आंध्र प्रदेश में वक्फ बोर्ड भंग किया गया:CM नायडू ने जगन सरकार का आदेश बदला; हाईकोर्ट ने बोर्ड के अध्यक्ष चुनाव पर रोक लगाई थी

आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने स्टेट वक्फ बोर्ड को भंग करने की घोषणा की है। इसका गठन पिछली जगन मोहन की सरकार में किया गया था। 30 नवंबर जारी आदेश में मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के जारी गर्वमेंट ऑर्डर (GO)-47 को रद्द करते हुए GO-75 जारी किया है। आदेश में कहा गया कि, 'आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के चुनाव पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। उसी समय राज्य वक्फ बोर्ड के गठन के 2023 के सरकारी आदेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले पेंडिंग केस के कारण एक प्रशासनिक शून्यता पैदा हो गई थी।' आदेश में लिखा है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग आंध्र प्रदेश राज्य वक्फ बोर्ड के गठन के लिए जारी G.O.Ms.No.47 को वापस लेता है। अब राज्य में नए सिरे से वक्फ बोर्ड क गठन किया जाएगा। नायडू सरकार का जारी आदेश... कानून मंत्री बोले- वक्फ प्रोपर्टी की सेफ्टी को बढ़ावा देना मोटिव आंध्र प्रदेश के कानून एवं न्याय, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री एन मोहम्मद फारूक ने कहा- नए आदेश जीओ-75 का उद्देश्य वक्फ बोर्ड में शासन संबंधी शून्यता को दूर करना है। सरकार के नए निर्देश के तहत वक्फ प्रोपर्टी की सेफ्टी और अल्पसंख्यक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। जगन सरकार ने 2023 में किया था वक्फ बोर्ड का गठन जगन सरकार में 21 अक्टूबर 2023 को वक्फ बोर्ड का गठन हुआ था। शेख खाजा (मुतवल्ली), विधायक हफीज खान और MLC रूहुल्लाह को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाया गया था। 8 अन्य को वक्फ बोर्ड का मेंबर नॉमिनेट किया गया था। हालांकि, शेख खाजा के चुनाव और वक्फ बोर्ड के गठन के लिए जारी किए गए गर्वमेंट ऑर्डर (GO) 47 की वैधता को कई रिट याचिकाओं में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। GO को चुनौती देने वाली और नॉमिनेट मेंबर्स में एक के खिलाफ विशेष विवाद उठाने वाली याचिकाओं पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने अध्यक्ष के चुनाव पर रोक लगा दी थी। अदालत ने ये भी स्पष्ट किया है कि सदस्य का चुनाव रिट याचिकाओं के अंतिम फैसले आने पर तय होगा। जब तक याचिकाएं पेंडिंग रहेंगी, वक्फ बोर्ड बिना अध्यक्ष के रहेगा। आंध्र सरकार के फैसले पर किसने क्या कहा... आंध्र प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष विष्णु वर्धन: आंध्रप्रदेश सरकार ने भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में ऐसी संस्थाओं के लिए संवैधानिक प्रावधानों की कमी का हवाला देते हुए वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया है। आंध्र प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का नेतृत्व एनडीए सरकार के मंत्री एन.एम.डी. फारूक कर रहे हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि अल्पसंख्यक कल्याण प्राथमिकता बनी रहे। बीजेपी आईटी सेल चीफ अमित मालवीय: आंध्र प्रदेश सरकार ने वक्फ बोर्ड को खत्म कर दिया है। संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो धर्मनिरपेक्ष भारत में इसके अस्तित्व का समर्थन करता हो। वक्फ बोर्ड क्या है और इसका काम क्या है? वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड कहते हैं। 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। वहीं, पाकिस्तान से काफी सारे हिंदू लोग भारत आए थे। 