अपनी मां की डिग्री लेने पहुंचा बेटा:आगरा यूनिवर्सिटी में सालों से चक्कर काट रहे हैं छात्र, नहीं मिल रही डिग्री और मार्कशीट
आगरा में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का मंगलवार को 90वां दीक्षांत समारोह है। कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल सोमवार को ही पहुंच गई थीं। 24 से 26 अक्टूबर तक नैक का निरीक्षण होना है। इसके लिए कुलाधिपति ने सभी विभागों में तैयारियों की समीक्षा की। लेकिन विश्वविद्यालय के बाहर हेल्प डेस्क पर खड़े छात्रों पर किसी का ध्यान नहीं गया। विश्वविद्यालय एक तरफ नैक में ए प्लस ग्रेड लाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, तो दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के ही सैंकड़ों छात्र सालों से अपनी डिग्रियों और मार्कशीट्स के लिए चक्कर काट रहे हैं। आइए जानते हैं विश्वविद्यालय प्रशासन के वायदे विश्वविद्यालय के हेल्प डेस्क के पास ही पोस्टर लगे हैं। जिसमें लिखा है कि कुलपति के दिशा-निर्देशन में विश्वविद्यालय प्रशासन हर छात्र को अति शीघ्र मार्कशीट और डिग्री देने के लिए प्रतिबद्ध है। डिग्री, मार्कशीट, माइग्रेशन, ट्रांस्क्रिप्ट और वीरेफिकेशन के लिए एक लिंक भी दिया गया है। पोस्टर में लिखा है कि अगर किसी छात्र की 1998 से 2000 तक की कंप्यूटराइज्ड मार्कशीट बननी है तो इसके लिए हेल्प डेस्क पर ही आवेदन जमा करना होगा। 48 घंटे में अंकतालिका छात्र खुद ले सकते हैं या उनके घर पर डिस्पैच कर दी जाएगी। अब देखते हैं हकीकत पहला केस- आगरा के लोहामंडी के रहने वाले दिव्यांश जैन ने बताया कि उनकी मम्मी गरिमा अग्रवाल ने केएमआई से हिंदी में पीएचडी की थी। 2008 में पीएचडी पूरी हो गई है। दिव्यांश खुद 10 से ज्यादा चक्कर काट चुके हैं, जबकि उनकी मम्मी गरिमा भी कई चक्कर काट चुकी हैं। दो-तीन बार 500-500 रुपये फीस भी जमा हो चुकी है। इसके बावजूद अब तक डिग्री नहीं मिली है। दूसरा केस- जलेसर के रहने वाले मोहन ने बताया कि 2012 से डिग्री नहीं मिली है। चार-पांच चक्कर काट चुके हैं। मोहन बताते हैं कि हर बार एक ही जवाब मिलता है कि अपने घर जाओ, घर पर डिग्री मिल जाएगी। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। जबकि विश्वविद्यालय यह दावा करता है कि डिग्रियां छात्रों के घरों तक पहुंचाई जाती हैं। कॉलेज में लेने जाओ तो वो कहते हैं कि यूनिवर्सिटी जाओ, यूनिवर्सिटी कहती है कि कॉलेज से डिग्री लो। हम तो फंस गए हैं। तीसरा केस- एमएससी एग्रीकल्चर करने वाले भरतपुर के वीरपाल सिंह बताते हैं कि 2022-23 में पास आउट हो चुके हैं। चार-पांच चक्कर काट चुके हैं। उनकी मार्कशीट में फर्स्ट ईयर में ही एनरोलमेंट नंबर दर्ज है। बाकी सालों की मार्कशीट में एनरोलमेंट नंबर दर्ज नहीं है। इतने छोटे से काम के लिए हर बार चक्कर कटवाते हैं। ऑनलाइन ट्रेस किया तो भी फायदा नहीं हुआ। हेल्प डेस्क वाले हमसे ही जवाब मांगते हैं। ऑरिजिनल मार्कशीट तो अब तक नहीं मिली है। अटके हुए हैं हजारों आवेदन विश्वविद्यालय 2023-24 का दीक्षांत समारोह कर रहा है। लेकिन सूत्रों के अनुसार डिग्री और मार्कशीट के लिए हजारों आवेदन अटके हुए हैं। सालों से डिग्रियों के लिए चक्कर काट रहे छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है। यूनिवर्सिटी बार-बार मार्कशीट और डिग्री तैयार करने वाली एजेंसी बदल देती है। फिर डाटा का बहाना बनाया जाता या पोस्ट ऑफिस में देरी की बात की जाती है। छात्र विश्वविद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
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