अमेरिका में अभियोग मामला:अडाणी समूह अब सेबी के रडार पर, जानकारी छुपाने को लेकर जवाब मांगा; नियमों के उल्लंघन की भी जांच

अमेरिकी निवेशकों के पैसों से भारत में 2,200 करोड़ रुपए घूस देने के आरोप में फेडरल कोर्ट में केस दर्ज हाेने के बाद भारत में अडाणी समूह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सेबी जांच कर रहा है कि क्या समूह ने बाजार को प्रभावित करने वाली जानकारी का खुलासा करने के नियमों का उल्लंघन किया है? इस बीच, सेबी ने समूह से स्पष्टीकरण भी मांगा है। सेबी ने केन्या में एयरपोर्ट विस्तार की डील रद्द किए जाने और अमेरिका में अभियोजन को लेकर जवाब तलब किया है। हालांकि समूह ने अभी जवाब नहीं दिया है। सूत्रों के मुताबिक, सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारियों से जानकारी मांगी है कि क्या अडाणी ग्रीन एनर्जी लि. घूसखोरी के आरोपों में अमेरिकी न्याय विभाग की जांच का पर्याप्त तरीके से खुलासा करने में असफल रही। तथ्यों की जांच दो हफ्ते चल सकती है। इसके बाद सेबी यह तय करेगा कि औपचारिक जांच शुरू करे या नहीं। मालूम हो, सेबी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों में भी अडाणी समूह की जांच कर चुका है। हालांकि उसने अभी तक इसके निष्कर्षों का खुलासा नहीं किया है।इस बीच, वाइट हाउस की प्रवक्ता कराइन जीन-पियरे ने कहा है कि अडाणी के खिलाफ आरोप से वाकिफ हैं। जहां तक बात भारत व अमेरिका के संबंधों की है, तो दोनों देशों के संबंध मजबूत हैं। सेंसेक्स 1,961 अंक चढ़ा, अडाणी समूह के 10 में से 6 शेयरों में बढ़त सात हफ्तों की गिरावट के बाद शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी रही। सेंसेक्स 1961 अंक (2.54%) की बढ़त के साथ 79,117 पर बंद हुआ। दिन में यह 2,062 अंकों की बढ़त तक भी पहुंचा। निफ्टी में 557 अंकों (2.39%) की बढ़त रही और 23,907 के स्तर पर बंद हुआ। यह 5 जून के बाद यानी साढ़े पांच महीने में सबसे बड़ी एक दिनी उछाल है। इस बढ़त से BSE में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 7.32 लाख करोड़ रुपए (1.72%) बढ़कर 432.71 लाख करोड़ रुपए हो गया। नई परेशानी: कुछ बैंक नए कर्ज देने पर रोक लगाने का विचार कर रहे अमेरिका में अभियोजन कार्रवाई शुरू से अदाणी समूह को फंडिंग की कमी का सामना करना पड़ सकता है। क्रेडिट एनालिस्ट्स का कहना है कि कुछ बैंक अदाणी ग्रुप को नए कर्ज देने पर अस्थायी रोक लगाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि समूह के मौजूदा कर्ज बरकरार रखेंगे। रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स ने निकट अवधि की चिंता जताई है। उसने कहा कि समूह के ग्रीन एनर्जी कारोबार के लिए रीफाइनेंसिंग सबसे बड़ी चिंता है। वहीं रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने चेताया है कि समूह को इक्विटी और ऋण बाजारों तक नियमित पहुंच की जरूरत होगी, लेकिन इसे कम खरीदार मिल सकते हैं। घरेलू, अंतरराष्ट्रीय बैंक और बॉन्ड निवेशक अपना निवेश सीमित कर सकते हैं। आगे क्या: भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश पर असर आने की आशंका शुक्रवार को अदाणी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन के 2029 वाले बॉन्ड की कीमत 2.5 डॉलर घटकर 87.8 डॉलर पर आ गई। दो दिनों में यह 5 डॉलर से अधिक गिरा है। वहीं, लंबे समय के मैच्योरिटी वाले बॉन्ड्स दो दिनों में 5 डॉलर गिरकर 80 सेंट से नीचे आ गए। ऐसे में यह मामला अडाणी तक सीमित नहीं रह सकता। भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय निवेश पर व्यापक असर पड़ने की आशंका है। विश्लेषक निमिष माहेश्वरी के मुताबिक, विवाद के कारण भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय निवेश कम हो सकता है। निवेशक अधिक पारदर्शिता और जांच की मांग कर