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 के नाम से कानून बनाया। इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में बदलाव कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई। इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की कुल आमदनी कितनी है और इसके पैसे से किसका भला किया गया, उसका पूरा लेखा-जोखा रखना होता है। इनके पास किसी जमीन या संपत्ति को लेने और दूसरों के नाम पर ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार है। बोर्ड किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी नोटिस भी जारी कर सकता है। किसी ट्रस्ट से ज्यादा पावर वक्फ बोर्ड के पास होती है। पूरी खबर पढ़ें... मोदी सरकार वक्फ बोर्ड कानून बदला करना चाहती है, JPC गठित की मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है। इसके लिए वक्फ संशोधन बिल लाने की तैयारी है, जिसका विरोध हो रहा है। 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष की आपत्ति और भारी विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के JPC को भेज दिया गया था। JPC में 31 सदस्य हैं, इसमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 मेंबर हैं। ये राज्यों का दौरा करके राज्य सरकारों से चर्चा कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। JPC की रिपोर्ट को लोकसभा के जारी शीतकालीन सत्र में पेश करना था। 28 नवंबर को JPC की हुई 8वीं बैठक में रिपोर्ट का कार्यकाल बढ़ाने का फैसाल किया गया था। अब JPC की जांच रिपोर्ट की समय सीमा 2025 के बजट सत्र के अंतिम दिन तक बढ़ाने की बात कही गई है। पूरी खबर पढ़ें... JPC में लोकसभा से 21 सदस्य- भाजपा के 7, कांग्रेस के 3 सांसद 1. जगदंबिका पाल (भाजपा) 2. निशिकांत दुबे (भाजपा) 3. तेजस्वी सूर्या (भाजपा) 4. अपराजिता सारंगी (भाजपा) 5. संजय जायसवाल (भाजपा) 6. दिलीप सैकिया (भाजपा) 7. अभिजीत गंगोपाध्याय (भाजपा) 8. श्रीमती डीके अरुणा (YSRCP) 9. गौरव गोगोई (कांग्रेस) 10. इमरान मसूद (कांग्रेस) 11. मोहम्मद जावेद (कांग्रेस) 12. मौलाना मोहिबुल्ला (सपा) 13. कल्याण बनर्जी (TMC) 14. ए राजा (DMK) 15. एलएस देवरायलु (TDP) 16. दिनेश्वर कामत (JDU) 17. अरविंत सावंत (शिवसेना, उद्धव गुट) 18. सुरेश गोपीनाथ (NCP, शरद पवार) 19. नरेश गणपत म्हास्के (शिवसेना, शिंदे गुट) 20. अरुण भारती (LJP-R) 21. असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM) JPC में राज्यसभा से 10 सदस्

Dec 1, 2024 - 17:25
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आंध्र प्रदेश में वक्फ बोर्ड भंग किया गया:CM नायडू ने जगन सरकार का आदेश बदला; हाईकोर्ट ने बोर्ड के अध्यक्ष चुनाव पर रोक लगाई थी
आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने स्टेट वक्फ बोर्ड को भंग करने की घोषणा की है। इसका गठन पिछली जगन मोहन की सरकार में किया गया था। 30 नवंबर जारी आदेश में मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के जारी गर्वमेंट ऑर्डर (GO)-47 को रद्द करते हुए GO-75 जारी किया है। आदेश में कहा गया कि, 'आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के चुनाव पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। उसी समय राज्य वक्फ बोर्ड के गठन के 2023 के सरकारी आदेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले पेंडिंग केस के कारण एक प्रशासनिक शून्यता पैदा हो गई थी।' आदेश में लिखा है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग आंध्र प्रदेश राज्य वक्फ बोर्ड के गठन के लिए जारी G.O.Ms.No.47 को वापस लेता है। अब राज्य में नए सिरे से वक्फ बोर्ड क गठन किया जाएगा। नायडू सरकार का जारी आदेश... कानून मंत्री बोले- वक्फ प्रोपर्टी की सेफ्टी को बढ़ावा देना मोटिव आंध्र प्रदेश के कानून एवं न्याय, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री एन मोहम्मद फारूक ने कहा- नए आदेश जीओ-75 का उद्देश्य वक्फ बोर्ड में शासन संबंधी शून्यता को दूर करना है। सरकार के नए निर्देश के तहत वक्फ प्रोपर्टी की सेफ्टी और अल्पसंख्यक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। जगन सरकार ने 2023 में किया था वक्फ बोर्ड का गठन जगन सरकार में 21 अक्टूबर 2023 को वक्फ बोर्ड का गठन हुआ था। शेख खाजा (मुतवल्ली), विधायक हफीज खान और MLC रूहुल्लाह को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाया गया था। 