5 राज्यों की 15 विधानसभा,1 लोकसभा सीट पर उपचुनाव कल:भाजपा, कांग्रेस और सपा के पास 4-4 सीटें थीं, नांदेड़ लोकसभा कांग्रेस के पास थी
महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 और झारखंड में दूसरे फेज की 38 सीटों के साथ ही 4 राज्यों की 15 विधानसभा और महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट पर बुधवार को उपचुनाव होंगे। इन 15 में से 13 सीटों पर विधायकों के सांसद बनने, 1 के निधन और 1 के जेल जाने से ये सीटें खाली हुई हैं। इनमें 2 सीटें SC के लिए आरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा 9 सीटों पर वोटिंग होनी है। 15 सीटों में से भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के पास 4-4 और आम आदमी पार्टी (AAP), राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और निषाद पार्टी के पास 1-1 सीट थी। महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण के निधन से खाली है। लोकसभा चुनाव के सिर्फ दो महीने बाद ही अगस्त, 2024 में उनका देहांत हो गया था। पार्टी ने उनके बेटे रवींद्र चव्हाण को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. संतुक हंबार्डे को उतारा है। पहले 3 राज्यों की 14 सीटों पर 13 नवंबर को ही वोटिंग होनी थी, लेकिन गुरुनानकदेव जी के प्रकाश पर्व और कलपाथि रास्थोलसेवम त्योहारों की वजह से चुनाव आयोग ने तारीख में बदलाव किया था। उपचुनाव के राज्यवार राजनीतिक समीकरण… उत्तर प्रदेश: पूर्वांचल, अवध और वेस्ट यूपी की 9 सीटों पर 2027 का लिटमस टेस्ट उपचुनाव की 9 विधानसभा सीटें प्रदेश के कई राजनीतिक और सांस्कृतिक इलाकों का हिस्सा हैं। यही कारण है कि इसे 2027 के विधानसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है। सपा, लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका देते हुए 80 में से 37 सीटों पर कब्जा जमा चुकी है। वहीं, भाजपा आधी होकर 62 से 33 सीटों पर सिमट गई है। इस लिहाज से यह उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए अहम है। दोनों पार्टियों ने इस उपचुनाव में 2027 के जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं। भाजपा ने 8 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। मीरापुर सीट सहयोगी पार्टी RLD के लिए छोड़ी है। NDA ने 5 OBC, 2 ब्राह्मण, 1 दलित और 1 क्षत्रिय को टिकट दिया है। गठबंधन ने पिछड़ा वर्ग में भी सभी जातियों को साधने की कोशिश की है। इसके लिए मौर्य, कुर्मी, पाल, निषाद और यादव समाज के नेताओं को मौका दिया है। वहीं, सपा ने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को दोहराते हुए 3 OBC, 2 दलित और 4 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। हालांकि सपा के 9 में से 6 उम्मीदवार राजनीतिक घरानों से हैं, जबकि भाजपा ने नए चेहरों को भी मौका दिया है। इन 9 सीटों में सपा 4, भाजपा 3, निषाद पार्टी और RLD 1-1 सीट पर काबिज थी। उपचुनाव में भाजपा, सपा की कब्जे वाली चारों सीटों पर जीतने के लिए रामपुर मॉडल लागू करने पर फोकस कर रही है। इनमें से करहल और कुंदरकी सीटों पर दोनों पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। मैनपुरी जिले की करहल सीट मुलायम सिंह परिवार का गढ़ मानी जाती है। यहां से अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उतारा है। वे मैनपुरी के सांसद रह चुके हैं। यह सीट अखिलेश के कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। यहां भाजपा ने सपा के परिवारवाद से मुकाबला करने के लिए रिश्ते में अखिलेश के बहनोई अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, मुरादाबाद की मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट से भाजपा ने रामवीर सिंह ठाकुर को टिकट दिया है। वे 2012 और 2017 में इस सीट से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। भाजपा यहां सिर्फ एक बार 1993 में जीती है। यही कारण है कि भाजपा ने यह सीट जीतने के लिए अपने 4 मंत्रियों को मैदान में उतारा है। इतना ही नहीं, यह सीट जीतने के लिए भाजपा ने 7000 पन्ना प्रमुख नियुक्त किए हैं। इसके साथ ही कुल 436 बूथ पर बूथ अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी भी जी-जान से जुटी हुई है। यह सीट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह के गृह जनपद मुरादाबाद में आने की वजह से भी अहम है। दूसरी तरफ सपा ने इस सीट पर हाजी रिजवान को उतारा है। वे यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। पंजाब: वंशवाद और दलबदलुओं पर भरोसा, भाजपा के चारों प्रत्याशी