BHU के वैज्ञानिक अंतरराष्ट्रीय फाइटोबायोम सम्मेलन में हुए शामिल:अमेरिका मेंं प्रस्तुत किया चना उत्पादन के बूस्टर डोज का रिसर्च,15 देश के वैज्ञानिक रहे मौजूद

वाराणसी। बीएचयू के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने अमेरिका में चने का उत्पादन बढ़ाने पर रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। उन्होंने अमेरिकन वैज्ञानिकों के सामने चना उत्पादन बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज की बात की। इससे पौधों की वृद्धि के साथ चने के पोषण पर भी बेहतर असर पड़ेगा। पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने पढ़ा रिसर्च पेपर अमेरिका के सेंट लुइस, मिसौरी स्थित डोनाल्ड डैनफोर्थ प्लांट साइंस सेंटर में अंतरराष्ट्रीय फाइटोबायोम सम्मेलन किया गया। बीएचयू के पर्यावरण और सतत विकास संस्थान में डॉ. वर्मा रिसर्च करते हैं। उन्होंने अमेरिका में बताया कि चने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए संभावित माइक्रोबियल कंसोर्टियम विकसित करना होगा। कंसोर्टियम पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए चने के पौधों में बूस्टर खुराक जैसा काम करता है। 15 देश के वैज्ञानिक और उघोगपति रहे मौजूद इस पेपर को डॉ. वर्मा ने प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसका उद्देश्य पौधों की वृद्धि, उपज, पोषण संबंधी सामग्री और मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य को बेहतर करना है। चना बीज एंडोफाइट्स को अलग करना, जांचना और सूक्ष्म स्तर पर काम करना है। इस सम्मेलन में 15 से अधिक देशों के प्लांट माइक्रोबायोम, मृदा माइक्रोबायोलॉजी वैज्ञानिक, शोधकर्ता और उद्योग भागीदार आदि स्थायी फसल उत्पादकता के लिए अनुसंधान के नए आयाम पर चर्चा करने के लिए भाग लिया।

Nov 21, 2024 - 01:20
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BHU के वैज्ञानिक अंतरराष्ट्रीय फाइटोबायोम सम्मेलन में हुए शामिल:अमेरिका मेंं प्रस्तुत किया चना उत्पादन के बूस्टर डोज का रिसर्च,15 देश के वैज्ञानिक रहे मौजूद
वाराणसी। बीएचयू के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने अमेरिका में चने का उत्पादन बढ़ाने पर रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। उन्होंने अमेरिकन वैज्ञानिकों के सामने चना उत्पादन बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज की बात की। इससे पौधों की वृद्धि के साथ चने के पोषण पर भी बेहतर असर पड़ेगा। पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने पढ़ा रिसर्च पेपर अमेरिका के सेंट लुइस, मिसौरी स्थित डोनाल्ड डैनफोर्थ प्लांट साइंस सेंटर में अंतरराष्ट्रीय फाइटोबायोम सम्मेलन किया गया। बीएचयू के पर्यावरण और सतत विकास संस्थान में डॉ. वर्मा रिसर्च करते हैं। उन्होंने अमेरिका में बताया कि चने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए संभावित माइक्रोबियल कंसोर्टियम विकसित करना होगा। कंसोर्टियम पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए चने के पौधों में बूस्टर खुराक जैसा काम करता है। 15 देश के वैज्ञानिक और उघोगपति रहे मौजूद इस पेपर को डॉ. वर्मा ने प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसका उद्देश्य पौधों की वृद्धि, उपज, पोषण संबंधी सामग्री और मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य को बेहतर करना है। चना बीज एंडोफाइट्स को अलग करना, जांचना और सूक्ष्म स्तर पर काम करना है। इस सम्मेलन में 15 से अधिक देशों के प्लांट माइक्रोबायोम, मृदा माइक्रोबायोलॉजी वैज्ञानिक, शोधकर्ता और उद्योग भागीदार आदि स्थायी फसल उत्पादकता के लिए अनुसंधान के नए आयाम पर चर्चा करने के लिए भाग लिया।

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