8 अन्य को वक्फ बोर्ड का मेंबर नॉमिनेट किया गया था। हालांकि, शेख खाजा के चुनाव और वक्फ बोर्ड के गठन के लिए जारी किए गए गर्वमेंट ऑर्डर (GO) 47 की वैधता को कई रिट याचिकाओं में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। GO को चुनौती देने वाली और नॉमिनेट मेंबर्स में एक के खिलाफ विशेष विवाद उठाने वाली याचिकाओं पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने अध्यक्ष के चुनाव पर रोक लगा दी थी। अदालत ने ये भी स्पष्ट किया है कि सदस्य का चुनाव रिट याचिकाओं के अंतिम फैसले आने पर तय होगा। जब तक याचिकाएं पेंडिंग रहेंगी, वक्फ बोर्ड बिना अध्यक्ष के रहेगा। आंध्र सरकार के फैसले पर किसने क्या कहा... आंध्र प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष विष्णु वर्धन: आंध्रप्रदेश सरकार ने भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में ऐसी संस्थाओं के लिए संवैधानिक प्रावधानों की कमी का हवाला देते हुए वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया है। आंध्र प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का नेतृत्व एनडीए सरकार के मंत्री एन.एम.डी. फारूक कर रहे हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि अल्पसंख्यक कल्याण प्राथमिकता बनी रहे। बीजेपी आईटी सेल चीफ अमित मालवीय: आंध्र प्रदेश सरकार ने वक्फ बोर्ड को खत्म कर दिया है। संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो धर्मनिरपेक्ष भारत में इसके अस्तित्व का समर्थन करता हो। वक्फ बोर्ड क्या है और इसका काम क्या है? वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड कहते हैं। 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। वहीं, पाकिस्तान से काफी सारे हिंदू लोग भारत आए थे। 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 के नाम से कानून बनाया। इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में बदलाव कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई। इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की कुल आमदनी कितनी है और इसके पैसे से किसका भला किया गया, उसका पूरा लेखा-जोखा रखना होता है। इनके पास किसी जमीन या संपत्ति को लेने और दूसरों के नाम पर ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार है। बोर्ड किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी नोटिस भी जारी कर सकता है। किसी ट्रस्ट से ज्यादा पावर वक्फ बोर्ड के पास होती है। पूरी खबर पढ़ें... मोदी सरकार वक्फ बोर्ड कानून बदला करना चाहती है, JPC गठित की मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है। इसके लिए वक्फ संशोधन बिल लाने की तैयारी है, जिसका विरोध हो रहा है। 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष की आपत्ति और भारी विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के JPC को भेज दिया गया था। JPC में 31 सदस्य हैं, इसमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 मेंबर हैं। ये राज्यों का दौरा करके राज्य सरकारों से चर्चा कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। JPC की रिपोर्ट को लोकसभा के जारी शीतकालीन सत्र में पेश करना था। 