दूसरे दलों से राज्य की चारों विधानसभा सीटों पर सभी पार्टियों ने दलबदलुओं और वंशवाद पर भरोसा जताया है। कांग्रेस, AAP और BJP के 12 उम्मीदवारों में 6 दलबदलू, 2 सांसदों की पत्नियां और 1 सांसद का बेटा शामिल है। भाजपा के चारों प्रत्याशी दूसरे दलों से आए हैं। वहीं, अकाली दल उपचुनाव में हिस्सा नहीं ले रहा है। यह सीटें इनके विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई थीं। चारों सीटें पंजाब के रूरल बेल्ट में आती हैं। इनमें तीन पर कांग्रेस और एक पर AAP का कब्जा था। गिद्दड़बाहा सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और लुधियाना सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग चुनाव लड़ रही हैं। अमरिंदर यहां से लगातार 3 चुनाव जीते हैं। AAP ने हरदीप सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं, भाजपा ने मनप्रीत बादल को टिकट दिया है। वे जनवरी, 2023 में कांग्रेस छोड़कर आए थे। मनप्रीत पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के भतीजे और अकाली दल के पूर्व प्रधान सुखबीर बादल के चचेरे भाई हैं। मनप्रीत ही वो शख्स हैं, जो पंजाब के मौजूदा CM भगवंत मान को सियासत में लाए थे। डेरा बाबा नानक सीट पर कांग्रेस ने गुरदासपुर सांसद और पूर्व डिप्टी CM सुखजिंदर सिंह रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर को टिकट दिया है। वे भी पिछले तीन चुनावों से यह सीट जीत रहे हैं। हालांकि उनका वोट शेयर हर बार कम होता रहा है। यह 2012 के 50.22% के मुकाबले 2022 में 36.70% रह गया था। भाजपा ने इस सीट से रविकरण सिंह को उतारा है। उन्होंने 2022 में अकाली दल के टिकट पर सुखजिंदर के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन 466 वोटों से हार गए थे। लोकसभा चुनाव से पहले वे भाजपा में शामिल हो गए। अकाली दल के उपचुनाव न लड़ने से रविकरण की जीत की संभावना बढ़ गई है। वहीं, AAP ने गुरदीप सिंह रंधावा को टिकट दिया है। AAP ने चब्बेवाल सीट पर होशियारपुर सांसद डॉ. राजकुमार के बेटे इशांक चब्बेवाल को टिकट दिया गया है। राजकुमार 2022 में कांग्रेस टिकट पर चब्बेवाल से विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव स
महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 और झारखंड में दूसरे फेज की 38 सीटों के साथ ही 4 राज्यों की 15 विधानसभा और महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट पर बुधवार को उपचुनाव होंगे। इन 15 में से 13 सीटों पर विधायकों के सांसद बनने, 1 के निधन और 1 के जेल जाने से ये सीटें खाली हुई हैं। इनमें 2 सीटें SC के लिए आरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा 9 सीटों पर वोटिंग होनी है। 15 सीटों में से भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के पास 4-4 और आम आदमी पार्टी (AAP), राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और निषाद पार्टी के पास 1-1 सीट थी। महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट कांग्रेस सांसद वसंतराव चव्हाण के निधन से खाली है। लोकसभा चुनाव के सिर्फ दो महीने बाद ही अगस्त, 2024 में उनका देहांत हो गया था। पार्टी ने उनके बेटे रवींद्र चव्हाण को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. संतुक हंबार्डे को उतारा है। पहले 3 राज्यों की 14 सीटों पर 13 नवंबर को ही वोटिंग होनी थी, लेकिन गुरुनानकदेव जी के प्रकाश पर्व और कलपाथि रास्थोलसेवम त्योहारों की वजह से चुनाव आयोग ने तारीख में बदलाव किया था। उपचुनाव के राज्यवार राजनीतिक समीकरण… उत्तर प्रदेश: पूर्वांचल, अवध और वेस्ट यूपी की 9 सीटों पर 2027 का लिटमस टेस्ट उपचुनाव की 9 विधानसभा सीटें प्रदेश के कई राजनीतिक और सांस्कृतिक इलाकों का हिस्सा हैं। यही कारण है कि इसे 2027 के विधानसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है। सपा, लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका देते हुए 80 में से 37 सीटों पर कब्जा जमा चुकी है। वहीं, भाजपा आधी होकर 62 से 33 सीटों पर सिमट गई है। इस लिहाज से यह उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए अहम है। दोनों पार्टियों ने इस उपचुनाव में 2027 के जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखते हुए टिकट बांटे हैं। भाजपा ने 8 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। मीरापुर सीट सहयोगी पार्टी RLD के लिए छोड़ी है। NDA ने 5 OBC, 2 ब्राह्मण, 1 दलित और 1 क्षत्रिय को टिकट दिया है। गठबंधन ने पिछड़ा वर्ग में भी सभी जातियों को साधने की कोशिश की है। इसके