अफसर सस्पेंड हों या न हों...मेरी जमीन नाप दो बस:लखीमपुर में संघ कार्यकर्ता पैमाइश के लिए चक्कर लगा रहा, 4 अफसर हुए थे निलंबित
लखीमपुर खीरी में 2 बीघा जमीन की पैमाइश के लिए सरकार ने एक आईएएस और तीन पीसीएस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। जिस 10 लाख की जमीन के लिए सरकार ने इतना बड़ा एक्शन लिया, उस खेत का अभी भी सीमांकन नहीं हो पाया है। राजस्व की टीम मौके पर गई, चक रोड खुलवा कर वापस चली गई। जमीन के मालिक रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर दयाल संघ से जुड़े हैं। वो RSS के ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ता खंड संचालक है। इनसे जुड़े एक वीडियो पर ही इतना बड़ा एक्शन हुआ है, फिर भी वो संतुष्ट नहीं हैं। दरअसल, यह पूरा मामला विभाग की लापरवाही से जुड़ा है। विश्वेश्वर के विपक्षी भी यही चाहते हैं कि नक्शा के मुताबिक खेत की मापी हो जाए। विश्वेश्वर दयाल ने बताया कि मैं छह साल से भटक रहा हूं। प्रशासन और पुलिस की लापरवाही के चलते अपने खेत पर कब्जा नहीं मिल पा रहा है। सबसे पहले जानते हैं पूरा मामला क्या है...
नकहा ब्लाक के रहने वाले रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर ने 6 साल पहले भूमि की पैमाइश कराने के लिए SDM के यहां वाद दायर किया था। उनकी भूमि की मेढ़बंदी तो करा दी गई थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही विपक्षियों ने इसे तुड़वा दिया। विश्वेश्वर ने इसकी शिकायत भाजपा विधायक योगेश वर्मा से की। इसके बाद 24 अक्टूबर को भाजपा विधायक स्कूटी से SDM अश्वनी सिंह से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान पता चला कि अफसरों और लेखपाल ने RSS लीडर से 5 हजार सुविधा शुल्क भी लिया, लेकिन जमीन पैमाइश नहीं की। इसका वीडियो भी सामने आया था। वीडियो सामने आने के बाद नियुक्ति विभाग से पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए। लखीमपुर खीरी डीएम से केस की पूरी रिपोर्ट मांगी। पूछा गया- 6 साल पहले यानी 2019 के बाद कौन-कौन एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसील वहां तैनात रहा। उन्होंने पैमाइश के मामले में क्या कार्रवाई की। डीएम से मिली रिपोर्ट के आधार पर चार अफसरों को इसके लिए दोषी पाया गया। उसके बाद डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और पूर्व जिलाधिकारी रहे महेंद्र बहादुर सिंह को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। नियुक्ति विभाग ने दोनों अधिकारियों को नोटिस भेजा है। मामले में शासन ने एक आईएएस समेत तीन पीसीएस अफसरों को सस्पेंड किया है। महेंद्र बहादुर सिंह अक्टूबर 2021 से जून 2024 तक जिलाधिकारी रहे हैं। दुर्गा शक्ति नागपाल 25 जून 2024 से लखीमपुर की डीएम हैं। नियुक्ति विभाग ने इन दोनों अधिकारियों से पूछा है कि छह साल से लटके पैमाइश के मामले को इन्होंने समीक्षा के दौरान क्यों नहीं देखा? दैनिक भास्कर ने विश्वेश्वर से बात की। पढ़िए उन्हीं की जुबानी, संघर्ष की पूरी कहानी... बड़े अफसरों से ज्यादा नीचे के अधिकारी दोषी मेरा खेत गाटा संख्या 432 है, जिसका कुल रकबा लगभग 11 बीघा है। अनुमानित कीमत 50 लाख से अधिक होगी। इसमें से 2 बीघा विपक्षी लोगों ने जोत रखा है, जिसकी नपाई के लिए वाद दायर किया था। अभी तक नपाई नहीं हो सकी है। अफसरों ने बताया विपक्षी पार्टी ने कमिश्नरी से इस पर स्टे ले लिया है। सीमांकन को लेकर विवाद था, जिसकी नपाई के लिए मैंने दिसंबर-2019 में उपजिलाधिकारी के पास वाद दायर किया था। मेरा केस करीब चार महीने बाद अतिरिक्त उपजिलाधिकारी कोर्ट में स्थानांतरित हो गया। जिसमें संघर्ष करते-करते, पेशी तारीख़ करते-करते पांच साल बीत गया। आखिरकार पांच साल बाद 2023 में अतिरिक्त उपजिलाधिकारी कोर्ट से हमारे पक्ष में आदेश हुआ। जिसकी मेड बंदी राजस्व टीम ने आकर मौके पर करवा दी। जिसके बाद विपक्षी लोगों ने 2023 में हमारे विरुद्ध फिर अतिरिक्त उप जिलाधिकारी कोर्ट में वाद दायर कर दिया। जिसे मैंने फिर मुकदमा लड़ना शुरू किया और 2023 के अंत तक पुनः मेरे पक्ष में निर्णय हुआ।
