RSS बोला- बांग्लादेश सरकार मूकदर्शक बनकर सब देख रही:चिन्मय कृष्ण को रिहा करें, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा तत्काल बंद हो

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर जारी अत्याचार को तत्काल रोकने की मांग की। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से मांग की है कि इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास को रिहा किया जाए। दत्तात्रेय ने बयान में कहा- बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों ​​पर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हमले, हत्या, महिलाओं पर अत्याचार बहुत चिंताजनक है। संघ इसकी निंदा करता है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकार और एजेंसियां मूकदर्शक बनी हुई हैं। उन्होंने कहा- बांग्लादेश के हिंदुओं के खुद की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाई। अब उसे भी दबाया जा रहा है। उनके खिलाफ अत्याचार-अन्याय का नया दौर शुरू हो गया है। चिन्मय कृष्ण दास को जेल से निकाला जाए दत्तात्रेय ने कहा कि ऐसे ही शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिंदुओं का नेतृत्व कर रहे इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश सरकार ने जेल भेज दिया। ये अन्याय है। संघ बांग्लादेश सरकार से यह मांग करता है कि चिन्मय कृष्ण दास को जेल से निकाला जाए। जानिए कौन हैं चिन्मय प्रभु, क्यों गिरफ्तार किए गए? चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं। इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए। 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसमें चिन्मय कृष्ण दास ने भाषण दिया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर 'आमी सनातनी' लिखा हुआ था। रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की ‌BNP पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। बांग्लादेश में पिछले 4 दिनों में क्या-क्या हुआ? 26 नवंबर: चिन्मय प्रभु की जमानत याचिका खारिज, भारत ने नाराजगी जाहिर की चटगांव में इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्यम कृष्ण दास प्रभु की जमानत खारिज हुई। इसके बाद कोर्ट परिसर के बाहर हिंसा भड़क गई। इसमें वकील सैफुल इस्लाम की जान चली गई। चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर भारत ने नाराजगी जाहिर की। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए सही मांगें करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं। 27 नवंबर: इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई। याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग शामिल हैं। ऐसे में इस संस्था को बैन किया जाए। इस अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी। 28 नवंबर: इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग खारिज ढाका हाईकोर्ट ने 28 सितंबर कोइस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने जरूरी कदम उठाए हैं। यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गुरुवार को इस्कॉन के चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए अंतरिम सरकार से उन्हें तुरंत रिहा करने के लिए कहा। हसीना ने कहा कि सनातन धर्म के एक प्रमुख नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है। 29 नवंबर: भारत का इस्कॉन चिन्मय प्रभु के समर्थन में आया इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की भारतीय शाखा ने कहा कि चिन्मय प्रभु संगठन के आधिकारिक सदस्य नहीं थे, लेकिन वे उनके अधिकार और बोलने की आजादी का समर्थन करते हैं। संगठन ने कहा कि हमने खुद को चिन्मय प्रभु से दूरी नहीं बनाई है और न ही ऐसा करेंगे। भारत बोला- बांग्लादेश सरकार हिंदुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले बांग्लादेश में इस्कॉन धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी और हिंदुओं के हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और बाकी अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर अपना विरोध जताया है।

Nov 30, 2024 - 16:20
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RSS बोला- बांग्लादेश सरकार मूकदर्शक बनकर सब देख रही:चिन्मय कृष्ण को रिहा करें, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा तत्काल बंद हो
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर जारी अत्याचार को तत्काल रोकने की मांग की। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से मांग की है कि इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास को रिहा किया जाए। दत्तात्रेय ने बयान में कहा- बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों ​​पर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हमले, हत्या, महिलाओं पर अत्याचार बहुत चिंताजनक है। संघ इसकी निंदा करता है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकार और एजेंसियां मूकदर्शक बनी हुई हैं। उन्होंने कहा- बांग्लादेश के हिंदुओं के खुद की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाई। अब उसे भी दबाया जा रहा है। उनके खिलाफ अत्याचार-अन्याय का नया दौर शुरू हो गया है। चिन्मय कृष्ण दास को जेल से निकाला जाए दत्तात्रेय ने कहा कि ऐसे ही शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिंदुओं का नेतृत्व कर रहे इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश सरकार ने जेल भेज दिया। ये अन्याय है। संघ बांग्लादेश सरकार से यह मांग करता है कि चिन्मय कृष्ण दास को जेल से निकाला जाए। जानिए कौन हैं चिन्मय प्रभु, क्यों गिरफ्तार किए गए? चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं। इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए। 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसमें चिन्मय कृष्ण दास ने भाषण दिया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर 'आमी सनातनी' लिखा हुआ था। रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की ‌BNP पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। बांग्लादेश में पिछले 4 दिनों में क्या-क्या हुआ? 26 नवंबर: चिन्मय प्रभु की जमानत याचिका खारिज, भारत ने नाराजगी जाहिर की चटगांव में इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्यम कृष्ण दास प्रभु की जमानत खारिज हुई। इसके बाद कोर्ट परिसर के बाहर हिंसा भड़क गई। इसमें वकील सैफुल इस्लाम की जान चली गई। चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर भारत ने नाराजगी जाहिर की। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए सही मांगें करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं। 27 नवंबर: इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई। याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग शामिल हैं। ऐसे में इस संस्था को बैन किया जाए। इस अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी। 28 नवंबर: इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग खारिज ढाका हाईकोर्ट ने 28 सितंबर कोइस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने जरूरी कदम उठाए हैं। यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गुरुवार को इस्कॉन के चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए अंतरिम सरकार से उन्हें तुरंत रिहा करने के लिए कहा। हसीना ने कहा कि सनातन धर्म के एक प्रमुख नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है। 29 नवंबर: भारत का इस्कॉन चिन्मय प्रभु के समर्थन में आया इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की भारतीय शाखा ने कहा कि चिन्मय प्रभु संगठन के आधिकारिक सदस्य नहीं थे, लेकिन वे उनके अधिकार और बोलने की आजादी का समर्थन करते हैं। संगठन ने कहा कि हमने खुद को चिन्मय प्रभु से दूरी नहीं बनाई है और न ही ऐसा करेंगे। भारत बोला- बांग्लादेश सरकार हिंदुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले बांग्लादेश में इस्कॉन धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी और हिंदुओं के हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं और बाकी अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर अपना विरोध जताया है।

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