सकते हैं, जिससे प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग धीमी हो सकती है। बीजद ने कहा- समझौता केंद्र सरकार से था, अडाणी से नहीं बीजू जता दल (बीजद) ने अदाणी समूह से ओडिशा में बिजली खरीद समझौते संबंधी रिपोर्ट का खंडन किया है। पार्टी ने कहा 2021 में समझौता दो सरकारी एजेंसियों के बीच था, न कि अदाणी समूह से। यह केंद्र की योजना का हिस्सा है, जो ‘मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड सोलर स्कीम’ है। यह 500 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के लिए था। नियमों के उल्लंघन को लेकर अमेरिका सख्त दूसरी तरफ, अमेरिका सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज के प्रवर्तन विभाग के एक्टिंग डायरेक्टर संजय वाधवा ने कहा कि अमेरिका के प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन होगा तो हम सख्ती से कार्रवाई करना और उन्हें जवाबदेह ठहराना जारी रखेंगे। समझौते की भी राह खुलीः कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा लगाए गए अभियोग के खिलाफ अपील की जा सकती है। समझौते जैसा कानूनी उपाय तलाशा जा सकता है। हालांकि इसमें खासा खर्च होगा, लेकिन इससे कानूनी लड़ाई से राहत मिल सकती है। कोछर एंड कंपनी के शिव सप्रा के मुताबिक, समझौते में भुगतान जुर्माने के रूप में भी हो सकता है। हालांकि इसका अर्थ यह एक तरह से गलत काम की स्वीकृति भी होगी । सुप्रीम कोर्ट के वकील तुषार कुमार ने कहा, ऐसे समझौते से अदाणी को लंबे समय तक सार्वजनिक जांच से बचने और प्रतिष्ठा गिरने से रोकने में मदद मिल सकती है, जो मुकदमेबाजी में संभव नहीं होगा। अमेरिकी कानून के अनुसार एफसीपीए (विदेशी भ्रष्ट व्यवहार अधिनियम) में घूसखोरी मामले में समझौता किया जा सकता है, लेकिन भारत में ऐसे मामलों में कोई कानून नहीं है।

Nov 23, 2024 - 10:40
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अमेरिका में अभियोग मामला:अडाणी समूह अब सेबी के रडार पर, जानकारी छुपाने को लेकर जवाब मांगा; नियमों के उल्लंघन की भी जांच
अमेरिकी निवेशकों के पैसों से भारत में 2,200 करोड़ रुपए घूस देने के आरोप में फेडरल कोर्ट में केस दर्ज हाेने के बाद भारत में अडाणी समूह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सेबी जांच कर रहा है कि क्या समूह ने बाजार को प्रभावित करने वाली जानकारी का खुलासा करने के नियमों का उल्लंघन किया है? इस बीच, सेबी ने समूह से स्पष्टीकरण भी मांगा है। सेबी ने केन्या में एयरपोर्ट विस्तार की डील रद्द किए जाने और अमेरिका में अभियोजन को लेकर जवाब तलब किया है। हालांकि समूह ने अभी जवाब नहीं दिया है। सूत्रों के मुताबिक, सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारियों से जानकारी मांगी है कि क्या अडाणी ग्रीन एनर्जी लि. घूसखोरी के आरोपों में अमेरिकी न्याय विभाग की जांच का पर्याप्त तरीके से खुलासा करने में असफल रही। तथ्यों की जांच दो हफ्ते चल सकती है। इसके बाद सेबी यह तय करेगा कि औपचारिक जांच शुरू करे या नहीं। मालूम हो, सेबी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों में भी अडाणी समूह की जांच कर चुका है। हालांकि उसने अभी तक इसके निष्कर्षों का खुलासा नहीं किया है।इस बीच, वाइट हाउस की प्रवक्ता कराइन जीन-पियरे ने कहा है कि अडाणी के खिलाफ आरोप से वाकिफ हैं। जहां तक बात भारत व अमेरिका के संबंधों की है, तो दोनों देशों के संबंध मजबूत हैं। सेंसेक्स 1,961 अंक चढ़ा, अडाणी समूह के 10 में से 6 शेयरों में बढ़त सात हफ्तों की गिरावट के बाद शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी रही। सेंसेक्स 1961 अंक (2.54%) की बढ़त के साथ 79,117 पर बंद हुआ। दिन में यह 2,062 अंकों की बढ़त तक भी पहुंचा। निफ्टी में 557 अंकों (2.39%) की बढ़त रही और 23,907 के स्तर