इसके बावजूद भी मेरी मुश्किलें कम नहीं हुई। पहले राजस्व टीम द्वारा की गयी मेड़बंदी विपक्षी जनों ने तोड़ दी। पिलर उखाड़ कर गन्ने की फसल जोत दी। इसकी शिकायत लेकर मार्च 2024 जब वह पुलिस चौकी रामापुर गए तो चौकी इचार्ज दिनेश पांडे ने यह कहकर टरका दिया कि ये मामला राजस्व का है, वहीं जाइए।
अप्रैल 2024 को जिलाधिकारी महेन्द्र बहादुर को भी समस्या को लेकर प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें उन्होंने एसडीम लखीमपुर और सीईओ को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया,लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। मई 2024 में हम सदर कोतवाली में जाकर बैठ गए। मुकदमा जब तक नहीं लिखा जायेगा उठूंगा नहीं की धमकी दी। मेरे हठ पकड़ने के बाद आखिरकार विपक्षियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ। मुकदमा तो दर्ज हो गया लेकिन न तो पुलिस ने कोई कार्यवाही की, न राजस्व टीम ने।
इसके बाद हम 3 अक्टूबर सदर एसडीएम अश्वनी सिंह से मिले। तहसील दिवस में उनको शिकायती पत्र हाथ में दिया। वो बोले कि पुलिस के पास जाओ, FIR दर्ज करवाओ। मैंने उन्हें बताया कि FIR दर्ज हो चुकी है, न्यायालय आदेश के अनुसार पैमाइस करवा दी जाय, जिस पर एसडीएम ने आश्वासन दिया कि राजस्व टीम भेजेंगे और नपाई करवाएंगे लेकिन नपाई नहीं हुई। प्रशासन के सामने रोते-गाते कानूनी तरीके से संघर्ष किया। छह साल में हमारे खेत की नपाई जब नहीं हो सकी तो थक हारकर हम अपने भाजपा के सदर विधायक योगेश वर्मा के पास पहुंचे और उन्हें और पूरी स्थिति से अवगत कराया,क्योंकि हम आरएसएस से जुड़े हुए हैं और ब्लॉक नकहा के खंड संचालक हैं। सदर विधायक योगेश वर्मा ने सदर एसडीएम अश्वनी सिंह को फोन पर बताया की गुरुजी आ रहे हैं, उनकी नपाई करवाओ। हम एक बार फिर सदर SDM अश्वनी सिंह से मिले तो उन्होंने कहा कि दोनों पार्टी को बुलाकर बात होगी। योगी सरकार की कार्रवाई के बाद सिर्फ रास्ता खुला जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम 24 अक्टूबर 2024 को फिर सदर विधायक योगेश वर्मा से मिले और नाराजगी जताई। तब सदर विधायक योगेश वर्मा हमें स्कूटी पर बैठाकर तुरंत एसडीएम ऑफिस ले गए और एसडीएम से उनकी नोकझोंक हुई और कानूनगो द्वारा पांच हजार की घूस जो हमसे ली गई थी उसे वापस करने की भी बात विधायक ने की। विधायक का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद तब
13 नवंबर को योगी सरकार द्वारा इतनी बड़ी कार्रवा
लखीमपुर खीरी में 2 बीघा जमीन की पैमाइश के लिए सरकार ने एक आईएएस और तीन पीसीएस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। जिस 10 लाख की जमीन के लिए सरकार ने इतना बड़ा एक्शन लिया, उस खेत का अभी भी सीमांकन नहीं हो पाया है। राजस्व की टीम मौके पर गई, चक रोड खुलवा कर वापस चली गई। जमीन के मालिक रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर दयाल संघ से जुड़े हैं। वो RSS के ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ता खंड संचालक है। इनसे जुड़े एक वीडियो पर ही इतना बड़ा एक्शन हुआ है, फिर भी वो संतुष्ट नहीं हैं। दरअसल, यह पूरा मामला विभाग की लापरवाही से जुड़ा है। विश्वेश्वर के विपक्षी भी यही चाहते हैं कि नक्शा के मुताबिक खेत की मापी हो जाए। विश्वेश्वर दयाल ने बताया कि मैं छह साल से भटक रहा हूं। प्रशासन और पुलिस की लापरवाही के चलते अपने खेत पर कब्जा नहीं मिल पा रहा है। सबसे पहले जानते हैं पूरा मामला क्या है...