लिए मौर्य, कुर्मी, पाल, निषाद और यादव समाज के नेताओं को मौका दिया है। वहीं, सपा ने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को दोहराते हुए 3 OBC, 2 दलित और 4 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। हालांकि सपा के 9 में से 6 उम्मीदवार राजनीतिक घरानों से हैं, जबकि भाजपा ने नए चेहरों को भी मौका दिया है। इन 9 सीटों में सपा 4, भाजपा 3, निषाद पार्टी और RLD 1-1 सीट पर काबिज थी। उपचुनाव में भाजपा, सपा की कब्जे वाली चारों सीटों पर जीतने के लिए रामपुर मॉडल लागू करने पर फोकस कर रही है। इनमें से करहल और कुंदरकी सीटों पर दोनों पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। मैनपुरी जिले की करहल सीट मुलायम सिंह परिवार का गढ़ मानी जाती है। यहां से अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उतारा है। वे मैनपुरी के सांसद रह चुके हैं। यह सीट अखिलेश के कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। यहां भाजपा ने सपा के परिवारवाद से मुकाबला करने के लिए रिश्ते में अखिलेश के बहनोई अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, मुरादाबाद की मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट से भाजपा ने रामवीर सिंह ठाकुर को टिकट दिया है। वे 2012 और 2017 में इस सीट से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। भाजपा यहां सिर्फ एक बार 1993 में जीती है। यही कारण है कि भाजपा ने यह सीट जीतने के लिए अपने 4 मंत्रियों को मैदान में उतारा है। इतना ही नहीं, यह सीट जीतने के लिए भाजपा ने 7000 पन्ना प्रमुख नियुक्त किए हैं। इसके साथ ही कुल 436 बूथ पर बूथ अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी भी जी-जान से जुटी हुई है। यह सीट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह के गृह जनपद मुरादाबाद में आने की वजह से भी अहम है। दूसरी तरफ सपा ने इस सीट पर हाजी रिजवान को उतारा है। वे यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। पंजाब: वंशवाद और दलबदलुओं पर भरोसा, भाजपा के चारों प्रत्याशी दूसरे दलों से राज्य की चारों विधानसभा सीटों पर सभी पार्टियों ने दलबदलुओं और वंशवाद पर भरोसा जताया है। कांग्रेस, AAP और BJP के 12 उम्मीदवारों में 6 दलबदलू, 2 सांसदों की पत्नियां और 1 सांसद का बेटा शामिल है। भाजपा के चारों प्रत्याशी दूसरे दलों से आए हैं। वहीं, अकाली दल उपचुनाव में हिस्सा नहीं ले रहा है। यह सीटें इनके विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई थीं। चारों सीटें पंजाब के रूरल बेल्ट में आती हैं। इनमें तीन पर कांग्रेस और एक पर AAP का कब्जा था। गिद्दड़बाहा सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और लुधियाना सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग चुनाव लड़ रही हैं। अमरिंदर यहां से लगातार 3 चुनाव जीते हैं। AAP ने हरदीप सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं, भाजपा ने मनप्रीत बादल को टिकट दिया है। वे जनवरी, 2023 में कांग्रेस छोड़कर आए थे। मनप्रीत पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के भतीजे और अकाली दल के पूर्व प्रधान सुखबीर बादल के चचेरे भाई हैं। मनप्रीत ही वो शख्स हैं, जो पंजाब के मौजूदा CM भगवंत मान को सियासत में लाए थे। डेरा बाबा नानक सीट पर कांग्रेस ने गुरदासपुर सांसद और पूर्व डिप्टी CM सुखजिंदर सिंह रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर को टिकट दिया है। वे भी पिछले तीन चुनावों से यह सीट जीत रहे हैं। हालांकि उनका वोट शेयर हर बार कम होता रहा है। यह 2012 के 50.22% के मुकाबले 2022 में 36.70% रह गया था। भाजपा ने इस सीट से रविकरण सिंह को उतारा है। उन्होंने 2022 में अकाली दल के टिकट पर सुखजिंदर के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन 466 वोटों से हार गए थे। लोकसभा चुनाव से पहले वे भाजपा में शामिल हो गए। अकाली दल के उपचुनाव न लड़ने से रविकरण की जीत की संभावना बढ़ गई है। वहीं, AAP ने गुरदीप सिंह रंधावा को टिकट दिया है। AAP ने चब्बेवाल सीट पर होशियारपुर सांसद डॉ. राजकुमार के बेटे इशांक चब्बेवाल को टिकट दिया गया है। राजकुमार 2022 में कांग्रेस टिकट पर चब्बेवाल से विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव से पहले वे AAP में चले गए और सांसद बने। कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) से आए रंजीत कुमार को टिकट दिया है। