55वें सियपिय मिलन महा-महोत्सव का हुआ शुभारंभ:40 कलाकारों द्वारा विभिन्न प्रसंगों का होगा मंचन,1 दिसंबर को कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की कथा
55 वें श्री सिय पिय मिलन महा-महोत्सव का शुभारंभ सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत मैदान में शिव विवाह के पावन प्रसंग से हुआ। नौ दिवसीय महोत्सव के प्रथम दिवस मंगल गीतों के साथ अखण्ड संकीर्तन से प्रारंभ हुआ। अयोध्या से पधारे संत प्रवर नरहरि दास महाराज ने व्यासपीठ से सबरी भक्ति की महिमा का बखान करते हुए कहा कि प्रभु सिर्फ भक्त के भाव देखते है ना कि उसकी जाति। शबरी के चरित्र को देख भाव-विभोर हुए भक्त भगवत वरण चारों वर्णों के अधिकार है। शबरी का चरित्र चारों वर्णों के लिए अनुकरणीय है कहा यदि उनके चरित्र को सही ढंग से समझे तो समाज से आपसी वैमनस्य ही समाप्त हो जाएगा। संत नरहरि दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम को शबरी के भाव ने निहाल कर दिया, प्रभु ने उसकी जाति देख उसके झूठे बेर नहीं खाये बल्कि उसके भक्ति भाव से प्रभावित होकर उनके भेंट को स्वीकार किया। शिव विवाह की लीला का पहले दिन हुआ मंचन श्री शिव विवाह प्रसंग का हुआ मंचन- सिय पिय विवाह महोत्सव के अवसर पर शुक्रवार को नौ दिवसीय रामलीला का भी शुभारंभ हुआ। पहले दिन शिव विवाह लीला का दिव्य मंचन हुआ। लीला में शिव बारात के अत्यंत मनमोहक प्रसंग को देख प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। देवाधिदेव महादेव अपने गणो, भूत-पिशाचों, देवता, गंधर्व सबके साथ बारात लेकर पहुँचते है। जिसके बाद माता पार्वती संग उनके विवाह का दृश्य देख श्रद्धालु स्वयं को धन्य करते रहे। लीला क्रम में माता पार्वती की बाल्यावस्था से लेकर उनकी कठोर तपस्या आदि का भी मंचन हुआ। अखण्ड हरिकीर्तन का हुआ शुभारंभ पहले दिन विश्व विद्यालय परिसर में स्थित हनुमान मंदिर में 24 घण्टे चलने वाले अखण्ड संकीर्तन का भी शुभारंभ हुआ। इसके उपरांत प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाए गये। सीताराम विवाह से पूर्व परंपरागत गीतों से विवाहोत्सव का शुभारंभ हुआ। 7 बजे से 40 लोगों द्वारा सामूहिक श्रीरामचरितमानस के नवाह्न पारायण का भी शुभारंभ हुआ। 1 दिसंबर से दोपहर 2 से 5 बजे तक कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर कथा सुनाएंगे।
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