नकहा ब्लाक के रहने वाले रिटायर्ड मास्टर विश्वेश्वर ने 6 साल पहले भूमि की पैमाइश कराने के लिए SDM के यहां वाद दायर किया था। उनकी भूमि की मेढ़बंदी तो करा दी गई थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही विपक्षियों ने इसे तुड़वा दिया। विश्वेश्वर ने इसकी शिकायत भाजपा विधायक योगेश वर्मा से की। इसके बाद 24 अक्टूबर को भाजपा विधायक स्कूटी से SDM अश्वनी सिंह से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान पता चला कि अफसरों और लेखपाल ने RSS लीडर से 5 हजार सुविधा शुल्क भी लिया, लेकिन जमीन पैमाइश नहीं की। इसका वीडियो भी सामने आया था। वीडियो सामने आने के बाद नियुक्ति विभाग से पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए। लखीमपुर खीरी डीएम से केस की पूरी रिपोर्ट मांगी। पूछा गया- 6 साल पहले यानी 2019 के बाद कौन-कौन एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसील वहां तैनात रहा। उन्होंने पैमाइश के मामले में क्या कार्रवाई की। डीएम से मिली रिपोर्ट के आधार पर चार अफसरों को इसके लिए दोषी पाया गया। उसके बाद डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और पूर्व जिलाधिकारी रहे महेंद्र बहादुर सिंह को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। नियुक्ति विभाग ने दोनों अधिकारियों को नोटिस भेजा है। मामले में शासन ने एक आईएएस समेत तीन पीसीएस अफसरों को सस्पेंड किया है। महेंद्र बहादुर सिंह अक्टूबर 2021 से जून 2024 तक जिलाधिकारी रहे हैं। दुर्गा शक्ति नागपाल 25 जून 2024 से लखीमपुर की डीएम हैं। नियुक्ति विभाग ने इन दोनों अधिकारियों से पूछा है कि छह साल से लटके पैमाइश के मामले को इन्होंने समीक्षा के दौरान क्यों नहीं देखा? दैनिक भास्कर ने विश्वेश्वर से बात की। पढ़िए उन्हीं की जुबानी, संघर्ष की पूरी कहानी... बड़े अफसरों से ज्यादा नीचे के अधिकारी दोषी मेरा खेत गाटा संख्या 432 है, जिसका कुल रकबा लगभग 11 बीघा है। अनुमानित कीमत 50 लाख से अधिक होगी। इसमें से 2 बीघा विपक्षी लोगों ने जोत रखा है, जिसकी नपाई के लिए वाद दायर किया था। अभी तक नपाई नहीं हो सकी है। अफसरों ने बताया विपक्षी पार्टी ने कमिश्नरी से इस पर स्टे ले लिया है। सीमांकन को लेकर विवाद था, जिसकी नपाई के लिए मैंने दिसंबर-2019 में उपजिलाधिकारी के पास वाद दायर किया था। मेरा केस करीब चार महीने बाद अतिरिक्त उपजिलाधिकारी कोर्ट में स्थानांतरित हो गया। जिसमें संघर्ष करते-करते, पेशी तारीख़ करते-करते पांच साल बीत गया। आखिरकार पांच साल बाद 2023 में अतिरिक्त उपजिलाधिकारी कोर्ट से हमारे पक्ष में आदेश हुआ। जिसकी मेड बंदी राजस्व टीम ने आकर मौके पर करवा दी। जिसके बाद विपक्षी लोगों ने 2023 में हमारे विरुद्ध फिर अतिरिक्त उप जिलाधिकारी कोर्ट में वाद दायर कर दिया। जिसे मैंने फिर मुकदमा लड़ना शुरू किया और 2023 के अंत तक पुनः मेरे पक्ष में निर्णय हुआ।