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे चुके रंजीत ने BSP के टिकट पर होशियारपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था। वे कांशीराम के समय से ही BSP से जुड़े थे। वहीं, भाजपा ने इस सीट पर सोहन सिंह ठंडल को प्रत्याशी बनाया है। वे नॉमिनेशन की तारीख खत्म होने से एक दिन पहले ही अकाली दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। बरनाला सीट पर AAP ने संगरूर सांसद गुरमीत सिंह हेयर के दोस्त हरिंदर सिंह धालीवाल को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने कांग्रेस से दो बार विधायक रहे केवल सिंह ढिल्लों को उतारा है। कांग्रेस ने कुलदीप सिंह को टिकट दिया है। उत्तराखंड: कांग्रेस-भाजपा को पूर्व विधायकों पर भरोसा, CM धामी भी प्रचार में उतरे उपचुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों ने अपने पूर्व विधायकों पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ने इसी सीट से 2017 में विधायक बने मनोज रावत को टिकट दिया है। पार्टी ने कई बड़े नामों को दरकिनार कर उन्हें उम्मीदवार बनाया है। 2022 विधानसभा चुनाव में वे तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके बावजूद इलाके में लगातार सक्रिय रहे। यही वजह है कि पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है। भाजपा ने दो बार की पूर्व विधायक आशा नौटियाल को मैदान में उतारा है। वे 2002 और 2007 में इसी सीट से विधायक रही हैं। वे 2012 में कांग्रेस की शैलारानी रावत से हार गई थीं। आशा नौटियाल महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक प्रचार में जुटे रहे हैं। केरल: कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला, कांग्रेस बागी ने उपचुनाव रोचक बनाया राज्य की दो विधानसभा सीटों में से एक पलक्कड़ पर बुधवार को वोटिंग होगी। दूसरी सीट चेलाक्कारा पर 13 नवंबर को वोटिंग हो चुकी है। पलक्कड़ विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक शफी परम्बिल के वडकारा से सांसद चुने जाने से खाली हुई थी। कांग्रेस ने युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राहुल बीआर को और भाजपा ने अपने राज्य महासचिव सी कृष्णकुमार को टिकट दिया है। कृष्णकुमार चार बार पार्षद और पलक्कड़ म्यूनिसिपैलिटी के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2021 विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी ई श्रीधरन सिर्फ 3859 वोट से हार गए थे। इस बार भी मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। संघ भी पूरी ताकत के साथ चुनाव अभियान में लगा हुआ है। कई अन्य जिलों के स्वयंसेवक भी हफ्तों से यहां डेरा जमाए हुए हैं। वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी पी सरीन ने उपचुनाव को रोचक बना दिया। वे कांग्रेस की प्रदेश डिजिटल मीडिया सेल के चीफ थे। राहुल बीआर को टिकट मिलने पर सरीन ने नाराजगी जाहिर की तो कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 17 अक्टूबर को उन्हें पार्टी से निकाल दिया। इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस (IAAS) अधिकारी रहे सरीन अब निर्दलीय ही मैदान में हैं। महाराष्ट्र: नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव, पूर्व CM अशोक चव्हाण की साख दांव पर मराठवाड़ा क्षेत्र की नांदेड़ लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए साख का सवाल बन चुकी है। भाजपा के लिए चुनौती और भी कड़ी है क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को इस इलाके में करारी हार मिली है। कांग्रेस ने दिवंगत सांसद वसंतराव के बेटे रवींद्र चव्हाण को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. संतुक हंबार्डे को मैदान में उतारा है। खास बात यह है कि संतुक के भाई मोहन हंबार्डे नांदेड़ दक्षिण से कांग्रेस के निवर्तमान विधायक हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं। वे पूर्व CM अशोक चव्हाण के करीबी माने जाते हैं। नांदेड़ कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे (अब भाजपा में हैं) अशोक चव्हाण का गढ़ है। उनके पिता भी CM रहे थे। स्थानीय निकाय, विधानसभा, लोकसभा जैसे तमाम चुनावों में चव्हाण परिवार का दबदबा रहता है। फरवरी, 2024 में चव्हाण के भाजपा में जाने के बाद यहां कांग्रेस की स्थिति खराब मानी जा रही थी, लेकिन वसंतराव की जीत ने सभी को चौंका दिया। महाराष्ट्र चुनाव में चव्हाण की बेटी श्रीजया भी भोकर विधानसभा सीट से अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर रही हैं। यह सीट भी नांदेड़ लोकसभा में आती है। यही वजह है कि इस चुनाव में अशोक चव्हाण की प्रतिष्ठा दांव पर है।