पूर्णिमा स्नान 15 नवम्बर को होगा। इसके साथ पूरे मास चलने वाला कल्पवास के अनुष्ठान का भी समापन हो जाएगा। चातुर्मास का यह अंतिम मास, श्रीहरि योग निद्रा से जागेंगे महंत अवधेश दास ने बताया “कार्तिक मास हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र महीना माना जाता है। यह चातुर्मास का अंतिम महीना होता है। कार्तिक मास में तुलसी पौधे का रोपण और उनके विवाह का विशेष महात्म्य है। इस महीने दान करने से अक्षय शुभ फल की प्राप्ति होती है। विशेष तौर पर दीप दान करने से बड़ा लाभ मिलता है। कार्तिक महीने का शुभारम्भ गुरुवार से हो गया है, जो 15 नवंबर तक रहेगा।”

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