इसके बावजूद भी मेरी मुश्किलें कम नहीं हुई। पहले राजस्व टीम द्वारा की गयी मेड़बंदी विपक्षी जनों ने तोड़ दी। पिलर उखाड़ कर गन्ने की फसल जोत दी। इसकी शिकायत लेकर मार्च 2024 जब वह पुलिस चौकी रामापुर गए तो चौकी इचार्ज दिनेश पांडे ने यह कहकर टरका दिया कि ये मामला राजस्व का है, वहीं जाइए।
अप्रैल 2024 को जिलाधिकारी महेन्द्र बहादुर को भी समस्या को लेकर प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें उन्होंने एसडीम लखीमपुर और सीईओ को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया,लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। मई 2024 में हम सदर कोतवाली में जाकर बैठ गए। मुकदमा जब तक नहीं लिखा जायेगा उठूंगा नहीं की धमकी दी। मेरे हठ पकड़ने के बाद आखिरकार विपक्षियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ। मुकदमा तो दर्ज हो गया लेकिन न तो पुलिस ने कोई कार्यवाही की, न राजस्व टीम ने।
इसके बाद हम 3 अक्टूबर सदर एसडीएम अश्वनी सिंह से मिले। तहसील दिवस में उनको शिकायती पत्र हाथ में दिया। वो बोले कि पुलिस के पास जाओ, FIR दर्ज करवाओ। मैंने उन्हें बताया कि FIR दर्ज हो चुकी है, न्यायालय आदेश के अनुसार पैमाइस करवा दी जाय, जिस पर एसडीएम ने आश्वासन दिया कि राजस्व टीम भेजेंगे और नपाई करवाएंगे लेकिन नपाई नहीं हुई। प्रशासन के सामने रोते-गाते कानूनी तरीके से संघर्ष किया। छह साल में हमारे खेत की नपाई जब नहीं हो सकी तो थक हारकर हम अपने भाजपा के सदर विधायक योगेश वर्मा के पास पहुंचे और उन्हें और पूरी स्थिति से अवगत कराया,क्योंकि हम आरएसएस से जुड़े हुए हैं और ब्लॉक नकहा के खंड संचालक हैं। सदर विधायक योगेश वर्मा ने सदर एसडीएम अश्वनी सिंह को फोन पर बताया की गुरुजी आ रहे हैं, उनकी नपाई करवाओ। हम एक बार फिर सदर SDM अश्वनी सिंह से मिले तो उन्होंने कहा कि दोनों पार्टी को बुलाकर बात होगी। योगी सरकार की कार्रवाई के बाद सिर्फ रास्ता खुला जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम 24 अक्टूबर 2024 को फिर सदर विधायक योगेश वर्मा से मिले और नाराजगी जताई। तब सदर विधायक योगेश वर्मा हमें स्कूटी पर बैठाकर तुरंत एसडीएम ऑफिस ले गए और एसडीएम से उनकी नोकझोंक हुई और कानूनगो द्वारा पांच हजार की घूस जो हमसे ली गई थी उसे वापस करने की भी बात विधायक ने की। विधायक का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद तब
13 नवंबर को योगी सरकार द्वारा इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद 14 नवंबर को राजस्व की टीम ने आकर केवल रास्ता खुलवाया है, खेत की नपाई अभी भी बाकी है। बड़े की जगह नीचे वाले अफसर ज्यादा जिम्मेदार हमें किसी पर कार्रवाई में कोई दिलचस्पी नहीं है। कार्रवाई क्या हुई है? किस पर हुई है? और क्यों हुई है इसका हमें क्या मालूम। हमें इतना मालूम है जिस खेत की नपाई के लिए हम 6 साल से संघर्ष कर रहे हैं, वह जस का तस है। मेरा खेत नप जाए,मेरे लिए यही बहुत है। इसमें उच्च अधिकारियों से ज्यादा निचले स्तर के कर्मचारी, पुलिस,लेखपाल कानूनगो और उप जिलाधिकारी ज्यादा जिम्मेदार है, जिनकी जानकारी में सब