28 नवंबर को JPC की हुई 8वीं बैठक में रिपोर्ट का कार्यकाल बढ़ाने का फैसाल किया गया था। अब JPC की जांच रिपोर्ट की समय सीमा 2025 के बजट सत्र के अंतिम दिन तक बढ़ाने की बात कही गई है। पूरी खबर पढ़ें... JPC में लोकसभा से 21 सदस्य- भाजपा के 7, कांग्रेस के 3 सांसद 1. जगदंबिका पाल (भाजपा) 2. निशिकांत दुबे (भाजपा) 3. तेजस्वी सूर्या (भाजपा) 4. अपराजिता सारंगी (भाजपा) 5. संजय जायसवाल (भाजपा) 6. दिलीप सैकिया (भाजपा) 7. अभिजीत गंगोपाध्याय (भाजपा) 8. श्रीमती डीके अरुणा (YSRCP) 9. गौरव गोगोई (कांग्रेस) 10. इमरान मसूद (कांग्रेस) 11. मोहम्मद जावेद (कांग्रेस) 12. मौलाना मोहिबुल्ला (सपा) 13. कल्याण बनर्जी (TMC) 14. ए राजा (DMK) 15. एलएस देवरायलु (TDP) 16. दिनेश्वर कामत (JDU) 17. अरविंत सावंत (शिवसेना, उद्धव गुट) 18. सुरेश गोपीनाथ (NCP, शरद पवार) 19. नरेश गणपत म्हास्के (शिवसेना, शिंदे गुट) 20. अरुण भारती (LJP-R) 21. असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM) JPC में राज्यसभा से 10 सदस्य- भाजपा के 4, कांग्रेस का एक सांसद 1. बृज लाल (भाजपा) 2. डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी (भाजपा) 3. गुलाम अली (भाजपा) 4. डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल (भाजपा) 5. सैयद नसीर हुसैन (कांग्रेस) 6. मोहम्मद नदीम उल हक (TMC) 7. वी विजयसाई रेड्डी (YSRCP) 8. एम मोहम्मद अब्दुल्ला (DMK) 9. संजय सिंह (AAP) 10. डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत) मोदी सरकार की वक्फ बोर्ड कानून में इन बदलावों की तैयारी में मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है। सरकार इस कानून में इन 5 वजहों से बदलाव करना चाहती हैं… 1. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री: वक्फ बोर्ड में अब दो सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे। इतना ही नहीं बोर्ड के सीईओ भी गैर मुस्लिम हो सकते हैं। 2. महिला और अन्य मुस्लिम समुदाय का पार्टिसिपेशन बढ़ाना: कानून बदलकर वक्फ में महिलाओं का पार्टिसिपेशन बढा़या जाएगा। सेक्शन-9 और 14 में बदलाव करके केन्द्रीय वक्फ परिषद में दो महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा नए बिल में बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों के लिए अलग से वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात भी कही गई है। बोहरा समुदाय के मुस्लिम आमतौर पर व्यवसाय से जुड़े होते हैं। जबकि आगाखानी इस्माइली मुसलमान होते हैं, जो न तो रोजा रखते हैं और न ही हज जाते हैं। 3. बोर्ड पर सरकार का कंट्रोल बढ़ाना: भारत सरकार कानून बदलकर वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कंट्रोल बढ़ाएगी। वक्फ बोर्ड के मैनेजमेंट में गैर-मुस्लिम एक्सपर्ट्स को शामिल करने और सरकारी अधिकारियों से वक्फ के ऑडिट कराने से वक्फ के पैसे और संपत्ति का हिसाब-किताब ट्रांसपैरेंट होगा। केंद्र सरकार अब CAG के जरिए वक्फ की संपत्ति का ऑडिट करा सकेगी। 4. जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन: कानूनी बदलाव के लिए सरकार ने जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है। इसके मुताबिक राज्य और केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों में दखल नहीं दे सकती हैं, लेकिन कानून में बदलाव के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी, ताकि संपत्ति के मालिकाना हक की जांच हो सके। नए बिल के पास होने पर इन संपत्तियों और उसके राजस्व की जांच जिला मजिस्ट्रेट कर सकेंगे। सरकार का मानना है कि वक्फ जमीनों को जिला मुख्यालयों के राजस्व विभाग में रजिस्टर्ड कराने और कम्प्यूटर में रिकॉर्ड बनाने से ट्रांसपैरेंसी आएगी। 5. न्याय के लिए अदालत जाने का मौका मिलेगा: मोदी सरकार के नए बिल के मुताबिक वक्फ ट्रिब्यूनल में अब 2 सदस्य होंगे। ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों के अंदर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। अभी सबसे बड़ी चुनौती ये है कि अगर किसी जमीन को वक्फ ने अपना बताया तो उस जमीन पर दावा करने वाले दूसरे पक्ष की ये जिम्मेदारी है कि वो ये साबित करे कि ये जमीन उसकी है। मतलब बर्डेन ऑफ प्रूफ, दावा करने वाले व्यक्ति पर होती है। सरकार नए बिल में इस समस्या का भी समाधान कर रही है।

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