पर बंद हुआ। यह 5 जून के बाद यानी साढ़े पांच महीने में सबसे बड़ी एक दिनी उछाल है। इस बढ़त से BSE में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 7.32 लाख करोड़ रुपए (1.72%) बढ़कर 432.71 लाख करोड़ रुपए हो गया। नई परेशानी: कुछ बैंक नए कर्ज देने पर रोक लगाने का विचार कर रहे अमेरिका में अभियोजन कार्रवाई शुरू से अदाणी समूह को फंडिंग की कमी का सामना करना पड़ सकता है। क्रेडिट एनालिस्ट्स का कहना है कि कुछ बैंक अदाणी ग्रुप को नए कर्ज देने पर अस्थायी रोक लगाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि समूह के मौजूदा कर्ज बरकरार रखेंगे। रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स ने निकट अवधि की चिंता जताई है। उसने कहा कि समूह के ग्रीन एनर्जी कारोबार के लिए रीफाइनेंसिंग सबसे बड़ी चिंता है। वहीं रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने चेताया है कि समूह को इक्विटी और ऋण बाजारों तक नियमित पहुंच की जरूरत होगी, लेकिन इसे कम खरीदार मिल सकते हैं। घरेलू, अंतरराष्ट्रीय बैंक और बॉन्ड निवेशक अपना निवेश सीमित कर सकते हैं। आगे क्या: भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश पर असर आने की आशंका शुक्रवार को अदाणी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन के 2029 वाले बॉन्ड की कीमत 2.5 डॉलर घटकर 87.8 डॉलर पर आ गई। दो दिनों में यह 5 डॉलर से अधिक गिरा है। वहीं, लंबे समय के मैच्योरिटी वाले बॉन्ड्स दो दिनों में 5 डॉलर गिरकर 80 सेंट से नीचे आ गए। ऐसे में यह मामला अडाणी तक सीमित नहीं रह सकता। भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय निवेश पर व्यापक असर पड़ने की आशंका है। विश्लेषक निमिष माहेश्वरी के मुताबिक, विवाद के कारण भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय निवेश कम हो सकता है। निवेशक अधिक पारदर्शिता और जांच की मांग कर सकते हैं, जिससे प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग धीमी हो सकती है। बीजद ने कहा- समझौता केंद्र सरकार से था, अडाणी से नहीं बीजू जता दल (बीजद) ने अदाणी समूह से ओडिशा में बिजली खरीद समझौते संबंधी रिपोर्ट का खंडन किया है। पार्टी ने कहा 2021 में समझौता दो सरकारी एजेंसियों के बीच था, न कि अदाणी समूह से। यह केंद्र की योजना का हिस्सा है, जो ‘मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड सोलर स्कीम’ है। यह 500 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के लिए था। नियमों के उल्लंघन को लेकर अमेरिका सख्त दूसरी तरफ, अमेरिका सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज के प्रवर्तन विभाग के एक्टिंग डायरेक्टर संजय वाधवा ने कहा कि अमेरिका के प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन होगा तो हम सख्ती से कार्रवाई करना और उन्हें जवाबदेह ठहराना जारी रखेंगे। समझौते की भी राह खुलीः कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा लगाए गए अभियोग के खिलाफ अपील की जा सकती है। समझौते जैसा कानूनी उपाय तलाशा जा सकता है। हालांकि इसमें खासा खर्च होगा, लेकिन इससे कानूनी लड़ाई से राहत मिल सकती है। कोछर एंड कंपनी के शिव सप्रा के मुताबिक, समझौते में भुगतान जुर्माने के रूप में भी हो सकता है। हालांकि इसका अर्थ यह एक तरह से गलत काम की स्वीकृति भी होगी । सुप्रीम कोर्ट के वकील तुषार कुमार ने कहा, ऐसे समझौते से अदाणी को लंबे समय तक सार्वजनिक जांच से बचने और प्रतिष्ठा गिरने से रोकने में मदद मिल सकती है, जो मुकदमेबाजी में संभव नहीं होगा। अमेरिकी कानून के अनुसार एफसीपीए (विदेशी भ्रष्ट व्यवहार अधिनियम) में घूसखोरी मामले में समझौता किया जा सकता है, लेकिन भारत में ऐसे मामलों में कोई कानून नहीं है।

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