कुछ होते हुए हमें भटका रहे हैं। नक़्शे के हिसाब से जमीन की मापी कराई जाए- विश्वेश्वर दयाल के विपक्षी विश्वेश्वर के विपक्षी बहुत हाई प्रोफाइल और ऊंची पहुंच वाले नहीं हैं। विश्वेश्वर दयाल के जो विपक्षी हैं, उनमें एक शिला देवी पत्नी राजकुमार हैं l शीला देवी आशा बहू है और राजकुमार शिक्षामित्र l विपक्षी श्रवण उर्फ राजा राम गांव में खेती करते हैं और उनका बेटा शोभित बाहर प्राइवेट नौकरी l श्रवण कुमार के बेटे शोभित ने बताया कि पहली बार जब मेरे खेत में पिलर लगाए गए, तब पता चला कि नपाई का आदेश हुआ है l राजस्व कर्मियों द्वारा पूरी तरह से सेक्टर न नाप कर, ऐसे ही मेढबंदी कर दी गई । फिर उसे आदेश के विरुद्ध हम लोग भी उप जिलाधिकारी न्यायालय गए, जहां से स्टे मिला और उसके बाद हम लोगों ने राजस्व कर्मियों की मौजूदगी में पिलर उखाड़ दिए l जिस पर विश्वेश्वर दयाल द्वारा हम पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया l
फिर हमारे द्वारा मार्च 2024 में कमिश्नरी में वाद डाला गया l जिसकी कॉपी हमने राजस्व टीम को रिसीव करा दी l उसके बावजूद भी विधायक का वीडियो वायरल होने के बाद बिना नपाई किए राजस्व टीम वाले मेरा खड़ा गन्ना काटकर रास्ता बना गए हैं l जबकि हमें कोई आपत्ति नहीं है, पूरा सेक्टर नाप कर नक़्शे के हिसाब से जिसकी ज़मीन जहां है, वहां कब्ज़ा प्रशासन की मौजूदगी में कराया जाए l विधायक बोले- मुख्यमंत्री से शिकायत नहीं की थी सदर विधायक योगेश वर्मा बताया कि जमीन विवाद को लेकर मैंने मुख्यमंत्री से शिकायत नहीं की थी। वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए नियुक्ति विभाग ने कार्रवाई की। ये कार्रवाई सरकार का सीधा संदेश है कि किसान या किसी पीड़ित के काम में लापरवाही करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा l निलंबित किए गए अफसरों ने क्या कहा... न्यायालय प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही की- उप जिलाधिकारी उप जिलाधिकारी रेनू ने बताया कि मैंने अतिरिक्त उपजिलाधिकारी के रूप में 31 दिसंबर 2021 को ज्वाइन किया था l नवंबर में अपनी शादी के लिए एक महीने के अवकाश पर चली गईl 3 महीने तक चुनावी व्यस्तता रही l जब न्यायालय का काम संभाला तो यह फाइल उनके संज्ञान में आई थी l न्यायालय प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही की, जिसका विवरण पत्रावली में दर्ज है l उसके बाद 2022 में उनका जनपद तबादला हो गया। सेम डे राजस्व टीम को निरीक्षण के लिए भेजा- सदर एसडीएम तत्कालीन सदर एसडीएम अरुण कुमार ने बताया कि दिसंबर 2019 में विश्वेश्वर दयाल का पैमाइश को लेकर वाद आया था। सेम डे राजस्व टीम को निरीक्षण के लिए निर्देश दिया था। कार्यवाही चलती रही, इसी दौरान मार्च 2020 में लॉकडाउन लग गया। सभी कोर्ट व फील्ड कार्य बंद हो गए। नवंबर 2020 में जब लॉकडाउन में कुछ ढील हुई तो इनका प्रारम्भिक सीमांकन करवाकर न्यायलय में कार्यवाही शुरू हुई l इसके बाद वाद उपजिलाधिकारी अतिरिक्त कोर्ट में स्थानांतरित हो गया l